Top 10 Moral Stories in Hindi | बच्चों की 10 नैतिक कहानियाँ

दोस्तों क्या आप भी Top 10 Moral Stories in Hindi के बारे में सर्च कर रहे हैं? अगर ऐसा है तो आप बिल्कुल सही जगह पर आए हैं, क्योंकि आज के इस पोस्ट में हम आपके साथ कुछ खास, चुनिंदा और ज्ञान से भरपूर Top 10 कहानियां शेयर करने जा रहे हैं|

हम आपसे वादा करते हैं कि आज की कहानियां, ऐसी कहानियां होगी जिस से आपको सीखने को बहुत कुछ मिलेगा और साथ में कहानियां पढ़ने में भी बहुत दिलचस्प होंगी| 

जब हमने देखा कि काफी लोग इंटरनेट पर Top 10 कहानियों के बारे में सर्च कर रहे हैं| तब हमने खुद इसके ऊपर रिसर्च शुरू करी और रिसर्च पूरी हो जाने के बाद ही आज हम आपके साथ बच्चों के लिए कहानियां शेयर करने जा रहे हैं| तो चलिए दोस्तों अब हम शुरू करते हैं।

व्यापारी और लंगूरो की कहानी – Top 10 Moral Stories in Hindi

यह कहानी है गांव में रहने वाले एक छोटे से दुकानदार की जो अपने घर पर गुड्डियां खिलौने बनाकर शहर में बेचने जाया करता था| वह अक्सर ही अपने रिक्शे में गुड्डियां रखकर अलग-अलग शहरों में बेचने के लिए जाया करता था| 1 दिन व्यापारी ने अपने गांव से काफी दूर 1 बड़े शहर दिल्ली में जाना था| व्यापारी ने लगभग 50 गुड्डियां बनाकर अपने रिक्शा में डाली और शहर की ओर निकल पड़ा| काफी देर तक रिक्शे पर जाने के बाद व्यापारी ने सोचा कि मैं कुछ खा लेता हूँ| 

उसने अपने रिक्शे में रखा हुआ खाना उठाया और वहीँ सड़क के किनारे पेड़ के नीचे बैठ कर अपना भोजन करने लगा| भोजन करने के बाद 5 मिनट के लिए व्यापारी पेड़ के नीचे लेट गया| फिर व्यापारी को नींद आ गई| उसी पेड़ के ऊपर कुछ लंगूर बैठे थे| उन्होंने देखा कि पेड़ के नीचे एक आदमी सो रहा है और उसके पास रिक्शे में बहुत सारी गुड्डियां पढ़ी हैं| 

लगुरों ने सभी गुड्डियां को उठा लिया और पेड़ के ऊपर चढ़ गए| फिर जब थोड़ी देर व्यापारी की आँख खुली तो उसने देखा कि सारी गुड्डियां पेड़ के ऊपर बैठे लंगूरों के पास है| यह देख कर व्यापारी को गुस्सा आ गया| व्यापारी ने पत्थर उठाकर लंगूरों की ओर फेंकने शुरू कर दिए और लंगूरों ने भी आगे से फल तोड़ कर व्यापारी की और फेंकने शुरू कर दिए| 

अब व्यापारी को समझ आ गया था कि ये लंगूर तो बेवकूफ है, यह तो मेरी नक्र ही कर रहे है| जैसा मई करूँगा यह भी वैसा ही करेंगे| फिर व्यापारी ने अपने रिक्शे के बॉक्स के अंदर से एक गुड्डी निकाली और ज़मीन पर फेंक दी| सभी लंगूरों ने भी व्यापारी की नक़ल करते हुए एक एक करके गुड्डियां ज़मीन पर फेंक दी| फिर व्यापारी ने जल्दी से सभी गुड्डियों को ज़मीन से उठाया और अपने रिक्शे में डाल कर वहां से चला गया| 

नैतिक शिक्षा

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि जोर से ज्यादा हमें बुद्धि को अहमियत देनी चाहिए।

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शिल्पकार और पत्थर की कहानी

एक बार एक शिल्पकार पत्थर ढूंढने के लिए जंगल में जाता है| वहां पर उसे एक अच्छा पत्थर मिलता है वे उस पत्थर को उठाकर अपने बैलगाड़ी में रख लेता है| फिर थोड़ी दूर चलने के बाद उसे एक और अच्छा पत्थर मिलता है वह उस पत्थर को भी उठा कर अपनी बैल गाड़ी में रख लेता है और दोनों पथरो को लेकर अपने घर वापस आ जाता है| 

