Top 10+ Long Moral Stories in Hindi | Long Moral Stories For Kids in Hindi

दोस्तों क्या आप भी Long Moral Stories in Hindi के बारे में सर्च कर रहे हैं? अगर ऐसा है तो आप बिल्कुल सही जगह पर है, क्योंकि आज के इस पोस्ट में हम आपके साथ नैतिक शिक्षा से भरपूर दिलचस्प कहानियां शेयर करने जा रहे हैं| जिन्हें पढ़ने के बाद आपको अपने जीवन के लिए काफी अच्छी शिक्षा भी मिलेंगी| 

जब हमने देखा कि काफी लोग बच्चों के लिए कहानियों के बारे में इंटरनेट पर सर्च कर रहे हैं, तब हमने खुद इसके ऊपर रिसर्च शुरू करी और रिसर्च पूरी करने के बाद ही आज हम आपके साथ कुछ खास चुनिंदा और दिलचस्प कहानियां शेयर करने जा रहे हैं| तो चलिए दोस्तों अब हम शुरू करते हैं।

भालू और 2 दोस्तों की कहानी – Long Moral Stories in Hindi

एक बार एक गांव में 2 दोस्त रहते थे| एक दिन उनको किसी काम के लिए दूसरे गांव में जाना था| लेकिन दूसरे गांव में जाने के लिए उन्हें जंगल के बीच के रास्ते से गुजरना पड़ना था| वह जंगल बहुत ही डरावना था| जंगल में काफी जहरीले जानवर रहते थे| जंगल में सांप, तेंदुए, लोमड़ी, भालू रहते थे| लेकिन उन दोनों के पास और कोई रास्ता नहीं था कि वह इस जंगल की बजाए किसी और रास्ते से दूसरे गांव में जा सके| 

फिर उन दोनों ने हिम्मत दिखाई और एक दूसरे से कहा कि हम वादा करते हैं कि अगर हम में से कोई भी मुसीबत में हुआ तो दूसरा दोस्त उसकी मदद करेगा, उसको छोड़ कर नहीं भागेगा| दूसरे दोस्त ने कहा ठीक है ऐसा ही करेंगे| फिर दोनों जंगल में घुस गए और अपने रास्ते पर चलते गए| थोड़ी देर से दूरी चलने के बाद जंगल में उन्हें आवाज सुनाई दी और झाड़ियों के पीछे काले रंग की आकृति दिखाई दी, लेकिन उन्हें कुछ पता नहीं चल रहा था कि जंगल में कौन सा जानवर है| 

तभी झाड़ियों के पीछे से एक जंगली भालू निकला| फिर एक दोस्त ने दूसरे दोस्त को कहा कि अभी तक भालू ने हमें देखा नहीं है| हमे यहाँ से जल्दी भागना होगा|  पहला दोस्त भाग कर पेड़ के ऊपर चढ़ गया और दूसरा दोस्त वही पेड़ के नीचे खड़ा रहा, क्यूंकि उसे पेड़ के ऊपर चढ़ना नहीं आता था| 

फिर दूसरे दोस्त ने अपने पहले दोस्त को कहा कि हे दोस्तों मुझे पेड़ के ऊपर चढ़ने में मदद करो नहीं तो यह भालू मुझे खा जाएगा| लेकिन उसके दोस्त ने बिलकुल भी मदद नहीं करी और खुद पेड़ को कस के पकड़ कर ऊपर बैठा रहा| 

लेकिन पेड़ के नीचे खड़े लड़के को यह मालूम था कि भालू मरी हुई चीजों का शिकार नहीं करता है| इसलिए वह भागकर जमीन के ऊपर लेट गया| जैसे ही भालू उसके पास पहुंचा, लड़के ने अपनी सांसे बंद कर ली| भालू ने आकर लड़के को देखा और सूंघने लगा| फिर भालू वहां से चला गया| 

जैसे ही भालू वहां से गया, लड़का जमीन से उठ गया और दूसरा दोस्त भी पेड़ से उतर कर जमीन पर आ गया और अपने दोस्त को कहने लगा कि मैंने देखा भालू तुम्हारे कान में कुछ कह रहा था और फिर चला गया| फिर जमीन पर पड़े लड़के ने कहा कि बालू ने मुझे यही कहा कि झूठे दोस्तों से सावधान रहो और ऐसी सांगत से दूर रहो।

नैतिक शिक्षा

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें बुरी संगत से दूर रहना चाहिए।

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हाथी और चतुर खरगोश की कहानी

दक्षिण भारत के जंगलों में एक हाथी का समूह रहता था| वह वहां पर काफी वर्षों से रह रहे थे| एक बार उस जंगल में अकाल पड़ गया, पानी सूख गया और हरियाली खत्म होने लगी| इस काल की वजह से हाथी भूखे प्यासे मरने लगे| हाथियों की यह हालत देखकर हाथियों के समूह ने अपने समूह के सरदार से बात करने की सोची| 

सभी हाथी अपने सरदार के पास गए और सरदार से कहा कि हे गजराज! इस वन में अकाल पड़ गया है,पीने को पानी नहीं है, हरियाली खत्म हो रही है| अगर हम यहां और समय रुके तो हम सभी मर जाएंगे| इसलिए हमें इस जंगल को छोड़कर किसी और जंगलमें जाना चाहिए| 

सभी हाथियों की बात सुनकर समूह का सरदार उनके साथ सहमत हो गया और फिर थोड़ी देर सोचने के बाद सरदार ने कहा कि यहां से काफी दुरी पर एक तालाब है जो हमेशा पानी से भरा रहता है| उसमें कभी भी सूखा नहीं पड़ता| हम कल ही सुबह उस तालाब की ओर जाएंगे, वहां से पानी पी लिया करेंगे| फिर सभी हाथी अगली सुबह उठते ही उस तालाब की ओर निकल पड़े|  3 दिन और 2 रातों का सफर करने के बाद सभी हाथी उस तालाब के पास पहुंच गए| तलाब पानी से भरा हुआ था| यह देखकर सभी हाथी खुश हो गए| 

