Moral Story in Hindi For Class 6 | कक्षा 6 के लिए नैतिक कहानियां

दोस्तों क्या आप अपने Moral Story in Hindi For Class 6 के बारे में सर्च कर रहे हैं? अगर ऐसा है तो आप बिल्कुल सही जगह पर आए हैं, क्योंकि आज की इस पोस्ट में हम आपके साथ कुछ कक्षा 6 के लिए खास कहानियां शेयर करने जा रहे हैं| जोकि पढ़ने में काफी दिलचस्प होंगी और साथ ही आप के जीवन के लिए आपको सीख भी देंगी|

जब हमने देखा कि काफी लोग इंटरनेट कक्षा 6 के लिए नैतिक कहानियों के बारे में सर्च कर रहे है| तब हमने सोचा क्यों ना आपके साथ ऐसी कहानियां शेयर करी जाये, जो आप ने पहले ना कभी पढ़ी होगी और ना ही कभी किसी से सुनी होगी| आपके साथ कहानियां शेयर करने का हमारा सिर्फ एक ही मकसद है कि आपके साथ नैतिक शिक्षा से भरपूर चुनिंदा कहानियां ही शेयर करें| तो चलिए अब हम शुरू करते हैं।

Name of StoryMoral Story in Hindi For Class 6
Type of StoryMoral Story
Story Written ForClass 6

रोशन के लालच की कहानी – Moral Story in Hindi For Class 6

यह कहानी रोशन नाम के एक लड़के से संबंधित है| रोशन एक मध्यमवर्ग परिवार से था| उसके घर पर उसके 2 बड़े भाई और उसकी मां रहती थी| उसके पिताजी का देहांत हुए को लगभग 10 साल हो गए थे| रोशन की उम्र लगभग 30 साल थी| रोशन बहुत ही मेहनती लड़का था| वह शहर में दर्जी का काम करता था और अपने घर का खर्च चलता था| रोशन के दोनों बड़े भाई उस से और उसकी माँ से अलग रहते थे| रोशन अपनी मां के साथ अकेला ही रहता था| रोशन का काम बहुत अच्छे से चल रहा था| रोशन ने अपना घर भी काफी बढ़िया बना रखा था| 

एक दिन की बात है कि रोशन के एक दोस्त मोहित ने उसे बताया कि वह घर बैठे बिना कोई काम करे रोजाना 2000 से 2500 रुपए कमा रहा है| रोशन को इस बात पर यकीन नहीं हो रहा था| 

रोशन : तुम मुझसे मजाक क्यों कर रहे हो? भला कोई बिना मेहनत करें 2000 से 2500 रुपए एक दिन का कैसे कमा सकता है| 

मोहित : मैं मजाक नहीं कर रहा हूँ, यह सच है| अगर तुम्हें यकीन नहीं तो मैं तुम्हें अपना बैंक खाता दिखा सकता हूँ| 

रोशन : अगर ऐसा है तो मुझे अभी अपना बैंक खाता दिखाओ, मैं फिर ही विश्वास करूंगा| 

मोहित : यह देखो मेरा बैंक खाता और इसमें पिछले 15 दिनों में मैंने लगभग 35000 रुपए कमाए हैं| 

रोशन मोहित का बैंक खाता देखकर हैरान हो गया और मोहित से पूछने लगा कि ऐसे कैसे संभव है| फिर मोहित ने रोशन को बताया कि मैंने अपने मोबाइल फोन में एक एप्लीकेशन को डाउनलोड करा है, जिसमें मैंने शुरुआत के दिनों में 20000 रुपए जमा करें थे और मैं इस एप्लीकेशन को अपने दोस्तों के साथ शेयर  करके ओर भी ज्यादा पैसा कमा रहा हूँ| मेरे दोस्तों ने इस एप्लीकेशन में पैसे जमा किए है, जिससे उनको भी रोजाना पैसे आने लगे और मुझे भी उनके कमीशन के पैसे भी आने लगे और इस प्रकार में दिन में 2000 से 2500 रुपए कमा लेता हूँ| 

रोशन भी मोहित की बातों में आ गया और उसने भी पैसा जमा करने के बारे में सोचा| रोशन ने सोचा कि अगर बिना मेहनत करे पैसा कमाया जा सकता है तो क्यों न 2500 की जगह 5000 से 10000 रुपए रोजाना की कमाई करी जाए| अब रोशन के मन में लालच आ गया था| रोशन ने एप्लीकेशन को अपने फोन में डाउनलोड करा और पैसे जमा करने से पहले एप्लीकेशन में अलग-अलग प्लान को देखा| 

फिर रोशन ने 50000 रुपए वाले प्लान में पैसे लगाए| जिसमें लगातार 25 दिनों तक 5000 रुपए रोजाना मिलने थे| ऐसा चलता रहा लगभग 20 दिन हो गए थे और रोशन को रोजाना 5000 रुपए उसके बैंक खाते में मिलते रहे| रोशन के मन में लालच ओर भी बढ़ गया| रोशन ने सोचा कि मैने 20 दिन पहले 50000 लगाए थे और मैं 1 लाख रुपया कमा लिया है| क्यों ना मैं ओर पैसे इसमें लगाऊ| 

फिर रोशन ने एप्लीकेशन में 3 लाख वाला प्लान देखा जिसमें 20 दिनों तक 30 हज़ार रुपए रोजाना आने थे| रोशन ने 3 लख रुपए जमा कर दिए और अगले ही दिन उसके खाते में3 0 हज़ार आ गए| ऐसा लगभग 1 हफ्ते तक चलता रहा| रोशन ने सोचा अगर मैं इस एप्लीकेशन में किसी अपने दोस्त को जोड़ लेता हूँ तो उसका भी कमीशन मुझे मिलेगा| 

फिर रोशन ने अपने दूसरे मोबाइल से एक और अकाउंट बनाया और उसमें भी 3 लाख रुपए जमा कर दिए| रोशन को उसमें भी अगले दिन 30 हज़ार रुपए आ गए| यह देखकर रोशन खुश हो गया| रोशन ने सोचा कि मैंने जितने पैसे लगाए हैं यह तो कुछ ही दिनों में पूरे हो जाएंगे| मुझे थोड़ा और पैसा कमाना चाहिए|  रोशन के पास लगभग 10 लख रुपए थे और उसने सारे पैसे एप्लीकेशन में लगा दिए| 

