Moral Stories in Hindi For Class 10 – दोस्तों क्या आप कक्षा 10 में पढ़ते हैं या फिर कक्षा 10 की नैतिक शिक्षा की कहानी के बारे में सर्च कर रहे हैं| अगर ऐसा है तो आप बिल्कुल सही जगह पर आए है, क्योंकि आज की इस पोस्ट में हम आपके साथ सिर्फ कक्षा 10 की कहानियाँ शेयर करने जा रहे हैं, जो पढ़ने में आपको काफी दिलचस्प लगेंगी और जिनसे आपको सीखने को भी काफी कुछ मिलेगा| तो चलिए दोस्तों अब हम शुरू करते हैं।
अजय और विजय का भाईचारा – Moral Stories in Hindi For Class 10
एक गांव में अजय और विजय नाम के दो भाई रहते थे| उनके घर में उनके पिताजी और उनकी माताजी रहती थी| बचपन से ही अजय और विजय का आपस में बहुत ज्यादा प्यार था| जैसे-जैसे समय बीतता गया और दोनों जवान हो गए| उन दोनों के बीच प्यार अभी भी वैसे का वैसे ही था| फिर कुछ सालों के बाद अजय की शादी कर दी गई और अब सारा परिवार बहुत खुश रहने लगा था|
फिर एक दिन अजय के घर पर एक लड़की ने जन्म लिया, जिसका नाम उन्होंने राधा रखा| कुछ साल बीते और अजय को लगा कि घर में खर्च बढ़ रहे हैं, इसलिए उसे किसी अच्छी नौकरी की तलाश करनी चाहिए| फिर अजय नौकरी की तलाश में चंडीगढ़ शहर में चला गया| वहां जाकर अजय को अच्छी नौकरी मिल गई| शुरुआत में अजय घर पर रोजाना फोन करता था, लेकिन काम में व्यस्त होने की वजह से अब वह हफ्ते में एक बार फोन कर पाता था और कभी महीने में दो बार फोन करता था|
समय बीतता गया और अजय की अपने परिवार के साथ दूरियां बढ़ने लग गई| अब अजय के पास काफी सारा पैसा था| अब अजय ने शहर में अपना अच्छा मकान भी बना लिया था| लेकिन विजय अपने पिताजी के साथ अपनी दुकान पर ही काम करता था, जिसकी वजह से घर का खर्चा बड़ी मुश्किल से चलता था|
फिर एक दिन विजय अपने बड़े भाई अजय को मिलने शहर गया| जब विजय अपने भाई के घर पहुंचा तो उसकी भाभी उसे देखकर बिल्कुल भी खुश नहीं थी| वह नहीं चाहती थी कि उसके ससुराल से कोई भी उसके घर पर आए और उनके ऊपर बोझ बनकर रहे|
फिर शाम का समय हुआ है, अजय ऑफिस से घर लौटा| दोनों भाइयों में खूब बातें हुई, लेकिन अजय अपनी बीवी के व्यव्हार को देखकर बिल्कुल भी खुश नहीं था| यह बात विजय को भी महसूस हो रही थी| फिर अगले ही दिन विजय वापस अपने गांव चला गया| यह देखकर अजय का मन बहुत उदास हुआ| फिर जब भी अजय या उसके माता-पिता का विजय के घर पर फोन आता तो विजय की बीवी कभी कभी फोन नहीं उठाती और अगर कभी फोन उठा भी लेती तो अपने पति को नहीं बताती थी|
फिर कुछ महीने बीते और अजय को लगने लगा कि शयद उसकी बीवी के व्यव्हार की वजह से सभी उस से नाराज है| इसलिए उसके घर वालों में से कोई भी उसे फोन नहीं करता है| अजय अपने माता पिता से मिलने गांव जाना चाहता था लेकिन वह परिवार के साथ इतना व्यस्त हो गया था कि उसके पास गांव जाने का भी बिलकुल समय नहीं था| अब उसका ध्यान अपनी लड़की पढ़ाई और उसके अच्छे पालन पोषण में लगा हुआ था|