सभी हाथियों ने वहां पर पानी पिया और उस तालाब में आपस में खेलने लगे| तालाब में काफी समय बिताने के बाद हाथी वहां से वापस जाने लगे| लेकिन रास्ते में वहां पर खरगोशों की बिले थी| जिसके बारे में हाथियों को कोई भी जानकारी नहीं थी| वापस जाते हुए बिले हाथियों के पांव के नीचे दब गई|

काफी बिले टूट गई, काफी खरगोश घायल हो गए और काफी खरगोश मर भी गए| यह देखकर सभी खरगोश इकट्ठे हुए और उन्होंने सभा बुलाई और इस बात पर चर्चा करी कि हाथी अब रोज जहां पानी पीने आया करेंगे ऐसे तो हम बहुत जल्द सभी मर जाएंगे और हमारी नस्ल ही खत्म हो जाएगी हमें इसका कोई समाधान ढूंढना चाहिए| 

फिर खरगोश ने कहा कि वह इस जंगल से दूर किसी और जंगल में रहने लग जाएंगे| लेकिन फिर एक खरगोश सामने आया| उसने कहा कि हम यहाँ काफी समय से रह रहे हैं| इस जमीन पर हमारा अधिकार है| हम इसको छोड़ कर क्यों जाएं? हमें उन हाथियों को यहां आने से रोकना होगा| फिर खरगोश के समूह ने कहा कि हाथियों से बात कौन करेगा? उन्हें आने से कौन रोकेगा?

खरगोश ने कहा कि मैं हाथियों के सरदार से बात करूंगा| अगला दिन हुआ सभी हाथी वहां पर आ रहे थे| वहीँ रास्ते में तालाब के पास एक बड़ा सा पत्थर पड़ा था| खरगोश पत्थर के ऊपर चढ़ गया| जैसे ही हाथी पत्थर के पास आये| खरगोश ने बड़ी नम्रता के साथ कहा हे गजराज! क्या आपको मालूम नहीं यह सरोवर चंद्रमा पर रहने वाले खरगोश का है| इसके पानी का हम इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं| अगर आप इस तालाब के पानी का इस्तेमाल करना चाहते हैं तो पहले आपको चंद्रदेव से पूछना होगा| 

इस पर हाथियों के सरदार ने कहा कि मैं कैसे मान लूँ कि यह तालाब चंद्रदेव का है, क्या तुम मुझे उनके दर्शन करवा सकते हो? चतुर खरगोश ने हाथियों के सरदार कहा मैं आपको अभी चंद्रदेव के दर्शन करवाता हूँ| उस समय चंद्रमा की छाया तालाब के ऊपर गिर रही थी जैसे ही हाथी तालाब के पास पहुंचा उसने चंद्रमा की छाया को चंद्रदेव समझा और उसे प्रणाम किया और फिर वहां से चला गया| इस प्रकार चतुर खरगोश ने हाथियों को वहां आने से रोक लिया और अपने दूसरे खरगोश साथियों की जान भी बचा ली|

नैतिक शिक्षा

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि बुद्धिमानी से हम किसी भी समस्या का हल निकाल सकते हैं।

हंसना मना है

पिंकी और रोहन 2 अच्छे मित्र थे| वह साथ में खेलते थे और साथ में ही स्कूल जाया करते थे| वह दोनों हर समय हंसते रहते थे| एक दिन पिंकी स्कूल थोड़ी देर से पहुंची और जाकर चुपचाप अपनी जगह पर बैठ गई| पिंकी ने रोहन को बुलाया तक नहीं बीएस चुपचाप बैठी रही| इतनी देर में क्लास में उनकी टीचर भी आ गई|  टीचर ने अटेंडेंस लगानी शुरू करदी| 

जब पिंकी की बारी आई तो टीचर ने पिंकी के नाम बुलाया, लेकिन पिंकी ने कोई जवाब नहीं दिया| फिर टीचर ने दोबारा से जोर से पिंकी का नाम बुलाया और पिंकी ने हाथ खड़ा कर दिया लेकिन कुछ बोली नहीं| फिर टीचर ने पिंकी से पूछा कि क्या हुआ? तुम बोल क्यों नहीं रही हो? तुम्हारे घर पर किसी को कोई परेशानी हुई है? पिंकी ने फिर से सिर हिला दिया, लेकिन मुंह से कोई भी जवाब नहीं दिया| 

रोहन भी पास बैठा सब कुछ देख रहा था और वह पिंकी को हसाना चाहता था| लेकिन पिंकी किसी को भी नहीं देख रही थी| रोहन का अपना ही अंदाज था, वह पिंकी को भलीभांति जानता था| रोहन ने अपने बैग से हरे रंग का रबड़ का कछुआ निकाला और पिंकी की ओर दौड़ने लगा| 

जैसे ही रोहन पिंकी के पास पहुंचने लगा उसके हाथ से कछुआ फिसल गया और पिंकी ने झट से कछुए को गिरने से बचा लिया और उसे पकड़ लिया और फिर पिंकी जोर-जोर से हंसने लगी| जैसे ही पिंकी हंसने लगी तो रोहन और बाकी छात्रों ने देखा कि पिंकी के अगले 4 दांत टूटे हुए हैं| जिसकी वजह से पिंकी कुछ नहीं बोल रही थी।