फिर अगला दिन हुआ रोशन ने देखा कि उसके बैंक खाते में पैसे अभी तक नहीं आए हैं| सुबह से दोपहर हुई, दोपहर से शाम हो गई, लेकिन पैसे अभी तक नहीं आए| रोशन पैसों का इंतजार करता रहा| फिर रात हो गई और रोशन ने दोबारा से अपने फोन में एप्लीकेशन को खोल तो अपने फोन को देखकर रोशन हैरान हो गया, क्योंकि उस समय उसके फोन में एप्लीकेशन खुल ही नहीं रही थी|

यह देखकर रोशन को कुछ समझ नहीं आ रहा था| कुछ देर इंतजार करने के बाद रोशन को एहसास हुआ कि उसने जितना भी पैसा इस एप्लीकेशन में लगाया है, शायद वह अब डूब चुका है| यह पैसा अब उसे कभी नहीं मिलने वाला है क्योंकि अब एप्लीकेशन ही बंद हो गई थी| 

अब वह अगर अपने पैसे मांगे भी तो किस से मांगे, क्योंकि वह सिर्फ एप्लीकेशन को ही जानता था| जिसमें पैसा इन्वेस्ट करके पैसा कमा रहा था और ना ही वह इस एप्लीकेशन के लिए साइबर क्राइम में कोई शिकायत दर्ज कर सकता था, क्योंकि इसमें गलती रोशन की खुद की ही थी| रोशन ने अपने लालच की वजह से ही अपनी जीवन भर की सारी पूंजी एप्लीकेशन में लगा दी थी और अब रोशन के पास 1 रुपया भी नहीं बचा था।

यह सब कुछ देखकर रोशन को बहुत गहरा सदमा लगा और वह बीमार हो गया| कुछ दिनों तक रोशन बिलकुल ही बिस्तर पर रहा और कोई भी काम नहीं किया| रोशन को ठीक होने में लगभग 1 महीना लगा और ठीक होने के बाद रोशन ने प्रण लिया कि आज के बाद मैं कभी भी ऐसी झूठी एप्लीकेशन के चक्कर में नहीं फसूंगा| अपनी मेहनत करके पैसा कमाऊंगा और लालच नहीं करूँगा| अपनी मेहनत से चाहे मैं कम  कमाऊ, उसी में खुश रहूँगा और ज्यादा पैसे कमाने के चक्कर में कभी भी ऐसे गलत तरीकों का इस्तेमाल नहीं करूँगा| 

अब रोशन ने फिर से मेहनत करनी शुरू कर दी और कुछ सालों के अंदर अंदर रोशन ने जितने पैसे गवाए थे उससे भी ज्यादा पैसे अपने पास जमा लिए थे| 

नैतिक शिक्षा

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें मेहनत करके पैसे कमाने चाहिए उसी से संतुष्टि मिलती है| अगर हम लालच करके पैसा कमाने के बारे में सोचते हैं तो हमारा लालच हमे बर्बाद कर देता है।

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रोहन और धोखाधड़ी की कहानी

एक गांव में रोहन नाम का एक आदमी रहता था| वह बहुत ही चतुर चालाक आदमी था| उसने गांव में जूते बनाने की बड़ी फैक्ट्री लगाई थी, जिसमें उसका पार्टनर विवेक था| विवेक बहुत ही सरल और शांत स्वभाव का व्यक्ति था| दोनों को फैक्ट्री लगाए हुए लगभग 5 साल हो गए थे| अब फैक्ट्री का काम भी बहुत अच्छा चल रहा था और फैक्ट्री मुनाफे में जा रही थी| 

फिर एक दिन विवेक की तबीयत खराब हो गई और उसने फैक्ट्री आना कम कर दिया| अब वह रोजाना फैक्ट्री नहीं आता था| विवेक के बच्चे भी छोटे थे, जिसकी वजह से वह अपने पिता विवेक की जगह फैक्ट्री नहीं जा पाते थे| इसलिए अब सारा काम रोहन ही संभालता था| लगभग एक महीना ऐसे ही चलता रहा| 

फिर एक दिन रोहन के दिमाग में यह बात आई की फैक्ट्री को संभालने का सारा काम तो वह खुद ही कर रहा है और मुनाफा दोनों में बांटा जा रहा है| फिर एक दिन रोहन ने धोखाधड़ी से फैक्ट्री अपने नाम कर ली और विवेक को फैक्ट्री के व्यापार से बाहर निकाल दिया| कुछ साल बीते रोहन के बच्चे भी बड़े हो गए थे| फिर उसका लड़का भी रोहन के साथ फैक्ट्री में काम संभालने लगा था| रोहन अपने परिवार के साथ बहुत खुश था और उसे खुद पर बहुत ज्यादा गर्व महसूस होता था कि उसने अपने बच्चों के लिए कितनी धन संपत्ति जोड़ रखी है| उसके बच्चों को भविष्य में कभी भी धन की कमी महसूस नहीं होगी| 

एक दिन रोहन का लड़का और रोहन की बीवी अपने रिश्तेदारी की शादी में जा रहे थे तभी रास्ते में उनका एक्सीडेंट हो गया और उनकी उसी समय मृत्यु हो गई| अब रोहन घर पर अकेला रह गया था, अब रोहन के पास ना उसकी बीवी थी ना लड़का और रोहन मन ही मन बहुत दुखी रहने लगा था| तब रोहन को अपने दोस्त विवेक की कमी महसूस हुई| फिर उसने सोचा अगर वह लालच में आकर विवेक को व्यापार से बाहर न निकलता तो शायद आज भी हम पहले जैसे दोस्त होते हैं| 

तब रोहन को अपने किए के पर बहुत शर्मिंदगी महसूस हुई, क्योंकि रोहन से बात करने वाला कोई नहीं था| रोहन के पास कोई भी दोस्त नहीं बचा था| उसके पास सिर्फ धन दौलत ही थी और रोहन को यह बात समझ आ गई थी कि धन दौलत से सुख की प्राप्ति नहीं की जा सकती जो अपनों के साथ रह कर की जा सकती है| फिर रोहन अपने दोस्त विवेक के घर गया और विवेक से माफी मांगी और उसे फैक्ट्री के व्यापार में दोबारा पाटनर बना लिया| 

