Dost Ki Madad Moral Story in Hindi – दोस्तों क्या आप भी दोस्त की मदद की कहानी के बारे में सर्च कर रहे हैं| अगर ऐसा है तो आप बिल्कुल सही जगह पर आए है, क्यूंकि आज की इस पोस्ट में हम आपके साथ कुछ दिलचस्प और चुनिंदा Dकहानियां शेयर करने जा रहे हैं|
जैसे कि हम जानते हैं कि हर एक इंसान की जिंदगी में दोस्त का होना बहुत जरूरी है, क्योंकि दोस्त ही आपके अच्छे और बुरे समय में आपके साथ खड़े रहते हैं और आपका साथ कभी भी नहीं छोड़ते हैं| इसलिए हमने सोचा कि क्यों न आज आपके साथ ऐसे दोस्ती वाले किस्से शेयर करें जाये| तो चलिए दोस्तों अब हम शुरू करते हैं।
रोहित और रोशन की दोस्ती की कहानी – Dost Ki Madad Moral Story in Hindi
एक गांव में रोहित और रोशन नाम के 2 दोस्त रहते थे| वह बचपन से ही एक साथ बड़े हुए थे और स्कूल भी एक साथ ही जाया करते थे| दोनों मध्य वर्ग परिवार से तालुकात रखते थे| रोहित के पिताजी दुकान का काम करते थे और रोशन के पिताजी दर्जी का काम करते थे| समय के साथ अब दोनों बड़े हो गए थे| रोहित नौकरी करने के लिए चंडीगढ़ शहर में चला गया और रोशन अपने पिताजी के साथ दर्जी का काम संभालने लगा|
रोहित ने कुछ सालों बाद चंडीगढ़ में ही शादी कर ली थी| रोशन भी अपने दोस्त की शादी में चंडीगढ़ गया था| फिर रोशन के पिताजी ने रोशन का भी रिश्ता तय कर दिया थे और शादी का महूरत 6 महीने बाद का रखा था| लेकिन रोशन के पिताजी एकदम से बीमार हो गए और उनकी हार्ट अटैक की वजह से मृत्यु हो गई| अब घर का माहौल बहुत बुरा था| रोशन का भी रो रो कर बुरा हाल हो गया था| काफी समय तक तो रोशन को समझ ही नहीं आ रहा था कि उसके साथ हो क्या गया है|
अब शादी को लगभग 2 महीने बचे थे और रोशन का काम भी इतना ज्यादा अच्छा नहीं चल रहा था| रोशन के 2 बड़े भाई भी थे, लेकिन उन्होंने शादी में रोशन की मदद करने से साफ मना कर दिया था| अब रोशन को समझ नहीं आ रहा था कि वह शादी का खर्चा कैसे उठाएगा| रोशन को मालूम था कि अगर वह अपने दोस्त रोहित को बोलेगा तो वह उसकी मदद जरूर करेगा, लेकिन वह यह भी जानता था कि वह अगर रोहित को एक बार बोलेगा तो है मना भी नहीं करेगा|
रोहित का अक्सर ही रोशन को फोन आता रहता था और रोहित रोशन से पूछता रहता था कि उसका काम कैसे चल रहा है और शादी के लिए कुछ पैसों की जरूरत है या नहीं, लेकिन रोशन ने कभी भी रोहित के सामने पैसों का जिक्र नहीं किया था| फिर एक दिन रोहित को रोशन के पड़ोसी से पता चला कि रोशन के दोनों भाइयों ने शादी में पैसा लगाने को मना कर दिया है और रोशन बहुत परेशान रहता है और तुमसे भी कुछ नहीं बताता है|
यह सुनकर रोहित को बहुत बुरा लगा और अगले ही दिन रोहित अपने दोस्त रोशन के पास उसके घर पहुंच गया| रोहित ने रोशन के साथ बैठकर बातें करी और उसे समझाया, उसे हौसला दिया और कहा कि तुम घबराओ मत मैं हूं ना| तुम बस अपनी तैयारी पर ध्यान रखो बाकी सब कुछ मैं संभाल लूंगा| रोहित ने रोशन की शादी के काफी खर्च खुद ही संभाल लिए और शादी के इंतजाम भी खुद ही कर लिया और फिर रोशन की बड़ी ही धूमधाम से शादी भी हो गई।
रोशन कोई यह बात समझ आ गई थी कि रोहित उसके लिए उसके भाइयों से भी बढ़कर है और उसके दोस्त ने बिना कुछ सोचे समझे मुसीबत के समय उसकी मदद करी है|
नैतिक शिक्षा
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें अपने दोस्त की मदद करने से कभी भी पीछे नहीं हटना चाहिए| ह्मणसे जितना हो सके हमें उसकी मदद जरूर करनी चाहिए।
चीकू और माही के क्रिकेट सिलेक्शन की कहानी
