Moral Stories in Hindi For Class 9 | 9 वीं कक्षा के लिए नैतिक कहानियां

Moral Stories in Hindi For Class 9 – दोस्तों आज हम आपके लिए कक्षा 9 की खास और चुनिंदा कहानियां लेकर आए हैं| हम उम्मीद करते हैं कि आज की कहानियां आपको काफी पसंद आएँगी और इन कहानियों से आपको अच्छी शिक्षा भी जरूर मिलेगी| अगर आप भी कक्षा 9 की कहानी पढ़ना पसंद करते हैं तो हमारे इस पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़ें।

दो दोस्तों की सोच की कहानी – Moral Stories in Hindi For Class 9

एक बार एक शहर में सेठ मोहन नाम का एक व्यक्ति रहता था| उसका शहर में बहुत अच्छा बिजनेस था, उसने शहर में काफी सारी फैक्ट्रियां भी लगा रखी थी| सेठ मोहन महात्मा के घर में उसकी बीवी और वह खुद रहता था,उसका कोई भी बच्चा नहीं था| सेठ की उम्र लगभग 40 साल थी| 

एक दिन की बात है कि सेठ अपने मैनेजर के साथ शहर से बाहर किसी मीटिंग के लिए जा रहा था, तभी रास्ते में उनकी गाड़ी खराब हो गई और आसपास कोई मैकेनिक भी नहीं था| उन्हें मीटिंग में पहुंचने में देरी हो रही थी| वह अभी शहर से लगभग 10 किलोमीटर दुरी पर थे और उसे समय उनके फोन पर नेटवर्क भी नहीं था, क्योंकि वह जंगल के एरिया में खड़े थे| अब उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि वह मीटिंग वाली जगह पर कैसे पहुंचेंगे| 

तभी पीछे से एक बैलगाड़ी आ रही थी जिसमें दो बच्चे बैठे थे| एक का नाम रघु और दूसरे का नाम राघव था| सेठ ने उनसे पूछा कि आप लोग कहां जा रहे हो? पूछने पर पता चला कि वह दोनों भी उसी शहर में जा रहे हैं जहां पर सेठ ने जाना है| अब सेठ के पास और कोई रास्ता नहीं था| सेठ उनके साथ उनके टांगे में बैठ गया| सेठ दोनों बच्चों के साथ बातें करता रहा, तब बातो बातों में सेठ को पता चला कि दोनों बच्चे अनाथ है और टांगा चलाकर ही अपना गुजारा करते हैं| 

इतने में सेठ अपनी मीटिंग वाली जगह पर समय पर पहुंच गया| तब सेठ ने दोनों बच्चों का धन्यवाद किया और कहा कि बताओ तुम्हे क्या चाहिए? मैं तुम्हारी इच्छा पूरी करूंगा| राघव एक चालक लड़का था, राघव ने झट से बोला कि मेरे पास रहने के लिए घर नहीं है क्या आप मेरे लिए घर का इंतजाम कर सकते है? फिर सेठ ने जब रघु से पूछा तो रघु ने बोला कि मैं पढ़ना चाहता हूं और पढ़ लिख कर बड़ा इंसान बनना चाहता हूं| अगर हो सके तो आप मेरे लिए पढ़ाई का इंतजाम कर दीजिये| 

दोनों की बात सुनकर सेठ बहुत खुश हुआ और सेठ ने अपने मैनेजर को दोनों की इच्छा पूरी करने के लिए बोल दिया और खुद मीटिंग में चला गया| फिर मैनेजर ने रघु को एक अच्छे स्कूल में दाखिल करवा दिया और राघव के लिए उसके गांव में ईटों का पक्का मकान बनाकर दे दिया| राघव का गांव समुद्र के तट के पास था और वहीँ उसके लिए घर बनवा दिया था| 

काफी साल बीत गए राघव समुद्र से मछलियां पड़कर अपना गुजारा करता था और अपने मकान में रहता था| वही रघु पढ़ लिखकर काबिल इंसान बन गया था और उसने शहर में एक कॉफी शॉप खोल लिया था| लगभग 20 साल बीत गए थे और एक दिन सेठ अपने मैनेजर के साथ किसी दूसरे शहर से अपने शहर में वापस आ रहा था| उस दिन फिर सेठ की गाड़ी खराब हो गई और तभी रघु भी अपनी गाड़ी पर वहां से गुजर रहा था| रघु ने जब सेठ को देखा तो अपनी गाड़ी को वहीं पर रोक लिया और सेठ जी को लिफ्ट दे दी।

