दोस्तों क्या आप भी Motivational Story For Kids In Hindi के बारे में सर्च कर रहे हैं, तो आप बिल्कुल सही जगह पर आए हैं, क्योंकि आज इस लेख में मैंने कुछ चुनिंदा और बेहतरीन कहानियां लिखी हैं, जो कि आपके बच्चों को बहुत मोटिवेशन देगी, जिससे आपके बच्चे जीवन मै सही राह पर चलेंगे| तो चलिए बिना समय बिताये शुरू करते हैं |
बुरी संगत का बुरा फल – Motivational Story For Kids In Hindi
बच्चों यह कहानी है राधा की | राधा पढ़ाई में बहुत होशियार थी लेकिन वह स्वाभाव मै बहुत मासूम थी | कोई भी राधा को अपने बातों में घुमा लेता | राधा के स्कूल में कुछ दोस्त थे | राधा दिल से उन्हें दोस्त मानती थी लेकिन उसके दोस्त हमेशा राधा का फायदा उठाते | जब उन्हें खेलने जाना होता तो वह किसी भी वक्त राधा को बुला लेते और वही जब कभी राधा का दिल करता तो उसके दोस्त कभी भी उसके साथ नहीं जाते थे |
लेकिन राधा इतनी भोली थी कि उसे यह बात बिल्कुल समझ नहीं आती थी कि उसके दोस्त उसका फयदा उठा रहे हैं | उसी स्कूल में एक और लड़की थी जिसका नाम था मीरा | मीरा सारी बातों को समझ पा रही थी और वह राधा को समझाने की भी कोशिश करती थी लेकिन राधा उसे कहती थी कि तुम चुप करो मेरे दोस्त ऐसे नहीं है और मैं उन्हें बहुत प्यार करती हूं| बचपन से साथ होने के कारण राधा को कभी अपने दोस्त गलत नहीं लगते थे |
राधा के वह सभी दोस्त बहुत ही चालाक थे और स्कूल में बहुत शरारत करते थे | फिर एक दिन मास्टरजी स्कूल आने में थोड़े से लेट हो गए | राधा के सभी दोस्त बेंच पर चढ़कर ब्लैक बोर्ड में अध्यापक की तस्वीर बना रहे थे और खूब जोर जोर से हंस रहे थे | राधा ने उन्हें समझाने की कोशिश की | वह कहने लगी कि तुम ऐसा मत करो | वह हमारे अध्यापक हैं तुम उनका मजाक मत उड़ाओ |
लेकिन उसके दोस्त कहां मानने वाले थे और वह राधा से भी जिद करने लगे कि वह भी ऊपर आए | राधा मना करती रही लेकिन फिर दोस्ती का नाम लेकर उन्होंने राधा को भी बुला लिया और राधा भी उनके साथ मस्ती करने लग गई | फिर अचानक बाहर से आवाज आई मास्टर जी कक्षा में पहुंच चुके थे | उसके दोस्त तो बहुत चतुर थे | वह एक दूसरे को धक्का देते हुए अपनी अपनी सीट पर बैठ गए | लेकिन वह मासूम सी राधा अपनी सीट तक नहीं पहुंच पाई और अध्यापक ने उसे बोर्ड के पास देख लिया |
उन्हें बोर्ड में अपनी बनी हुए तस्वीर देखकर बहुत गुस्सा आया और वह राधा को डांटने लग गए | उन्होंने राधा के माता-पिता को स्कूल में बुलाया और राधा को स्कूल से निकाल दिया | राधा बहुत परेशान हुई और वह खूब रोने लग गई | लेकिन अब राधा समझ चुकी थी कि उसकी संगत कितनी बुरी थी और उसका फल उसे कितना ज्यादा बुरा मिला |
नैतिक शिक्षा
तो बच्चों इस कहानी से हमें यह सीख लेनी चाहिए कि हमें हमेशा अपने दोस्त बुद्धिमता से चुनने चाहिए, बुरे दोस्तों की संगत का नतीजा भी बुरा ही होता है|
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चोरी का नतीजा
