नमस्कार दोस्तों क्या आप भी Lion and Rat Story in Hindi with Moral के बारे में सर्च कर रहे हैं, तो आप बिल्कुल सही जगह पर आए हैं क्योंकि आज इस लेख में मैंने सबसे अलग और बहुत ही मजेदार शेर और चूहे की कहानियां लिखी है, जो आपको पूरे इंटरनेट में कहीं और नहीं मिलेगी| इन कहानियों से आपको जीवन का ज्ञान मिलेगा| तो चलिए शुरू करते हैं आज की पहली कहानी से|
चूहे और शेर की कहानी – Lion and Rat Story in Hindi with Moral
तो बच्चों आज की पहली कहानी है शेर और चूहे की जो की बहुत अच्छे दोस्त थे और दोनों ही एक साथ रहा करते थे| शेर का मालिक शेर को हर दिन सर्कस के लिए ले जाया करता था| क्योंकि शेर बहुत फुर्तीला था और अपने करतब से लोगों का बहुत दिल जीता था| वहीं चूहा ऐसा कुछ भी नहीं कर सकता था बल्कि उसे देखकर लोग उससे दूर भागने लगते थे|
चूहे को यह बात बहुत बुरी लगती थी कि ऐसा कोई काम नहीं है जो वह कर सकता है और वह यूं ही अपना समय बिता रहा है| फिर एक दिन शेर और चूहे में आपस में किसी बात पर बहस हो गई| शेर चूहे को नीचा दिखाने लग गया और कहने लगा कि वह हर दिन सर्कस पर जाता है अपने मालिक के लिए कुछ पैसे कमाता है लेकिन वही तू कुछ नहीं कर सकता बल्कि हमें ही तुझे खिलाना पड़ता है|
यह बात चूहे को बहुत बुरी लगी| लेकिन वह भी क्या करता सर्कस तो उसकी बस की बात नहीं थी| फिर एक दिन शेर सर्कस करने चला गया और वह उस दिन चूहे को अपने साथ नहीं लेकर गया| यह बात चूहे को बहुत बुरी लगी और वह जंगल की और चला गया| शेर ने उस दिन बहुत अच्छा सर्कस किया और लोग खुशी से तालियां बजाने लगे और उसने अपने मालिक के लिए काफी पैसे भी जमा कर लिए|
लेकिन अचानक ना जाने कैसे शेर एक जाल में फस गया| वह जाल उसके मालिक ने सर्कस के कर्तव् करने के लिए वहा रखा था| वह जाल ऊपर एक लम्बे खम्बे से बंधा था| शेर जैसे ही जाल में फसा तो वह जा कर उस खम्बे से जा लटका| वह आस पास के लोग जो सर्कस देखने आये थे और सर्कस मास्टर खुद बहुत कोशिश करने लगे शेर को उस जाल से बाहर निकलने के लिए|
लेकिन वो इतनी उचाई पर जा लटका था उसे वह से निकल पाना काफी मुश्किल हो रहा था| शेर भी अंदर जाल में फस कर बहुत घबरा रहा था| वह बाहर आना चाहता था| लेकिन कोई भी वहां पर उसे बाहर नहीं निकाल पा रहा था| सर्कस मास्टर शेर से कहने लगा तुम खुद कोशिश करो जाल काटने का कुंकि इतने ऊपर आना हमारे लिए नामुमकिन है|
इस पर शेर ने कहा मै कोशिश कर रहा हूँ लेकिन इस जाल को काटने के लिए नुकीले दांत चाहिए| आप जाकर मेरे मित्र चूहे को बुलाकर ले आए| फिर सर्कस मास्टर भागता हुआ अपने घर गया और चूहे को आवाज देने लगा| लेकिन उसे चूहा कहीं नहीं मिला| फिर काफी देर ढूंढने के बाद उसे दिखा चूहा जंगल से आ रहा है|
