दोस्तों क्या आप Class 1 में पढ़ते हैं और Short Moral Stories in Hindi For Class 1 के बारे में सर्च कर रहे हैं? अगर ऐसा है तो आप बिल्कुल सही जगह पर आए हैं, क्योंकि आज की इस पोस्ट में हम आपके साथ कुछ खास और चुनिंदा कहानियां शेयर करने जा रहे हैं|
जब हमने देखा कि काफी लोग कक्षा 1 की नैतिक कहानियों के बारे में सर्च कर रहे हैं, तब हमने खुद इसके ऊपर रिसर्च शुरू करी और रिसर्च पूरी करने के बाद आज हम आपके साथ कुछ खास और दिलचस्प कहानियां शेयर करने जा रहे हैं| तो चलिए अब हम शुरू करते हैं|
लोमड़ी और बकरा- Short Moral Stories in Hindi For Class 1
एक बार एक जंगल में एक चालाक लोमड़ी रहती थी| एक दिन वह जंगल में जा रही थी तो उसने देखा कि उसके पीछे एक बाघ आ रहा है, जो उसका शिकार करना चाहता है| लोमड़ी बाघ से बचने के लिए तेज रफ्तार से भागने लगी| भागती भागती लोमड़ी पत्तों से ढके हुए कुएं में जाकर गिर गई और बाग से खुद की जान बचा ली| फिर लोमड़ी काफी देर तक कुए से बाहर निकलने की कोशिश करती रही, लेकिन बाहर नहीं निकल पाई|
कुआं मिट्टी और पत्तों से भरा हुआ था और उसमें पानी बिलकुल भी नहीं था| लोमड़ी के बहुत बार कोशिश करने के बावजूद भी वह बाहर नहीं निकल पाई और सोचने लगी कि अब उसे यही मरना होगा| तभी लोमड़ी ने कुएं के पास से गुजरते हुए एक बकरे की आवाज सुनाई दी| लोमड़ी के बुलाने पर बकरा लोमड़ी के पास आ गया|
फिर लोमड़ी ने बकरे को कहा कि तुमने सुना नहीं कि बहुत जल्द यहाँ सूखा पड़ने वाला है| इस कुएं में पानी बहुत मीठा है और हरी हरी घास भी है| तुम भी इस कुएँ में आ जाओ और हम दोनों मिलकर इस मीठे पानी का आनंद लेते हैं| बकरी लोमड़ी की बातों में आ गया और बकरे ने जैसे ही कुएं में छलांग लगाई, लोमड़ी बकरे की पीठ के ऊपर पैर रखकर कुएं से बाहर निकल गई|
फिर बकरा लोमड़ी से कहने लगा कि दोस्त तुम मुझे यहां अकेला छोड़ कर क्यों जा रहे हैं? तुम ऐसा नहीं कर सकते| लोमड़ी ने कहा कि कुएं में छलांग लगाने से पहले तुम्हें यह सोचना चाहिए था| अब तुम इस कुएँ के अंदर रहो| फिर बकरा कुए के अंदर अपनी मौत का इंतजार करता रहा और लोमड़ी वहां से भाग गई|
नैतिक शिक्षा
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि कोई भी काम करने से पहले हमें उसके बारे में सोच लेना चाहिए नहीं तो हम बुरी तरह से फंस सकते हैं।
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बिल्ली के गले में घंटी
एक बार जोधपुर शहर में एक किरयाने की दुकान थी| किरयाने की दुकान के मालिक का नाम बिरजू था| उसकी दुकान खाने-पीने के सामान से भरी हुई थी| लेकिन फिर भी बिरजू बहुत परेशान रहता था| उसकी परेशानी की वजह उसकी दुकान में घूमने वाले चूहे थे| चूहे अक्सर ही उसकी दुकान से सामान खाकर खराब कर देते थे| जिसकी वजह से बिरजू को बहुत नुकसान हो रहा था|
