Top 2 Emotional Motivational Story in Hindi

Emotional Motivational Story in Hindi – हेलो दोस्तों क्या आप भी Emotional Motivational Story in Hindi के बारे में सर्च कर रहे हैं? क्या आप भी Emotional Motivational Story पढ़ना पसंद करते हैं? अगर ऐसा है तो आप बिलकुल सही जगह पर आए है| क्योंकि आज की इस पोस्ट में हम आपके साथ 2 Emotional Motivational Story in Hindi शेयर करने जा रहे हैं जिसे पढ़ने के बाद आप भी Emotional हो जाएंगे और आपके भी रौंगटे खड़े हो जायेंगे| तो चलिए दोस्तों अब हम शुरू करते हैं।

1. पत्थर दिल मोम हो गया – Emotional Motivational Story in Hindi

    एक बार की बात है कि हिमाचल प्रदेश में एक केलॉन्ग नाम की जगह थी| वहां पर लोग तो रहते थे परंतु इतने पत्थर दिल थे और इतने गिरे हुए थे कि वहां पर मकान तो बने हुए थे लेकिन वहां पर घर नाम की कोई चीज नहीं थी| लोगों के अंदर संबंधों की मर्यादा तक नहीं थी| वहां पर लगभग 5000 लोग रहते थे| लेकिन उस गांव का मुखिया सुखदास था| जिसकी उम्र 40 साल थी और लगभग 7 फीट के करीब लंबा चौड़ा आदमी था| वह बहुत ही जालिम आदमी था| 

    उसका पेशा लोगों को लूटना था| वह आए दिन अपने इलाके में लूटमार करता रहता था| इसी से वह अपनी और अपने लोगों की जरूरतों को पूरा करता था| वह जिस पर भी हमला करता उसे वह जीवित नहीं छोड़ता था| चाहे वह इंसान उसे अपनी मर्जी से ही धन क्यों ना दे रहा हो, फिर भी उसे मार देता था| वह अपने दिल की जगह पत्थर रखता था उसका यह भी कहना था कि अगर उसके पत्थर की जगह मॉस का दिल हुआ तो वह भूखे मर जाएंगे|

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    लेकिन सुखदास का एक लड़का था| जिसका नाम राजेश था| उसको अपने बाप की लूटमार वाली जिंदगी पसंद नहीं थी| वह हमेशा सोचता रहता था कि वह यहां से कहीं दूर चला जाए और वह अपने दिल की सुने और अपने फैसले खुद ले| यह सोचते सोचते काफी समय निकल गया, फिर एक दिन राजेश ने अपने गांव के लोगों को छोड़ने का फैसला किया| वह रातों-रात वहां से निकल गया, उसने कभी डर को नहीं देखा था तो उसे रात को डर भी नहीं लग रहा था| वह सुबह होते होते एक गांव में पहुंच गया।

    फिर राजेश वहां पर एक पेड़ के नीचे बैठ गया, बैठे-बैठे वह लेट गया और उसे नींद आ गई| फिर काफी देर के बाद उसे एक बूढ़ी औरत जिसकी उम्र लगभग 70 साल के करीब थी| जिसका नाम पगड़ी देवी था, उसकी आवाज सुनाई दी| उसे लगा जैसे कोई उसे हिला रहा है और उठा रहा है| उसने आंखें मसलते हुए देखा तो एक औरत उसे उठा रही थी| उस औरत ने राजेश के उठते ही उससे पूछा कि क्या तुम परदेसी हो, तुम कहां से आए हो, कहां जा रहे हो? यह सुनकर राजेश को बहुत गुस्सा आया| लेकिन फिर उसने पत्थर दिल को काबू कर लिया क्योंकि इसी वजह से तो उसने अपना गांव छोड़ा था| 

    फिर उसने मुस्कुराते हुए उस औरत को अपना एक गांव का नाम बताया जो कि असल में था ही नहीं और बताया कि मैं काम की तलाश में आया हूँ| जहां मुझे काम मिल जाएगा मैं वहीं रुक जाऊंगा| फिर औरत ने राजेश से पूछा कि क्या तुमने कुछ खाया है? तो राजेश ने बोला कि नहीं मैंने कुछ भी नहीं खाया| बस अभी यहां से जाऊंगा जहां कुछ मिल जाएगा वही खा लूंगा| तो बुढ़िया औरत ने राजेश को कहा कि अगर तुम्हें मुझ पर भरोसा है तो तुम मेरे साथ चलो और मैं तुम्हे खुद अपने हाथ से खाना बना कर खिलाती हूँ| 