फिर उसने सारी बात चूहे को बताई और चूहा बिना कुछ सोचे समझे दौड़ता हुआ अपने दोस्त के पास जा पंहुचा| शेर को जाल में फंसा हुआ देखकर चूहे को बहुत बुरा लगा| चूहे ने शेर को सांत्वना दी और कहा तुम घबराओ मत| मैं अभी तुम्हे इस जाल से बाहर निकाल दूंगा और फिर क्या था चूहे ने उस जाल को कुतरना शुरू कर दिया और अपने मित्र शेर को बाहर निकाल दिया| फिर शेर ने चूहे से अपनी गलती की क्षमा मांगी और उससे कहा कि जो काम तुम कर सकते हो, वह काम में कभी नहीं कर सकता| जैसे सुई चाहे कितनी भी छोटी हो लेकिन जो कार्य सुई कर सकती है, वह कार्य कोई भी विशाल चीज नहीं कर सकती है|
नैतिक शिक्षा
तो बच्चों इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें कभी भी दूसरों को अपने से छोटा नहीं समझना चाहिए| समय आने पर हमें अपने आप से दुर्बल की भी सहायता की जरूरत पड़ सकती है|
मुर्ख शेर और चालक चूहे की कहानी
एक जंगल में शेर रहा करता था| शेर बहुत ही क्रूर स्वभाव का था| वह हर दिन शिकार करता रहता था| शेर को जितनी भूख होती है उससे भी ज्यादा शिकार करके जानवरों को हर दिन मार रहा था| इस बात से जंगल के सभी जानवर बहुत ही डरे हुए थे| फिर एक दिन जंगल में सभी जानवरों ने मिलकर बात की| उस सभा में जिराफ, हाथी, हिरण और जंगल के बहुत सारे जानवर थे|
हाथी ने कहा कि हमें इस जंगल में हो रहे आतंक को रोकना होगा और शेर को समझाने की कोशिश करनी होगी| फिर जिराफ बोला शेर इतना खूंखार है| उसे समझाना हमारे लिए मुश्किल होगा| इसलिए हमें खुद ही हर दिन एक एक करके शेर के पास उसका भोजन बन कर जाना होगा| जिससे वह बस उस जानवर को खाए और बाकी के जानवर जंगल में बचे रहें|
फिर सभी जानवर इस दुख भरी सलाह को मान गए| फिर लोमड़ी ने जाकर शेर को यह बताया कि आज से आप जंगल में किसी और जानवर को ना मारे अपितु हम खुद ही हर दिन कोई ना कोई आपके पास आपका भोजन बन कर आ जाए करेंगे| फिर क्या था शेर बहुत खुश हुआ वह कहने लगा कि अरे वाह मुझे बिना किसी मेहनत के भोजन मिल जाया करेगा तो ठीक है आज तो मैं तुम्हें ही खाऊंगा|
सभी जानवरों की तरफ से संदेश लेकर गए लोमड़ी को शेर ने वही दबोच दिया| फिर उसके अगले दिन जिराफ शेर का भोजन बनकर गया| शेर जिराफ को आता देख बड़ा खुश हुआ और जैसे ही जिराफ उसकी गुफा के पास पहुंचा शेर ने उससे खा लिया| फिर हर दिन कोई ना कोई जानवर शेर के पास उसका भोजन बन कर चला जाता|
फिर इसी तरह एक दिन एक चूहे की बारी थी| चूहा बहुत बुद्धिमान था और वह सोचने लगा कि वह किस तरह शेर को बेवकूफ बनाए और अपनी जान बचाये| फिर चूहे को एक उपाय सूझा वह बहुत लंबे रास्ते से धीरे-धीरे मजे से चलता हुआ शेर के पास पहुंचा| वहां शेर भूख से तड़प रहा था और बहुत ही ज्यादा क्रोधित था|
उसने जैसे ही चूहे को देखा तो चूहे से कहने लगा कि तुम इतनी देर कैसे लग गयी| मैं भूख से तड़प रहा हूं और जानवरों की हिम्मत कैसे हुई इतने छोटे से चूहे को मेरा भोजन बनाकर भेजने के लिए| आज तो मैं जंगल के सभी जानवरों को मार डालूंगा| फिर चूहे ने कहा कि राजा मुझे क्षमा करना| लेकिन जंगल में एक और भयंकर शेर घूम रहा है| मुझे उसी ने ही रास्ते में रोक लिया|
वह मुझे कहने लगा कि मैं इस जंगल का असली राजा हूं और तुम तो मेरे ही भोजन बनोगे| फिर मैं किसी तरह अपनी जान बचाता हुआ आपके पास आया था ताकि आप मुझे खा सको| इस पर क्रोधित शेर और भी ज्यादा क्रोध से भर गया और वह कहने लगा कि चलो मुझे दिखाओ कौन है वह शेर जो खुद को असली शेर बता रहा है|
