Success Motivational Story In Hindi | मजबूर नहीं मजबूत बने

Success Motivational Story In Hindi – क्या आप भी जीवन से हताश हैं और अब आगे आपको कोई भी रास्ता नहीं दिख रहा तो आज मैं Success Motivational Story In Hindi  की मदद से आपके जीवन में थोड़ी motivation लाने की कोशिश करूंगी। इन stories को पढ़कर आपको जीवन में फिर से कुछ कर करने की इच्छा जरूर जागृत हो जाएगी और आप अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए प्रेरित होंगे।

साहसी अरुणिमा सिन्हा का होंसला – Success Motivational Story In Hindi

दोस्तों आज के success motivational story in hindi में सबसे पहला नाम में शामिल करना चाहूंगी अरुणिमा सिन्हा का जो कि पेशे से वॉलीबॉल player और पर्वतारोही है। अरुणिमा सिन्हा का जन्म 20 जुलाई 1988 में अंबेडकर नगर उत्तर प्रदेश में हुआ था. अरुणिमा सिन्हा को बचपन से ही वॉलीबॉल एवं फुटबॉल खेलने का बहुत शौक था, और अपने इसी शौक के बलबूते उन्होंने काफी सारे नेशनल अवार्ड भी जीते थे। इसी बीच अरुणिमा सिन्हा को सी आई एस एफ join  करने का मन हुआ। इसलिए 11 जुलाई को वह लखनऊ से दिल्ली के लिए परीक्षा देने के लिए ट्रेन से जा रही थी | 

अचानक से ट्रेन के जिस डिब्बे में अरुणिमा सिन्हा थी उसी डिब्बे में कुछ लुटेरों ने हमला कर दिया। लुटेरे सभी को डरा धमका के उनसे पैसे और उनका सामान छीन रहे थे| जैसे ही वह लुटेरे अरुणिमा के पास पहुंचे और उन्होंने उससे उसकी सोने की चेन निकालने को बोला तो उसने साफ मना कर दिया| इसी बात पर लुटेरे ने गुस्से में आकर अरुणिमा सिन्हा को ट्रेन से नीचे फेंक दिया | अरुणिमा की बदकिस्मती थी कि दूसरी पटरी पर भी ट्रेन जा रही थी जिसकी वजह से दूसरी ट्रेन से टकराकर उसी वक्त उसका एक पैर कट गया और अरुणिमा बेहोश हो गई | 

कुछ देर के बाद जब उसे होश आया और वह हिलने की कोशिश करने लगी पर उसे हिला नहीं जा रहा था जैसे ही उसने ध्यान दिया तो देखा कि उसका एक पैर कट चुका है | बहुत घंटे बीत गए लेकिन अरुणिमा की मदद करने वहां कोई नहीं पहुंचा | धीरे-धीरे चूहों ने आकर उसके कटे हुए पैर को खाना शुरु कर दिया | लेकिन अरुणिमा ने बिल्कुल हिम्मत नहीं हारी और और वह इससे लड़ती रही | काफी समय बीत जाने के बाद वहां गांव के कुछ लोगों ने अरुणिमा को देखा और वह उसे जल्द ही अस्पताल ले गए | अस्पताल छोटा होने के कारण वहां पर ज्यादा सुविधाएं नहीं थी |

जिसकी वजह से अरुणिमा ने इतनी हिम्मत दिखाई कि बिना anesthesia के अपना पाऊं कटवाने के लिए तैयार हो गई | जब धीरे-धीरे सभी लोगों को पता चला कि यह नेशनल लेवल की sports player  है तो उन्हें धीरे-धीरे फैसिलिटी मिलना शुरू हो गई | उन्हें दिल्ली के AIIMS हॉस्पिटल में भर्ती करवा दिया गया | हॉस्पिटल में 15-20 दिन गुजर जाने के बाद अब अरुणिमा की तबीयत मैं सुधार आ रहा था लेकिन अब वह वॉलीबॉल तो नहीं खेल सकती थी |