शेर का तीसरा पुत्र

एक जंगल में एक शेर और शेरनी रहते थे| वह दोनों आपस में बड़ा प्रेम करते थे और साथ में ही शिकार करने के लिए जाया करते थे और साथ में ही शिकार को खाते थे| कुछ समय बिता और शेरनी के दो बच्चे पैदा हो गए| फिर शेर ने शेरनी से कहा कि तुम घर पर रहो और इन बच्चों का ख्याल रखो| मैं तुम्हारे लिए शिकार करके लाऊंगा| 

शेर शिकार की तलाश में जंगल की ओर निकल गया काफी देर भटकने के बाद शेर को कोई भी शिकार नहीं मिला| फिर वहां उसे एक लोमड़ी का छोटा सा बच्चा दिखाई दिया| शेर लोमड़ी के बच्चे को उठाकर शेरनी के पास ले गया और कहा कि यह रहा लोमड़ी का बच्चा, तुम इसका शिकार करके खा लो| इस बच्चे को देखकर मेरा मन इसका शिकार करने को नहीं हुआ, इसलिए मैं तुम्हारे पास ले आया| 

शेरनी ने कहा कि जब तुम्हारा मन नहीं हुआ शिकार करने का तो मेरा मन कैसा होगा? फिर शेरनी अपने दोनों बच्चों के साथ ही लोमड़ी के बच्चे को पालने लगी| शेरनी के तीनों बच्चे साथ में खेलते, साथ में खाना खाते हैं| थोड़ा समय बीता और शेरनी के बच्चे और लोमड़ी के बच्चा बड़े हो गए|

फिर एक दिन तीनों बच्चे जंगल में चले गए| वहां पर उन्होंने हाथी को देखा, शेर के दोनों बच्चे हाथी के पीछे दौड़ने लगे, लेकिन लोमड़ी का बच्चा वही खड़ा रहा और शेर के बच्चे को कहने लगा कि तुम दोनों हाथी के पास मत जाओ, हाथी तुम्हें पैर के नीचे कुचल देगा| 

लेकिन शेर के बच्चों ने लोमड़ी के बच्चे की बात नहीं सुनी और हाथी के पीछे दौड़ने लगे| फिर कुछ देर के बाद तीनों बच्चे घर वापस आ गए और घर आकर शेर के बच्चों ने अपनी मां को जंगल की सारी बात बताई और कहा कि हम दोनों हाथी के पीछे दौड़ रहे थे और हमारा भाई हाथी से डरकर वहीं खड़ा रहा| यह बात सुनकर लोमड़ी के बच्चों को गुस्सा आ गया और कहने लगा कि क्या तुम दोनों मुझे डरपोक समझते हो? अगर हिम्मत है तो आओ मैं तुम दोनों को अभी जमीन पर पटक दूंगा| 

फिर शेरनी लोमड़ी के बच्चे को कहती है कि यह दोनों तुम्हारी शिकायत नहीं कर रहे हैं| यह मुझे पूरा वाक्य बता रहे हैं कि जंगल में क्या हुआ है| शेरनी के मुंह से यह बात सुनने के बाद लोमड़ी के बच्चे को और भी गुस्सा आ गया और कहने लगा कि माँ तुम भी मुझे डरपोक समझती है| इन दोनों में इतनी हिम्मत है तो आओ मेरे साथ लड़ो में इन्हे अभी जमीन पर पटक दूंगा| 

तब शेरनी ने लोमड़ी के बच्चे को समझाया कि ऐसे बढ़ चढ़कर बोलने से कोई फायदा नहीं है| इसमें कोई लत बात नहीं है तुम हाथी को देखकर डर गई है, यह तुम्हारे वंश इसके गुण है| यह सुनकर लोमड़ी का बच्चा आश्चर्यचकित हो गया और पूछने लगा कि मां तुम क्या कह रही हो?

 फिर शेरनी लोमड़ी के बच्चे को अपने दोनों बच्चों से थोड़ा दूर ले गई और उसे कहने लगी कि मैंने तुम्हें अपने बच्चों के जैसे पाला है, वह दोनों शेर के बच्चे हैं इसलिए वह हाथी के पीछे दौड़ गए, लेकिन इतनी परवरिश करने के बावजूद भी तुम्हारे अंदर तुम्हारे लोमड़ी वंश के गुण ही आए हैं| इसलिए तुम हाथी से डर गए| 

असल में तुम मेरे नहीं लोमड़ी के बच्चे हो| एक दिन शिकार करते हुए तुम्हारे पिता तुम्हें यहां उठा कर ले आए थे तब से मैं तुम्हें भी अपने बच्चों के साथ पालकर बड़ी कर रही हूं| अभी तुम तीनों इतने बड़े नहीं हुए हो लेकिन मैं नहीं चाहती कि मेरे दोनों बच्चों को हमारी सच्चाई के बारे में थोड़ी सी भी भनक लगे| अगर उनको इस बात की भनक लग गई तो वह तुम्हारा शिकार करके तुम्हें खा जाएंगे|

इसलिए मैं चाहती हूं कि इससे पहले उन्हें पता लगे तुम यहां से चली जाओ| यह सुनकर लोमड़ी का बच्चा चुपके से वहां से भाग कर निकल गया और कभी भी वापस शेर शेरनी और उसके बच्चों के पास नहीं आया|

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आलसी आदमी की सोच की कहानी

एक बार गांव में एक आदमी रहता था| वह बहुत ज्यादा आलसी था| वह कोई भी काम करके खुश नहीं था| वह इतना ज्यादा आलसी था कि वह अपने भोजन का प्रबंध करने के लिए भी कोई काम नहीं करता था, बस वह एक जगह बैठा रहता था और अपने भोजन के प्रबंध के बारे में सोचता रहता था| फिर एक दिन वह आदमी गांव में जा रहा था, तब उसे रास्ते में एक बगीचा दिखाई दिया| 