फिर चतुर चूहा शेर को एक कुएं के पास ले गया और कहने लगा कि राजा जी वह खूंखार शेर यहां पर बैठा है| इस पर शेर बोलने लगा चुप कर डरपोक चूहे जो भी हो लेकिन मुझसे खूंखार और ताकतवर नहीं होगा| यह बोलते हुए शेर पानी में अपनी परछाई देखकर जोर-जोर से दहाड़ने लगा| जब उसने अपनी परछाई देखी तो उसे और भी क्रोध आ गया और वह कहने लगा कि तू मूर्ख शेर मुझे देख कर दहाड़ रहा है अब तो मैं तुम्हें बिल्कुल भी नहीं छोडूंगा|
यह कहता हुआ शेर पानी में कूद गया और वहीं डूब कर उसकी मौत हो गई| फिर चूहा खुशी से वापस जंगल की ओर जा पहुंचा और सारी बात बाकी के जानवरों को बताई| सभी जानवरों ने चूहे की बुद्धिमता की बहुत तारीफ की और उसे अपने कंधे पर बिठाकर नाचने-गाने लगे|
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नैतिक शिक्षा
तो बच्चों इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि घमंड और अहंकार हमे मुर्ख बना देता है और नाश का कारण बन सकता है|
शेर और चूहे की प्रतियोगिता
एक दिन एक चुहिया अपने बच्चों के साथ भटकते हुए शेर के गुफा पर जा पहुंची| वह चुहिया अपने झुंड से बिछड़ गई थी और जैसे ही उसने वहां पर एक शेरनी को सोता हुआ देखा तो वह डर गयी| अचानक शेरनी भी नींद से जाग गयी| चुहिया अपने बच्चों के साथ थी और वह बहुत डरी हुई थी| उसे डर था कहीं शेरनी उसे और उसके बच्चों को खा ना जाए|
चुहिया को डरा हुआ देख कर शेरनी हंसकर कहने लगी| डरो मत मैं तुम्हें नहीं खाऊंगी| इस पर चुहिया ने चैन की सास ली| फिर दोनों घंटों बातचीत करने लग गए और एक दूसरे के दोस्त बनगए| आगे चलकर शेरनी के बच्चे और चुहिया के बच्चों की भी आपस में बहुत अच्छी दोस्ती हो गई| शेर और चूहे की एक दूसरे के बहुत अच्छी मित्रता हो गई दोनों ही हर दिन एक दूसरे के साथ खेलते और प्रतियोगिता करते रहते थे|
वह दोनों हमेशा एक दूसरे से जीतने की कोशिश करते थे लेकिन दोनों में प्यार भी बहुत था| एक दिन शेर को मस्ती सूझी और वह चूहे के पास जाकर उसे कहने लगा कि चल दोस्त आज कुछ खेलते हैं| तो चूहा भी तुरंत तैयार हो गया| चूहे ने कहा कि बता क्या करना है| फिर शेर कहने लगा मैं शेर हूं मेरी आवाज से तो सभी डर जाते हैं|
तो देखते हैं कौन अपने आवाज से सभी को डरा सकता है| इस पर चूहा सोचने लगा कि यह कितना चालाक है| फिर शेर ने बहुत जोर से दहाड़ा और आसपास की जमीन भी हिलने लगी| फिर शेर कहने लगा कि चल चूहे अब तेरी बारी है| चूहे ने भी कोशिश की और उसकी आवाज से एक पत्ता भी नहीं हिल पाया| इस पर शेर बहुत जोर से हंसने लगा और चूहे की खिल्ली उड़ाने लगा|
फिर चूहे ने ठान ली की मे इससे मज़ा ज़रूर चखा के रहूंगा| फिर एक दिन चूहा शेर के पास जा पहुंचा और कहने लगा कि बहुत दिन हो गए हम दोनों ने कुछ खेला नहीं है| तो चल आज एक प्रतियोगिता करते हैं हम दोनों रेस लगाने हैं और हमें आगे के उस तालाब तक पहुंचना है| फिर शेर कहने लगा कि क्या तुम बेवकूफ हो मैं तुमसे ज्यादा तेजी से तालाब तक पहुंच सकता हूं|