काफी दिनों तक ऐसा चलता रहा, फिर बिरजू ने सोचा कि मुझे चूहों का कोई ना कोई उपाय तो करना ही होगा| फिर बिरजू एक मोटी सी बिल्ली ले आया और उसने उस बिल्ली को अपनी दुकान के अंदर छोड़ दिया| बिल्ली हर रोज चूहों को पकड़ती और खा जाती है| चूहों की संख्या कम होती गई| एक दिन चूहों ने बिल्ली से छुटकारा पाने के लिए एक सभा बुलाई|
सभा में बिल्ली से बचने के बारे में सोचा गया| तभी एक चूहे ने कहा कि बिल्ली दबे पैर आती है और फुर्ती से हमे पकड़ लेती है| हमें बिल्ली के गले में घंटी बांधनी होगी| जब भी बिल्ली आएगी, घंटी की आवाज़ से हमें पता चल जाएगा कि बिल्ली आ रही है और हम अपने आप को बचा सकेंगे| सभी ने उस चूहे की बात का समर्थन किया और खुश होने लगे| लेकिन तभी एक बुड्ढा चूहा उठा और उसने कहा कि बिल्ली के गले में घंटी कौन बंधेगा| इस पर किसी ने कोई जवाब नहीं दिया और सभी चुप होकर बैठ गए|
नैतिक शिक्षा
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि जित सुझाव पर अमल ना हो सके वह सुझाव किसी काम का नहीं होता।
पालतू कुत्ता और बाघ
एक बार गांव के पास के जंगल में एक बाघ घूम रहा था| वह काफी बुड्ढा हो चुका था और काफी दिनों से भूखा भी था| वह भोजन की तलाश कर रहा था, तभी उसकी नजर एक कुत्ते पर गई| कुत्ता देखने में काफी तंदुरुस्त लग रहा था| उसने कुत्ते के पास जाकर पूछा कि तुम तो काफी तंदुरुस्त लगते हो| तुम्हें भरपेट खाना मिलता होगा और तुम्हें खाने के लिए इधर-उधर भटकना भी नहीं पड़ता होगा|
फिर कुत्ते ने कहा मुझे खाना मेरे मालिक देते हैं और हमेशा मुझे स्वादिष्ट खाना ही खाने को देते हैं| मैं अपने मालिक के पास काम करता हूँ और बदले में वह मुझे खाना देते हैं और रहने के लिए जगह भी देते हैं| फिर बाघ ने कहा कि अगर मुझे भी खाना मिल जाएगा तो मैं भी तुम्हारे साथ तुम्हारे मालिक के लिए काम करने के लिए तैयार हूँ|
फिर बाघ कुत्ते के साथ उसके मालिक के घर जाने लगा| रास्ते में बाघ ने कुत्ते के गले में एक रस्सी देखी और पूछा कि तुम्हारे गले में यह क्या है? कुत्ते ने कहा कि यह मेरा पटा है| दिन में मुझे मेरे मालिक जंजीर से बांध कर रखते हैं| फिर बाघ ने कहा कि भोजन के लिए मैं अपनी आजादी को खो नहीं सकता| मैं भोजन के लिए किसी का गुलाम नहीं बन सकता, इससे बेहतर है कि मैं मर जाऊं। यह कह कर बाघ वहां से भागकर जंगल में चला गया|
नैतिक शिक्षा
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि गुलाम बनने से बेहतर भूखा रहना है।
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चतुर खरगोश की कहानी
जंगल में एक शेर रहता था| वह बहुत ही खूंखार था| वह हर रोज अपने भोजन के लिए दूसरे जानवरों का शिकार करता था| तभी जंगल के सभी जानवरों ने मिलकर एक समझौता किया कि हर रोज एक जानवर शेर के पास जाएगा और उसका भोजन बनेगा|