उसने बगीचे में जाकर देखा तो पेड़ पर काफी सारे आम लगे हुए थे| आम को देखकर आदमी खुश हो गया और उसने आम खाने के बारे में सोचा| आलसी आदमी उसी समय पेड़ के ऊपर चढ़ गया| लेकिन कुछ ही देर में वहां पर बाग का मालिक आ गया| मालिक को देख कर आलसी आदमी भागने लगा और भागता भागता वह जंगल में पहुंच गया| वहां वह एक पेड़ के नीचे बैठ गया| 

तभी उसने देखा कि वहां पर एक लोमड़ी जा रही है, जिसकी एक टांग टूटी हुई है| फिर उस आदमी के मन में लोमड़ी का शिकार करने की इच्छा हुई और सोचने लगा कि इसका शिकार कैसे किया जाए| फिर वह आदमी पेड़ के ऊपर चढ़ गया और सोचने लगा की ऐसी हालत में भी लोमड़ी कैसे बच गई है, अभी तक किसी भी जानवर ने इसका शिकार क्यों नहीं किया? यह देखने के लिए वह पेड़ के ऊपर बैठा रहा| 

कुछ ही देर में जंगल में शेर के दहाड़ने की आवाज आई| जंगल में सभी जानवर भागने लगे| लेकिन लोमड़ी वहीं पर खड़ी रही| थोड़ी ही देर में शेर भी वहां पर आ गया| आदमी ने सोचा अब तो लोमड़ी पक्का शेर का शिकार बनेगी| लेकिन वहां पर कुछ अजीब सा हुआ| शेर लोमड़ी के पास आकर खड़ा हो गया| 

उस समय शेर के मुंह में मॉस का टुकड़ा था| शेर ने मॉस का टुकड़ा लोमड़ी के आगे फेंका और वहां से चला गया चला गया| लोमड़ी  झट से मॉस के टुकड़े को खा लिया| यह देखकर आदमी बहुत ज्यादा परेशान हो गया और वहां से वापस अपने घर लौट गया| 

आलसी आदमी घर के अंदर ही बैठा रहा और सोचने लगा कि भगवन ने जानवरों के लिए भोजन का प्रबंध किया है तो मेरे लिए भी जरूर करा होगा| मेरे लिए भी कोई न कोई भोजन लेकर जरूर आएगा| लेकिन 1 दिन बीत गया और कोई भी भोजन लेकर नहीं आया| फिर भूख के मारे आलसी आदमी की हालत खराब होने लगी| फिर उस आदमी को भोजन की तलाश में घर से बाहर निकलना पड़ा| 

तभी घर से बाहर निकलते ही गांव में एक पेड़ के नीचे बाबा बैठा हुआ दिखाई दिए| आलसी आदमी बाबा के पास गया और जंगल में हुए सारे वाक्य के बारे में बताया और कहा कि भगवान मेरे साथ ही ऐसा क्यों करते हैं? जब लोमड़ी को भोजन देने के लिए शेर को भेज सकते हैं तो मुझे भोजन देने के लिए किसी को क्यों नहीं भेज रहे|

बाबा मुस्कुराते हुए बोले कि भगवान ने सबके लिए भोजन का प्रबंध करा हुआ है, तुम्हारे लिए भी करा हुआ है| लेकिन भगवान तुम्हें लोमड़ी नहीं शेर बनाना चाहते हैं।

नैतिक शिक्षा

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें अपनी खुद की क्षमताओं को पहचानना चाहिए, ना कि दूसरों की सहायता के लिए इंतजार करना चाहिए| बल्कि हमें खुद दूसरों की सहायता के लिए तैयार रहना चाहिए।

हीरे की खान

यह कहानी है अफ़्रीका के खदानों की है| एक समय में अफ़्रीका में हीरो की खानों की खदान हुई थी और काफी लोग वहां से हीरे निकालकर अमीर बन गए थे| एक बार अफ्रीका के इलाके में एक गांव में किसान रहता था जो खेती करता था और अपना घर का गुजारा करता था| लेकिन वह अक्सर ही बड़े बुजुर्गों से हीरो की खानों के बारे में कहानियां सुनता रहता था| यह बजुर्ग वही लोग थे जिन्होंने खुद किसी समय पर हीरो की खान की खुदाई करी थी और उन हीरों को बेचकर अमीर बन गए थे| 

फिर 1 दिन किसान ने सोचा कि मैं भी हीरो की खान की खोज करता हूं और हीरे बेचकर अमीर बन जाऊंगा| इसी सोच के साथ किसान ने अपने खेत बेच दिए और अफ्रीका के इलाके में हीरो की खान की तलाश में भटकने लगा| काफी दिन भटकने के बाद उसे कोई भी खान नहीं मिली, धीरे-धीरे किसान का मनोबल भी गिरने लगा और किसान इतना हताश हो गया था कि हताश होकर नदी में छलांग लगाकर खुदकुशी कर ली| 

लेकिन उधर दूसरी तरफ किसान ने अपने खेत जिस आदमी को बेचे थे वह अपने खेतों में पूरी मेहनत कर रहा था और पैसे कमा रहा था| उसके खेत के पास में एक नदी बहती थी| एक दिन वह नदी के पास गया और उसने देखा कि वहां पर एक पत्थर पड़ा है जिसके ऊपर धूप पड़ने से वह इंद्रधनुष के जैसे चमक रहा है|  फिर वह किसान उस नदी के पास गया और उसने पत्थर को उठाया| वह पत्थर देखने में बहुत सुंदर लग रहा था| किसान पत्थर को उठाकर अपने घर पर ले गया और उसने पत्थर को घर पर सजावट के तौर पर रख लिया| 