इस पर चूहा कहने लगा कोई बात नहीं चलो देखते हैं कौन जीतेगा और कौन नहीं| तालाब तक का रास्ता काफी लंबा था| शेर भाग रहा था और वही चूहा अपनी चतुराई से बिल के रस्ते से होते हुए बहुत ही जल्दी और छोटे रास्ते से तालाब तक जा पहुंचा| जब शेर तालाब तक पहुंचा और उसने देखा कि चूहा तो अभी पहुंचा ही नहीं है| फिर वह वहां जाकर पानी पीने लग गया| फिर अचानक उसने देखा कि चूहा तो पहले ही वहां पर पानी पीकर आराम से लेटा हुआ है|
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नैतिक शिक्षा
तो बच्चों इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें कभी भी दूसरों को अपने से छोटा नहीं आंकना चाहिए| भले ही शेर कितना भी बलवान हो लेकिन वह बिल में नहीं घुस सकता था| इसलिए वह चूहे से हार गया|
शेर चूहा और आलसी हाथी
बच्चों आज की अगली कहानी में चूहा आने वाली गर्मियां की तैयारी कर रहा था| वह अपने बिल की सफाई कर रहा था ताकि वह सुनहरे गर्मी के मौसम का स्वागत कर सके| चूहा बहुत खुश था| वह कुछ जरूरी सामान लाने के लिए अपने बिल से बाहर निकला| तभी अचानक चूहे के बिल के सामने एक आलसी हाथी आकर सो गया|
चूहे ने बहुत कोशिश की उस हाथी को नींद से उठाने की, लेकिन उसकी इतनी धीमी सी आवाज से हाथी पर कोई असर नहीं पड़ रहा था| चूहा बहुत परेशान था| अब गर्मियां भी आ चुकी थी, लेकिन चूहा अपने बिल में नहीं जा पा रहा था| चूहे ने जंगल में सभी जानवरों से इस बारे में बात कि लेकिन कोई उस हाथी को उठाने में सक्षम नहीं था|
हाथी इतनी गहरी नींद में सोया हुआ था कि उसे बहुत तेज आवाज ही उठा सकती थी| फिर जंगल में जानवरों ने चूहे को सलाह दी कि वह जाकर जंगल के राजा शेर से बात करें| चूहा डरता हुआ कहने लगा कि वह शेर से इस बारे में कैसे बात करेगा| कहीं गुस्से में आकर शेर उसे ही ना खा जाए| लेकिन फिर मजबूरी में चूहे ने हिम्मत जुटाई और वे शेर के गुफा तक जा पहुंचा|
उस समय शेर दिन का भोजन कर सोया हुआ था| फिर चूहे ने शेर को उठाने की कोशिश की लेकिन शेर बहुत गहरी नींद में था| तो चूहा शेर के पूछ से उसकी पीठ पर चढ़ गया| अचानक शेर की नींद खुली उसने अपनी पीठ हिलाई और चूहा जमीन पर आकर गिर गया| चूहे को देखकर शेर को बहुत गुस्सा आया| वह कहने लगा कि तुमने मेरी नींद कैसे खराब की और तुम यहां पर मेरी गुफा के सामने कर क्या रहे हो|
फिर चूहे ने सारी बात शेर को बताई| इस पर शेर बोला कि तुम इतने छोटे हो कि मेरा पेट भी नहीं भरेगा तो बेहतर होगा तुम यहां से चले जाओ और मैं तुम्हारी मदद क्यों करूं| चूहे ने काफी कोशिश की शेर को मनाने के लिए और चूहे ने कहा कि राजा जी मै जीवन में कभी ना कभी आपके काम जरूर आऊंगा| इस पर शेर को और गुस्सा आया और वह चूहे से कहने लगा कि तुम अपना शरीर का आकार देखो और फिर मुझसे बात करो|
इतने विशाल शेर की मदद तुम क्या करोगे| यह कहते हुए शेर वहां से चला गया| चूहा बहुत परेशान था और सोच में पड़ गया कि अब उस आलसी हाथी को उठाया कैसे जाए| यह सोचते सोचते चूहा थोड़ी दूर तक पहुंचा| फिर उसने अचानक शेर को देखा जो कि अपनी पीठ खुजा रहा था और बहुत परेशान हो रहा था| शेर के पूरे शरीर में खुजली हो रही थी और वह कभी यहां और कभी वहां गिर रहा था|