फिर एक दिन अजय की तबीयत खराब हो गई और वह लगभग 15 दिनों तक बिस्तर पर पड़ा रहा और ऑफिस भी नहीं गया| फिर एक दिन अजय ने शहर के अच्छे अस्पताल में अपना चेकअप कराया, तब उसे पता चला कि उसकी एक किडनी खराब हो गई है| अब उसे किडनी की बहुत जरूरत थी, नहीं तो उसकी जान भी जा सकती थी| अजय ने अपना पूरा पैसा किडनी को ढूंढने पर लगा दिया, लेकिन उसे किडनी फिर भी नहीं मिली|
फिर एक दिन अजय की बीवी ने विजय को घर पर फोन किया और उसे उसके भाई की हालत के बारे में बताया| विजय बिना कुछ सोचे समझे उसी समय शहर की ओर निकल पड़ा और शाम होने तक हस्तपताल में पहुँच गया| फिर अजय की बीवी ने विजय को सारी बात बताई कि उन्होंने किडनी ढूंढने की बहुत कोशिश करी, लेकिन उन्हें किडनी कहीं से नहीं मिल रही है|
फिर विजय ने कहा कि एक बार मैं अपनी मेरी किडनी चेक करवाता हूँ और अगर मेरी किडनी भाई की किडनी के साथ मिल गई तो मैं अपनी किडनी भाई को दे दूंगा| यह सुनकर अजय की बीवी को खुद पर बहुत शर्मिंदगी महसूस हुई क्यूंकि कि उसने विजय और अपने ससुराल वालों से कभी भी अच्छा व्यव्हार नहीं किया था लेकिन उसके पति की जान बचने के लिए उसका भाई बिना सोचे समझे खुद की किडनी देने को तैयार हो गया है|
फिर मन ही मन अजय की बीवी सोचने लगी कि मैं पैसे की चकचोँद में इतनी ज्यादा मशरूफ हो गई थी कि रिश्तो की कदर करना ही भूल गई थी| फिर अजय की बीवी विजय के सामने रोने लगी और उसे क्षमा मांगने लगी कि और कहने लगी कि मैंने तुम्हारे साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया, लेकिन तुम फिर भी मेरे पति की जान बचाने के लिए अपनी किडनी दे रहे हो|
फिर विजय ने कहा कि आप मुझसे बड़े हो, आप ऐसे मत करो अब| मैंने कभी भी ऐसा नहीं सोचा है| हमे सभी बातों को भूल कर भाई के बारे में सोचना चाहिए| फिर विजय अपनी किडनी चेक करवाने के लिए डॉक्टर के पास चला गया और विजय की किडनी अजय के साथ मैच हो गई और फिर शाम को ही विजय का ऑपरेशन करके किडनी निकाल दी और अजय को दे दी गई और इस प्रकार विजय ने अपने बड़े भाई की जान बचा ली|
नैतिक शिक्षा
इस कहानी से हम यह शिक्षा मिलती है कि रिश्तो से बड़ी इस दुनिया में कोई भी धन दौलत नहीं होती है| हमें पैसों की चकचोँद में रिश्तो की अहमियत को कभी नहीं भुनला चाहिए।
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प्रदीप के साइंटिस्ट बनने का सफ़र
प्रदीप नाम का एक लड़का था| वह दसवीं कक्षा में पढ़ता था| वह अपनी कक्षा में सबसे होशियार लड़का था और हर साल कक्षा में फर्स्ट आता था| प्रदीप एक मध्यमवर्ग परिवार से था| उसके पिताजी गांव में मजदूरी करते थे और अपने घर का पालन पोषण करते थे| प्रदीप के पिताजी चाहते थे कि उसका बेटा पढ़ लिखकर बड़ा इंसान बने और उसे मेरी तरह मजदूरी ना करनी पड़े| इसलिए वह दिन-रात एक करके मेहनत करते रहते थे ताकि उनके बेटे की आगे की पढ़ाई में किसी प्रकार की समस्या ना आए|
फिर एक दिन गांव के पास एक बड़ी फैक्ट्री का काम चल रहा था, वहां प्रदीप के पिताजी मजदूरी कर रहे थे| फैक्ट्री में अचानक आग लग गई और आग में प्रदीप के पिताजी की मृत्यु हो गई| अब प्रदीप के घर पर कमाने वाला कोई नहीं था, इसलिए प्रदीप को अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ी और वह भी अपने पिताजी की तरह मजदूरी करने लगा|