फिर एक दिन खरगोश की बारी आई| खरगोश को शेर के पास भोजन बनने के लिए उसकी गुफा में जाना था| लेकिन खरगोश बहुत चतुर चलाक था| खरगोश शेर को खत्म करना चाहता था| इसलिए वह गुफा में समय पर नहीं पहुंचा| उधर शेर के भोजन का समय हो गया था| लेकिन खरगोश देरी से गुफा में पहुंचा| जब खरगोश को गुफा में पहुंचा तो शेर ने गुस्से से कहा कि तुम इतनी देर से क्यों आए हो? तुम्हें मालूम नहीं मेरे भोजन का समय हो गया है|
तब खरगोश ने निम्रता के साथ कहा महाराज रास्ते में मुझे एक शेर मिल गया था| वह मेरा पीछा कर रहा था और मुझे खाना चाहता था| मैं बड़ी मुश्किल से जान बचाकर आपके पास आया हूँ| शेर ने कहा कि इस जंगल में एक और शेर कहाँ से आया| खरगोश ने शेर से कहा कि मैं जानता हूँ वह शेर कहां रहता है| आप मेरे साथ चलिए|
शेर खरगोश के साथ चला पड़ा| खरगोश शेर को कुँए के पास ले गया और कहा कि नीचे देखिए यहां पर वह शेर रहता है| शेर कुँए के ऊपर से नीचे पानी में देखने लगा तो उसको खुद की परछाई दिखाई दी| उसे लगा कि पानी में एक और शेर है| यह देखकर शेर को गुस्सा आ गया और शेर गरजने लगा| शेर की दहाड़ से पानी में बनी परछाई वाला शेर भी गरजने लगा| यह देख कर शेर को और भी गुस्सा आ गया और गुस्से में शेर ने कुएं में छलांग लगा दी और पानी में डूब कर मर गया| इस प्रकार चूहे ने अपनी और बाकी दूसरों की जान बचा ली|
नैतिक शिक्षा
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि बुद्धि ताकत से बड़ी होती है।
किसान के 3 बेटों की बुरी सांगत की कहानी
गांव में एक किसान रहता था| उसके तीन बेटे थे| उसके तीनों बेटे बुरी संगत में फस गए थे| वह अक्सर ही गांव में जुआरियों के साथ बैठे रहते थे और जुआ खेलते रहते थे| किसान अपने बेटों की इन हरकतों से बहुत ज्यादा परेशान था| किसान के बार-बार समझाने पर भी उनके ऊपर अपने पिता की बात का कोई भी असर नहीं हो रहा था|
फिर एक दिन किसान अपने घर पर सेब की टोकरी लेकर आया और उसमें तीन सेब सड़े हुए थे| किसान ने तीन सड़े सेबों को भी बाकी दूसरे से सेबों के साथ टोकरी में रख दिया| अगले दिन किसान ने अपने तीनों बेटों को बुलाया और कहा कि तुम जितने सेब खाना चाहते हो खा लो| फिर किसान के तीनों बेटों ने सेब की टोकरी के उठाया तो देखा की टोकरी में लगभग सभी सेब खराब हो चुके हैं|
तब किसान ने अपने बेटों को बताया कि जब वह सेबो की टोकरी लेकर आया था तो उसमें सिर्फ 3 सेब ही खराब थे| उसने तीनों सड़े सेबों को इसी टोकरी में बाकी सब के साथ रख दिया और आज लगभग सारे सेब खराब हो गए हैं| अब किसान के बेटे को बात समझ आ गई थी और उन्होंने बुरी संगत का साथ छोड़ दिया|
नैतिक शिक्षा