फिर अगला दिन होता है और शिल्पकार पहले पत्थर को उठाता है और उस पर अपने औजारों से चोट मारने शुरू कर देता है| चोट बजते ही पत्थर चिल्लाने लगता है और कहने लगता है कि मुझ पर औजारों से चोट मत मारो, मुझे दर्द हो रहा है| तुम किसी और पत्थर पर चोट मार लो| यह सुनकर शिल्पकार के मन में भी दया आ जाती है और वह उस पत्थर को हटाकर दूसरा पत्थर उसकी जगह रख लेता है| फिर शिल्पकार दूसरे पत्थर को चोट मार कर उसे पत्थर से भगवान की मूर्ति में बदल देता है| 

फिर अगले दिन गांव वाले आते हैं| वह पत्थर की मूर्ति को लेकर वहां से जाने लगते हैं| फिर गांव वाले वहां पर पड़े पत्थर को देखते हैं और शिल्पकार से कहते है कि हमे एक ओर पत्थर की जरुरत है| जिस पर लोग नारियल फोड़ कर मूर्ति पर चढ़ा सके| फिर शिल्पकार पहले पत्थर को भी उठाकर गांव वालों को दे  गांव वाले उसे भी साथ ले जाते हैं| गांव के लोग मूर्ति को मंदिर के अंदर सजा देते हैं और दूसरे पत्थर को मूर्ति के सामने नीचे रख देते हैं| 

फिर लोग मंदिर में आते हैं, भगवान की मूर्ति को दूध से स्नान करवाते है उस को लड्डू खिलाते हैं और दूसरे सामने पड़े पत्थर पर लोग नारियल फोड़ते है और भगवन को चढ़ाते है| जब भी कोई इंसान उस पत्थर पर नारियल फोड़ता है, वह पत्थर फिर से चिल्लाता| लेकिन इस बार उसकी सुनने वाला कोई भी नहीं था| लोगो के द्वारा रोज नारियल फोड़ने से वह पत्थर परेशान हो गया था| 

फिर 1 दिन परेशान हो कर पहले पत्थर ने भगवान की मूर्ति बने पत्थर से बात करी और कहा कि तुम्हारे मजे हैं| तुम तो यहां भगवान की मूर्ति बन गए हो, तुम्हे लोग स्नान कराते हैं, दूध चढ़ाते हैं और लड्डू भी खिलाते हैं, और मेरे पर तो लोग नारियल ही फोड़ते है| तब भगवान की मूर्ति बने पत्थर ने पहले पत्थर को कहा कि अगर उस दिन तुम शिल्पकार को नहीं रोकते तो शायद आज मेरी जगह पर तुम होते|

अगर तुम उस दिन दर्द बर्दाश्त कर लेते, तो तुम्हें आज रोज रोज दर्द बर्दाश्त ना करना पड़ता| फिर पत्थर को अपने किये पर पछतावा होने लगा और उसने कहा कि मैं कभी भी नहीं चिलाऊँगा| अब लोग आते नारियल फोड़ते और नारियल का पानी पत्थर पर गिरता और लोग पत्थर पर प्रसाद भी रखने लगे।

नैतिक शिक्षा

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें मुश्किल परिस्थितियों से घबराना नहीं चाहिए।

चलाक कौवा की कहानी

चलाक कौवा की कहानी - Top 10 Moral Stories in Hindi

एक बार एक कौवा भूखा प्यासा जंगल में भटक रहा था| तभी उसने एक पानी से भरा हुआ जग देखा| वह उड़कर जग के पास गया और पानी पीना चाहा| लेकिन पानी का स्तर नीचे था, उसकी चोंच पानी तक पहुंच नहीं पा रही थी| फिर कौए ने जग के पास पड़े हुए पत्थरों को उठाया और जग के अंदर डालन शुरू कर दिया| 

जग के अंदर पत्थर डालने से पानी का स्तर ऊपर आ गया और कौए ने अपनी चोंच के साथ उस पानी को पी लिया और फिर वहां से उड़कर दूसरी जगह पर चला गया| 