नैतिक शिक्षा

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि धोखे धड़ी से कमाया हुआ पैसा कभी काम नहीं आता| अंत में अपने ही साथ निभाते हैं और मन को शांति पैसे से नहीं रिश्तो से मिलती है।

राहुल और वंश के दृढ़ निश्चय की कहानी

एक छोटा सा गांव था| वहां पर एक लड़का रहता था, उसका नाम रोशन था| वह अपनी बूढ़ी दादी मां के साथ रहता था| उसकी उम्र 8 साल थी| एक दिन रोशन घर में अकेला बैठा था| तभी उसकी दादी वहां पर आ गई, दादी ने रोशन को ऐसे बैठा देखकर बोला कि अगले हफ्ते तुम्हारा स्कूल में drawing competition है| तुम उसके लिए तैयारी क्यों नहीं कर रहे हो| 

तो रोशन ने बोला कि मैं कंपटीशन में हिस्सा नहीं लूंगा| मुझे नहीं लगता कि मैं हिस्सा लेने के लायक हूँ| तब दादी ने रोशन को बोला कि तुम बहुत अच्छी drawing बनाते हो, तुम्हे हिस्सा लेना चाहिए| लेकिन रोशन फिर भी कम्पटीशन में हिस्सा लेने से इंकार करता रहा| तब उसकी दादी ने बोला रुको मैं तुम्हें एक कहानी सुनाती हूँ| 

एक बार इंदौर के पास एक गांव में राहुल और वंश नाम के 2 लड़के रहते थे| राहुल की उम्र 10 साल थी और वंश की उम्र 6 साल थी| वह इकट्ठे खेलते थे और  अक्सर ही साथ में घूमने फिरने के लिए जाते थे| वह इतने अच्छे दोस्त थे कि हर समय साथ में ही रहते थे| एक दिन वह दोनों पतंग उड़ा रहे थे, तभी राहुल की पतंग कट गई और वह टूट कर दूर जाने लगी| तब राहुल और वंश ने सोचा कि हम अपनी पतंग को वापस लेकर आते हैं| वह भी पतंग के पीछे दौड़ते रहे| 

दौड़ते दौड़ते वह गांव से काफी दूर निकल गए और वहां पर उनकी पतंग पेड़ के ऊपर लटक गई| राहुल पेड़ से पतंग उतारने की कोशिश कर रहा था| लेकिन जहां पर राहुल खड़ा था उसके ठीक पीछे एक गहरा गड्ढा था| राहुल पतंग उतारने की कोशिश में गड्ढे में गिर गया| जैसे ही राहुल गड्ढे में गिरा उसने जोर से चिल्लाया| तब उसका दोस्त वंश उस से थोड़ी दूरी पर खड़ा था| उसने राहुल के चिल्लाने की आवाज सुनी और वह भाग के राहुल के पास गया| 

उसने देखा कि गड्ढे में थोड़ा पानी भी है और राहुल उसमें डूब रहा है| वंश को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि अब वह क्या करें? उसने आसपास देखा तो वह पर कोई भी नहीं था| फिर उसने देखा कि उसके पास एक रस्सी पड़ी है| वह भाग कर रस्सी के पास गया और उसने रस्सी को गड्ढे में फेंक दिया| राहुल ने रस्सी को पकड़ा और वंश उस रस्सी को खींचने लगा| कुछ देर खींचने के बाद वंश ने राहुल को गड्ढे से बाहर निकाल लिया और फिर दोनों अपने गांव वापस लौट गए| 

अगले दिन राहुल ने अपने माता-पिता को बताया कि उनके साथ क्या हुआ और वंश ने कैसे उसे गड्ढे से बाहर निकाला| लेकिन उनकी बात पर कोई भी विश्वास नहीं कर रहा था| सब लोग उनकी बात सुनकर हंसने लग गए| उनको लगा कि दोनों मजाक कर रहे हैं| 

क्योंकि वंश बहुत ही दुबला और पतला सा था और किसी को इस बात पर यकीन नहीं हो रहा था कि यह इतना पतला लड़का जो खाली पानी की बालटी नहीं उठा सकता इतने बड़े राहुल को कैसे गड्ढे से बाहर निकाल सकता है| 

बहुत समझाने के बाद कोई भी उन पर विश्वास नहीं कर रहा था| लेकिन वहां पर एक बुड्ढा आदमी बैठा था जो उनकी बात को सुन रहा था और उसे उनकी बात पर विश्वास था| जैसे उन्होंने बताया उस बुड्ढे आदमी ने मान लिया और राहुल और वंश पर पूरा भरोसा दिखाया| फिर गांव वालों ने उस बुड्ढे आदमी से पूछा कि यह नहीं हो सकता| आप पर कैसे इन दोनों पर इतना भरोसा कर सकते हैं? इन्होंने ऐसे कैसे किया होगा? 

तो बुड्ढे आदमी ने बोला अभी थोड़ी देर पहले ही तो दोनों बच्चों ने बताया था कि कैसे वंश ने राहुल को गड्ढे से रस्सी की मदद से बाहर निकाला था| फिर गांव वालों ने बोला कि वंश तो इतना दुबला पतला है| वह इतने भारी राहुल को कैसे निकाल सकता है| 

तब उस बूढ़े आदमी ने बोला कि जब राहुल गड्ढे में गिरा था तब वहां पर वंश अकेला था और उसके आसपास कोई भी नहीं था| उसके पास इतना भी समय नहीं था कि वह कुछ सोच समझ सके| उसे जो जैसे लगा उसने वैसे ही किया| उसने खुद पर विश्वास दिखाया और राहुल को गड्ढे से बाहर निकाल लिया| अब गांव वालों को भी यह बात समझ आ गई थी कि अगर वह खुद पर विश्वास दिखाएं तो किसी भी काम को आसानी से कर सकते हैं| 

नैतिक शिक्षा

इस कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है कि अगर हमें खुद पर विश्वास है और हम खुद पर भरोसा जताए तो हम बड़ी से बड़ी मुश्किल का भी सामना कर सकते हैं और किसी भी मुश्किल काम को आसानी से कर सकते हैं।