काफी दिन बीत गए और फिर 1 दिन किसान का दोस्त उसके घर पर आया| जब उसकी नजर पत्थर पर गिरी तो उसने अपने दोस्त को बोला कि क्या तुम जानते हो इस पत्थर की कीमत क्या है? तो किसान ने बोला कि नहीं मुझे नहीं मालूम| फिर उसके मित्र ने कहा कि शायद मुझे लगता है कि आज तक के जितने भी हीरों की खोज हुई है उसमें से यह सबसे बड़ा हीरा है, यह बहुत कीमती है|

फिर किसान ने अपने दोस्त को बताया कि उसे अपने खेत के पास बहती नदी से यह पत्थर मिला है| उसने कहा कि शायद हो सकता है कि वहां ऐसे और भी पत्थर हो| फिर वह दोनों उस नदी के किनारे पर चले गए और वहां जाकर उन्होंने काफी सारे पत्थर इकट्ठे कर लिए और फिर उन्होंने पत्थरों की जांच करने के लिए थोड़े से पत्थर जांच के लिए भेज दिए| कुछ समय के बाद पत्थर की रिपोर्ट आई तो उसमें पता चला कि यह पत्थर तो हीरा है|

अब तक की हुई खानों की खोज में से यह सबसे बड़ी खान निकली और किसान उन हीरो को बेचकर बहुत ही ज्यादा अमीर आदमी बन गया| दूसरी तरफ खेत का पहला मालिक हीरों की खोज में खेत को बेचकर भटक रहा था उसे यह नहीं मालूम था कि वह खुद हीरों की खान के ऊपर रहता है और हीरो की खोज में भटकते भटकते उसने अपनी जान गवा दी|

वानरराज का बदला

एक राघव नाम का राजा था उसके राज महल के बगीचों में बंदरों का समूह रहता था| वह बंदर उसी बगीचे में खाते थे| वहां खा खा कर बंदर खुद मोटे हो गए थे| बंदरों का एक राजा वनराज था वह बूढ़ा हो चुका था, लेकिन वह बहुत ही बुद्धिमान था| बंदरों के अलावा राज महल में 2 भेड़ें भी रहती थी| उनमें से एक भेड़ बहुत चटोरी थी| वह खाना खाने के लिए कहीं भी घुस जाती थी| वह कभी खाने के लिए रसोई में घुसती तो कभी राजमहल में घुस जाती थी| 

जब भी भेड़ रसोई में घुसती तो रसोई में पड़ी किसी भी चीज़ को उठाकर खाने लग जाती थी| यह देखकर रसोईया को बहुत गुस्सा आता और गुस्से में अपने हाथ आई किसी भी चीज़ को उठाकर भेड़ के ऊपर फेंक देता था| एक दिन वानराज राज महल की खिड़की के पास लगे पेड़ के ऊपर चढ़ा हुआ था| उसने देखा कि चटोरी भेड़ रसोई में घुस गई है और खाना खाने लग गई है और वही रसोइए ने गुस्से में आकर जो चीज उसके हाथ थी उसे उठाकर भेड़ के ऊपर फेंक रहा था| 

यह देखकर बंदरों का सरदार वानरराज चिंतित हो गया और सोचने लगा कि अगर किसी दिन रसोइए ने गुस्से में आकर भेड़ के ऊपर जलती हुई लकड़ी फेंक दी तो भेड़ का शरीर उन से ढका हुआ है और वह आग पकड़ लेगा| फिर भीड़ भागकर घोड़ों के तबेले में जाएगी वहां पर सूखी घास पड़ी होगी और उसमें भी आग लग जाएगी|

फिर घोड़े तबेले से भाग कर आएंगे तो हो सकता है कि हम बंदरों की जान चली है| फिर वनराज भाग कर अपने समूह के पास गया और उसने महल में हुई सारी घटना के बारे में बताया और कहा कि मुझे लगता है कि हमे अब इस महल को छोड़ देना चाहिए, नहीं तो हम अपनी जान से हाथ धो बैठेंगे| 

सभी बंदरों ने सोचा कि हमारा सरदार अब बूढ़ा हो गया है| अब उसे इतनी समझ नहीं रही है| फिर अगले दिन वानरराज राजमहल छोड़कर वहां से चला गया| लेकिन बाकी सब बंदर वही रहे, क्योंकि उन्हें राज महल में खाने की आदत पड़ चुकी थी| फिर काफी दिन बीत गए और चटोरी भेड़ फिर से रसोई में घुसी और रसोइए ने गुस्से में इस बार जलती हुई लकड़ी भेड़ के ऊपर फेंक दी| भेद के शरीर ने आग पकड़ ली और भेड़ भागकर तबेले में घुस गई| तबेले में भी आग लग गई| कुछ घोड़े मर गए और कुछ घोड़े जख्मी हो गए| 

फिर यह बात राजा के सैनिकों ने राजा को बताई| राजा ने उसी समय वैद को बुला लिया और घोड़ों का इलाज करवाना शुरू कर दिया। फिर वैद ने राजा को बताया कि घोड़ों के जख्म के ऊपर बंदरों की चर्बी लगानी पड़ेगी और राजा ने उसी समय अपने सैनिकों को आदेश दिया कि बगीचे में जो भी बंदर दिखे उसे मारकर उसकी चर्बी मेरे पास ले आए| फिर सैनिकों ने सभी बंदरों को मार दिया| इस बात की खबर वानरराज तक पहुंची, वह बहुत दुखी हुआ| 