    राजेश औरत के पीछे पीछे चल पड़ा| थोड़ी दूर जाकर वहां पर एक झोपड़ी थी जिसके दरवाजे पर ताला लगा हुआ था, वह पर औरत जा कर रुक गई| वह झोपड़ी देखने में बिल्कुल ही खस्ता हालत की लग रही थी| लेकिन जब बुढ़िया ने ताला खोला तो दोनों अंदर घुस गए| झोपड़ी अंदर से बहुत ही सुंदर थी और अंदर एक चारपाई भी पड़ी थी|

    औरत ने राजेश को चारपाई पर बैठने के लिए बोला और खुद अंदर चली गई| वह अंदर से एक प्लेट और लोटा लेकर आई| जिसमें पानी था और प्लेट में गुड था और राजेश को खाने के लिए दे दिया| राजेश ने गुड़ खा लिया और पानी से भरा हुआ लौटा पूरा पी लिया।

    फिर वह बुढ़िया अंदर गई और अंदर से एक बाल्टी और लोटा लेकर आई और राजेश को बोली कि जाओ सामने कुआ है वहां जाकर नहा लो और साथ में एक सफेद धोती भी राजेश को दे दी| कहा वहां जाकर नहा लो और वहीं पर कपड़े भी बदल लेना| तब तक मैं तुम्हारे लिए कुछ बनाती हूँ| जब राजेश नहा कर वापिस आया तो बूढ़ी औरत ने उसे खाना परोस दिया और साथ में छाछ भी दे दी| कहा खाने के साथ खा लेना, खाना जल्दी पच जाएगा।

    फिर वह बूढ़ी औरत अंदर चली गई और राजेश को आराम करने के लिए बोला| इतने में राजेश को नींद आ गई और वह सो गया, वह काफी देर के बाद उठा उसने देखा कि उसके चारों ओर धूप खिली हुई है तो वह बूढ़ी औरत अंदर से आई और मुस्कुराते हुए बोली की तुम मेरे बेटे के जैसे हो अगर तुम्हें काम की तलाश है तो मेरे पास बहुत काम है| अगर तुम करना चाहते हो तो तुम कर सकते हो।

    फिर बूढ़ी औरत ने राजेश को बोला कि बताओ अगर तुम काम करना चाहते हो तो मैं तुम्हें काम बताती हूँ| मेरे पास खेती करने लायक बहुत जमीन है| जिस पर तुम अपना भागया अजमा सकते हो| मैं तुम्हें महीने का 5 रूपया दूंगी और साथ में रहने को घर, खाने को खाना भी दूंगी| तुम्हें कहीं और पैसे लगाने की जरूरत नहीं है।

    फिर राजेश ने बोला कि मुझे जाने बिना तुम कैसे मुझे सवीकार कर रही हो मां? तो औरत ने बोला मैं मां हूँ और मैं सब जानती हूँ| अगर तुम डाकू भी हुए तो ज्यादा से ज्यादा क्या करोगे, मुझे लूट लोगे या मुझे मार दोगे| मुझे इस बात का बिल्कुल भी दर नहीं है| क्योंकि यह सब यहीं पर छूट जाना है तो मैं क्यों इस बात की चिंता करू| 

    अगर तुम मेरे साथ रहोगे तो मैं 1 से 2 हो जाऊंगी, हो सकता तुम्हारे बहाने में और जी लूं| क्योंकि मैं तो वैसे भी अपनी आगे की जिंदगी जीने का बहाना ढूंढ रही हूँ| यह सुनकर राजेश को महसूस हुआ उसका का पत्थर वाला दिल, मास का दिल हो गया है| जो कभी किसी का सर काटते समय बिल्कुल भी सोचता नहीं था उसकी आंखों में आज पानी बहने लगा|

    वह झट से बूढ़ी औरत के सीने से लग गया| फिर समय बीतता गया और कुछ समय के बाद राजेश को पता चला कि औरत का पति कम उम्र में ही मर गया था और उसका बेटा 20 साल की उम्र में नहाते समय डूब गया था| यह औरत कितनी महान है जिसने मेरे पत्थर दिल को मोम कर दिया।