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि बुरी संगत का परिणाम भी बुरा ही होता है।
कुत्ते की आदत छूटी
एक बार दो गाय गौशाला में चारा खाने के लिए गई| वहां पर चारे के ऊपर एक कुत्ता बैठा था| उस कुत्ते को देखकर गाय ने बोला हे भाई तुम हमारे भोजन से दूर हट जाओ हमें भूख लगी है| लेकिन कुत्ता गाय को देखकर भोंकने लगा| उसे लगा उसके भौंकने से गाय डर जाएँगी और भाग जाएँगी| कुत्ता लगातार भोक्ता रहा और गाय डर कर भाग गई|
गाय बैल के पास गई और बैल को साथ लेकर आई| बैल ने आते ही कुत्ते से कहा कि हे भाई तुम तो घास खाते नहीं हो, यह गाय का खाना है तुम घास के ऊपर से उठ जाओ| लेकिन कुत्ता फिर भी नहीं माना और भौंकने लगा| उसे लगा बैल भी भाग जाएगा| बैल के बार-बार समझाने पर भी कुत्ता नहीं माना| फिर बैल को गुस्सा आ गया| उसने कुत्ते को मारने के लिए अपने सींघ तान लिए और कुत्ते के पास आ गया| बैल को गुस्से में देखकर कुत्ता वहां से उठ कर भाग गया|
नैतिक शिक्षा
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि दूसरों की चीज पर अधिकार जताना अच्छी बात नहीं होती।
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बंदर और टोपी वाले व्यापारी की कहानी
गांव में टोपी का व्यापार करने वाला एक व्यापारी रहता था| वह घर पर टोपिया बनाता था और उसे शहर में बेचकर घर का गुजारा करता था| फिर 1 दिन व्यापारी ने सारी टोपियां इकट्ठी करके एक टोकरी में डाली और उस टोकरी को अपने सर पर रख लिया और शहर की ओर जाने लगा| काफी दूर चलने के बाद पारी व्यापारी थक गया और वह पेड़ के नीचे बैठकर आराम करने लगा|
थोड़ी देर में व्यापारी को नींद आ गई और वह सो गया| तभी वहां पेड़ के ऊपर शरती बंदर बैठे थे| उन्होंने व्यापारी की सारी टोपियां चुरा ली और पेड़ के ऊपर चढ़ते गए| फिर बंदरों ने देखा कि वह व्यापारी अपने सर के ऊपर टोपी पहन कर बैठा है| तब बंदरों ने भी अपने सर पे ऊपर टोपी पहन ली| इतने में व्यापारी की आंख खुली और उसने देखा की टोकरी खाली है| उसमें कोई भी टोपी नहीं है|
फिर व्यापारी की नजर पेड़ के ऊपर बैठे बंदरो पर पड़ी| अपनी सारी टोपिया बंदरों के पास देख कर व्यापारी को गुस्सा आ गया| व्यापारी ने गुस्से में बंदरों पर पत्थर मारने शुरू कर दिए| लेकिन बंदरों ने भी व्यापारी की नकल करते हुए पेड़ से फल नीचे फेंकने शुरू कर दिए| अब व्यापारी को समझ आ गया था कि बंदरों से टोपिया वापस कैसे ली जा सकती हैं|
व्यापारी ने टोपी अपने सर से उतारी और नीचे जमीन पर फेंक दी| सभी बंदरों ने भी व्यापारी की नकल करते हुए अपने अपने सर से टोपी को उतरा और जमीन पर फेंक दिया| फिर व्यापारी ने सभी टोपियों को इकट्ठा किया और अपने टोकरे में डालकर वह शहर की ओर चला गया|
नैतिक शिक्षा