बच्चों यह कहानी है राजस्थान के एक छोटे से गांव की | सूखे के कारण गांव में इस साल फसल अच्छी नहीं हुई थी | गांव का हर परिवार फसल अच्छी न होने के कारण बहुत परेशान था | ऐसे ही एक परिवार था जिसमें तीन भाई-बहन रहते थे, निखिल, निकिता और योग्यता | माता-पिता फसल अच्छी न होने के कारण बहुत दुखी थे | अब घर का गुजारा करना भी बहुत मुश्किल हो रहा था |
निखिल निकिता और योग्यता के माता-पिता ने कुछ पैसे जोड़कर संदूक में जमा कर रखे थे | लेकिन उन तीनों बच्चों को हर दिन दुकान से कुछ ना कुछ खाना होता था | जब फसल अच्छी रहती थी तो उसके पिता खुशी खुशी उन्हें कुछ पैसे दे दिया करते थे | लेकिन इस बार जब तीनों बच्चों ने दुकान से चॉकलेट खाने की जिद करी तो उनके माता-पिता ने उन्हें समझाया कि इस बार पैसे की कमी है तो वह यह फालतू के खर्चे बंद कर दें |
गांव के कुछ ऐसे हाल थे कि लोग दूसरे शहरों में जाकर कोई छोटा मोटा काम कर रहे थे या फिर कोई दूसरे शहर जा कर खेती कर रहे थे | तो अब निखिल, निकिता और योग्यता के माता-पिता ने भी सोचा कि उन्हें भी बाहर जाकर कुछ पैसे कमा कर लाने होंगे | तो इसी तरह वे एक दिन घर पर तीनों बच्चों को छोड़कर दूसरे गांव चले गए और उन्हें समझाया कि वह अच्छे से घर पर रहे और बाहर ना जाएं |
लेकिन तीनों बच्चे बहुत शैतान थे निखिल जो सबसे बड़ा भाई था, उसे पता था कि संदूक में कुछ पैसे रखे हुए हैं तो उसने अपने दोनों बहनों से कहा कि वह संदूक से पैसे चुरा ले और फिर पास की दुकान से अपनी पसंद की चीजें खरीद लाए | क्योंकि अब माता-पिता का भी डर नहीं था और वह आराम से कुछ भी कर सकते थे |
अब निखिल संदूक को खोलने की कोशिश करने लगा और उसकी दोनों बहनों ने भी उसकी सहायता की और बच्चों ने वह संदूक तोड़कर उसमें से पैसे निकाल दिए | जैसे ही संदूक खुला तो उन्होंने उसमें ₹2000 पाए तीनों खुश हुए और कहने लगे कि यह पैसे तो हमारे कुछ दिन चल ही जाएंगे | फिर तीनों बच्चे नोट निकालते और पास की काका की दुकान से अपनी पसंद की चीजें खरीद लाते |
कुछ दिन बीत गए जब बच्चे लगातार ही 200 और 500 के नोट लेकर दुकान आने लगे तो काका को भी यह बात थोड़ी अजीब लगी | वे सोचने लगे कि इतने पैसे यह बच्चे कहां से लेकर आ रहे हैं | इसका पता करने के लिए काका एक दिन चुपके से बच्चों के घर चले गए | क्योंकि वह देखना चाहते थे कि आखिर यह पैसे आ कहां से रहे हैं |
जब काका ने खिड़की से बच्चों को देखा तो तीनों ही बच्चे संदूक में से पैसे निकाल रहे थे और फिर कुछ देर के बाद वे तीनों ही दुकान पहुंच गए | फिर काका ने बच्चों से पूछा कि यह पैसे तुम कहां से ला रहे हो तो बच्चे कहने लगे कि हमारे माता-पिता कुछ दिन के लिए बाहर गांव गए हैं इसलिए खाने पीने के लिए हमें वे कुछ पैसे देकर गए हैं और निखिल तो गुस्से से कहने लगा कि आपको क्या करना है हमारे पास पैसे हैं आप हमें उसमें से सामान दीजिए |