जब वह हॉस्पिटल से डिस्चार्ज हुई तो उनके बारे में मीडिया में बहुत सारी अफवाह फैल रही थी कि अरुणिमा ने सुसाइड करने की कोशिश की है और इस हादसे में उनका पैर कट गया | कुछ लोग यह भी कहने लगे कि ट्रेन में टिकट ना होने के कारण जब भी टीसी टिकट चेक करने आए तो इससे डरकर अरुणिमा ने ट्रेन से छलांग लगा दी | लेकिन सच सिर्फ अरुणिमा जानती   थी | लेकिन अब वह दुनिया को दिखाना चाहती थी कि वह इतनी कमजोर नहीं है कि वह सुसाइड करने चली जाए | 

फिर अरुणिमा ने एवरेस्ट की चढ़ाई चढ़ने का फैसला किया अब इस बात पर भी आसपास के लोग उसे पागल और सनकी कहने लग गए | यहां तक कि उसके घर वाले भी इसके लिए मना कर रहे थे क्योंकि पैर कटे होने के बाद एवरेस्ट की चढ़ाई चढ़ने का सोचते ही कोई भी अरुणिमा को पागल कह सकता था | लेकिन अरुणिमा को पता था कि वह यह कर सकती है और उसने मन में ठान लिया था| 

अब माउंट एवरेस्ट की ट्रेनिंग के लिए अरुणिमा विश्व की सबसे पहली महिला जिन्होंने एवरेस्ट की चढ़ाई चढ़ाई थी बचेंद्री पाल से मिली और उसने उन्हें बताया कि वह एवरेस्ट की चढ़ाई चलना चाहती हैं | इस बात पर बचेंद्री पाल ने भी उसे मना किया क्योंकि वे उसकी हालत देख पा रही थी। लेकिन साथ ही साथ में बचेंद्री पाल ने अरुणिमा का हौसला भी देख लिया और वह समझ चुकी थी कि वह नहीं मानेगी और उन्होंने उसे कहा कि अगर तुमने जाने की ठान ली है तो समझो तुम जाकर रहोगे। |

अब  बचेंद्री पाल ने अरुणिमा को एवरेस्ट की ट्रेनिंग देना शुरू कर दिया ट्रेनिंग मैं भी उन्हें काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा और अरुणिमा को पूरे 18 महीने लग गए इस ट्रेनिंग को पूरा करने के लिए। अब एक के बाद एक मुसीबतें अरुणिमा के सामने आ रही थी उनकी ऐसी हालत की वजह से उन्हें कोई sponsorship नहीं मिल रहे थे और फिर काफी वक्त इंतजार करने के बाद Tata Steel ने अरुणिमा को sponsors किया और अब वे एवरेस्ट में जाने के लिए बिल्कुल तैयार हो चुकी थी | 

अब उन्हें एवरेस्ट के बेस कैंप में जाने के लिए कोई शेरपा लोकल गाइड नहीं मिल पा रहा था क्योंकि सभी डर रहे थे और अरुणिमा को एवरेस्ट की चढ़ाई पर लेकर जाने के लिए लेकिन अरुणिमा भी कहां मानने वाली थी. फिर अरुणिमा को शेरपा मिल गया और अरुणिमा ने अपनी माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई चढ़ना शुरू कर दिया| जैसे-जैसे अरुणिमा चढ़ती जा रही थी तो पहले पड़ाव में वह अपने ग्रुप मे  सबसे आगे थी ऐसे ही धीरे-धीरे करते उसने अपना दूसरा और तीसरा पड़ाव भी पूरा कर लिया| जब वह अपने पांचवें पड़ाव पर पहुंची जो कि सबसे मुश्किल पड़ाव माना जाता है| कुछ लोग इसे Death Zone भी कहते हैं। इस पड़ाव में अरुणिमा ने देखा कि बहुत सारे लोगों की लाशें पड़ी हुई है लेकिन उन लाशों को देखकर अरुणिमा बिल्कुल भी नहीं डरी लेकिन उसने यह मन में था ना कि यह वही लोग होंगे जिन्होंने माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई चढ़ने का फैसला किया होगा अब उनके बदले भी मै माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई चढूँगी। 

