Heart Touching Motivational Story in Hindi

Heart Touching Motivational Story in Hindi – हेलो दोस्तों क्या आप भी Heart Touching Motivational Story in Hindi सर्च कर रहे हैं तो आप सही जगह पर हैं क्योंकि आज के इस ब्लॉग में हमने कुछ बेहतरीन और यूनिक heart touching motivational story लिखी है | यह कहानी आपके दिल को छू देने वाली हैं और आपके जीवन में आपको सफल बनाने के लिए जरूर सहकार होंगी | 

विवेक का जूनून – Heart Touching Motivational Story In Hindi

विवेक का जूनून - Heart Touching Motivational Story In Hindi

आज की heart touching motivational story in hindi की शुरुआत होती है एक लड़के से जिसका नाम विवेक था | विवेक को फुटबॉल खेलने का बहुत शौक था | वह निरंतर ही मैदान में फुटबॉल की प्रैक्टिस करने आया करता था और जमकर अपनी प्रैक्टिस करता था | जब भी वह प्रैक्टिस करता था तो उसके पिताजी उसे देखने जरूर आते थे और घंटो अपने बेटे की प्रैक्टिस को देखा करते थे |

एक दिन विवेक के स्कूल में जो फुटबॉल के कोच थे वह अपनी टीम को लेकर मैदान में प्रैक्टिस करने के लिए आए और उनकी नजर विवेक पर पड़ी उन्होंने देखा कि यह लड़का लगातार बहुत घंटों से प्रैक्टिस कर रहा है और काफी अच्छा खेल रहा है तो उसने उसे अपने स्कूल की टीम में शामिल करने का फैसला किया | लेकिन विवेक को 12 नंबर के खिलाड़ी की तरह अपने ग्रुप में शामिल किया | 

जिसका मतलब था कि वह एक एक्स्ट्रा प्लेयर की तरह खेलेगा | लेकिन कभी भी उसकी बारी नहीं आती थी और उसे खुद को साबित करने का मौका ही नहीं मिला | स्कूल में फाइनल फुटबॉल का मैच शुरू होने वाला था | विवेक लगातार तीन-चार दिन प्रैक्टिस में नहीं आया और फाइनल के दिन वह मैदान पहुंच गया | अब उसने अपने कोच से रिक्वेस्ट करी कि वह उसे आज के दिन खेलने दे | विवेक के कोच ने उसे मना कर दिया क्योंकि उसके पास उससे बहुत बेहतर खिलाड़ी टीम में मौजूद थे | लेकिन विवेक नहीं माना वे कोच से बार-बार रिक्वेस्ट करता रहा और जैसे कोच ने उसे देखा तो उसकी आंखों में पानी भी आ गया था |

कोच भी सोच में पड़ गए क्योंकि ऐसा विवेक ने कभी भी नहीं किया था तो कोच ने उसे टीम में खेलने के लिए अनुमति दे दी लेकिन साथ ही में कोच ने उसे कहा कि मैं यह अपने सबसे बड़े लिए हुए फैसले के खिलाफ जाकर बोल रहा हूं लेकिन आज तुम मुझे निराश मत करना | विवेक ने उसको आश्वासन दिया और बोला कि मैं आपके विश्वास को टूटने नहीं दूंगा और अपने स्कूल के लिए जमकर खेलूंगा | कोच मन ही मन में अपने इस लिए हुए फैसले से डर भी रहा था क्योंकि आज फाइनल का मैच था और स्कूल की इज्जत दांव पर लगी थी, फिर भी उस विवेक के इतने कहने के बाद उसे मैदान में जाने दिया |