फिर काका ने योजना बनाई क्योंकि वह चाहते थे कि बच्चे अपने मुंह से सच बोल दें | फिर काका ने कहा तुम्हारा जो कुत्ता है ना शेरू | वह अभी मेरे पास आया था और उसने मुझे सारी बात बताई कि तुम तीनों भाई-बहन संदूक से पैसे चुरा रहे हो | यह सुनते ही तीनों के माथे से पसीना टपकने लग गया तीनों बहुत डर गए थे और हड़बड़ाहट में उन्होंने यह सारी बात काका को बता दी |
बच्चे इतना घबरा चुके थे कि उन्होंने यह भी नहीं सोचा कि कुत्ता कैसे बोल लेगा | सारी बात सुनने के बाद काका ने उन्हें 2000 का नोट वापिस दिया और कहा कि तुमने इतने का सामान तो मुझसे खरीद ही लिया है लेकिन अब चुपचाप यह पैसे जाकर संदूक में रख दो | मैं नहीं चाहता कि तुम्हारे माता-पिता दुखी हों | उन तीनों बच्चों को अपनी गलती का एहसास हो चुका था और वह काका से वादा करने लग गए कि वे अब जीवन में कभी भी चोरी नहीं करेंगे|
नैतिक शिक्षा
तो बच्चों इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें कभी भी चोरी नहीं करनी चाहिए चाहे वह छोरी कितनी ही छोटी हो या फिर कितनी बड़ी|
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Importance of Dental Hygiene
तो बच्चों आज की अगली कहानी है टप्पू की | टप्पू बड़ा ही होशियार बच्चा था | खेलकूद में और साथ ही साथ में पढ़ाई में भी काफी अच्छा था | स्कूल में सभी उसे पसंद करते थे, लेकिन टप्पू की एक गंदी आदत थी | वह ब्रश नहीं करता था और उसे टूथब्रश करना उसे बिल्कुल पसंद नहीं था | टप्पू की मां इस बात से बहुत परेशान रहती थी | मां ने टप्पू को बहुत सिखाया और समझाया कि खाना खाने के बाद और सोने से पहले हमेशा अपने दांतों को ब्रश करना चाहिए |
लेकिन टप्पू हमेशा नींद का बहाना बनाकर लेट जाता था और मां के लाख उठाने पर भी नहीं उठता था | कई बार तो टप्पू सुबह भी ब्रश किये बिना स्कूल चले जाता था | इसी आदत की वजह से दो-तीन बार टप्पू की स्कूल में भी काफी बेज्जती हुई| लेकिन फिर भी वह बिल्कुल नहीं समझता था | स्कूल में टूर्नामेंट का समय चल रहा था | टप्पू ने दो-तीन प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया हुआ था और टप्पू बहुत अच्छा खेल रहा था |
काफी दिन प्रैक्टिस करने के बाद आखिर प्रतियोगिता का दिन आ गया | टप्पू सुबह अपनी मां का आशीर्वाद लेकर स्कूल चला गया | टप्पू वॉलीबॉल खेल रहा था | टप्पू की मदद से उसकी टीम ने पहला राउंड वॉलीबॉल का जीत लिया | अब लंच का टाइम हुआ था और उसके आधे घंटे के बाद वॉलीबॉल का फाइनल मैच शुरू होना था | टप्पू अपने दोस्तों के साथ बैठकर खाना खा रहा था|
अचानक ही टप्पू के दांत में इतने जोर का दर्द शुरू हुआ कि वह रोने लग गया | टप्पू ने खाना भी पूरा नहीं खाया और स्कूल के टीचर टप्पू को उसके घर लेकर चले गए | रस्ते में भी टप्पू यही कह रहा था कि उसे घर नहीं जाना है उसे वॉलीबॉल का फाइनल मैच खेलना है | लेकिन जैसा कि उसके अध्यापक देख सकते थे टप्पू बिल्कुल भी खेलने की हालत में नहीं था |