नैतिक शिक्षा

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि आवश्यकता आविष्कार की जननी है| हमें कठिन परिस्थितियों में अपनी बुद्धि का इस्तेमाल करके समाधान ढूंढना चाहिए।

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मोटे मुर्गे की कहानी

एक गांव में एक किसान के पास दो बैल थे| वह अपने बैलों का बहुत ध्यान रखता था| उसके बैल भी उसके लिए बहुत मेहनत करते थे| वह उसके खेत को जोतते थे, उसका भार उठाकर बाजार तक पहुंचाते थे और किसान भी अपने बालों को अच्छा खाना देता था और उनका खूब ध्यान रखता था और जब भी बैल काम करके थक हार के घर आते थे उनके लिए सोने की जगह साफ करके रखता था| 

एक दिन जब दोनों बैल खेत से काम करके घर वापस आ रहे थे तो उन्होंने देखा कि घर पर एक मुर्गा है| जिसे किसान बहुत अच्छा खाना खिला रहा है, उसे दाना दे रहा है और मुर्गा खा खा कर इतना मोटा भी हो गया है| तब एक बैल दूसरे बैल से कहने लगा कि देखो हमसे अच्छा तो यह मुर्गा है| यह कुछ करता भी नहीं है, सारा दिन घर में घूमता रहता है और किसान इसे कितना अच्छा खाना भी दे रहा है| 

इस पर दूसरा बैल पहले बैल को कहता है कि तुम ऐसा मत सोचो किसान हमारा भी कितना ख्याल रखता है| हमें अच्छा खाना देता है, हमें सूखी घास देता है, पीने के लिए ठंडा पानी देता है और रहने के लिए सूखी घास बिछा कर रखता है ताकि हमें सोने में किसी भी प्रकार की दिक्कत ना हो| इसलिए हमें जितना मिल रहा है हमें उसी में संतुष्ट रहना चाहिए| देख लेना इस मुर्गे का इतना ख्याल रखने के पीछे भी कोई वजह जरूर होगी| 

फिर काफी दिन बीत गए और एक दिन किसान के घर पर उसका मित्र आया| उसी समय दोनों बैल भी खेत से काम करके वापस घर आ रहे थे| उन्होंने देखा कि घर पर किसान का कोई मेहमान आया है और किसान उसे बहुत ही स्वादिष्ट खाना भी खिला रहा है| लेकिन उनको वहां पर वह मोटा मुर्गा दिखाई नहीं दिया| तब दोनों बैलों को एहसास हुआ कि किसान ने अपने दोस्त को बुर्जा ही भोजन के रूप में परोसा है| इसीलिए किसान मुर्गे की इतने दिनों से देखभाल कर रहा था| 

नैतिक शिक्षा

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमारे पास जो है हमें उसी से संतुष्ट रहना चाहिए।

चींटी और टिड्डा की कहानी

चींटी और टिड्डा की कहानी - Top 10 Moral Stories in Hindi

एक जंगल में एक चींटी और टिड्डा रहता था| चींटी गर्मी के मौसम में खूब मेहनत करके इतना भोजन इकट्ठा करके रख लेती थी कि उसे सर्दियों में भोजन जमा करने की जरूरत ना पड़े और वह सर्दी के मौसम को आराम से गुजार सके| लेकिन वहीं दूसरी ओर टिड्डा हमेशा नाचने और गाने में व्यस्त रहता था| जब सर्दी आई तो टिड्डा के पास खाने के लिए कुछ भी नहीं था क्योंकि उसने पहले से अपने भोजन का प्रबंध नहीं किया था| 

वहीं दूसरी ओर चींटी के पास खूब सारा भोजन था और वह अपनी पूरी सर्दी भोजन के साथ गुजार सकती थी| लेकिन टिड्डे के पास भोजन ना होने की वजह से टिड्डा भूख प्यासा ही मर गया| 

नैतिक शिक्षा

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें आगे की योजना बनाकर अपने लक्ष्य को प्राप्त करना चाहिए और अपने भविष्य की सफलता को सुनिश्चित करना चाहिए।

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भेड़ चराने वाले लड़के और भेड़िया की कहानी