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि ताकत से अधिक उपयोगी हमारी बुद्धि होती है।
नकलची कौआ
एक बार एक गरुड़ था, जो पहाड़ की चोटी पर रहता था| वहीं पहाड़ की चोटी के पास एक पेड़ था जहां पर एक कौवा रहता था| एक दिन पेड़ के पास कुछ भेड़ें चरने के लिए आई| तभी गरुड़ की नजर मेमने पर पड़ी| गरुड़ पहाड़ की चोटी से उड़कर नीचे आया और मेमने के ऊपर झपट्टा मारा और उसे अपने चंगुल में लेकर उड़ गया| यह सब कुछ वहां बैठा हुआ कौआ भी देख रहा था|
फिर कौए ने सोचा कि अगर यह गरुड़ कर सकता है तो मैं भी यह कर सकता हूँ| कौआ जोर से ऊपर की ओर उड़ा काफी ऊपर जाने के बाद नीचे की ओर बढ़ने लगा| लेकिन कौवा मेमने को पकड़ने की बजाय चट्टान के साथ टकरा गया| जिसकी वजह से उसका सर फूट गया, चोंच टूट गई और वहीं पर मर गया|
नैतिक शिक्षा
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें बिना सोचे समझे कभी भी किसी की नकल नहीं करनी चाहिए, इसका परिणाम बुरा ही होता है।
अंडे देने वाली मुर्गी की कहानी
एक बार एक गोपी नाम का किसान था| वह बहुत ही ज्यादा लालची था| उसके पास एक मुर्गी थी, वह हर रोज उसे सोने का अंडा देती थी| गोपी रोज अंडे को बाजार में बेचकर आता और अपना गुजारा करता| ऐसे करते-करते गोपी बहुत अमीर बन गया था|
फिर एक दिन गोपी के मन में लालच आया, उसने सोचा कि मैं रोज एक अंडा बेचने जाता हूँ, क्यों ना मुर्गी को काट दूँ और उसके पेट के अंदर जितने भी अंडे सारे एक बार में ही बाहर निकाल लूँ| गोपी ने ठीक वैसा ही करा, उसने मुर्गी को काट दिया और मुर्गी के पेट के अंदर से खून के अलावा और कुछ भी बाहर नहीं निकला| यह देखकर गोपी को बहुत पछतावा हुआ| अब वह एक अंडे से भी हाथ धो बैठा|
नैतिक शिक्षा
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें जो मिल रहा है, हमें उसी से संतुष्ट रहना चाहिए, लालच का परिणाम बुरा ही होता है।
डरपोक खरगोश
एक जंगल में एक डरपोक खरगोश रहता था| वह अक्सर ही थोड़ी सी आवाज सुनकर ही डर जाता था| जिसकी वजह से उसके कान हमेशा खड़े रहते थे| एक दिन खरगोश अमरूद के पेड़ के नीचे सो रहा था| तभी एक अमरुद उसके पास नीचे गिरा और खरगोश हड़बड़ाकर और उछलकर दूर खड़ा हो गया और फिर भागने लगा और साथ में कहने लगा कर भागो भागो, आसमान गिर रहा है|
उसे भागता हुआ देख लोमड़ी ने पूछा कि तुम भाग क्यों रहे हो? खरगोश ने कहा कि भागो भागो, आसमान गिर रहा है| लोमड़ी भी डरपोक थी वह भी खरगोश के साथ भागने लगी| उन दोनों की आवाज सुनकर दूसरे जानवर जैसे कि बिल्ली, गीदड़, जिराफ सभी जानवर भागने लगे और कहने लगे कि भागो भागो, आसमान गिर रहा है| तभी सब जानवरो की आवाज़ सुनकर शेर भी गुफा से बाहर आया और गरजते हुए सभी जानवरों को बोला कि रुको क्या हुआ? तुम भाग क्यों रहे हैं?