रघु  ने सेठ और मैनेजर दोनों को पहचान लिया था| लेकिन सेठ और मैनेजर ने रघु को बचपन में देखा था, इसलिए रघु दोनों के लिए अनजान था| फिर रघु और सेठ के बीच काफी बातें हुई और रघु ने सेठ को अपने कॉफी शॉप का विजिटिंग कार्ड दे दिया और उसे वहां पर आमंत्रित किया| फिर लगभग एक हफ्ते के बाद सेठ ने सोचा कि उसे लड़के की कॉफ़ी शॉप पर जाया जाए|

जब सेठ वहां पर पहुंचा तो सेठ ने देखा कि उसे लड़के ने अपनी कॉफी शॉप को बहुत अच्छे से सजा रखा है और सेठ के स्वागत के लिए खास प्रबंध किया है| यह देखकर सेठ बहुत खुश हुआ और फिर जब सेठ अंदर पहुंचा तो सेठ ने पूछा कि तुमने मेरा स्वागत इतने खास ढंग से क्यों किया है? इसके पीछे क्या वजह है? 

फिर रघु ने सेठ जी के पांव को शूहा और कहा सेठ जी मैं वही इंसान हूं, जिसने आज से 20 साल पहले आपको जंगल के पास गांव में अपने टांगे पर बिठाकर मीटिंग में पहुंचाया था और जिसकी पढ़ाई का पूरा खर्चा आपने उठाया था| आपकी मदद से ही मैं आज इस मुकाम तक पहुंच पाया हूं| यह देखकर सेठ जी बहुत खुश हो गए और उनकी आंखों में पानी आ गया| फिर रघु और सेठ जी के बीच काफी देर तक बातें होती रही| 

फिर सेठ जी को रघु के दोस्त राघव की याद आई तो सेठ जी ने पूछा तो रघु ने बताया कि आप ने राघव के लिए पक्का मकान बनाकर दिया था| राघव वहीं पर रह रहा था, लेकिन पिछले साल समुद्र में बाढ़ आने की वजह से उसका मकान पानी में बह गया और अब वह गांव में झोपड़ी बना कर रह रहा है और मछलियां पकड़ कर अपना गुजारा कर रहा है| 

सेठ को बहुत बुरा महसूस हुआ और सेठ रघु से कहने लगा कि तुमने बचपन में पढ़ाई को चुना तो तू आज इस मुकाम पर पाहून गए लेकिन राघव ने बचपन में ही पैसे को चुना लेकिन आज उसके पास पा पैसा है और ना ही अच्छी शिक्षा है| राघव बचपन में जहाँ पर था वहीं पर रह गया और रघु तुम अपनी अच्छी शिक्षा और म्हणत की बदौलत आज इस मुकाम पर पाहून गए हो| अब तुम्हारे पास शिक्षा भी है और पैसा भी है| 

नैतिक शिक्षा

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमारे जीवन में ज्ञान की बहुत ज्यादा अहमियत है| जो समय के साथ साथ बढ़ता जाता है और जिसे हुमंसे कोई चुरा भी नहीं सकता है| इसलिए हमे पैसे से ज्यादा शिक्षा को ज्यादा तवज्जो देनी चाहिए|

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भाइयों की अक्ल और समझ की कहानी

एक गांव में प्रताप नाम का लड़का रहता था| उसके पिताजी गांव में ईटों का भट्ठा चलाते थे, उनका करोबार बहुत बड़ा था| प्रताप के घर में उसके मां बाप के अलावा तीन भाई थे| प्रताप सबसे बड़ा लड़का था| उनका बिजनेस बहुत अच्छा चल रहा था कि एक दिन प्रताप के पिताजी अपने ईटों के भट्टे पर गए तब कुछ आतंकवादियों ने गोली मार कर उनकी हत्या कर दी| उस समय आतंकवादियों का दौर चल रहा था| 

फिर सुबह से शाम हो गई, प्रताप और उसके माता उसके पिता का इंतजार कर रहे थे| लेकिन वह घर पर नहीं आए, तभी उन्होंने देखा कि एक ट्रैक्टर में कुछ लोग आ रहे हैं जो जोर-जोर से रो रहे हैं| ट्रैक्टर उनके घर के पास आकर रुका तब उन्होंने देखा कि उसमें उसके पिताजी खून से लतपत पड़े हैं और उनकी मृत्यु हो चुकी है| यह देखकर प्रताप की माँ बेहोश हो गई और प्रताप का भी बुरा हाल था| घर में मातम का माहौल बा चूका था| 

उस समय प्रताप के पिता के बहुत भी प्रॉपर्टी थी, प्रताप और उसके भाई अभी बहुत छोटे थे और प्रताप की मां अनपढ़ थी| जिसका फायदा प्रताप के चाचाओं ने उठाया| उन्होंने उसी रात प्रताप की रोती हुई माँ से कागजों के ऊपर अंगूठा लगवा लिया और सारी प्रॉपर्टी अपने नाम कर ली| अब प्रताप के पास कुछ भी नहीं बचा था| जहां पर वह रह रहे थे सिर्फ वही मकान उनके नाम पर बचा था| 