एक गांव में एक भेड़ चराने वाला लड़का रहता था जो अपनी भेड़ों को चराने के लिए गांव से बाहर ले जाया करता था| वह लड़का बहुत ज्यादा शरारती था| वह अक्सर ही गांव वालों को मूर्ख बनाता रहता था| एक दिन लड़का भेड़ों को चराने के लिए गांव से बाहर गया| उसने देखा कि वहां पर थोड़े गांव वाले बैठे हैं| उस लड़के ने जोर जोर से चिल्लाना शुरू कर दिया| बचाओ बचाओ भेड़िया आ गया मेरी भेड़ों को खा रहा है| 

लड़के की आवाज सुनकर सभी लोग भागकर उसकी ओर गए| जब सारे गांव वाले लड़के के पास पहुंचे तो वहां पर कोई भी भेड़िया नहीं था और लड़का गांव वालों को देख कर जोर जोर से हसने लगा| तब गांव वाले समझ गए कि हमारे साथ इसने मजाक किया है| 

फिर कुछ दिन बीते और 1 दिन भेड़ो को चराते समय सचमुच वहां पर एक भेड़िया आ गया| भेड़िये को देख कर लड़के ने फिर से चिल्लाना शुरू कर दिया| लेकिन इस बार कोई भी आदमी उस लड़के के बुलाने पर उसके पास नहीं ह्या| सबको लगा कि लड़का आज फिर हमारे साथ मज़ाक क्र रहा है| लेकिन उस दिन लड़का सच बोल रहा था| भेड़िया आया और लड़के की भेड़ों को खा गया।

नैतिक शिक्षा

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि कभी कबार किया गया मजाक का परिणाम हमारे विपरीत होता है। इसलिए हमे मज़ाक सोच समझ कर ही करना चाहिए|

चींटी और मकड़ी के जाले की कहानी

एक बार एक घर में एक मकड़ी रहती थी| वह अपना जाला बनाना चाहती थी| वह जाला बनाने के लिए ऐसी जगह ढूंढ रही थी जहां पर ढेर सारी चीटियां और मक्खियां आकर फस जाए और उसके खाने का प्रबंध हो जाए| यह सोचकर चींटी ने कमरे के एक कोने में जाकर जाला बनाना शुरु कर दिया| अभी जाला आधा ही बना था कि वहां पर बैठी बिल्ली पर मकड़ी की नज़र गई| 

बिल्ली मकड़ी को देख कर हंस रही थी| फिर मकड़ी ने गुस्से में बिल्ली से पूछा कि तुम हंस क्यों रही हो? बिल्ली ने कहा कि यह कमरा घर का सबसे साफ सुथरा कमरा है, यहां पर कोई भी चींटी या मक्खी क्यों आएगी| मकड़ी को बिल्ली की बात सही लगी और उसने जाला वही अधूरा छोड़ दिया| 

फिर मकड़ी जाला बनाने के लिए दूसरी जगह ढूंढने लगी| फिर मकड़ी ने जाला खिड़की पर बनाना शुरू कर दिया| इस बार भी जाला अभी आधा ही बना था कि वहां पर एक कॉकरोच आया और उसने बताया कि यहां पर जाला बनाने का कोई फायदा नहीं है, तुम्हारी मेहनत व्यर्थ जाएगी|

फिर मकड़ी ने पूछा कि तुम्हे ऐसा क्यों लग रहा है कि मेरी मेहनत व्यर्थ जाएगी| फिर कॉकरोच ने बताया कि जब भी यहां पर तेज हवा चलेगी, खिड़की हिलेगी और तुम्हरा जला भी साथ में उड़ जायेगा|  मकड़ी को कोकरेच की बात भी सही लगी और अधूरा जाला वही पर छोड़ दिया| 

फिर मकड़ी ने वहां पर राखी हुए पुरानी अलमारी पर जाला बनाना शुरू कर दिया| फिर वहां पर एक चिड़िया आई और उसने मकड़ी को कहा कि यहाँ पर जाला बनाने का कोई फायदा नहीं है यह तो बहुत पुरानी अलमारी है और इसे कभी भी बेचा जा सकता है| तुम्हारी सारी म्हणत खराब हो जाएगी| फिर मकड़ी को चिड़िया की बात भी सही लगी और उसने जाला आधा बना कर ही छोड़ दिया| 