मैच शुरू हुआ और विवेक के पास जितने भी बार बोल आती तो वह उसे गोल तक लेकर जरुर पहुंचाता | आज विवेक ने इतना जमकर खेला कि उसने अपनी टीम के लिए सबसे ज्यादा गोल स्कोर किए और अपने स्कूल को जिता दिया | पूरे मैदान में तालियों की आवाज थी और सभी बहुत खुश हुए | कोच ने विवेक को अपने पास बुलाया और कहने लगा कि मैं समझ नहीं पा रहा हूं तुमने यह कैसे किया क्योंकि मैं इतना गलत फैसला कैसे ले सकता हूं कि मैंने तुम्हें १२रवे अंक के खिलाड़ी के रूप में टीम में रखा था | मैं बिल्कुल विश्वास नहीं कर पा रहा हूं कि यह आखिर कैसे हुआ | फिर विवेक ने बोला कि आज मुझे मेरे पापा देख रहे थे इसलिए मैं इतना अच्छा खेल पाया | 

जैसे कि कोच को पता था कि जब भी विवेक प्रैक्टिस करने आता था तो मैदान के कोने में उसके पापा खड़े रहकर मैच देखा करते थे | लेकिन आज कोच को वहां कोई भी नहीं दिखा तो उसने विवेक को कहा कि कहां है तुम्हारे पापा मैं उन्हें क्यों नहीं देख पा रहा | फिर विवेक ने बताया कि मैं पिछले 3 दिन प्रैक्टिस में नहीं आया क्योंकि मेरे पिताजी की मौत हो गई है और मैंने आपको कभी यह भी नहीं बताया कि वह अंधे थे | वह कुछ देख नहीं सकते थे लेकिन आज वह ऊपर से मुझे खेलता हुआ देख रहे थे | इसीलिए मैं इतना अच्छा खेल पाया | विवेक की आंखें नम हो गई और जल्दबाजी में लिए हुए इस फैसले पर कोच को बहुत गर्व हुआ | 

Moral Of the Story :

तो दोस्तों अगर जीवन में आपके पास भी कोई ऐसा मकसद नहीं है जिसके लिए आप पूरे जुनून के साथ उस काम में लग जाओ तो उस मकसद को ज़रूर ढूंढे क्योंकि सफलता के लिए हमारे पास कोई वजह होनी चाहिए क्योंकि यही वजह हमें वह अपारशक्ति और मेहनत करने की हिम्मत पैदा करती है|  

यह रोचक कहानी भी पढें: Short Motivational Story in Hindi For Success With Moral

शिल्पकार के बेटे को मिली जीवन की सीख – Heart Touching Motivational Story In Hindi

किसी गांव में एक शिल्पकार रहा करता था वह मूर्तियां बनाकर अपने परिवार का पालन पोषण करता था | वह मूर्तियां तो काफी अच्छी बनाता था लेकिन उसे  उसकी मूर्तियों का इतना अच्छा दाम नहीं मिलता था | लेकिन फिर भी वह लगातार मेहनत कर रहा था | उसकी पत्नी गर्भवती थी और उसने बहुत ही खूबसूरत  से लड़के को जन्म दिया | वह लड़का भी बचपन से मूर्तियों में रुचि रखने लग गया और उसने काफी छोटी उम्र से ही मूर्तियां बनाना शुरू कर दिया | 

जब भी वह मूर्ति बनाता था तो उसके पिता कोई ना कोई गलती निकाल कर उसे सुधारने के लिए कहते और वह लड़का भी चुपचाप उस गलती को मान कर अपनी मूर्ति में सुधार लाने की कोशिश करता | चाहे वह कितनी भी अच्छी मूर्ति बना लेता लेकिन उसका पिता हमेशा कोई ना कोई गलती उसमें जरूर निकाल लेता था | वह लड़का भी उन गलतियों को हंसते-हंसते मान लेता और उसमें सुधार करने की कोशिश लगातार करता रहता | लगातार मूर्तियां बनाने से लड़का काफी छोटी उम्र में ही बहुत अच्छी मूर्तियां बनाने लग गया | 