सभी जानवरों ने एक ही स्वर में कहा कि भागो भागो आसमान गिर रहा है| तब शेर ने आसमान को देखा और जोर-जोर से हंसने लगा, उसकी आंखों में पानी आ गया| तब शेर ने कहा कि तुम्हें किसने बताया कि आसमान गिर रहा है| सभी ने खरगोश की ओर इशारा करा, खरगोश ने कहा कि मैं अमरूद के पेड़ के पास सो रहा था तभी आसमान का एक छोटा सा टुकड़ा गिरा|
फिर शेर के कहने पर सभी जानवर अमरूद के पेड़ के पास गए और वहां पर कोई भी आसमान का टुकड़ा नहीं पड़ा था| वहां पर एक अमरुद पड़ा था, फिर शेर ने खरगोश से पूछा क्या यह आसमान का टुकड़ा है| अमरुद को देखकर खरगोश का सर शर्म से झुक गया और वह थर थर कांपने लगा| अब बाकी दूसरे जानवर भी इस घटना से बहुत शर्मिंदा हुए|
नैतिक शिक्षा
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें सुनी सुनाई बात पर विश्वास नहीं करना चाहिए।
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भेड़ की खाल में भेड़िया
एक दिन एक भेड़िया भेड़ की खाल पहन कर भेड़ों के झुंड के बीच शामिल हो गया| वहां पर साड़ी भेड़ें चारा चर रही थी| वह भेड़िया भाई उनके साथ घूमता रहा| उसने सोचा कि यहां से चलने के बाद गडरिया सभी भेड़ों को वापस ले जाएगा और अपने घर पर बंद कर देगा| जब रात होगी तो वह एक भेद को उठा कर वहां से भाग जाएगा और उसे अपना भोजन बना लेगा|
ठीक वैसा ही हुआ गडरिया भेड़ों को लेकर अपने घर आया और भेड़ों को बंद करके वहां से चला गया| अभी तक सब कुछ भेड़िये की योजना के अनुसार ही हो रहा था| अब रात हो रही थी, तभी वहां पर गडरिया का नौकर आया| गडरिया ने अपने नौकर को यह कह कर भेजा था कि जो मोटी सी भीड़ होगी उसे ले आना| आज उसके घर मेहमान आए हैं और उनके लिए मोटी से भेड़ को खाने के रूप में परोसेगा|
तभी उस नौकर की नजर भेड़ की खाल में छुपे भेड़िए पर पड़ी और भेड़िए को उठाकर ले गया| उस गडरिये और उसके नौकर ने मिलकर उस भेड़िए को हलाल कर दिया और उसका खाना बनाकर अपने मेहमानों के सामने परोस दिया|
नैतिक शिक्षा
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि बुरा सोचने वाले का अंत बुरा ही होता है।
चालक लोमड़ी और मुर्गे की कहानी
एक जंगल में एक लोमड़ी रहती थी| वही उसी जंगल में एक पेड़ की डाल पर एक मुर्गा बैठा था| लोमड़ी ने मुर्गे को देखा तो उसे लगा कि अगर यह मुर्गा नीचे आ जाए तो मेरा बहुत अच्छा भोजन बन सकता है| लेकिन परेशानी की बात यह थी कि मुर्गा नीचे आएगा कैसे और ना ही लोमड़ी पेड़ के ऊपर चढ़ सकती थी|
तब लोमड़ी ने अपना दिमाग लगाया और मुर्गे से कहा कि अभी स्वर्ग से आदेश आया कि अब कोई भी जानवर एक दूसरे को नहीं खाएगा| सभी मिलजुल कर रहेंगे और मैं भी किसी भी मुर्गा मुर्गी को नहीं खाऊंगी| इसलिए तुम्हें मुझसे डरने की जरूरत नहीं है| तुम नीचे आ जाओ| यह बात सुनकर मुर्गा खुश हो गया और कहने लगा कि यह तो बहुत खुशी की बात है|
तभी मुर्गी को कहा कि देखो तुम्हारे दोस्त तुमसे मिलने के लिए आ रहे हैं| लोमड़ी ने पूछा मेरे कौनसे दोस्त से मुझसे मिलने के लिए आ रहे हैं? फिर मुर्गे ने कहा कि पीछे देखो तुम्नसे मिलने भेड़िये आ रहे है| भेड़ियों को देख घबरा गई और वहां से भागने के बारे में सोचने लगी| तभी मुर्गे ने कहा कि तुम दर क्यों रही हो? स्वर्ग से तो सन्देश आया है कि कोई भी जानवर दूसरे कसीस जानवर को खायेगा नहीं| तब लोमड़ी ने कहा कि शायद इन भेड़ियों को यह बात पर मालूम नहीं है| यह कहकर लोमड़ी वह से भागने लगी|