    2. जज साहब और माँ की कहानी – Emotional Motivational Story in Hindi – 

    तो दोस्तों आज मैं आपके साथ डीआईजी रवि कुमार और उनके मित्र जज की कहानी शेयर करने जा रहा हूँ| एक रात डीआईजी रवि कुमार को शाम के 8 बजे फोन आया, उन्होंने फोन उठाया तो उधर से रोने के आवाज़ें आ रही थी| फिर मेने पूछा भाभी जी आखिर हुआ क्या है तो उन्होंने कहा कि आप कितनी देर मई आ सकते है| फिर डीआईजी साहब ने पूछा कि भाभी जी हुआ क्या है, आप रो क्यों रही है, मुझे बात तो बताइए| भाई साहब कहां है, माता जी कहां हैं, बच्चे कहाँ हैं| 

    तब उधर से सिर्फ एक ही आवाज है आप कहां है और कितनी देर से आ सकते हैं| तो मैने (डीआईजी) ने उनको आश्वासन देते हुए कहा कि मुझे आने में 1 घंटा लगेगा| फिर मैं उधर भाभी जी के घर पर पहुंचा तो देखा वहां पर भाभी जी फूट-फूट कर रो रही थी| जज भाई साहब साथ में बैठे थे, बच्चे भी साथ में बैठे थे|

    पहले मुझे लगा कि यह मजाक है लेकिन जब मैंने बात पूछी तो भाभी जी ने बताया कि आपके भाई साहब ऑफिस से ही Divorce के पेपर तैयार करके लेकर आए हैं| तो मैंने उनसे कहा कि यह कैसे हो सकता है, आपकी तो इतनी अच्छी फैमिली है, 2 बच्चे हैं| तो फिर आप Divorce क्यों दे रहे हैं|

    मैने बच्चों से पूछा कि उन्होंने बताया कि पापा 3 दिन पहले दादी को आश्रम में छोड़ आए हैं। फिर मैंने नौकर को चाय लाने के लिए बोला, नौकर थोड़ी देर में चाय लेकर आया तो मैंने भाई साहब को चाय पीने के लिए बोला| परंतु उन्होंने चाय नहीं पी और बच्चों की तरह मासूम हो कर रोने लगे| तो मैंने उससे पूछा आखिर बात क्या हुई है आप Divorce क्यों दे रहे हैं| 

    तो भाई साहब ने बोला कि मुझे 3 दिन हो गए मैंने कुछ नहीं खाया| मैं अपनी 70 साल की मां को अनजान लोगों के हवाले भी वृद्धाश्रम में छोड़ कर आया हूं| ऐसा मैंने इसलिए किया है क्यूंकि कुछ सालों से मेरे घर में मेरी मां के लिए मुसीबतें बढ़ती जा रही है| ना मेरी बीवी उनसे अच्छे से बात करती है, ना ही मेरे बच्चे अच्छे से बात करते हैं| जब भी मैं कोर्ट से वापस आता हूँ, मेरी मां मेरे पास बैठ कर खूब रोती थी| 

    मुझे 15 दिन पहले ही माँ ने बोल दिया था कि मुझे आश्रम में छोड़ आये| मैंने मई को समझने की बहुत कोशिश की लेकिन माँ नहीं मानी| क्योंकि उनसे कोई बात नहीं कर रहा था| मुझे याद है जब मैं 3 साल का था तब पिताजी की मृत्यु हो गई थी, तो माताजी ने मुझे लोगों के घर पर काम करते हुए पाला था|

    जब वह लोगों के घर पर काम करती थी तब भी उस वक्त मुझे अकेला नहीं छोडती थी| आज उसी मेहनत के बदौलत मैं इस काबिल बना हूं कि आज मैं जज बन पाया हूँ| लेकिन फिर भी मैं अपनी माँ को वृद्ध आश्रम में छोड़ आया हूं और पिछले 3 दिनों से मैं अपनी मां की ऐसी हालत को याद कर कर के परेशान हो रहा हूँ| 