लोग उसकी मूर्ति उसके पिता की मूर्तियों से भी ज्यादा पसंद करने लगे और उसे उनकी मूर्तियों का मोल भी बहुत अच्छा मिलने लगा | लेकिन पिता कभी भी उसकी मूर्तियों से संतुष्ट नहीं हुआ और वह हमेशा कोई ना कोई गलतियां निकालकर उसे उन मूर्तियों में सुधार करने के लिए कहा करता था

| ऐसे ही एक दिन उसके पिता ने उसकी मूर्ति में कुछ बदलाव के लिए कहा और अब उस लड़के के सब्र का बांध टूट गया और वह अपने पिता से कहने लग गया कि इस मूर्ति में अब कोई कमी नहीं है और किसी भी बदलाव की कोई आवश्यकता नहीं है | मैं तो आपसे भी ज्यादा अच्छी मूर्तियां बनाता हूं तभी तो लोग मेरी मूर्ति का मॉल आप की मूर्तियों से ज्यादा देते हैं और मेरी मूर्तियों को पसंद भी बहुत करते हैं | इस पर उसके पिता कुछ नहीं बोले और वहां से चले गए | 

अब उसके पिताजी किसी भी मूर्ति पर उसे कोई सलाह नहीं देते थे और वह मूर्तियां अपने हिसाब से बनाकर बेचा करता था | लेकिन कुछ दिनों के बाद उस लड़के ने यह देखा कि अब लोग उसकी मूर्तियों को कुछ ज्यादा पसंद नहीं कर रहे थे और ना ही उनका ज्यादा मौल उसे मिल रहा था | वह इस बात से बहुत परेशान हुआ और अपने पिता के पास गया | उसने सारी बात अपने पिता को बताई और उसके पिता चुपचाप से उसकी बात को सुनते चले गए |

फिर उसके पिता ने उसे समझाया कि हो सकता है मुझे मूर्तियों की समझ तुमसे ज्यादा नहीं है क्योंकि मेरी मूर्तियां लोग तुम्हारी मूर्तियों से कम ही पसंद करते हैं | लेकिन मैं जब भी तुम्हें सलाह दिया करता था तो तुम अपनी बनाई हुई मूर्ति पर ही और ज्यादा काम करते थे | जिससे मूर्तियां और भी निखर के आती थी | 

लोग भी तुमसे यही उम्मीद करते हैं कि तुम हमेशा अच्छी से अच्छी मूर्तियां बनाओ लेकिन जिस दिन तुम मान गए कि अब यह काम सही है और इससे बेहतर काम हो ही नहीं सकता तो उसी दिन तुम्हारी तरक्की रुक गई और तुमने अपनी गलतियों पर काम करना बंद कर दिया | लड़के ने सारी बात समझ ली और वह अपने पिता को कहने लग गया कि अब मैं क्या करूं तो उसके पिता ने उसे समझाया कि तुम असंतुष्ट होना सीख जाओ|  जिस दिन तुम संतुष्ट हो जाओगे उसी दिन तुम्हारी तरक्की रुक जाएगी | अब लड़का समझ चुका था कि उसे क्या करना है | 

Moral Of the Story: इसी तरह हम भी जब किसी काम में संतुष्ट हो जाएं और सोचने लगे कि यह काम इससे बेहतर हो ही नहीं सकता तो हमें उसी दिन समझ जाना चाहिए कि हमारी तरक्की रुक गई। इसीलिए जीवन में हमेशा प्रैक्टिस करते रहिए और अपने आपको हमेशा और भी ज्यादा बेहतर बनाने की कोशिश में लगे रहे।

बिगड़ैल लड़के की सफलता की कहानी – Heart Touching Motivational Story In Hindi

हिमाचल प्रदेश के छोटे से शहर मनाली में एक ऋषि नाम का लड़का रहता था | ऋषि के मां-बाप उस पर बहुत विश्वास करते थे और हमेशा यही उम्मीद लगा लगाए रखते थे कि उनका बेटा बड़ा होकर एक बड़ा आदमी जरूर बनेगा | गरीबी के हालात थे लेकिन फिर भी ऋषि के पिता ने पैसे जमा कर ऋषि को एक अच्छे इंग्लिश स्कूल में भर्ती करवाया |