शेर नहीं चाहता था कि कोई भी उसे इस हालत में देखे| इसलिए वह पेड़ के पीछे छुप कर अपनी पीठ खुजा रहा था| अब उसकी खारिश इतनी बढ़ गई थी कि वह उसके शरीर के हर एक अंग में पहुंच गई थी| फिर अचानक शेर की नजर चूहे पर पड़ी और वह एकदम से उठ खड़ा हुआ और कहने लगा कि तुम मेरा पीछा कर रहे हो| फिर चूहे ने शेर से कहा कि राजा जी क्या मैं आपकी कोई मदद कर सकता हूं| जैसे कि मैं देख पा रहा हूं आप बहुत परेशानी में हो|
फिर शेर ने चूहे से कहा कि पता नहीं मेरे शरीर में क्या लड़ गया है| मेरे पूरे शरीर में खारिश हो रही है और मैं बिल्कुल इसे रोक नहीं पा रहा हूं| फिर चूहा शेर की पूंछ से होते हुए उसकी पीठ पर चड गया और देखने लगा कि आखिर शेर को इतनी खुजली हो क्यों रही है| अब शेर की खुजली और भी बढ़ गई थी क्योंकि चूहा उसकी पीठ पर चल रहा था| वह बहुत परेशान हो रहा था वह और वह खुजली करते हुए एक तालाब के अंदर गिर गया|
चूहा जोर-जोर से कहने लगा कि राजा जी कृपया आप बाहर निकलिये वरना मैं डूब जाऊंगा| फिर शेर तालाब से बाहर आया और चूहे ने देखा कि शेर के पूरे शरीर में पिस्सू घुस गए थे और वह एक-एक करके उन पिस्सू को बाहर निकालने लगा| थोड़ी सी देर में चूहे ने शेर के शरीर से सारे पिस्सू बाहर निकाल दिए और वह शेर के पेट से नीचे उतर गया|
फिर चूहे ने शेर से पूछा कि अब आप कैसा महसूस कर रहे हैं| शेर एकदम से खुश हो गया और कहने लगा कि मैं बहुत बेहतर महसूस कर रहा हूं और मुझे अपने शरीर में कोई भी खुजली नहीं हो रही| फिर शेर चूहे को बोला कि आओ मेरी पीठ पर बैठ जाओ मैं तुम्हें घर छोड़ देता हूं| जब दोनों चूहे के बिल के सामने पहुंचे तो उन्होंने देखा कि एक हाथी चूहे के बिल के सामने सोया हुआ है|
फिर शेर चूहे को बोला कि तुम सच कह रहे थे इतना विशाल हाथी तुम्हारी बिल के सामने बैठा है तो आखिर तुम कैसे बिल में जा सकते थे| फिर शेर ने अपनी गरजती हुई आवाज निकाली| जिससे आसपास की सारी धरती हिलने लग गई और सारे जानवर इकट्ठे हो गए|
फिर उस आलसी हाथी की नींद खुली और वह उठकर बाहर आया और कहने लगा कि क्या हो गया इतनी खतरनाक आवाज कहां से आई| फिर जंगल के सभी जानवर उस हाथी पर हंसने लगे|
नैतिक शिक्षा
तो बच्चों इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हम सभी का जीवन एक दूसरे पर निर्भर है| हम सभी को एक दूसरे की कभी ना कभी मदद की जरूरत जरूर पड़ सकती है| इसलिए सभी के साथ अच्छा व्यवहार करें और सभी मिलजुल कर रहे हैं|
Conclusion
बच्चों आशा करती हूँ आपको यह Lion and Rat Story With Moral in Hindi काफी पसंद आई होगी और आप सभी ने इन कहानियों से कुछ ना कुछ सीख जरूर ली होगी| इसी तरह मजेदार और नैतिक शिक्षा से भरी हुई कहानियां पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट पर आएं और अगर इन कहानियों से संबंधित आपको कोई भी प्रश्न हो तो आप नीचे दिए गए कमेंट सेक्शन में कमेंट करके हमें जरूर बताएं|