टप्पू जैसे ही घर आया टप्पू की मां ने डॉक्टर को घर पर बुलाया और डॉक्टर ने टप्पू को दवा दी और मां ने उसे सुला दिया | जब दवाई का असर खत्म हुआ टप्पू नींद से जागा और अपने मां से लिपट कर रोने लगा | वह कहने लगा कि मां काश मैंने आपकी बात मान ली होती है और हर दिन टूथब्रश किया होता तो आज मुझे इतना दर्द नहीं सहन करना पड़ता और मेरा मैच भी नहीं छुटता | वह रोते होते हुए कहने लगा कि मां मैं जीतने वाला था |
तो मां उसे समझाते हुए कहती है कि टप्पू कोई बात नहीं अभी तुम अपनी सेहत का ख्याल रखो और मैच के बारे में मत सोचो | अब टप्पू समझ गया था और वह हर दिन ही बिना मां के बोले ब्रश करता था |
नैतिक शिक्षा
तो बच्चों इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमारे लिए Dental hygiene बहुत ज्यादा जरूरी है| हमें हर दिन अपने दांतो को अच्छी तरीके से ब्रश करना चाहिए और हमेशा अपने मां और पिता की बात को मानना चाहिए|
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मिंकु को मिली जीवन की सीख
मिंकु और चिंकी भाई बहन थे | चिंकी मिंकु से 3 साल बड़ी थी और बहुत समझदार भी थी | वह मिंकु को हमेशा अच्छी बातें सिखाती थी | जब भी मैं वह कोई गलती करता तो चिंकी उसे सलाह देती थी और उसे बहुत ही प्यार से समझाती थी | एक दिन मिंकु और चिंकी के घर उनकी नानी मां मिलने आई | दोनों बच्चे बहुत खुश थे जाते-जाते नानी मां ने दोनों बच्चों को पैसे दिए | पैसे देख कर मिंकु बहुत खुश हुआ और वह चिंकी से कहने लगा कि चलो इन पैसों से वह अपनी पसंद की आइसक्रीम खाने चलते हैं |
दोनों भाई बहन आइसक्रीम खाने चले जाते हैं | दोनों अपने पसंद की आइसक्रीम ले लेते हैं | दोनों आइसक्रीम पार्लर में बैठकर आइसक्रीम खाते हैं और बहुत खुश होते हैं | जाते-जाते चिंकी मिंकु से कहती है कि अभी भी उनके पास कुछ पैसे बचे हैं तो क्यों ना वह मिट्ठू के लिए आइसक्रीम केक पैक करवा लें | मिट्ठू दोनों बच्चों के मामा जी का लड़का था जो कि आज शाम दोनों के घर आने वाला था | इसपर मिंकु चिंकी से कहता है कि तुम कुछ पैसे क्यों नहीं बचा लेती यह पैसे हमारे हैं तो हम मिट्ठू के लिए इस पैसे को क्यों बर्बाद करें|
फिर चिंकी मिंकी से कहती है कि चलो तुम्हें एक कहानी सुनाती हूं| एक बार की बात है सूरज, चांद और हवा तीनों अपने मामा जी के साथ बाहर खाना खाने जाते हैं | उनके मामा उनसे कहते हैं कि बच्चों तुम्हें जो भी खाना है, तुम बेझिजक मंगवा लो | अब तीनों ही अपने पसंद की चीजें मंगवाते हैं | वेटर उनके सामने अनगिनत प्रकार के भोजन रख देता है | तीनों ही बच्चे बहुत खुश हो जाते हैं सूरत से तो इंतजार ही नहीं होता और वह तीनों फटाफट से खाना खाना शुरू कर देते हैं |
खाना खाते हुए चांद को याद आता है कि उसकी मां घर पर अकेली है और उन्होंने भी कुछ नहीं खाया होगा तो चांद जो भी खाना खाता उसका एक हिस्सा छुपाकर एक डब्बे में डालता रहता | तीनों बच्चे भरपूर खाते हैं और घर चले जाते हैं| घर पर उनकी माँ इंतजार कर रही होती है फिर मां तीनो बच्चों से पूछती है की उन्हें मजा तो आया न मामा के साथ और इस पर तीनो ही बच्चे बोलते है हमने बहुत कुछ खाया और खूब मजा किया |