किसान से बेटों की मेहनत की कहानी

एक गांव में एक किसान रहता था| वह नींबू की खेती करता था| वह किसान बहुत ही मेहनती था और अक्सर ही अपने खेतों में मेहनत करता रहता है| वह ना दिन देखता था ना रात देखता था अक्सर ही अपने खेतों में फसल बीजने और खेती करने में व्यस्त रहता था|  बदौलत किसान ने काफी सारी ज़मीन भी बना ली थी और अब वह काफी अमीर भी हो गया था| 

उस किसान के 2 बेटे थे| उसके बेटे बहुत ही मेहनती थे लेकिन उनका खेती की ओर बिल्कुल भी ध्यान नहीं था| वह अक्सर ही दूसरे कामों में व्यस्त रहते थे और जो भी काम करते थे पूरी मेहनत से करते थे| किसान को यह तो मालूम था कि उसके बेटे बहुत मेहनती है| लेकिन उसकी परेशानी की वजह थी कि वह खेतों की ओर बिल्कुल भी ध्यान नहीं देते हैं| 

एक दिन किसान बहुत ज्यादा बीमार हो गया और अब वह ना खेत जाता था और कोई दूसरा काम करता था| वह बीएस अपने बिस्टेर लेटा रहता था| तब एक दिन किसान को महसूस हुआ कि शायद अब उसके मरने का समय निकट आ रहा है| लेकिन उसको इस बात की चिंता सता रही थी कि जब वह मर जाएगा तो उसकी खेती का क्या होगा? उसके बेटे तो खेती में बिल्कुल भी ध्यान नहीं देते हैं| 

तब किसान ने एक जुगत लड़ाई और उसने अपने दोनों बेटों को बुलाया और कहा कि बेटा मेरे मरने का समय पास आ गया है| मैं तुम्हें एक राज़ बताना चाहता हूँ|  हमारे जो खेत हैं उसके नीचे मैंने खजाना छुपा रखा है| जब मैं मर जाऊंगा, तो तुम उस खेत को खोदकर उसे बाहर निकाल लेना| फिर लगभग 10 दिन के बाद उस किसान की मौत हो गई| फिर किसान के दोनों बेटे ने सोचा कि जो पिताजी ने बोला था अब हमें वैसा ही करना चाहिए| 

वह दोनों खेत में चले गए और वहां पर जाकर खेत को खोदना शुरू कर दिया| सुबह से शाम हो गई वह सारे खेत को खोदते रहे| लेकिन उनको वहां पर कुछ भी नहीं मिला| फिर उन लड़कों के पड़ोसी ने उनको बोला कि तुम लोगों ने अब खेत को तो खुद ही दिया है, ऐसे करो कि तुम अब नींबू का मौसम भी आ गया है तुम इसमें नींबू के बीज डाल दो| उन लड़कों ने सोचा चलो हमें खेतों से कुछ खजाना तो नहीं मिला जब हमने इतनी मेहनत करी है तो थोड़ी सी मेहनत ओर कर लेते हैं| 

उन्होंने नींबू के बीज़ खेतों में डाल दिए| लगभग एक महीना बीत गया और उनके खेतों में नींबू की बहुत अच्छी फसल हुई| वह अपने खेत में गए तो अपनी फसल को देखकर उन्हें इस बात का एहसास हुआ है कि अब हमें समझ आया है कि पिताजी किस खजाने की बात कर रहे थे| इस तरह उनकी फसल काफी अच्छी हुई और उन्हें काफी मुनाफा भी हुआ।

नैतिक शिक्षा

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि अगर हम मेहनत करते हैं तभी हमें उस मेहनत का परिणाम मिलता है और उस परिणाम के बदौलत ही हम अपने सपनों को पूरा कर सकते हैं| ऐसा कोई भी जादू नहीं है जो हमें बिना मेहनत करें हमारे सपनों को पूरा कर दे। इसलिए हमें लगातार मेहनत करते रहना है, तभी हम अपनी परीक्षा में सफलता हासिल कर सकते हैं और अपने जीवन में भी सफल हो सकते है|

पैसे से सब कुछ नहीं खरीदा जा सकता

रोहन नाम का एक लड़का था, वह एक गांव में अपने माता-पिता के साथ रहता था| रोहन की उम्र 12 साल थी और वह अपने माता-पिता का इकलौता पुत्र था|रोहन के पिता जी काफी बड़े बिजनेसमैन थे| वह हमेशा अपने बिजनेस में व्यस्त रहते थे वह इतना व्यस्त थे कि रोहन के लिए उनके पास बिल्कुल भी समय नहीं था| जब रोहन रात को सो रहा होता था तब उसके पिताजी घर आते थे और रोहन के उठने से पहले सुबह अपने काम के लिए चले जाते थे|

रोहन अक्सर ही सोचता था की काश मेरे पिताजी मेरे लिए समय निकालते और जैसे मेरे दोस्त अपने पिता के साथ पार्क में घूमते हैं मैं भी अपने पिता के जी के साथ पार्क में घूमने जाता| वहां पर खेलकूद करता| लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा था| काफी समय बीत गया एक दिन जब रोहन के पिताजी देर रात को घर लौटे तब उस दिन रोहन जाग रहा था| उसके पिताजी घर आये और खाना खाने लग गए| 

रोहन अपने पिताजी के पास बैठा और उनको देख रहा था और उनसे बातें कर रहा था| फिर रोहन अपने पिताजी को बोला कि पिताजी आप 1 महीने में कितने पैसे कमाते हो? तो रोहन के पिताजी ने कोई जवाब नहीं दिया| फिर रोहन ने अपने पिताजी से दोबारा पूछा कि पिताजी आप 1 घंटे में कितना पैसा कमाते हो? तो रोहन के पिताजी रोहन की बात सुनकर एक बार तो हैरान हो गए| लेकिन रोहन बार-बार अपने पिताजी से यही सवाल पूछता रहा| 

तब रोहन के पिता जी ने बोला कि मैं 1 घंटे में 2000 कमा लेता हूँ| यह बात सुनकर रोहन अपने कमरे में गया| उसके पास एक गुलक थी| जिसमें वह पैसे बचाकर रखता रहता था| वह अंदर गया और अंदर से गुलक उठाकर बाहर लाया| उसने पैसे निकाले और उसमें लगभग 3000 रुपए थे| 