अब अरुणिमा माउंट एवरेस्ट से सिर्फ 2 घंटे दूर थी| जैसे ही अरुणिमा के लोकल गाइड ने उसे यह बताया कि उसका ऑक्सीजन लेवल बिल्कुल कम हो चुका है और उसे अब और आगे नहीं जाना चाहिए यह सुनते ही अरुणिमा बिल्कुल हताश हो गई और कहने लगी कि इतने नजदीक आने के बाद वह अपने मंजिल को नहीं छोड़ सकती|  वह आगे बढ़ते रहेगी फिर अरुणिमा ने यह आखरी पड़ाव भी पूरा कर लिया|  वह अब विश्व में सबसे ऊपर खड़ी थी और बहुत ज्यादा proud  महसूस कर रही थी | वहां पहुंचकर उन्होंने यह कहा कि सभी लोग मुझे पागल कहते थे तब मुझे बहुत गुस्सा आता था लेकिन अब मैं उस पागलपन का मतलब जान चुकी हूं| अगर कोई आपके गोल के प्रति पागल और सनकी कहने लग जाए तो उस दिन समझ जाना कि अब आप को कोई नहीं रोक सकता | बल्कि आप खुद भी अपने आप को नहीं रोक सकते। 

Moral of the Story

तो दोस्तों देखिए किस तरह अरुणिमा सिन्हा अपने विकलांग होने के बावजूद भी वह कर दिखाया जो कि कई बिल्कुल ठीक होकर भी सोच नहीं सकते | इसी प्रकार अगर हमारे मन में कुछ पाने की इच्छा हो और हम पूरे दिल से उसे करें तो कितनी बड़ी से बड़ी दुविधा भी हमें नहीं रोक सकती और हम सफलता जरूर हासिल कर सकते हैं | तो कभी भी किसी मुसीबत को लेकर आप यह मत सोचिए कि इस वजह से मैं success नहीं achieve कर पा रहा हूं बल्कि उसी मुसीबत को अपनी मजबूती बनाकर अपने success की ओर चलते रहिए तो आपको success जरूर हासिल होगी| 

Kavita Kitchen की Success Story – Motivational Story in Hindi For Success

तो आज की दूसरी कहानी है Famous Youtuber Kavita kitchen की Kavita हमेशा से ही इतनी फेमस नहीं थी शुरुआती के दौर में वह अपने फोन से वीडियो रिकॉर्ड करके अपने Youtube Channel में वीडियोस अपलोड करती थी | लेकिन उन्हें लगता था कि वह कुछ अलग नहीं कर रही क्योंकि बहुत सारे Youtuber थे जो उन्हीं की तरह रेसिपीज की वीडियोस अपने चैनल में अपलोड करते थे| कविता कुछ अलग करना चाहती थी फिर एक दिन कविता के पति ने उनसे कहा कि तुम कुछ अलग क्यों नहीं करती हो सभी लोग रेसिपीज बना रहे हैं तुम भी रेसिपी बना रही हो तो क्यों ना कुछ अलग करो जिसकी लोगों को सच में जरूरत हो और लोग तुम्हारी वीडियोस को देखकर सच में खाना बनाना सीख पाए | 

Kavita Kitchen की Success Story - Motivational Story in Hindi For Success

फिर कविता ने सोचा क्यों ना वह simple रेसिपीज से स्टार्ट करें अब कविता ने हर दिन simple indian food videos  बनाना शुरू करा और अपने यूट्यूब चैनल में अपलोड करती चली गई | उनसे इंस्पायर होकर बहुत से बच्चों ने खाना बनाना सिखा जो बच्चे हॉस्टल में रह रहे थे उन्हें भी खाना बनाना आ रहा था और धीरे-धीरे उनकी fan following बढ़ती चली गई| 

अब कविता किचन की लोकप्रियता बहुत बढ़ गई है हाल ही में उन्होंने कविता किचन मसाले भी लॉन्च किए हैं जो कि सुपर मार्केट में बिकने लग गए हैं | काफी सारे बड़े celebrities उनके साथ videos बनाते हैं और recently  उन्होंने TedX Talks  में भी खुद को रिप्रेजेंट किया | 

Moral of the Story

तो इसी तरह हम कविता की कहानी से यह सीख ले सकते हैं कि हम शुरुआत चाहे कितने भी छोटे स्तर पर क्यों न करें लेकिन अगर हम कड़ी मेहनत और शिद्दत से उस काम को करते चले जाएं और बिल्कुल भी रुके नहीं तो वही काम आगे जाकर बहुत बड़ा बन सकता है| 

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स्नेहा की ज़िन्दगी से ज़िद – Success Motivational Story In Hindi