    मुझे आज भी याद है जब मेरी 12th की परीक्षा दी तो माँ रात रात भर बैठ कर मेरे साथ जगती थी और मुझे पढ़ाती थी| एक बार जब माँ को बहुत ज्यादा बुखार हुआ तो मैं स्कूल से आया तो देखा कि मां का शरीर गर्म हो रहा है| तो माँ ने हंसते हुए बोला बेटा मैं तुम्हारे लिए खाना बना रही थी इसलिए शरीर गर्म है और तो और माँ ने लोगों से उधार लेकर मुझे दिल्ली विश्वविद्यालय में LLB की पढ़ाई कराई और मुझे ट्यूशन पढ़ाने की इजाजत भी नहीं था|  कहीं मेरी पढ़ाई में कोई बिघन ना आ जाए| 

    इतना कहते ही जज साहब फिर से रोने लगे और कहने लगे जब मैं अपनी मां का नहीं हो सका तो मैं अपनी बीवी और बच्चों का कैसे हो सकता हूँ| जिस माँ ने मेरे लिए इतनी तकलीफ उठाई आज में उसे वहां छोड़ा है जहां उसके बारे में कोई कुछ नहीं जानता उसकी बीमारी, उसकी आदतों के बारे में किसी को कुछ नहीं मालूम  नहीं है| जब मैं अपनी मां का भला नहीं कर सकता तो मई अपनी बीवी और बच्चों का भला कैसे कर सकता हूँ|

    जब मैं अपने पिता के बिना सकता हूँ| यह बच्चे भी अपने पिता के बिना रह जाएंगे| मैं अपनी सारी प्रॉपर्टी अपनी बीवी-बच्चों के नाम कर के आश्रम में चला जाऊंगा,अपनी मां के साथ रहूंगा क्योंकि एक ना एक दिन मुझे भी वही तो जाना है| मैं अभी से माँ के साथ वहां रहूंगा, मुझे भी आदत पड़ जाएगी| बातें करते करते रात के 1 बज गए| तो मैंने भाभी जी और बच्चों का चेहरा देखा और भाई साहब को बोला कि चलो अभी अमृतसर वृद्ध आश्रम में चलते हैं और माँ जी को लेकर आते|

    जब मैं अपने पिता के बिना सकता हूँ| यह बच्चे भी अपने पिता के बिना रह जाएंगे| मैं अपनी सारी प्रॉपर्टी अपनी बीवी-बच्चों के नाम कर के आश्रम में चला जाऊंगा,अपनी मां के साथ रहूंगा क्योंकि एक ना एक दिन मुझे भी वही तो जाना है| मैं अभी से माँ के साथ वहां रहूंगा, मुझे भी आदत पड़ जाएगी| बातें करते करते रात के 1 बज गए| तो मैंने भाभी जी और बच्चों का चेहरा देखा और भाई साहब को बोला कि चलो अभी अमृतसर वृद्ध आश्रम में चलते हैं और माँ जी को लेकर आते| 

    फिर वार्डन हमे माँ के कमरे में ले गई, वहां पर जज साहब की माताजी अपनी फैमिली फोटो को साइड में रख कर सो रही थी| फिर हमने कहा कि माता जी हम आपको लेने आया है| देखिए भाभी जी और बच्चे साथ आए हैं| इतना सुनते ही सारी फैमिली एक दूसरे को पकड़ कर रोने लगी| उनकी रोने की आवाज सुनकर सभी लोग अपने अपने कमरों से बाहर आ गए| सबकी आंखें थी फिर हम माताजी को जैसे तैसे करके आश्रम से बाहर ले आए और वहां खड़े सभी लोग आंखों में आशा की एक किरण थी की शायद कभी कोई उन्हें भी लेने आएगा| 

    फिर हम आश्रम से निकल पड़े और पूरे रास्ते भाभी जी और बच्चे बिलकुल शांत थे ओट भाई साहब और माता जी अपनों को याद करते हुए एक दूसरे से बातें कर रहे थे| घर पहुंचते-पहुंचते 4 बज गए| फिर मैं उनको घर छोड़कर अपने घर की ओर निकल पड़ा और मेरे दिमाग में बार-बार वही सारी बाते और दृश्य घूम रहे थे|

    Moral of The Story

    मां बाप अपने बच्चों की खुशियां और सुखद भविष्य के लिए अपना सब कुछ निछावर कर देते हैं| इसलिए हम बच्चों का भी फर्ज बनता है कि हम भी बुढ़ापे में उनकी सेवा करें| उन्हें कभी भी अकेला ना छोड़े।

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