फिर सुबह से शाम हो गई थी और मकड़ी थक हार कर  बैठ गई| मकड़ी की ऐसी हालत देख कर एक चींटी मकड़ी के पास आई और कहा कि मैं तुम्हें सुबह से देख रही हूँ| तुम बार-बार जाला बनाती हो और दूसरों की बातों पर आकर जाला बनाना बंद कर देती हो| फिर से दूसरी जगह पर जाला बनाना शुरु कर देती हो| जो लोग दूसरों की बातों में आते हैं उनका हाल बिल्कुल तुम्हारे जैसा ही होता है| यह कह कर चींटी अपने रास्ते पर चली गई और मकड़ी थकी हुई वही बैठी रही| 

नैतिक शिक्षा

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हम जब भी कोई काम शुरू करते हैं उसे किसी दूसरों की बातों में आकर अधूरा नहीं छोड़ना चाहिए।

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कछुआ और खरगोश की कहानी

कछुआ और खरगोश की कहानी - Top 10 Moral Stories in Hindi 

एक जंगल में एक खरगोश और एक कछुआ रहता था| दोनों अच्छे मित्र थे| वह अक्सर ही साथ बैठकर गप्पे मारा करते थे| लेकिन खरगोश कछुए को हर बार उसकी धीमी चाल की वजह से शर्मिंदा करता रहता था| खरगोश को अपनी तेज गति पर बहुत अभिमान था और वह अक्सर कछुए को छोड़ता था कि तुम्हारी चाल बहुत धीमी है| लेकिन कछुआ अपने मित्र की बात का बुरा नहीं मनाता था| वह सुनकर चुप हो जाता था| खरगोश रोज कछुए को इसी बात के लिए छेड़ता रहता था| 

फिर 1 दिन कछुए को गुस्सा आ गया और गुस्से में कछुए ने खरगोश को बोला चलो हम रेस लगाते हैं| यह बात सुनकर खरगोश कछुए पर हंसने लगा और कहने लगा कि तुम्हारी चाल बहुत धीमी है| तुम मेरे से जीत नहीं सकते हो| कछुए ने कहा कोई बात नहीं तुम रेस तो लगाओ, फिर देखते हैं परिणाम क्या निकलता है| दोनों रेस लगाने के लिए तैयार हो गए और खरगोश अपनी तेज गति की वजह से बहुत आगे निकल गया| 

कछुआ अपनी धीमी गति और निरंतर प्रयास की बदौलत रेस में चलता रहा| फिर काफी आगे पहुंचने के बाद खरगोश ने सोचा कि मैं काफी आगे आ गया हूँ और कछुए बहुत पीछे रह गया होगा, चलो मैं थोड़ा आराम कर लेता हूँ| खरगोश वहां एक पेड़ के नीचे बैठ गया और बैठे-बैठे उसे कब नींद आ गई उसे पता ही नहीं चला|

फिर थोड़ी देर बाद कछुए भी वहां पर पहुँच गया और उसने देखा कि खरगोश सो रहा है| कछुए ने खरगोश को नहीं उठाया वह अपने धीमी चाल और निरंतर प्रयास करते हुए फिनिश लाइन की ओर बढ़ता चला गया| 

काफी देर के बाद खरगोश की आंख खुली उसने सोचा कि अब मैं भागकर फिनिश लाइन पर पहुंच जाता हूँ| खरगोश पेड़ के पास से उठा और भागने लगा और जब वह फिनिश लाइन के पास पहुंचा तो उसने देखा कि कछुआ वहां पहले से ही खड़ा है| यह देखकर खरगोश को बहुत शर्मिंदगी महसूस हुई| उसे अपनी तेज गति पर अहंकार था| लेकिन फिर भी वह कछुए से हार गया| क्योंकि कछुआ अपने निरंतर प्रयास की बदौलत इस रेस को जीतने में कामयाब रहा| 

नैतिक शिक्षा

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें अपने किसी भी काम को करने के लिए निरंतर प्रयास करते रहना चाहिए, एक दिन हमें सफलता जरूर मिलेगी।

रानी चिड़िया और कौए की कहानी

एक जंगल में एक रानी चिड़िया रहती थी और उसी जंगल में दूसरे जानवर भी रहते थे| वह सभी जानवर एक दूसरे के साथ मिल जुल कर रहते थे| कोई भी जानवर एक दूसरे का शिकार नहीं करता था| फिर 1 दिन जंगल में भीषण आग लग गई और सभी जानवर परेशान हो गए| फिर जंगल के राजा शेर ने सभी जानवरों को जंगल से बाहर दूसरे किसी जंगल में जाने के लिए कहा| 