तो दोस्तों बढ़ते हैं अपनी अगली कहानी की और तो आज मैं स्नेहा के बारे में लिखना चाहूंगी और मैं खुद भी पर्सनली स्नेहा से बहुत प्रेप्रित हूं और जब भी लाइफ में हताश महसूस करती हूँ तो स्नेहा की कहानी एक बार जरूर पढ़ लेती हूं स्नेहा महाराष्ट्र के एक छोटे से कस्बे से थी | बचपन में ही स्नेहा के माता-पिता गुजर गए और स्नेहा आपने मौसी के साथ रहने लग गए | मौसी उसे दो वक्त की रोटी तो दे दिया करती थी लेकिन स्नेहा को बहुत ताने सुनने को मिलते थे | स्नेहा स्कूल जाती थी और पढ़ने में भी काफी होशियार थी लेकिन अपने पसंद की कोई भी चीज करने की उसे कोई अनुमति नहीं थी | वे सुबह जल्दी उठकर घर का सारा काम करती थी और स्कूल से आने के बाद भी घर का सारा काम संभालती थी |  अपने दोस्तों को देखकर जब कभी स्नेहा का कुछ खाने या पहनने का दिल करता था और वह अपनी मौसी को कहती थी तो उसकी मौसी उसे डांट कर कहती थी कि तेरे मां-बाप तेरे लिए क्या छोड़ कर गए हैं जो मैं तुझे यह दिला दूं | 

तुझ बेहद छोटी उम्र से स्नेहा यह समझ गई थी कि इस दुनिया में पैसा ही सब कुछ है और अब वे जिंदगी में कुछ करके दिखाना चाहती थी | उसने छोटी उम्र में ही डिलीवरी का काम शुरू कर दिया| स्नेहा डोर टू डोर डिलीवरी करने जाती थी| जब उसका काम पर पहला दिन था और वह कुछ सामान अपने basket मै लेके बेचने गयी तो उसने एक औरत का दरवाजा खटखटाया उस औरत ने कुछ सामना तो नहीं लिए बल्कि उसपे हाथ उठा दिया अब स्नेहा बहुत डर गयी और रोते हुए घर चले गयी | उसे डर तो बहुत लगा लेकिन वो हिम्मत नहीं हारना चाहती थी और अब अगले दिन वह काम पर चली गयी दूसरे दिन उसने ५  प्रोडक्ट बेच दिए थे | जिससे स्नेहा को बहुत प्रेरणा मिली और वह इस काम को लगातार करती चले गई लगातार 6 साल तक स्नेहा ने डोर टू डोर डिलीवरी का काम किया और जब स्नेहा 21 साल की हो गई तो उसकी शादी हो गई | उसका पति अच्छा खासा काम लेता था लेकिन बचपन में इतनी मुश्किलों का सामना करने के बाद अब वह यूँ ही घर पर नहीं रहना चाहती थी | 

स्नेहा अपनी जिंदगी में कुछ अपने बलबूते पर करना चाहती थी तो स्नेहा ने छोटा-मोटा काम शुरू कर अपना बिजनेस खड़ा करना चाहा | शुरुआती में उसे पति का बहुत ज्यादा सपोर्ट नहीं मिला लेकिन फिर भी स्नेहा काम करती चले गई|  स्नेहा का फैशन और ज्वेलरी में बहुत interest था | वह अपनाjewellery brand खोलना चाहती थी | स्नेहा ने अपनी रिसर्च शुरू कर दी और बहुत सारे कारीगरों से बात करने लग गयी | स्नेहा ने अपने बिजनेस के लिए एक ब्लूप्रिंट बना लिया काफी मेहनत के बाद स्नेहा आज के वक्त में बहुत अच्छा ज्वेलरी बिज़नेस खड़ा कर चुकी है और उनके पति ने भी उसकी company join कर ली है | स्नेहा बहुत बड़े ऑनलाइन पोर्टल पर अपनी ज्वेलरी सेल करती हैं जो की बहुत अच्छी क्वालिटी के भी होते हैं | 

Moral of the Story

इस कहानी से हमें यह सीख लेनी चाहिए कि हमें मजबूर नहीं बल्कि मजबूत बनना है और जिंदगी में कैसी भी मजबूरी हमें पीछे खींचे लेकिन दिल में कड़ा हौसला रख कर हम उसी मजबूरी को अपनी मजबूती में बदलकर सफलता हासिल कर सकते हैं| 