नैतिक शिक्षा
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि आंख मूंद पर कभी किसी पर विश्वास नहीं करना चाहिए।
टेढ़ा पेड़
एक जंगल में एक बड़ा पेड़ था उसकी टालियां और तने टेड़े मेढे थे और देखने में बिलकुल ही भद्दा था| उसी पेड़ के पास सीधे और सुंदर पेड़ थे जिन्हें देखकर टेढ़ा पेड़ अक्सर सोचता था कि यह पेड़ कितने सुंदर है और मैं कितना टेड़ा और भद्दा हूँ| यह सोचकर टेढ़ा पेड़ परेशान होता रहता था|
एक दिन उसी जंगल में एक लकड़हारा आया| उसने टेढ़ा पेड़ को देखा तो कहा कि यह पेड़ तो मेरे किसी काम का नहीं है| उसने साथ में लगे लंबे, सुंदर और सीधे पेड़ों को काट दिया और धीरे-धीरे करके सारे पेड़ जमीन पर गिर गए| तब टेढ़े पेड़ को इस बात का एहसास हुआ कि मुझे मेरे टेढ़ेपन ने बचा लिया है जिसकी वजह से मैं लकड़हारे की कुल्हाड़ी का शिकार होने से बच गया|
नैतिक शिक्षा
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है हमारे पास जो है हमें उसी में खुश रहना चाहिए।
डायनासौर की कहानी
एक बार एक गांव में श्याम नाम का लड़का रहता था| उसका दिमाग बहुत तेज था| उसने अपने दिमाग का इस्तेमाल करके नकली के पर बनाए थे| फिर एक दिन श्याम नकली के पर लगाकर उड़ने लगा| उड़ता उड़ता वह एक टापू पर पहुंच गया| टापू पर पहुंचकर श्याम की नजर डायनासोर के झुंड पर पड़ी| वहां पर श्याम ने चोरी चुपके से डायनासोर के अंडे को चुरा लिया और उसे अपने घर वापस ले आया|
कुछ समय के बाद डायनासोर का बच्चा अंडे से बाहर आ गया| श्याम उसका पेट भरने के लिए गांव से बकरियां और दूसरे छोटे-मोटे जानवर चुरा कर लाता और डायनासोर को खाने के लिए दे देता| थोड़ा समय बीता और डायनासोर का बच्चा बड़ा हो गया| तब तक गांव वालों को भी डायनासोर के बारे में पता चल गया था| गांव वालों ने डायनासोर को गांव से बाहर निकाल दिया| तो डायनासोर ने पूरे गांव में तबाही मचा दी| फिर गांव वालों और श्याम ने मिलकर योजना बनाई और फैसला किया कि उस डायनासोर को वापिस टापू पर छोड़ आए।
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मूर्ख गधा
एक गांव में एक कुमार रहता था| उसके पास एक गधा और एक कुत्ता था| कुत्ता उसके घर की चारदीवारी में रखे हुए मिट्टी के बर्तनों की रखवाली करता था| अगर कोई कुम्हार के घर पर आता तो कुत्ता उस पर भोंकता था| वही गधा कुम्हार का भार ढोने का काम करता था| इसलिए गधे को कुत्ते से ईशा होने लगी थी|
गधा मन ही मन में सोचने लगा कि कुत्ते की जिंदगी कितनी आरामदायक है, वह चारदीवारी में रहता है, बर्तनों की रखवाली करता है और अगर कोई आ जाए तो उस पर भोक्ता है और मेरी जिंदगी कितनी कठिन है| मेरे ऊपर मेरा मालिक सारा दिन भोजा लादता है, मुझे डंडे से मारता है और मुझे खाने के लिए बचा हुआ भोजन ही देता है|
फिर एक गधे ने सोचा कि मैं भी अपने मालिक को खुश करूँगा| जैसे कुम्हार के आते ही कुत्ता भोकने लगता है, अपनी पूंछ हिलाता है और अपने पैर उठाकर मालिक के कंधे पर रखता है| मैं भी ठीक वैसा ही करूंगा| अगले दिन कुम्हार जब बाहर से घर आया, कुम्हार को देखकर गधे ने रेंकना शुरू कर दिया, अपनी पूंछ हिलाने लगा और अपने दो पैर कुम्हार की जांग पर रख दिए| यह देखकर कुम्हार हैरान हो गया और उसे लगा कि गधा पागल हो गया है|