रोहन ने अपने पिताजी को 3000 दिए और कहा कि क्या आप मेरे लिए 3 घंटे निकाल सकते हैं? क्या मुझे अपने जीवन के 3  घंटे दे सकते हैं? और मेरे साथ पार्क में घूमने जा सकते हैं? ताकि मैं आपके साथ समय व्यतीत कर सकूँ और आपके साथ पार्क में खेल सकूँ| 

अक्सर ही मेरे दोस्त अपने पिताजी के साथ पार्क में खेलते हैं और मैं भी आपके साथ पार्क में जाना चाहता हूँ| यह बात सुनकर रोहन के पिता जी बिल्कुल चुप हो गए और रोहन को अपने गले से लगा लिया| 

नैतिक शिक्षा

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि बच्चों के लिए दुनिया में सबसे अनमोल चीज उनके माता-पिता का समय है| इसलिए माता-पिता को अपने बच्चों को समय देना चाहिए और उनके साथ समय निकाल कर घूमना और खेलना चाहिए। क्योंकि पैसे से सब कुछ खरीदा नहीं जा सकता| अगर आप बच्चों को समय देते हैं तो ही आप उनके स्नेह के हकदार भी बनते हैं।

कुत्ते और सफाई वाले आदमीं की कहानी

जंगल में एक कुत्ता रहता था एक दिन वह काफी ज्यादा भूखा था और खाने की तलाश कर रहा था| तलाश करते करते वह जंगल में भटक रहा था लेकिन उसे कुछ भी खाने के लिए नहीं मिल रहा था| तब उसे वहां पर एक प्लास्टिक का डब्बा दिखाई दिया| जिसके अंदर एक थैला पड़ा था| उसने सोचा कि इसमें खाने के लिए ही कुछ होगा| यह देखकर कुत्ता बहुत खुश हो गया और वह भागकर उस प्लास्टिक के डिब्बे के पास गया| 

प्लास्टिक का डिब्बा ज्यादा बड़ा नहीं था| कुत्ते ने डब्बे के अंदर छलांग लगा दी और अंदर बैठकर ही उसने लिफाफे को खोल लिया| उस लिफाफे के अंदर काफी सारा खाना था| उसमें फल, मास, रोटियां सब कुछ था| यह देख कर कुत्ते के मन में लालच आ गया| उसने सोचा कि मैं सारा खाना अभी खा लेता हूँ| वह जल्दी जल्दी से खाना खाने लग गया| खाना खाते खाते उसे यह भी नहीं मालूम पड़ा कि उसने अपनी भूख से ज्यादा खाना खा लिया है| 

उधर दूसरी तरफ एक आदमी बैलगाड़ी पर आ रहा था जो जंगल के से फालतू कचरा उठाने का काम करता था| उसने कचरा उठाने से पहले ही उस प्लास्टिक के डिब्बे में अपना भोजन रखा था| उसने सोचा था कि मैं थोड़ा सा काम करने के बाद भोजन खा लूंगा| वह आदमी काम में इतना ज्यादा व्यस्त था कि उसे खान खाने का भी समय नहीं मिला रहा था और दूसरी तरफ उस कुत्ते ने इतना खा लिया था कि उसको प्यास लग रही थी| 

उसने सोचा कि मैं पास में नदी में जाकर पानी पी लेता हूँ| लेकिन ज्यादा खाना खाने की वजह से डिब्बे से वह बाहर नहीं निकल पा रहा था। वह डिब्बे से बाहर आने की कोशिश कर रहा था लेकिन वह डिब्बे के अंदर बिल्कुल बुरी तरह फस गया था| फिर वह सोचने लगा कि उसे इस प्लास्टिक के डिब्बे में छलांग लगाने से पहले डिब्बे के अकार बारे में सोचना चाहिए था| क्योंकि अभी कुत्ते ने पेट भर कर खा लिया था जिसकी वजह से वह डिब्बे के बीच में फस गया था और वह बाहर निकलने में असमर्थ हो गया और वहीं फंसा रह गया था| 

नैतिक शिक्षा

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि कोई भी काम करने से पहले उसके परिणाम के बारे में सोचना चाहिए और फिर ही उस काम को करना चाहिए।

झूठे मेंढक डॉ कार्लोस की कहानी

एक तालाब में एक मेंढक रहता था। वह मेंढक उस तालाब में बहुत खुश था| फिर एक दिन उसने सोचा कि वह यहां से कहीं और जाता है| वह पास के जंगल में चला गया| वहां पर एक झरना बहता था, यह वहां पर जाकर रहने लगा और झरने के बीचो बीच उसने अपना एक घर बना लिया| 

मेंढक को झरने में रहते हुए एक-दो दिन हो गए थे| लेकिन उसे वहां पर कोई दिखाई नहीं दे रहा था| इस बात को लेकर मेंढक काफी परेशान हो रहा था और खुद को अकेला महसूस कर रहा था| तब मेंढक ने सोचा कि मैं झरने से बाहर निकलता हूँ और कुछ नए दोस्त बनाता हूँ| 

मेंढक झरने से बाहर निकला, वहां पर एक बड़ा सा पत्थर था| वह उसके ऊपर बैठ गया| पत्थर के ऊपर बैठकर वह जोर जोर से चिल्लाने लगा हेलो दोस्तों मेरा नाम डॉ कार्लोस है और मैं यहां पर नया आया हूं मैं तुम लोगों की बीमारियों का इलाज करने आया हूँ| 

मेंढक की आवाज सुनकर वहां आसपास मौजूद बकरी, लोमड़ी, खरगोश, चिड़िया निकल कर बाहर आ गए और उसके पास पहुंच गए| मेंढक की बात सुनकर वहां पर खड़ी एक चालाक लोमड़ी ने कहा, अगर तुम डॉक्टर हो पहले अपने खुद के मुड़े हुए पैरों का इलाज करो| इनको सीधा करो, हर वक्त तुम इधर-उधर फुदकते रहते हो| लोमड़ी की बात सुनकर मेंढक बहुत शर्मिंदा हुआ| 