फिर माँ सूरत से पूछती है कि तुम मेरे लिए क्या लेकर आए तो सूरज इस पर कहता है कि मां मैं खाना खाने और मस्ती करने बाहर गया था ना कि आपके लिए खाना पैक करके लाने के लिए | तो वही सवाल मां हवा से करती है तो हवा भी उस पर यही बोलता है और जब तीसरी बार मां चांद से पूछती है कि तुम भी बस मस्ती करने गए थे या अपनी मां के लिए कुछ लेकर भी आए हो |
फिर चांद छुपा कर लाए हुए डब्बे को अपनी मां को दिखाता है जिसमें वह हर एक खाने का समान होता है जो उन्होंने खाया था | मां बहुत खुश होती है और सूरज और हवा को श्राप देती है वह सूरत से कहती है कि लोग तेरी उपस्थिति को पसंद नहीं करेंगे तेरी किरणे इतनी तेज होंगी कि कोई भी तुम्हारे सामने आने से डरेगा | हवा को भी मां श्राप देते हुए कहती है कि तुम इतना तूफान लेकर आओगे कि लोग तुम्हें श्राप देंगे और कोई भी तुम्हे पसंद नहीं करेगा |
लेकिन चांद, लोग तुम्हें बहुत पसंद करेंगे तुम हमेशा शांत और ठंडक दोगे | लोग तुम्हारी शीतलता में बैठना पसंद करेंगे और तुम्हें खूब आशीर्वाद देंगे | यह कहानी सुनते ही मिंकु चिंकी से कहता है कि मैं गलत था, हम अब अपने भाई के लिए आइसक्रीम केक जरूर लेकर जाएंगे और वह भी उसकी मनपसंद वाली चॉकलेट फ्लेवर |
नैतिक शिक्षा
तो बच्चों जैसे यह कहानी सुनते ही मिंकु की सोच बदल गई मैं आशा करती हूं कि आप भी ऐसी सोच ही रखेंगे सिर्फ अपने बारे में ना सोच कर दूसरों के बारे में भी सोचेंगे|
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आलस का फल
बच्चों आज की अगली कहानी में तीन दोस्त होते हैं- हाथी, बंदर और गिलहरी| हाथी और बंदर बहुत आलसी थे | जब भी गिलहरी कुछ खाने के लिए बनाती तो दोनों ही उसके घर खाना खाने पहुंच जाते और गिलहरी भी उन्हें चुपचाप खाने के लिए दे देती क्योंकि आखिर उसके दोनों दोस्त थे भले ही आलसी थे| फिर एक दिन गिलहरी का मन किया कि वह केले खाए | अब केले का पेड़ बहुत ऊंचा था गिलहरी वहां पर नहीं पहुंच पा रही थी|
गिलहरी ने सोचा क्यों ना अपने दोस्त से मदद लें | वह बंदर के पास पहुंच गई, गिलहरी ने बंदर से कहा कि बंदर भाई मुझे केले खाने का दिल है | लेकिन मैं पेड़ पर नहीं चढ़ पा रही मगर तुम अवश्य मेरे लिए केले लेकर आ सकते हो | क्या तुम मेरी मदद करोगे ? बंदर उसी वक्त बहुत सारा खाना खाकर लेटा हुआ था और उसे बहुत सुस्ती चढ़ रही थी | उसने गिलहरी से कहा गिलहरी मुझे माफ करना है यह मेरे सोने का वक्त है तो मैं तुम्हारी कोई मदद नहीं कर पाऊंगा |