कुम्हार ने मोटा सा झंडा उठाया और गधे को पीटना शुरू कर दिया और गधे की खूब पिटाई करी| गधा अपने मालिक को खुश करना चाहता था लेकिन बदले में उसे डंडे खाने पड़े|
नैतिक शिक्षा
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमे किसी से इर्षा नहीं करनी चाहिए।
लालची रूबी
एक रूबी नाम का लड़का था| उसे टॉफियां खाना बहुत पसंद था| एक दिन वह अपनी मां के साथ अपनी मासी के घर गया| रूबी की मौसी को पता था कि रूबी को टॉफियां खाना पसंद है इसलिए वह टॉफियों का पूरा डब्बा ही घर ले आई और मासी ने डब्बे को अलमारी में रख दिया था| जब रूबी अपनी मासी के घर पहुंचा तो उसकी मासी ने अलमारी से टॉफियों का डब्बा बाहर निकाला और रूबी के सामने रख दिया और कहा कि जितनी टॉफियों खाना चाहते हैं इससे निकाल लेना|
टॉफियों का डब्बा देखकर रूबी खुश हो गया और उसने अपना हाथ डब्बे के अंदर डाला ढेर और ढ़ेर सारी टॉफियां अपनी मुट्ठी में उठा ली और अपना हाथ डब्बे से बाहर निकालने लगा होगा| डब्बे का मुंह छोटा होने की वजह से हाथ बाहर नहीं निकल पा रहा था, रूबी बहुत कोशिश कर रहा था, लेकिन रूबी का हाथ बाहर नहीं निकल रहा था| तब रूबी की मां ने कहा कि तुम मुट्ठी से कुछ टॉफियां नीचे डब्बे में गिरा दो तुम्हारा हाथ बाहर निकल आएगा| रूबी ने कुछ टॉफियां डब्बे के अंदर ही गिरा दी और उसका हाथ आसानी से टॉफियों के डब्बे से बाहर निकल आया|
नैतिक शिक्षा
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि लालच बुरी बला है।
घोड़े को सबक
एक बार एक गांव में एक आदमी के पास एक गधा और घोड़ा था| एक दिन उस आदमी ने अपना सामान लेकर बाजार में जाना था तो उसने अपना सारा सामान गधे के ऊपर लाद दिया और वह अपने गधे और घोड़े के साथ बाजार की ओर चलने लगा| काफी दूर चलने के बाद गधे ने घोड़े को बोला कि मेरे ऊपर काफी ज्यादा भारी समान है तो मेरा थोड़ा सा सामान तुम उठा लो, मुझे चलने में बहुत मुश्किल हो रही है|
तब घोड़े ने कहा कि समान चाहे कम है या ज्यादा है, तुम्हारा है तो समान को तुम्हे ही उठाना पड़ेगा| फिर गधा चुपचाप चलने लगा| थोड़ी देर चलने के बाद गधे के पैर लड़खड़ाने लगे और गधा नीचे गिर गया और उसके मुंह से झाग निकलने| फिर गधे के मालिक ने सारा समान उठाकर घोड़े के ऊपर रख दिया और थोड़ा समय वही आराम करने के बाद वह तीनों चलने लगे|
फिर थोड़ी देर दूर चलने के बाद घोड़े ने सोचा कि अगर मैंने उस समय गधे की बात मान ली होती तो अब मुझे सारा सामान उठाने की बजाय थोड़ा सामान ही उठाना पड़ता|
नैतिक शिक्षा
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि दूसरों का दुख दर्द बांटने से हमारा दुख दर्द भी कम होता है।
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Conclusion
उम्मीद करते हैं कि हमारे द्वारा शेयर करी गई Short Moral Stories in Hindi For Class 1 आपको काफी पसंद आई होगी और आपको यह कहानियां पढ़कर काफी मजा भी आया होगा| अगर आपको हमारे द्वारा शेर करी गई कहानियां पसंद आई हो या फिर आप हमें कोई राय देना चाहते हैं तो नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट कर सकते हैं।