सभी जानवर अपने अपने घर छोड़कर दूसरे जंगल की ओर भागने लगे| तभी वहां पर जंगल के ऊपर से एक कौआ उड़ रहा था| उसने देखा कि रानी चिड़िया जंगल में तालाब के अंदर चोंच डालकर पानी भर रही है और उस पानी को आग के ऊपर फेंक रही है| यह देखकर कौआ रानी चिड़िया के पास गया और कहने लगा ही बहन तुम अपनी चोंच में पानी डालकर आग बुझाने की कोशिश कर रही हो, लेकिन यह आगा इतने से पानी से नहीं भुझेगी| 

फिर रानी चिड़िया ने कहा कि जब जंगल में आग लगंर की बात होगी तो मेरा नाम आग बुझाने वालों की सूची में शामिल होगा और आपका नाम जंगल से भागने वालों की सूची में शामिल होगा| 

नैतिक शिक्षा

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें मुसीबत से भागना नहीं बल्कि मुसीबत का सामना करना चाहिए।

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चिड़िया के घोंसले की कहानी

एक बार एक खेत में एक चिड़िया रहती थी, जिसका नाम सोनी था| वह एक घोंसले में काफी समय से रह रही थी| उसका घोंसला अब काफी पुराना हो गया था और आगे से सर्दियां भी आने वाली थी| फिर चिड़िया ने सोचा कि मुझे एक नया घोंसला बनाना चाहिए, ताकि मेरी सर्दियां आराम से निकल सकें| फिर चिड़िया ने उसी खेत के दूसरे पेड़ पर जाकर तिनका तिनका इकट्ठा करके घोंसला बनाना शुरू कर दिया| सुबह से शाम हो गई और चिड़िया का घोंसला भी बनकर तैयार हो गया| 

चिड़िया अपने नए घोसले में बैठ गई| फिर चिड़िया ने सोचा कि कल से तो मेने इसी घोंसले में रहना है इसलिए आज मैं पुराने घोसले में ही रह लेती हूं। फिर चिड़िया अपने पुराने घोसले में चली गई और वहीं पर पूरी रात बिताई| फिर अगली सुबह हुई और चिड़िया अपने नए घोसले की ओर जाने लगी| घोसले के पास जाकर चिड़िया ने देखा कि उसके नए घोसले को एक कौवे ने तहस-नहस कर दिया है| यह देखकर चिड़िया को बहुत बुरा लगा, उसकी आंखें भर आई और वह मायूस हो गई| 

चिड़िया ने बड़ी मेहनत करके सुबह से शाम तक इस घोसले को बनाया था| फिर चिड़िया ने गहरी सांस ली और मुस्कुराने लगी और फिर से तिनका तिनका इकट्ठा करके नया घोंसला बनाना शुरू कर दिया और शाम तक चिड़िया ने अपना नया घोंसला बना लिया और उसमें खुशी-खुशी रहने लगी।

नैतिक शिक्षा

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें लोगों से शिकायत करने की बजाय पहले से अधिक मेहनत करके अपने काम को पूरा करना चाहिए।

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Conclusion

उम्मीद करते हैं कि हमारे द्वारा शेयर करी गई Top 10 Moral Stories in Hindi आपको काफी दिलचस्प लगी होगी और इन कहानियों से आपको काफी कुछ सीखने को भी मिला होगा| अगर आपको हमारे द्वारा शेयर करी गई कहानियां पसंद आई हो या फिर आप हमें कोई राय देना चाहते हैं तो नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट कर सकते हैं।

FAQ (Frequently Asked Questions)

Moral Stories in Hindi महत्वपूर्ण क्यों होती है?

Moral Stories in hindi महत्वपूर्ण इसलिए होती है क्योंकि यह कहानियां बहुत ही दिलचस्प और ज्ञानवर्धक होती है| इन्हें पढ़ने से हमारा मानसिक विकास होता है और हम नई नई चीजें भी सीखते हैं।

क्या हर एक Moral Story में सीख होती है?

जी हां हर एक Moral Story में सीख होती है| हर मोरल स्टोरी से हमें कुछ ना कुछ अच्छा सीखने को जरूर मिलता है।

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