पहाड़ जैसे डर को हराया – Motivational Story in Hindi For Success

ऋषभ एक बहुत ही होशियार लड़का था| वह पढ़ाई में बहुत होशियार था और अपने मां-बाप को हमेशा अच्छे अंक लाकर बहुत गर्व महसूस करवाता था | ऋषभ खेलकूद में भी रुचि रखता था और स्कूल में ऋषभ को सभी अध्यापक पसंद करते थे। ऋषभ रोजाना स्कूल के लिए तैयार होता और अपनी मां की छोटी मोटी मदद करके स्कूल चला जाता और दिनभर स्कूल में पढ़ाई करने के बाद शाम को घर वापस आकर भी कोशिश करता कि अगर उसकी मां अकेले काम कर रही हो तो वह अपनी मां का हाथ जरूर बटाये |  इसी तरह ऋषभ सबसे प्यार बटोरता रहता था |

ऋषभ ने 9th क्लास पास कर ली और वह अब 10th क्लास में हो गया था लेकिन जैसे ही उसने 10th क्लास में एडमिशन लिया तो उसके मां-बाप ने उस पर percentage का बोझ डाल दिया और उनसे कहने लगे कि 10th क्लास एक बोर्ड की परीक्षा है इसमें तुम्हें अच्छा स्कोर करना है वरना आगे करियर में बहुत मुश्किलें आएंगी | टीचर ने भी ऋषभ को डराना शुरू कर दिया और प्रेशर देने लग गए कि इस क्लास में अच्छा स्कोर करना है वरना कैरियर नहीं बनेगा | जिससे ऋषभ बिल्कुल डर गया और अब उसे 10th की क्लास एक बड़े और डरावने माउंटेन एवरेस्ट सी लग रही थी | अब ऋषभ स्कूल जाने से भी घबराने लग गया उसका पढ़ाई में मन नहीं लगता था और ऋषभ को ऐसा लगने लग गया कि उसे क्लास मैं पढ़ाया हुआ कुछ भी समझ नहीं आ रहा था| सभी टीचर्स उसे डांटने लग गए और जब किसी टेस्ट में अंक काम आते तो उसके मां-बाप भी उसे बहुत डांटते थे| 

फिर 1 दिन ऋषभ की स्कूल में नए अध्यापक आए ऋषभ उनकी बात सुनकर बहुत उत्साहित हुआ | उस अध्यापक ने पूरी क्लास को एक कहानी सुनाई: एक गांव में एक बहुत ही खतरनाक और डरावना राक्षस आ गया था सारा गांव उससे डरने लग गए थे और उससे भागने लगे ,पूरे गांव में आतंक मच गया था | लेकिन जब एक छोटी सी बच्ची ने जाकर उसे छुआ तो अचानक ही वह राक्षस पूरी तरह से टूट कर चकनाचूर हो गया और अंदर से एक छोटा और प्यारा सा लड़का बाहर आया | जिसके हाथों में हजारों सोने की मोहर थे, जिसे उससे गांव वालों को दे दिया तो इसी तरह बच्चों यह क्लास 10th भी तुम्हें राक्षस जैसी लग रही होगी लेकिन अगर तुम इससे हंसते हुए गले लगा लोगे तो यह आपके पूरे जीवन में आपको सब कुछ हासिल करने में मदद करेगी|  

यह कहानी सुनते ही ऋषभ फिर से motivated हो गया और खूब दिल लगाकर पढ़ाई करने लग गया | अब उसे किसी की भी बातों का कोई डर महसूस नहीं होता था परंतु जैसे वह 9th क्लास में पढ़ता था उससे ज्यादा वह 10th क्लास की पढ़ाई में जुट गया और बहुत ही अच्छे नंबर लेकर पास हो गया | 

Moral of the Story

कभी जीवन में किसी मुसीबत को इतना बड़ा ना बना ले कि उससे बाहर होने का कोई रास्ता आपके दिमाग में आने न लगे परंतु जब भी हम उस मुसीबत को छोटा समझ कर उसे सुलझाने लग जाएंगे तो कोई भी मुसीबत ज्यादा देर तक हमारे सामने नहीं आ पाएगी क्योंकि भगवान भी हमें उतना ही दुख और मुसीबतें देता है जीतना  कि हम सहन कर सकें | 