अब प्रताप और उसके भाई बड़े हो गए थे| प्रताप और उसके सभी भाइयों की शादी भी हो गई थी| अब प्रताप का परिवार बहुत बड़ा हो चुका था, क्योंकि उसके और उसके सभी भाइयों के बच्चे हो चुके थे| सभी भाई अपने अपने कामों में व्यस्त थे और अपने अपने परिवार प् पल पोषण कर रहे थे| उसी समय सरकार ने उन लोगों के 1 बच्चे को नौकरी देने का फैसला किया था, जिनको परिवार के बड़े व्यक्ति की आतंकवादियों ने किसी समय पर मार दिया था| 

प्रताप को सरकारी नौकरी मिल रही थी, लेकिन उस समय तनख्वाह बहुत कम थी| जिसकी वजह से प्रताप ने नौकरी लेने से मना कर दिया और अपने पिता के कारोबार को चलाने का फैसला लिया| काफी समय बीत गया, लेकिन धीरे-धीरे ईटों के भट्टे का बिजनेस भी ठप हो रहा था| अब प्रताप के सर पर कर्जा चढ़ने लगा था, उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह घर का खर्चा कैसे चलाएगा| फिर एक दिन प्रताप ने ईटों के भट्टे को बेच दिया और जो लेन देन था सबका कर्ज उतार दिया| 

अब प्रताप के पास घर का गुजारा करने का कोई भी साधन नहीं था| लेकिन प्रताप के सभी भाई नौकरी पर लगे हुए और अपना-अपना घर का खर्चा चला रहे थे| लेकिन कोई भी भाई प्रताप की मदद करने को तैयार नहीं था| फिर प्रताप सोचने लगा कि सारी जवानी मेने अपने छोटे भाइयों के पालन पोषण में निकाल दी, लेकिन जब प्रताप को उनकी जरूरत थी तब किसी ने हाथ नहीं थमाया| यह देखकर प्रताप को बहुत बुरा लगा| 

फिर प्रताप ने सोचा अगर वह भी अपने बारे में सोचता और उस समय सरकारी नौकरी ले लेता तो शायद वह और उसके बच्चे भी आज सुखी जीवन व्यतीत कर रहे होते| लेकिन उसके छोटे भाइयों ने उसके और उसके बच्चों के बारे में नहीं सोचा और फिर प्रताप किसी और ईंटो के भट्टे पर मुनीम का काम करके अपने घर का खर्चा चालाने लगा और अपने परिवार को पालने लगा| 

नैतिक शिक्षा

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि छोटों का फर्ज भी बनता है कि वह बड़ों का सत्कार करें और मुसीबत आने पर उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हो और जीवन में कभी भी उनका साथ ना छोड़े।

Conclusion

उम्मीद करते हैं कि हमारे द्वारा शेयर करी गई Moral Stories in Hindi For Class 9 आपको काफी पसंद आई होगी| अगर आपको हमारे द्वारा शेयर करी गई कहानियां पसंद आई है या फिर आप हमें कोई राय देना चाहते हैं तो नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट कर सकते हैं।

FAQ (Frequently Asked Questions)

सभी कहानियां कौन सी कक्षा के लिए है?

सभी कहानियां खास तौर पर 9 कक्षा के लिए लिखी गई है| लेकिन इन्हें कोई भी पढ़ सकता है और इनसे काफी कुछ सीख सकता है।

क्या प्रताप के भाइयों ने प्रताप के साथ सही किया था?

जी नहीं प्रताप के भाइयों ने प्रताप के साथ बहुत गलत किया था| जब प्रताप ने उन्हें पाल पोस कर बड़ा किया था| तो मुसीबत के समय छोटे भाइयों का भी फर्ज बनता था कि वह अपने भाई का साथ दें।

रघु की मुलाकात सेठ से कब हुई थी?

जब सेठ मीटिंग के लिए एक गांव से गुजर रहे था, तब सेठ की गाड़ी खराब हो गई थी| तभी वहां पर रघु टाँगे पर अपने दोस्त के साथ आ रहा था| तब सेठ और रघु की पहली बार मुलाकात हुई थी| 

रघु ने सेठ से किस प्रकार की मदद मांगी थी?

रघु ने सेठ से पढ़ने लिखने की मदद मांगी थी और कहा था कि मैं पढ़ना लिखना चाहता हूं| आप मेरे लिए पढ़ने का प्रबंध कर दीजिए| 

राघव क्या कार्य करता था?

राघव समुद्र से मछलियां पकड़ कर बेचने का कार्य करता था।

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