वानरराज को बहुत ज्यादा गुस्सा आया हुआ था और वह राजा से बदला लेना चाहता था| राजा ने वानरराज के सारे समूश को खत्म कर दिया था| वानरराज राजा के वंश को खत्म करना चाहता था। लेकिन वह बिलकुल अकेला था| इसलिए कुछ कर नहीं पा रहा था| फिर एक दिन वानरराज ने देखा कि वहां पर एक तलाब है, जहां पर जब भी कोई जानवर या इंसान जाता है वह कभी भी वापस लौट कर नहीं आता है| तब वानरराज राय ने सोचा कि वहां पर जरूर कोई शैतान होगा जो उनको खा जाता है| 

वानरराज तलाब के पास पहुंचा तो उसने देखा कि वहां पर एक कमल का फूल लगा हुआ है, लेकिन उसे इस बात का ध्यान था कि अगर वह तलाब के अंदर पानी पीने के लिए जाएगा तो तलाब के अंदर का राक्षस उसे खा जाएगा| इसलिए वह अपनी चतुराई दिखाते हुए कमल की पत्ती से पानी पीने लगा और राक्षस अंदर से सब कुछ देख रहा था| राक्षस वानरराज की चतुराई से प्रसन्न हुआ और बाहर आकर वानरराज को बोला कि बताओ तुम्हें क्या वरदान चाहिए? 

फिर वानरराज ने कहा कि तुमने जो कंठहार पहन रखा है, यह मुझे दे दे| इसके बदले में मैं तुम्हारे पास राजा, उसके पुत्र, पत्नी, सैनिको सबको लेकर आऊंगा और तुम उन्हें खा जाना| तो राक्षस ने पूछा कि तुम ऐसा क्यों करोगे? फिर वानरराज ने सारी बात राक्षस को बताई कि कैसे राजा ने उसके सारे समूह को खत्म कर दिया है| अब वह राजा के पुरे वंश को ख़तम करना चाहता है| यह सुनकर राक्षस ने कंठहार वानरराज को दे दिया| 

वानरराज कंठहार पहनकर राज्य में घुस गया फिर वह एक डाल से दूसरी डाल पर छलांग लगाता रहा| तभी वहां राजा के सैनिकों ने वानरराज को पकड़ लिया और उसे राजा के पास ले गए| वानरराज के गले में कंठहार देखकर राजा हैरान हो गया और वानरराज से पूछने लगा कि तुम्हें यह कंठहार कहां से मिला है| फिर वानरराज ने राजा को बताया कि उसे यह कंठहार देवता ने दिया है और उसके पास अभी और भी बहुत सारे कबठार है| अगर आपको भी ऐसे कंथर चाहिए तो आपका मेर साथ जाना पड़ेगा| लेकिन एक आदमी को सिर्फ एक कंठहार ही मिलेगा|

राजा वानरराज की बातों में आ गया और वानरराज के साथ चलने के लिए तैयार हो गया| फिर अगले दिन राजा अपनी पत्नी, पुत्र, मंत्री और सैनिकों के साथ तालाब पर पहुंचा| फिर वानरराज ने कहा कि आप सबको अलग-अलग जगह से तालाब के अंदर डुबकी लगानी होगी| उसके बाद देवता खुश होकर आपको कंठहार देगा| राजा की पत्नी, पुत्र, मंत्री और सैनिक एक-एक करके नदी के अंदर जाने लगे और डुबकी लगाने लगे| 

काफी देर हो गई लेकिन कोई भी बाहर नहीं आया| फिर राजा ने वानरराज से पूछा कि अभी तक कोई भी बाहर क्यों नहीं आया है| फिर वानरराज भागकर पेड़ के ऊपर चढ़ गया और कहने लगा, हे मुर्ख तूने मेरे बंदरों के समूह को खत्म किया था, आज मैंने तेरे सारे वंश को खत्म कर दिया है| मेने आज तुमसे अपना बदला लिया है| 

नैतिक शिक्षा

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि अगर हम किसी के साथ बुरा करेंगे तो हमें उसका बुरा ही परिणाम मिलेगा।

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जीवन का मूल्य

एक बार की बात है कि एक लड़का अपने घर के बाहर बगीचे में मायूस बैठा था| तभी उसके पिता की नजर उस लड़के पर गई और वह अपने लड़के के पास बगीचे में चला गया| फिर पिता ने लड़के से पूछा कि बेटा क्या हुआ? तुम इतने मायूस क्यों लग रहे हो? तब बेटे ने कहा कि मैं कुछ सोच रहा हूं| पिता ने बोला कि बताओ क्या सोच रहे हो? मुझे भी तो पता चले| फिर बेटे ने कहा कि मैं सोच रहा हूं कि मेरे जीवन की कीमत कीमत क्या है? फिर पिता ने कहा कि मैं तुम्हें बताता हूँ| 

फिर लड़के का पिता घर के अंदर गया और अंदर से एक पत्थर उठा कर लाया, लड़के को पत्थर दे दिया और कहा कि तुम बाजार इस पत्थर को लेकर बाजार में जाओ और किसी जगह पर बैठ जाना| अगर कोई तुमसे पत्थर की कीमत पूछे तो तुम उसे कुछ मत कहना, बीएस अपनी 2 उँगलियों का इशारा दिखा देना| फिर लड़का पत्थर को लेकर बाजार में जाकर एकांत जगह पर बैठ गया| 

फिर लड़के के पास एक आदमी आया, उसने लड़के से पत्थर की कीमत पूछी| तो लड़के ने कुछ नहीं बोला सिर्फ दो उंगलियां खड़ी कर दी| फिर बूढ़े आदमी ने कहा 200 रुपए? ठीक है चलो मैं इसके तुम्हें 200 रुपए दे देता हूँ, तुम मुझे पत्थर दे दो| लड़के ने पत्थर बेचा नहीं और घर वापिस आ गया और अपने पिता को सारी बात बताई| 