लगभग एक महीना बीत गया था, लेकिन प्रदीप का ध्यान अभी भी पढ़ाई में ही था| वह अभी और पढ़ना चाहता था, लेकिन उसके पास इतने पैसे नहीं थे कि वह स्कूल की फीस भर सके और आगे की पढ़ाई पूरी कर सके| बीएस यह सोच कर वह परेशान रहने लगा था|
फिर एक दिन प्रदीप गांव के बाहर एक पेड़ के पास बैठा था, वहीं पर उसके स्कूल के एक अध्यापक गुजर रहे थे| उन्होंने प्रदीप को देखा तो उससे पूछा कि वह स्कूल क्यों नहीं आ रहा है, फिर प्रदीप ने अपनी सारी बात बताई| फिर अध्यापक ने कहा कि तुम घबराओ मत मैं तुम्हारी मदद करूंगा| तुम शाम को मेरे पास पढ़ने के लिए आ जाया करना|
प्रदीप दिन में मजदूरी करता है और शाम को अपने अध्यापक के घर पर जाकर पढ़ाई करता| प्रदीप ने खूब मन लगाकर पढ़ाई करी क्योंकि वह जानता था कि अगर वह पढ़े लिखेगा तभी एक अच्छी नौकरी हासिल कर सकता है और अपना और अपने परिवार के भविष्य को बेहतर बना सकता है| प्रदीप पढ़ाई में बहुत ज्यादा होशियार था और वह साइंटिस्ट बनना चाहता था| प्रदीप ने मन लगाकर पढ़ाई की और दसवीं की परीक्षा पहले दर्जे में पास कर ली|
फिर प्रदीप को स्कॉलरशिप मिल गई और वह पास के शहर में साइंटिस्ट बनने के मकसद के साथ पढ़ाई करने के लिए चला गया| प्रदीप के कॉलेज की फीस उसकी स्कॉलरशिप से निकल जाती थी और वह अपने खर्चे और घर का पालन पोषण करने के लिए रात को नाइट ड्यूटी करता था| प्रदीप कॉलेज के पास वाले होटल में चौंकीदार की नौकरी लग गया और थोड़े बहुत पैसे कमाने लगा, जिससे उसके घर का खर्च चलता रहा|
प्रदीप दिन में खूब मेहनत के साथ पढ़ाई करता और शाम को होटल के बाहर चौंकीदार की नौकरी करता, प्रदीप की मेहनत और लगन के बदौलत प्रदीप ने अपनी कॉलेज की पढ़ाई भी पहले दर्जे से पास कर ली और आगे चलकर वह साइंटिस्ट भी बन गया| अब कुछ साल बीते और प्रदीप ने अपने काम में इतनी महारत हासिल कर ली थी कि वह एक तजुर्बेकर और फेमस साइंटिस्ट बन गया था|
नैतिक शिक्षा
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि अगर हम मेहनत और पूरी लगन के साथ किसी काम को करते हैं तो हम उसमें महारत हासिल जरूर कर लेते हैं और अपने सपनों को पूरा जरूर कर सकते हैं| हमें अपने रास्ते में आने वाली मुसीबत से डरना नहीं बल्कि उनका सामना करना चाहिए और अपने मकसद की और मेहनत करते हुए पढ़ते रहना चाहिए।
Conclusion
उम्मीद करते हैं कि हमारे द्वारा शेयर करी गई Moral Stories in Hindi For Class 10 आपको काफी पसंद आई होगी और आपको इन कहानियों से आपको काफी कुछ सीखने को भी जरूर मिला होगा| अगर आप इन कहानियों से संबंधित आप हमें कोई राय देना चाहते हैं, या फिर हमे कुछ बताना चाहते हैं तो नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट कर सकते हैं और आप चाहे तो हमारी इन कहानियों को अपने दोस्तों मित्रों के साथ भी शेयर कर सकते हैं।