नैतिक शिक्षा

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें जीवन में हमेशा सच बोलना चाहिए| अगर हम झूठ का सहारा लेते हैं कभी ना कभी हमारा झूठ पकड़ा जाता है और हमें शर्मिंदा होना पड़ता है।

सोनू मोनू और मोटरसाइकिल की कहानी

हिमाचल प्रदेश के एक गांव में सोनू और मोनू 2 दोस्त रहते थे| सोनू के पास मोटरसाइकिल था| 1 दिन मोनू ने सोनू को कहा कि मुझे 1 दिन के लिए तुम्हारा मोटरसाइकिल चाहिए| मैं इसके लिए तुम्हें पैसे भी दे दूंगा, मुझे कहीं बाहर जाना है| सोनू ने मोनू की बात मान ली और उसने मोनू को किराए पर 1 दिन के लिए मोटरसाइकिल दे दिया| फिर मोनू ने कहा कि अगर सोनू तुम फ्री हो तो तुम भी मेरे साथ चल सकते हो हम कल वापस आ जाएंगे| सोनू झट से तैयार हो गया| 

वह दोनों मोटरसाइकिल पर सवार होकर पहाड़ों में जा रहे थे| गर्मी का मौसम था, उस दिन हद से ज्यादा गर्मी पड़ रही थी| दोनों ने काफी दूर जाना था| उन्हें अपनी मंज़िल पर पहुंचने में कम से कम 6 से 7 घंटे लगने थे| दोनों ने सोचा कि हम थोड़ी देर रुक जाते हैं और आराम कर लेते हैं| उन दोनों ने पहाड़ के एक साइड पर मोटरसाइकिल किनारे पर खड़ा कर दिया और दोनों मोटरसाइकिल के नीचे छांव में बैठ गए| 

थोड़ी देर दोनों बैठे रहे फिर जैसे-जैसे सूरज ढलता गया मोटरसाइकिल की छांव भी कम होती गई| अब मोटरसाइकिल की छांव में सिर्फ एक आदमी के बैठने के लिए ही जगा थी| सोने ने मोनू को धक्का दे दिया और खुद छांव के नीचे बैठा गया| फिर मोनू ने कहा कि मैंने आज के दिन के लिए तुम्हारा मोटरसाइकिल किराए पर लिया है| इसलिए इस छांव पर मेरा हक है| तुम मुझे धक्का नहीं दे सकते और मुझे छांव के नीचे बैठने दो| 

फिर सोनू ने कहा कि मैंने तुम्हें किराए पर 1 दिन के लिए मोटरसाइकिल दिया है, उसकी छांव नहीं दी| इस बात पर दोनों के बीच बहस हो गई और फिर बढ़ते बढ़ते लड़ाई तक पहुँच गई| दोनों एक दूसरे को धक्का मारने लगे इतने में मोनू का पाँव खड़े हुए बाइक पर जा लगा और बाइक पहाड़ से नीचे गिर गया| 

नैतिक शिक्षा

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें मिल जुल कर रहना चाहिए। क्योंकि लड़ाई झगड़ा करने से कभी किसी का भला नहीं हुआ बल्कि नुकसान ही हुआ है।

क्रैश फ्लाइट और भगवान को कोसते आदमी की कहानी

यह बात मुंबई शहर की है| एक बार मुंबई से दिल्ली के लिए एक फ्लाइट रवाना हुई| उस दिन मौसम भी थोड़ा सा खराब था| खराब मौसम के चलते हुए जहाज क्रैश हो गया और उस जहाज में बैठे सभी लोगों की उसी समय मौत हो गई है| यह खबर टीवी पर न्यूज़ के हर चैनल पर आने लगी| मानो कि उस दिन के लिए फ्लाइट क्रैश होने की खबर एक ब्रेकिंग न्यूज़ बन गई थी| 

तभी एक बुड्ढा आदमी पार्क में बैठा इस न्यूज़ को अपने स्मार्टफोन में देखा रहा और न्यूज़ देखने के बाद वह बहुत ज्यादा दुखी हो गया| वह इतना परेशान हो गया कि भगवान को कोसने लगा और कहने लगा कि हे भगवान तुमने यह क्या किया है? तुमने एक आदमी की गलती की सजा इतने लोगों को दे दी| इतने में ही एकदम से उसके हाथ के ऊपर आकर किसी चींटी ने काट लिया और उसका हाथ लाल हो गया| 

यह देखकर उस बुड्ढे आदमी को इतना गुस्सा आया कि उसने उस उस चींटी के साथ-साथ उसके आसपास जितनी भी चीटियां थी सभी को कुचल दिया और सभी को मार दिया| तभी एक आदमी वह दूर बैठा उस बुड्ढे आदमी की बात सुन रहा था और उसे देख भी रहा था| चीटियां को मरता हुआ देख वह बुड्ढे आदमी के पास आया और उसने बुड्ढे आदमी को कहा कि तुम अभी 2 मिनट पहले भगवान को कोस रहे थे और तुमने खुद ही यह क्या किया है? 

एक चींटी ने तुम्हे काटा तो तुमने सभी चीटियों को मार दिया| अब तुम खुद सोचो जो तुम भगवान को कोस रहे थे तुमने भी तो वही किया है| तुम में और उस फ्लाइट के पायलट में कोई ज्यादा फर्क नहीं रहा| उस पायलट की एक गलती की वजह से सभी लोग मर गए, ठीक उसी तरह तुम्हारे गुस्से की वजह से सभी चीटियां मर गई। उस आदमी की बात सुनकर बुड्ढा आदमी बहुत शर्मिंदा हुआ|

नैतिक शिक्षा

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि दूसरों को दोष देने से कुछ नहीं मिलता| दूसरों को दोष देने से पहले हमें खुद के गिरेबान की ओर पहले झांकना चाहिए।

प्रयास करने से कभी पीछे ना हटे

एक बार मुंबई शहर में मरीन ड्राइव के पास एक छोटा लड़का घूम रहा था| अचानक उसी समय मरीन ड्राइव में पानी का तूफान आ गया| जिससे काफी पानी बाहर गिरने लगा और पानी के साथ-साथ छोटी-छोटी मछलियां भी बाहर गिरने लगी| वह लड़का इस पूरे दृश्य को दूर खड़ा देख रहा था| 