तब लड़के के पिता ने कहा कि इस पत्थर को लेकर museum में जायो, जब कोई तुमसे पत्थर की कीमत पूछे तो तुम अपनी बस दो उंगलियां खड़ी कर देना|  लड़के ने ठीक वैसा ही किया| लड़का museum में जाकर एक जगह पर बैठ गया| तभी एक बिजनेसमैन उसके पास आया और पत्थर की कीमत पूछी| लड़के ने कुछ नहीं बोला और 2 उंगलियां खड़ी कर दी| फिर बिजनेसमैन ने कहा कि अच्छा 20000 रुपए? ठीक है मैं तुम्हें 20000 रुपए दे देता हूं तुम मुझे पत्थर दे दो| 

लड़का यह सुनकर हैरान हो गया, लेकिन उसने पत्थर नहीं बेचा और घर वापस आ गया और घर आकर पिता को सारी बात बताई| फिर पिता ने कहा कि तुम्हें मैं एक और जगह पर भेजता हूँ| तुम वहां जाकर बस दो उंगलियां खड़ी करना| फिर पिता ने लड़के को कीमती पत्रों की दूकान पर भेजा| लड़का दूकान पर जाकर खड़ा हो गया| तब दुकान के मालिक की नजर उस पत्थर पर गई| वह लड़के के पास आया और कहने लगा कि इस पत्थर को तो मैं कब से ढूंढ रहा हूं| मैं इसे खरीदना चाहता हूँ| 

फिर मालिक ने लड़के से पत्थर की कीमत पूछी तो लड़के ने दो उंगलियां खड़ी कर दी| फिर दुकान के मालिक ने कहा है अच्छा 2 लाख रुपए? ठीक है मैं तुम्हें 2 लाख रुपए दे देता हूँ| तुम मुझे पत्थर दे देना| यह सुनकर एक बार तो लड़के के होश ही उड़ गए कि इस पत्थर की इतनी ज्यादा कीमत| लड़के ने पत्थर नहीं बेचा और घर वापस आकर पिता को सारी बात बताई| 

तब लड़के के पिता ने मुस्कुराते हुए कहा जैसे पत्थर की कीमत हर जगह पर अलग-अलग थी| वैसे ही हमारी जिंदगी की कीमत भी हर जगह पर अलग-अलग होती है| यह हम पर निर्भर करता है कि हम कौन सी जगह को चुनते हैं| अगर हम 200 रुपए वाली जगह चुनते है तो हमारी जिंदगी की कीमत 200 रुपए है और अगर हम 2 लाख वाली जगह चुनते है तो हमारी ज़िंदगी की कीमत 2 लाख रुपए है| अब बेटा तुम्हें तय करना है कि तुम खुद को कहां पर रखते हो।

नैतिक शिक्षा

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हम खुद को जिस जगह पर रखते हैं हमारी जिंदगी की कीमत भी उतनी ही होती है| जो लोग हमें प्यार करते हैं उनके लिए हमारी जिंदगी कीमत ज्यादा होती है और जो लोग हमें इस्तेमाल करना चाहते हैं उनके लिए हमारी जिंदगी की कीमत कुछ भी नहीं होती।

कुएं में मेंढक की प्रेरणादायक कहानी

एक बार की बात है कि एक समुंदर में एक मेंढक रहता था| एक दिन वह समुंदर से बाहर निकला इधर उधर भटकने लगा| भटकता हुआ मेंढक जंगल को भी पार कर गया| फिर मेंढक की नज़र वहां पर एक कुएं पर पढ़ी| मेंढक भागते हुए कुएं की और गया और कुएं की मंडेर पर चढ़ गया| उसने नीचे देखा तो वहां पर काफी सारे मेंढक थे| मेंढक ने दूसरे मेंढ़कों से मिलने की इच्छा जताई और कुएं में छलांग लगा दी| 

फिर समुद्री मेंढक दूसरे मेंढ़कों के साथ मिलने लगा| फिर मेंढ़कों ने पूछा कि तुम कहा से आये हो? समुद्री मेंढक ने कहा कि मैं समुंदर से आया हूं| कुएं में रहने वाले मेंढ़कों ने कभी भी समुन्द्र नहीं देखा था| वह आपस में बात करने लगे और फिर मेंढ़कों के सरदार ने पूछा समुद्र क्या होता है? समुद्री मेंढक ने कहा जहां पानी ही पानी होता है, वह काफी बड़ा होता है। समुंदरी मेंढक ने छलांग लगाई और कहा कि इतना बड़ा होता है? तो समुंद्री मेंढक ने कहा कि इससे भी काफी बड़ा होता है| 

मेंढकों के सरदार ने काफी देर सोचने के बाद समुंद्री मेंढक से पूछा कि क्या समुन्द्र हमारे कुएं से भी बड़ा होता है| फिर तो समुंद्री मेंढक ने कहा इससे भी काफी बड़ा होता है| यह बात सुनकर सभी मेंढक आपस में बात करने लगे और कहने लगे कि सरदार यह झूठा मेंढक है| हमारे कुए से बड़ा कुछ नहीं हो सकता| यह हमसे झूठ बोल रहा है| इसे यहां से भगा दो| फिर धीरे-धीरे सभी मेंढ़कों ने कहना शुरू कर दिया कि यह झूठा मेंढक है| इसे यहां से भगा दो| सरदार को भी अपने साथियों की बात माननी पड़ी और उसने मेंढक को कुएं से बाहर निकाल दिया।

नैतिक शिक्षा

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि जिस चीज को हमने कभी नहीं देखा उस पर विश्वास करना मुश्किल होता है और जिस काम को हमने कभी नहीं किया उस काम में सफल हो पाने पर विश्वास करना भी मुश्किल होता है।