अविष्कार का जन्म – Success Motivational Story In Hindi

यह कहानी लगभग 125 साल पुरानी है|  जापान में एक युवक किसी फैक्ट्री में काम करता था | वह काफी लगन और मेहनत से काम करता रहता था और जब कभी उसके पास खाली वक्त रहता तो वह कुछ ना कुछ पढ़ाई और रिसर्च करता रहता | तो इसी तरह एक दिन वह कुछ बना रहा था और उसने एक इलेक्ट्रॉनिक सॉकेट बनाकर तैयार किया | वह इस सॉकेट को लेकर अपने मालिक के पास गया|  जब उसके मालिक ने यह सॉकेट देखा तो उसे डांट कर कहने लगा कि यह बहुत बेकार है इसे कौन खरीदेगा |  

अविष्कार का जन्म - Success Motivational Story In Hindi

लेकिन उस युवक को अपने इस सॉकेट पर पूरा विश्वास था उसने अपने फैक्ट्री की नौकरी छोड़ दी और घर पर ही फैक्ट्री शुरू कर दी जिसमें वह सॉकेट बनाता था | जब उसने कुछ सॉकेट बनाकर तैयार कर दिए तो वह रोज बाजार में जाकर उसे बेचने लग गया | लेकिन वह हर दिन सॉकेट से भरा हुआ बैग तो लेकर जाता था लेकिन वापस उसी भरे बैग के साथ आता था|  उसे कोई आर्डर नहीं मिल रहे थे लेकिन फिर भी उसने हार नहीं मानी और वे लगातार इन सॉकेट को बेचने बाजार जाया करता| हालत ऐसे हो गए थे की उससे अपना गुज़ारा करने के लिए अपने घर का सामना भी बेचना पड़ गया था |  फिर एक दिन उसे 150 सॉकेट्स का ऑर्डर आया जिससे वह बहुत खुश हुआ और उसने सफलतापूर्वक इस आर्डर को पूरा किया|  आज हम इस कंपनी को Panasonic के नाम से जानते हैं जोकि बहुत ज्यादा successfully electronic company है। 

Moral of the Story

अगर जीवन में कभी कोई हमारे किसी कार्य पर विश्वास नहीं करें तो घबराएं नहीं लेकिन उस कार्य को करते चले और अपने आप पर विश्वास रखें सफलता आपको जरूर मिलेगी।

कैसे बनें Sandeep Maheshwari – Motivational Story in Hindi For Success

दोस्तों  यह कहानी है एक मिडिल क्लास लड़के की जिसे मॉडलिंग और फोटोग्राफी का काफी ज्यादा शौक था | लेकिन वह मिडिल क्लास परिवार से होने की वजह से अपने इस शौक को पूरा नहीं कर पा रहा था और वह कॉलेज के पढ़ाई करता था | उसके पिताजी का aluminium का बिजनेस था | किसी कारण वश यह बिजनेस बुरी तरीके से बंद हो गया नौबत यहां तक आ गई कि घर का खर्चा भी चल पाना बहुत मुश्किल था | इस हालत को देखकर उस लड़के ने एक कॉरपोरेट ऑफिस में जॉब स्टार्ट कर दी |  कुछ साल वहां नौकरी करने के बाद उस लड़के ने अपना एक लिक्विड साबुन का बिजनेस शुरू किया जो कि बिल्कुल फ्लॉप रहा | उसे अपने इस बिजनेस पर बहुत विश्वास था लेकिन मार्केट में यह बिजनेस ज्यादा वक्त तक नहीं चल पाया | 

इसके बाद उस लड़के ने काफी नए नए बिजनेस में हाथ जमाने की कोशिश करी लेकिन उसे कहीं पर भी सफलता नहीं हासिल हुई | उसने हार तो बिलकुल नहीं मानी लेकिन लगातार कोशिश करना रहा | फिर उस लड़के ने अपने बचपन के शौक फोटोग्राफी को फिर से शुरू करने की सोची|  वह बहुत अच्छी फोटोग्राफी करता था और इसी पर उसने एक वेबसाइट Image bazzzar.com शुरू की | वह बहुत अच्छी-अच्छी फोटो खींच कर इस वेबसाइट पर अपलोड किया करता था | धीरे-धीरे सोशल मीडिया में इस वेबसाइट की और उस लड़की की लोकप्रियता बढ़ती चली गई  काफी लोग उसे बहुत पसंद करने लगे और भारत में बहुत लोग उन्हें और उनकी वेबसाइट को फॉलो करने लगे |