वह लड़का पानी के पास गया, उसने किनारे पर पड़ी मछलियों को देखा तो मछलियां तड़प रही थी| उसने मछलियों को उठाकर पानी के अंदर फेंकना शुरू कर दिया| वह लगातार मछलियां उठाता रहा और एक-एक करके पानी के अंदर फेंकता रहा| इतने में एक बुजुर्ग आदमी उसके पास से गुजर रहा था| 

उसने देखा कि लड़का एक-एक करके मछली को पानी के अंदर फेंक रहा है| उसने लड़के को बोला बेटा तुम जो प्रयास कर रहे हो इससे कोई फायदा नहीं होगा तुम अपना समय बर्बाद कर रहे हो। उस समय उस छोटे से लड़के के हाथ में एक मछली थी| उसने मछली को पानी के अंदर फेंक दिया और वह मछली तैरने लगी और पानी के अंदर घुस गई| 

फिर उस लड़के ने उस बुजुर्ग आदमी को कहा कि देखो मेरे इतने से प्रयास से कम से कम एक मछली की तो जान बच गई| इसलिए मुझसे जितना हो सका मई उतनी मछलियों की जान तो बचा ही सकता हूँ। 

नैतिक शिक्षा

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमारा प्रयास व्यर्थ जाएगा यह सोचकर कभी भी पीछे नहीं हटना चाहिए| बल्कि छोटे बड़े हर प्रयास के लिए तैयार रहना चाहिए।

सोनू मोनू और मछलियों के शिकार की कहानी

सोनू और मोनू 2 दोस्त थे| उन दोनों को घूमने-फिरने और शिकार करने का शौक था| वह अक्सर कि घूमते फिरते रहते थे और खली समय में शिकार करने के लिए निकल जाते थे| एक बार दोनों ने सोचा कि हम कहीं दूर घूमने चलते हैं| उन दोनों ने हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला शहर में जाने का सोचा| उन दोनों ने समान बैग में डाला और अगले दिन सुबह हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला लिए बस पर निकल गए| 

पहले दिन वह काफी घूमे फिरे| फिर उन्होंने सोचा कि अब हम इतनी दूर घूमने आए हैं तो पास में ही काफी घने सारे जंगल है क्यों ना हम थोड़ा शिकार भी कर ले| तो सोनू ने मोनू को बोला ठीक है हम ऐसा ही करते हैं| हम ऐसा करते हैं कि आज घूमते हैं और कल पास के जंगल में शिकार के लिए निकलते हैं| 

अगली सुबह हुई उन्होंने सुबह ब्रेकफास्ट किया और जंगल के लिए निकल गए| सुबह से दोपहर हो गई और दोपहर से शाम हो गई| लेकिन जंगल में उन्हें कोई भी जानवर नहीं मिला, जिसका वह शिकार कर सके| फिर सोनू को प्यास लगी तो मोनू ने सोनू को कहा कि देखो वहां पर झरना है| जो कि नीचे काफी बड़ी नदी के साथ मिल रहा हैं| हम वह पानी पीने चलते है| तो सोनू ने कहा ठीक है चलो चलते हैं| 

फिर वह दोनों वहां पानी पीने के लिए चले गए| पानी काफी ठंडा था, उन्होंने पानी पिया और फिर उसी झरने में नहाने लगे| नहाने के बाद उन्होंने सोचा कि हम थक गए हैं चलो हम यहीं आसपास कुछ देर आराम कर लेते हैं| सोनू नदी के किनारे लेट गया और मोनू थोड़ी दुरी पर पेड़ के नीचे ठंडी हवा में सो गया| दोनों को नींद आ गई| 

फिर सोनू की आँख खुली तो उसने देखा कि नदी में काफी सारी छोटी-छोटी मछलियां है| उन्हें देखकर सोनू ने सोचा क्या हुआ अगर हम जानवर का शिकार नहीं कर पाए, हम इस मछलियों का ही शिकार कर लेते हैं| सोनू भाग कर मोनू के पास गया और उसे उठे के लिए बोला| सोनू ने मोनू से बोला उठो जल्दी करो बहुत अच्छी खबर है| मोनू ने सोनू को पूछा कि क्या हुआ? फिर सोनू ने कहा, मै जिस नदी के पास सो रहा था| उस नदी के अंदर मैंने काफी सारी मछलियों को देखा है| चलो मैं तुम्हें दिखाता हूँ|

वह दोनों नदी के पास गए और वहां मछलियां घूम रही थी| तो सोनू ने कहा कि हम इनका शिकार करते हैं| यहां से हम मछलियां पकड़ कर ले जाएंगे और यही लोकल मार्केट में इनको बेचकर अच्छे पैसे कमा लेंगे| तो मोनू ने कहा ठीक है लेकिन इसके लिए हमे जाल चाहिए होगा| तो चलो अब हम जाल लेने चलते हैं, सोनू ने कहा हम कल सुबह जाल लेने के लिए जाएंगे और फिर वापिस नदी पर आ कर मछली को पकड़ लेंगे| 

सोनू और मोनू की बात नदी के अंदर तैर रही मछलियां सुन थी| मछलियां बात सुनकर घबरा गई और वह भागकर अपने राजा मगरमच्छ के पास चली गई| उन्होंने मगरमच्छ को सारी बात बताई कि हमारी नदी के बाहर दो शिकारी बैठे हैं जो हमारा शिकार करने के लिए आए हैं| यह सुनकर मगरमच्छ को बहुत गुस्सा आया| उसने बोला चलो आज हम उन शिकारियों का शिकार करते हैं| वैसे भी हमें काफी समय हो गया है कि हमने इंसान का मांस नहीं खाया है| 

मगरमच्छ अपने मछलियों के साथ नदी के किनारे की ओर निकल पड़ा| उधर सोनू और मोनू ने सोचा कि यहां रात को रुकने का कोई फायदा नहीं है, हम ऐसे करते हैं कि हम वापस अपने होटल चलते हैं और अगले दिन सुबह जल्दी उठकर जाल खरीद लेंगे और फिर यह वापस इसी नदी के किनारे पर आ जाएंगे| फिर वह दोनों वहां से चले गए और इतने में मगरमच्छ मछलियों के साथ नदी के किनारे पर आ गया उसने देखा कि वहां पर कोई भी शिकारी नहीं है| यह देखकर मगरमच्छ को और भी ज्यादा गुस्सा आ गया| 