गिलहरी चुपचाप वहां से चली गई और अपने दूसरे दोस्त हाथी के पास जा पहुंची | उसने हाथी से कहा हाथी मुझे केले खाने हैं क्या तुम पेड़ में से मेरे लिए केले निकाल लाओगे | हाथी बोला मैं कैसे पेड़ पर चढ़ सकता हूं फिर गिलहरी ने कहा तुम्हें पेड़ पर नहीं चढ़ना है | तुम तो इतने विशालकाय हो तुम बस पेड़ को धकेलो केले अपने आप ही टूट कर नीचे आ जाएंगे | इस पर हाथी ने कहा कि मेरी तबीयत ठीक नहीं है तो मुझे माफ करना मैं तुम्हारी कोई मदद नहीं कर सकता | फिर गिलहरी हताश होकर वहां से चल पड़ी |
फिर इसी तरह एकदिन गिलहरी घूम रही थी उसे अचानक से कद्दू के कुछ बीज दिखे | वह बीज देख के सोचने लगी की इन्हे बगीचे मै ऊगा देगी और फर स्वदिस्ट कद्दू की सब्जी बना कर खायेगी और अपने दोस्तों को भी खिलाएगी | यही सोचते हुए वह उन बीजों को लेकर अपने दोस्त बंदर के पास जा पहुंची और उसने बंदर को कहा कि बंदर क्या तुम मेरी मदद करोगे हम इस बीज को बगीचे में बो देते हैं और इसमें से बहुत ही स्वादिष्ट कद्दू निकलेंगे | जिससे हम उसकी सब्जी बनाकर खाएंगे |
इस पर बंदर फिर अकड़ से बोला कि नहीं अभी तो मैं खेल रहा हूं तो प्लीज तुम मुझे परेशान मत करो और यहां से चली जाओ | गिलहरी हताश होकर वहां से चल पड़ी और अपने दोस्त हाथी के पास जा पहुंची | फिर उसने वही बात हाथी को बोली उस वक्त हाथी बड़े मजे से नहर में नहा रहा था तो इस पर हाथी ने बोला अभी तो मैं नहा रहा हूं मैं तुम्हारे साथ नहीं आ सकता | फिर गिलहरी बोली कोई बात नहीं तुम नहा लो मैं तुम्हारी प्रतीक्षा करती हूँ | हाथी बोला नहीं नहीं नहाने के बाद तो मुझे सोना होता है | इसलिए मुझे माफ करना मैं तुम्हारी कोई मदद नहीं कर सकता |
फिर गिलहरी उन बीजों को लेकर अपने बगीचे में जा पहुंची और जैसे-तैसे उसने अकेले ही उन बीजों को बो दिया | फिर कुछ समय बिता और बगीचे में बहुत ही सुंदर कद्दू उग आये | गिलहरी ने उस कद्दू की बहुत ही स्वादिष्ट सब्जी बनाई और वह सब्जी का कटोरा अपने दोस्तों के पास लेकर कहने लगी कि यह कद्दू की सब्जी कौन खाएगा और दोनों ने एक स्वर मैँ कहा हां हम दोनों ही खाएंगे|
फिर गिलहरी ने बोला नहीं यह मैं खाऊंगी क्योंकि सिर्फ मैंने इसके लिए मेहनत की है तुम दोनों ने तो मेरी कोई मदद नहीं करी और वह मजे से सब्जी खाने लगी और वह दोनों उसको देखते रह गए |
नैतिक शिक्षा
तो बच्चों आज की कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें कभी भी काम से मन नहीं मारना चाहिए और कभी भी आलस नहीं करना चाहिए क्योंकि हमें नहीं पता उस आलस का फल कितना बुरा हो सकता है|
अंधविश्वास का परिणाम
एक नगर में दो भाई रहते थे | बड़े भाई का नाम निशित था और छोटे भाई का नाम कमल था | निशित एक डरपोक किस्म का लड़का था और वह किसी की भी बात में बहुत जल्दी आ जाता था | वहीं कमल एक होशियार लड़का था | वह दुनियादारी की समझ रखता था | भले ही कमल निशित से छोटा था लेकिन वह निश्चित से बहुत ज्यादा समझदार था |