100 ऊँट की कहानी

यह कहानी राजस्थान के एक गांव की है, जहां पर एक सेठ रहता था| उसका बहुत अच्छा व्यापार था, खुद का बहुत अच्छा घर था| लेकिन वह फिर भी परेशान रहता था| उसके जीवन में हर समय कोई ना कोई समस्या चली रहती थी| एक समस्या अभी खत्म नहीं होती थी कि दूसरी शुरू हो जाती थी| दूसरी खत्म होती थी तो तीसरी शुरू हो जाती थी। जिसकी वजह से सेठ अक्सर ही परेशान रहता था| 

1 दिन सेठ को पता चला कि उसके गांव में एक बाबा आने वाले हैं| जिनकी आसपास के इलाके में बहुत ज्यादा मान्यता है और उनके पास हर समस्या का समाधान भी होता है| सेठ ने सोचा कि मैं भी कल बाबा के पास जाऊंगा और अपनी सारी समस्याएं उनको बताऊंगा और उनसे हल पूछूंगा| अगला दिन हुआ सेठ बाबा के पास चला गया| काफी देर इंतजार करने के बाद सेठ को बाबा के दर्शन हुए| 

सेठ ने बाबा को अपनी सारी बात बताई और कहा कि मैं बहुत परेशान रहता हूं बाबा जी| मेरी एक समस्या खत्म नहीं होती, दूसरी शुरू हो जाती है| दूसरी खत्म नहीं होती तीसरी शुरू हो जाती है| कभी काम की समस्या, कभी घर की समस्या, कभी स्वास्थ्य की समस्या| मैं हमेशा समस्याओं से घिरा रहता हूं, आप मुझे समस्याओं का कोई समाधान बताइए| 

काफी देर तक सेठ की बात सुनने के बाद बाबा मुस्कुराए और कहा कि मैं तुम्हें तुम्हारी समस्या का समाधान कल बताऊंगा| लेकिन उससे पहले तुम्हे एक छोटा सा काम करना होगा| सेठ झट से काम करने के लिए तैयार हो गया| फिर बाबा ने कहा कि मेरे काफिले में 100 ऊंठ है, तुम रात को उनकी देखभाल करना| जब सारे ऊंठ बैठ जाएंगे तब तुम सो जाना| बाबा के कहने के अनुसार सेठ ऊंठो के पास चला गया| 

फिर सेठ रात को ऊंठो को बैठाने की कोशिश करता रहा| कुछ ऊंट बैठ गए, कुछ खड़े रहे, कुछ सेठ के प्रयास करने के बाद बैठ गए और कुछ बैठे हुए ऊंठ फिर से उठ गए| फिर अगली सुबह हुई और सेठ बाबा के पास गया| फिर बाबा ने कहा कि  अच्छी आई होगी ना| फिर सेठ ने बाबा से कहा कि कहाँ अच्छी नीड आई मुझे|  मेरे प्रयास करने पर कुछ उठ बैठ गए, कुछ खड़े रहे, कुछ थोड़ी देर बाद बैठ गए और कुछ बैठे हुए उठ गए| इसी काम में मेरी सारी रात निकल गई| मैं एक पल भी नहीं सोया| 

फिर बाबा ने कहा जैसे तुम कह रहे हो उसके अनुसार यह मतलब हुआ कि कुछ ऊंठ बैठ गए, कुछ ऊंठ तुम्हारे प्रयास करने के बाद बैठ गए, कुछ ऊंट तुम्हारे प्रयास करने के बाद भी नहीं बैठे और कुछ बैठे हुए ऊंठ फिर से खड़े हो गए। फिर बाबा ने सेठ से कहा कि क्या तुम्हें कल की रात से कुछ समझ आया| सेठ ने कहा कि जी नहीं बाबा जी आप समझाइए| 

फिर बाबा ने सेठ से कहा कि तुम्हारे जीवन की समस्याएं भी ठीक ऐसी ही है| कुछ समस्याएं ठीक हो जाती हैं, कुछ तुम्हारे प्रयास करने के बाद ठीक हो जाती हैं, कुछ तुम्हारे प्रयास करने के बाद ठीक नहीं होती, कुछ समस्या है जो ठीक हो चुकी हैं वह अपने आप फिर से खराब हो जाती है।

बाबा ने सेठ को कहा कि समस्याएं हमारे जीवन का हिस्सा है और हमेशा हिस्सा ही रहेंगी| हमें समस्याओं में उलझना नहीं बल्कि खुद को बदलना है और समस्याओं को एक तरफ रखकर जीवन में आगे बढ़ते रहना है| सेठ को बाबा की सारी बात समझ आ गई और उसने बाबा से वादा किया कि अब वह कभी भी समस्याओं को खुद पर हावी नहीं होने देगा| उनको एक तरफ रखकर जीवन में आगे बढ़ता चला जाएगा।

नैतिक शिक्षा

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें समस्याओं से घबराना नहीं चाहिए, बल्कि समस्याओं का समाधान निकालना चाहिए और समस्याओं को एक तरफ रखकर जीवन में आगे बढ़ते रहना चाहिए।

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Conclusion

उम्मीद करते हैं कि हमारे द्वारा शेयर करी गई Long Moral Stories in Hindi आप को पढ़कर काफी मजा आया होगा और यह कहानीया आपको काफी दिलचस्पी लगी होगी और इन कहानी से आपको अपने जीवन के लिए अच्छी शिक्षा भी मिली होगी| अगर आपको हमारे द्वारा शेयर करी गई कहानियां पसंद आई हो या फिर आप हमें कोई राय देना चाहते हैं तो नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट कर सकते हैं।

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