ऋषि अपने नए स्कूल जाने के लिए बहुत खुश था और मन में एक उम्मीद थी कि हां मैं अपने मां बाप को कभी हताश नहीं होने दूंगा और उनके सपनों को जरूर पूरा करूंगा | लेकिन जैसे ही स्कूल गया दोस्त बनने लग गए यहां वहां घूमना शुरू हो गया और ऋषि अपने गोल से भटकता चला गया | 

ऋषि के साथ के बच्चे बहुत अमीर घर से थे | वह बहुत पैसा खर्च थे | ऋषि को उन्हें देखकर यह महसूस होता था कि उसके मां-बाप की परवरिश में अभी भी कोई कमी है क्यूंकि उसे इतने पैसे नहीं मिलते थे | वैसे ही दिन बीतते चले गए | ऋषि अपने आप को धोखे में रखता हुआ एक क्लास से दूसरी क्लास में हो गया | लेकिन पढ़ाई अच्छी ना होने की वजह से रिजल्ट कुछ खास नहीं आ पाया | स्कूल पूरा हो गया स्कूल छूटने का ऋषि के दिल में दुख भी था लेकिन स्कोरबोर्ड को देखकर उसका मन हताशा हो गया था |

ऋषि नहीं चाहता था कि वह इतना कम स्कोर करें लेकिन वह अपनी आदतों में इतना फस्स चूका था कि वह पढ़ाई के लिए कोई वक्त निकाल ही नहीं पा रहा था | स्कूल खत्म हुआ ऋषि घर वापस आया मार्क्स कम होने की वजह से माता-पिता ने उसे डांटा नहीं लेकिन उससे यही कहा कि हमें विश्वास है तु कल दिन बड़ा आदमी जरूर बनेगा | अब कॉलेज मे एडमिशन शुरू हो रही थी | ऋषि को उम्मीद नहीं थी कि उसके पिता उसे किसी अच्छे कॉलेज में एडमिशन कराएंगे लेकिन फिर भी उसके पिता ने उसे कहा कि तू फिक्र मत कर, अब बस तू पढ़ाई कर पैसे में कुछ ना कुछ करके इकट्ठा कर लूंगा | 

फिर उसके पिता ने दिन रात मेहनत करके पैसे जमा किए और फिर ऋषि को एक अच्छे से कॉलेज में एडमिशन दिला दिया | अब उसने सोचा था कि वह पहले कि जैसे लापरवाही नहीं करेगा और कॉलेज में खूब दिल लगाकर पड़ेगा और अपने मां-बाप के सपने को जरूर पूरा करेगा | जैसे ही कॉलेज शुरू हुआ नए  पुराने दोस्त फिर से मिलने लग गए और फिर उन्हीं पुरानी आदतों में घुसता चला गया |

अब माता-पिता से झूठ बोलना कॉलेज बंक करके मूवी देखने चले जाना और एग्जाम के दिनों में ग्रुप स्टडीज के बहाने रात भर दोस्तों के साथ मस्ती करना | इसी में ही ऋषि का 1 साल बीत गया और उसने अगले साल फिर खुद से वादा किया कि पिछले साल जैसे भी बीत गया लेकिन इस साल भी जरूर मेहनत करेगा | फिर खुद को धोखा देते हुए दूसरा साल भी इन्हीं आदतों में ऋषि का बीत गया | 

अब कॉलेज जैसे ही खत्म हुआ मार्क्स अच्छे आए नहीं थे, जिससे कि ऋषि को किसी अच्छी नौकरी की उम्मीद होती | लेकिन अब पिता की तबीयत खराब रहने लगी और ऋषि को मजबूरी में छोटी सी नौकरी करनी पड़ी | वह इतनी छोटी सी नौकरी नहीं करना चाहता था क्योंकि उसके पिता ने उस पर बहुत पैसा खर्च किया था, यही सोचकर कि वह कल दिन आगे जाकर बहुत बड़ा ऑफिसर बनेगा लेकिन हमेशा दोस्तों के साथ वक्त बिताने में ऋषि ने कभी इस और ध्यान ही नहीं दिया कि किस वजह से उसके पिता उस पर इतना खर्चा कर रहे थे | फिर भी उसके माता-पिता ऋषि पर इतना विश्वास था कि चाहे स्कूल कॉलेज जैसे भी बीत गया हो लेकिन जीवन में ऋषि कुछ ना कुछ बेहतर करेगा और 1 दिन बड़ा आदमी बन कर जरूर दिखाएगा | 