वह जिस नगर में रहते थे वहां पर एक घना जंगल था | सभी बच्चे उस जंगल में जाने से बहुत डरते थे और वहां लोग यह बातें करते थे कि इस जंगल में भूत रहता है और सभी बच्चे इस अफवाह को सच मानकर उस जंगल में कभी नहीं जाते थे | वही कमल किसी भी अफवाह पर विश्वास नहीं करता था | जब तक वह अपनी आंखों से ना देख लेता | उसने अपने बड़े भाई को समझाने की बहुत कोशिश की कि जंगल मै कोई भुत नहीं है | लेकिन वह तो डरपोक था | वह उसकी कोई भी बात को समझने के लिए त्यार ही नहीं था |
फिर कमल ने एक दिन एक योजना बनाई | अब उसने सोच लिया था की वह अपने भाई के मन के डर को भगा कर रहेगा | इसी तरह एक दिन दोनों पास के मैदान में खेल रहे थे | कमल ने जानबूझ कर निश्चित की पसंद की गेंद पकड़कर उस जंगल की ओर फेंक दी| निशित जोर जोर से रोने लगा और उसने कमल को कहा कि वह उसकी बॉल लेकर आए |
लेकिन कमल ने ठान रखी थी कि आज वह निशित को जंगल में भेज कर उसके भरम को दूर कर देगा | फिर कमल ने उसकी गेंद को लाने से मना कर दिया और वह कहने लग गया कि वह तो घर जा रहा है | अब निशित चिंता में पड़ गया क्योंकि वह अपनी गेंद को छोड़कर घर नहीं जाना चाहता था और मजबूरन उसे उस जंगल के पास जाना पड़ा |
वह जंगल की और जैसे जैसे बढ़ रहा था उसे अजीब – अजीब सी आवाज सुनाई दे रही थी | डरता हुआ निशित आगे बढ़ता गया और बड़ी मुश्किल से अपनी गेंद के पास पहुंचा | जैसे ही निशित ने गेंद पकड़ी उसके सामने पेड़ के पीछे से बहुत ही भयंकर आवाज सुनाई देने लगी | निशित बिल्कुल डर चुका था और डर के मारे अब उससे चला भी नहीं जा रहा था | डर के मारे वह भगवान् को याद करने लग गया |
फिर जब उसने देखा तो पेड़ के पीछे दो हाथी के बच्चे खेल रहे थे और यह आवाज उन्हीं की थी | मन मै भरम के मारे निशित को हाथी की आवाज भी भूत जैसी लग रही थी | जैसे ही उसने हाथी के दो बच्चों को देखा तो उसने चैन की सांस ली और वहीं कमल भी जंगल में पहुंच गया और अपने भाई को समझाने लगा कि भाई मैं कहता था ना यहां पर कोई भूत नहीं है लेकिन तू मेरी बात पर विश्वास नहीं करता था |
फिर निशित सुकून से मुस्कुराया और कहने लगा कि हाँ कमल तूने मुझे बहुत समझाया लेकिन मैं ही मूर्ख था | अबसे मैं वादा करता हूँ जब तक मै कुछ अपनी आंखों से ना देख लूं उसके अलावा मैं किसी चीज पर विश्वास नहीं करूंगा |
नैतिक शिक्षा
तो प्यारे बच्चों इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि कभी भी दूसरों की बातों में ना आए और अपने मन को इतना मजबूत करें कि कोई भी भरम आपको डरा ना पाए|
Conclusion
आशा करती हूं कि यह Motivational Story For Kids In Hindi आपको बहुत पसंद आई होगी और आप इन कहानियों को अपने बच्चों को जरूर सुनाएंगे और आपके बच्चे अपने जीवन में एक बेहतरीन इंसान बन पाएंगे | अगर इन कहानियों से संबंधित कोई भी प्रशन हो तो आप नीचे दिए गए कमेंट सेक्शन में जरूर लिखकर हमें बताएं |
और मै सभी पेरेंट्स से यह गुज़ारिश करती हूँ की आप इन स्टोरीज को रोज़ाना अपने बच्चो को सुनाये, क्यूँकि कहानियां और उनके किरदार बच्चों के दिमाग मै बहुत समय तक रहती हैं | बच्चे आसानी से यह कहानियां लम्बे वक़्त तक याद रखते हैं |