आगे चलकर आप इन्हें Sandeep Maheshwari मोटिवेशनल स्पीकर के नाम से जानते हैं जोकि बहुत सारे लोगों को प्रेरणा देते हैं और अपनी कहानी बताते हैं कि किस तरह उन्होंने जीरो से शुरू किया और आज के वक्त में इतनी लोकप्रियता हासिल की | 

Moral of the story :

तो दोस्तों खुद पर विश्वास करें और आप में जो talent  है उसे जरूर फॉलो करें क्योंकि आपको नहीं पता जीवन के किस मूड में आपका टैलेंट ही आपका career choice बनकर आपको successful बना दे| 

साइकिल रिपेयरिंग से UPSC तक – Motivational Story in Hindi for Success

एक लड़का था उसके पिता की साइकिल रिपेयर की शॉप थी|  जिससे उसके घर का गुजर-बसर ठीक-ठाक चल रहा था | वह लड़का पढ़ाई में काफी रुचि रखता था और जिंदगी में कुछ बड़ा करना चाहता था | एक दिन अचानक उसके पिता की तबीयत खराब हो गई काफी दिन हॉस्पिटल में ट्रीटमेंट चलते रहने के बाद उसके पिता की मौत हो गई| सारा परिवार उस व्यक्ति की कमाई से खाता था तो एकदम सारे परिवार को गुजर बसर में परेशानी होने लग गए|  फिर उस लड़के ने उसके पिता के साइकिल रिपेयरिंग के काम को संभालने का फेंसला लिया | 

साइकिल रिपेयरिंग से UPSC तक - Motivational Story in Hindi for Success

अब वह लड़का हर रोज स्कूल जाने की जगह साइकिल रिपेयर की शॉप पर जाता और शाम को पैसे कमा कर अपने मां को देता | फिर उस लड़के की 10th का रिजल्ट आने वाला था और जैसे ही रिजल्ट आया और उसे पता चला कि उसने पूरे गांव में टॉप किया है फिर उसके परिवार ने भी उससे आगे पढ़ाई जारी रखने की सलाह दी | उसकी मां ने उसे कहा कि हम सारा परिवार उसे पढ़ने के लिए मेहनत करेगा और हम सब काम करेंगे लेकिन तुम सिर्फ अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो | उस मजबूत माँ ने अपने बेटे को हौसला दिया और वह अपने आगे की पढ़ाई करने लग गया | 

लेकिन उस लड़के ने भी मेहनत में कोई कमी नहीं छोड़ी पढ़ाई के बाद वह 8 घंटे के ट्यूशन भी बच्चों को देता और जिससे वह थोड़ा पूरा अपना खर्चा निकाल लिया करता था | उसके रिश्तेदारों में भी आगे उसकी पढ़ाई में मदद की और उसने इंजीनियरिंग, गेट और आईएस बहुत अच्छे अंको में क्वालीफाई किया। ऐसे ही आगे बढ़ते हुए Varun Baranwal ने UPSC का एग्जाम मात्र 5 से 6 महीने के अंदर बिना किसी कोचिंग के क्वालीफाई कर दिया | उसने भारत वर्ष में ३७वां Rank लेकर आईएएस बने.

Moral of the Story

वरुण बेरीवाल की इस कहानी से यह शिक्षा लेनी चाहिए कि जीवन में कैसे भी उतार-चढ़ाव आए लेकिन अगर हम अपने लक्ष्य की ओर मजबूती से बढ़ते चले तो एक दिन हम अपने लक्ष्य को जरूर हासिल कर लेंगे| 

Conclusion

उम्मीद है आपको यह Success Motivational Story In Hindi काफी पसंद आई होगी और आप भी इन Real Hero’s की तरह अपने जीवन में भी लगातार मेहनत करते चलेंगे और अपने मंजिल को जरूर हासिल कर देंगे|  अगर इन कहानियों से संबंधित आपको कोई भी सवाल हो तो नीचे कमेंट सेक्शन में कमेंट करके जरूर बताएं| मिलते हैं अपनी अगली स्टोरी में।

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