अब आसपास के लोग भी ऋषि के माता-पिता को कहने लगे कि आपने इस पर इतने पैसे व्यर्थ ही लगाएं क्योंकि अब आपका लड़का वह नौकरी कर रहा है जो कि एक पांचवी पास भी कर सकता था | लेकिन आपने ऋषि को इतनी अच्छी एजुकेशन दी लेकिन उसका कोई फायदा नहीं हुआ | इस पर इसी के माता-पिता उनसे कहने लगे कि आप फिक्र ना करें हमें पता है ऋषि अपना जीवन ऐसे व्यर्थ नहीं बताएगा और कुछ न कुछ बेहतर करके ज़रूर दिखायेगा |  ऋषि उस वक्त यह सारी बातें सुन रहा था इन बातों ने ऋषि के दिल को झकझोर कर रख दिया और अब वे अपने जीवन का 1 मिनट भी व्यर्थ भेजना नहीं चाहता था, क्योंकि इतना अपार विश्वास और प्रेम उसे भला कौन ही कर सकता था | 

अब उसके जीवन का सिर्फ एक ही लक्ष्य था अपने माता-पिता के विश्वास को फिर से जीतना और उनके विश्वास को पूरा करना | ऋषि सुबह जल्दी उठकर नौकरी पर जाता और शाम को जितना भी वक्त मिलता अपने सपनों को पूरा करने में लगाता | ऋषि को कंप्यूटर का काफी अच्छा नॉलेज था और उसे वीडियो एडिटिंग का भी काफी शौक था | अब ऋषि उस नौकरी के बाद शाम को आकर इसी पर काम करने लग गया और वे इस तरीके से ऑनलाइन काम ले लेता और रात भर बैठ कर उस काम को पूरा करके पैसे बना लेता |

इस काम से उसके परिवार को पैसों की काफी मदद मिलने लग गई अब ऋषि ने इतने पैसे जोड़ लिए थे कि वह अपनी नौकरी छोड़ कर फुल टाइम इस जॉब को करने लग गया | इसी तरह ऋषि ने ठीक 5 महीने के बाद उस छोटी सी नौकरी को छोड़ दिया और ऑनलाइन काम करते-करते अपनी एक छोटी सी कंपनी खड़ी कर ली | 

Moral Of the Story: 

तो दोस्तों जैसे ऋषि ने वक्त बर्बाद किया लेकिन उसके माता-पिता के विश्वास ने उसके मन को फिराया और उसे कुछ कर दिखाने की शक्ति प्रदान करी | इसी तरह आप भी अगर जीवन में हताश हो तो आप अपने मन से पूछे कि आपने शुरू किस वजह से किया था और अब आपका मकसद क्या है ? कुछ यही प्रशन  अपने आप से करें और आपका मन आपको जवाब देगा और आप एक बार फिर से खड़े उठेंगे और अपने मकसद की ओर बढ़ चलेंगे| 

Conclusion :

Heart Touching Motivational Story in Hindi – आशा करती हूं यह heart touching motivational story in hindi आपको बेहद पसंद आई होगी और आप इन कहानियों से मिली हुई सीख को अपने जीवन में जरूर उतारेंगे | अगर इन कहानियों से संबंधित आपको किसी भी प्रकार का कोई भी प्र्शन है तो नीचे कमेंट सेक्शन में आप लिखकर हमें जरूर बताएं और अगर आप किसी नई कहानी के लिए हमें सजेस्ट करना चाहते हैं तो भी आप कमेंट बॉक्स पर लिख सकते हैं|

Leave a Comment