फिर मछलियों ने बोला कि महाराज हो सकता है कि वह दोनों जाल खरीदने के लिए गए हो| वह कल जाल लेकर वापस जरूर आएंगे| तो मगरमच्छ ने मछली को बोला ठीक है, ऐसे करते हैं कि मै कल जल्दी सुबह-सुबह पानी से बाहर निकल जाऊंगा| जब वो शिकारी हमारा शिकार करने आएंगे, मै उनका शिकार कर दूंगा| 

ठीक वैसा ही हुआ| अगले दिन सुबह हुई, वह दोनों जल लेकर नदी की ओर आ रहे थे तभी सोनू का ध्यान मगरमच्छ पर पड़ा| उसने मोनू को बोला कि हमें यहां से भागना होगा क्योंकि मैंने अभी पेड़ के पीछे मगरमच्छ को देखा है और वह हमारा शिकार करने के लिए बैठा है| यह सुनकर सोनू और मोनू दोनों वहां से जाल छोड़कर भाग गए और इस प्रकार मगरमच्छ ने मछलियों का शिकार होने से बचा लिया।

नैतिक शिक्षा

इस कहानी से हमे यह शिक्षा मिलती है कि हमे अपने मनोरंजन और लालच के लिए किसी को नुक्सान नहीं पहुंचना चाहिए|

लेखक और नौजवान लड़के की काबिलियत की कहानी

यह कहानी हिंदी के मशहूर लेखक शिव कुमार बटालवी जी से जुड़ी हुई है| शिव कुमार बटालवी जी का जीवन शुरुआत में बहुत ज्यादा संघर्ष से भरा हुआ था|  उन्होंने अपने शुरुआती दौर में बहुत ज्यादा मेहनत करी और अपनी मेहनत की बदौलत ही आज उन्होंने इतना नाम कमा लिया है कि आज उन्हें हर कोई जानता है| 

1 दिन की बात है कि एक बार बटालवी जी को उनके बटाला शहर के बड़े कॉलेज में चीफ गेस्ट के तौर पर आमंत्रित किया गया था और बटालवी जी ने कॉलेज की इस बिनती को स्वीकार कर लिया था| फिर 1 हफ्ते के बाद कॉलेज में एक प्रोग्राम था| वहां पर बटालवी जी पहुंचे उन्होंने पूरा प्रोग्राम देखा, प्रोग्राम बहुत अच्छे से चल रहा चला और उनको भी बहुत अच्छा महसूस हुआ| फिर प्रोग्राम खत्म हो गया और बटालवी जी के ऑटोग्राफ लेने के लिए वहां पर कॉलेज के छात्रों की काफी बड़ी भीड़ जमा हो गई| 

सभी लोग बटालवी जी से ऑटोग्राफ ले रहे थे| तभी एक नौजवान लड़का वहां पहुंचा उसने अपने ऑटोग्राफ बुक निकाली और बटालवी जी को ऑटोग्राफ के लिए दे दी| उस नौजवान ने बटालवी जी से कहा कि मुझे भी लिखने का बहुत शौक है| मैं भी काफी कुछ लिखता हूँ| लेकिन अभी तक कोई भी पुस्तक को पब्लिश नहीं कर पाया हूँ| लेकिन एक दिन मैं जरूर पब्लिश करूंगा| मुझे कुछ ऐसा सन्देश दी जिए कि मैं भी आगे चलकर एक अच्छा लेखक बन सकूं| 

बटालवी जी ने युवक की बात सुनी और फिर उसकी ऑटोग्राफ बुक पर संदेश लिखा और उस पर ऑटोग्राफ करके लड़के को बुक वापिस दे दी| लड़के ने बुक खोली तो उस पर लिखा था कि तुम दूसरों के ऑटोग्राफ लेने में अपना समय बर्बाद मत करो| खुद को इस काबिल बनाओ कि लोग तुम्हे ऑटोग्राफ लेने के लिए आए| इस बात को पढ़कर लड़का को बहुत अच्छी सीख मिली और उसने बटालवी को बोला कि आप ने जो संदेश दिया है इस पर मैं जीवन भर अमल करूंगा| फिर बटालवी जी वहां से चले गए| 

नैतिक शिक्षा

इस कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है कि दूसरों के पीछे भागने की बजाय खुद इतनी मेहनत करो कि तुम खुद की एक अलग पहचान बना सको।

Conclusion

आपके साथ इस कहानी को शेयर करने का मकसद यही था कि आपको समझ आ सके कि कभी भी ज्यादा पैसे कमाने के चक्कर में ऐसे गलत तरीकों का इस्तेमाल नहीं करना है| हो सकता है कि शुरुआत में आप ऐसे तरीकों में फंसकर पैसा कमा लें और आपको काफी अच्छा भी महसूस हो, लेकिन एक दिन आप अपना सारा पैसा इसमें गवाह भी सकते हैं| इसलिए ऐसे गलत तरीकों से खुद को बचाएं और दूसरों को भी ऐसे तरीकों में फंसने से रोके| 

उम्मीद करते हैं कि हमारे द्वारा शेयर करी गई कहानी Moral Story in Hindi For Class 6 आपको पसंद आई होगी और इस कहानी से आपको काफी कुछ सीखने को मिला होगा| अगर इस कहानी से संबंधित आप हमें कोई सलाह देना चाहते हैं तो नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट कर सकते है|

FAQ (Frequently Asked Questions)

कक्षा 6 से की कहानी से हमे क्या सीखने को मिला है?

कक्षा 6 की कहानी से हमें यह सीखने को मिला है कि हमें कभी भी लालच नहीं करना चाहिए और कभी भी पैसा कमाने के चक्कर में गलत तरीकों में नहीं फंसना चाहिए।

क्या कक्षा 6 की कहानी का मकसद सिर्फ मनोरंजन है?

जी नहीं कक्षा 6 की कहानी से हमें सही और गलत के चुनाव करने की प्रेरणा मिलती है और हमें गलत तरीकों से पैसा कमाने या कोई अन्य काम करने से बचने की शिक्षा भी मिलती है।

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