दोस्तों यह कहानी दिल्ली जैसे शहर की है| जहां पर लोग अपने रोजाना जिंदगी में इतना व्यस्त थे कि उनके पास आस अपने आस पड़ोस के साथ बात करने का भी समय नहीं था| लेकिन वही दिल्ली शहर की एक सोसाइटी में 2 लड़के रहते थे| एक लड़के का नाम चीकू और एक का नाम माही था| दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे| दोनों को क्रिकेट खेलने का बहुत शौक था| वह दोनों साथ में ही शाम को क्रिकेट खेलने जाया करते थे| उन दोनों का बचपन से ही सपना था कि वह बड़े होकर इंडिया क्रिकेट टीम में खेलेंगे|
दोनों साथ में ही स्कूल जाते थे और स्कूल से आकर स्कूल का होमवर्क ख़तम करके शाम को दोनों क्रिकेट खेलने के लिए ग्राउंड में चले जाते थे| समय बीतता गया और दोनों बड़े हो गए| दोनों ने दिल्ली में ही क्रिकेट अकैडमी में एडमिशन ले लिया| दोनों की बहुत अच्छी क्रिकेट खेलते थे| दोनों बैटिंग करना पसंद करते थे|
माही लगातार अपनी क्रिकेट के ऊपरम्हणत रहता था, लेकिन चीकू ऐसा नहीं करता था| अब उसके नए दोस्त बन गए थे, वह अपने दोस्तों के साथ मार्केट में बाइक पर घूमता फिरता रहता था| ऐसे करते करते वह अपने नए दोस्तों के साथ ज्यादा रहने लगा और धीरे-धीरे उसका ध्यान क्रिकेट की ओर कम होता गया| उसे अपने नए दोस्त बहुत अच्छे लगने लगे| शाम को वह उनके साथ बाइक पर घूमता, मूवी देखने जाता, पार्टी करने भी चला जाता था|
माही को यह सब कुछ देख कर बुरा लग रहा था कि हम दोनों ने साथ में इंडिया टीम के लिए क्रिकेट खेलने का सपना देखा था| लेकिन चीकू अपने मकसद से भटक रहा है| माही चीकू को बहुत बार समझाने की कोशिश करता, लेकिन चीकू माही की कोई बात नहीं सुनता और अपने दोस्तों के साथ पार्टी करने चला जाता|
फिर कुछ समय के बाद इंडिया U-19 क्रिकेट टीम में सिलेक्शन होना था| माही ने बहुत अच्छा प्रदर्शन करि और वही चीकू ने बिलकुल साधारण प्रदर्शन करा| जिसके चलते चीकू सेलेक्ट नहीं हो पाया और माही सेलेक्ट हो गया| तब चीकू को इस बात का एहसास हुआ कि काश वह अपने दोस्त माही की बात सुन लेता और उसके साथ क्रिकेट में पूरी मेहनत करता| तो शायद आज वह भी इंडिया U-19 क्रिकेट टीम के लिए सिलेक्ट हो जाता|
अब से चीकू ने अपने नए दोस्तों की संगत छोड़ दी और क्रिकेट पर पूरा फोकस करने लगा और माही भी अपने दोस्त की प्रैक्टिस में पूरी मदद करता और अगले साल इंडिया U-19 क्रिकेट टीम के लिए सिलेक्ट हो गया और वह दोनों इंडिया टीम की U-19 टीम में खेलने लगे|
नैतिक शिक्षा
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि अगर हम अपने फोकस पर कायम नहीं रहेंगे तो हम अपनी मंजिल को हासिल नहीं कर पाएंगे| इसलिए हमें अपने दोस्तों की बात सुननी चाहिए।
नील और राकेश की दोस्ती की कहानी
फाजिल्का शहर में 2 दोस्त रहा करते थे| एक का नाम राकेश और दूसरे का नाम नील था| राकेश के पिताजी मेहनत मजदूरी करके अपने परिवार का निर्वाह करते थे और वही नील के पिताजी काफी बड़ी कंपनी के मालिक थे| लेकिन कभी भी नील ने राकेश को छोटा महसूस नहीं करवाया और दोनों एक दूसरे के पक्के दोस्त थे|
एक दिन नील के पिताजी ने शहर से बाहर जाकर एक ओर कंपनी खोलने का निर्णय लिया और वह दूसरे शहर अपने परिवार को लेकर चल गए| राकेश और नील को एक दूसरे से बिछड़ने का गम बहुत था| लेकिन वह दोनों हमेशा चिट्ठी और फोन पर बात करते रहते थे| उन दोनों ने इस दूरी को एक दूसरे की दोस्ती के बीच नहीं आने दिया|
एक दिन अचानक राकेश के पिताजी की मृत्यु हो गई| राकेश के पिताजी काफी बीमार रहते थे और उन्हें सारा दिन कड़ी मेहनत करनी पड़ती थी| जिसके कारण दिन-ब-दिन उनकी तबीयत खराब होती रही| लेकिन मजबूरी के कारण वह आराम नहीं कर सकते थे| इसलिए उनकी मृत्यु हो गई और परिवार में मातम फैल गया| भले ही वह छोटे पद्द पर थे, लेकिन वह सरकारी नौकरी करते थे|
सरकारी नियमों के अनुसार राकेश की पिता की नौकरी उसके बड़े बेटे रमेश को मिल गई| एक तरफ गम का माहौल था लेकिन दूसरी तरफ इस बात की तसल्ली थी कि घर का गुजारा चलता रहेगा, क्योंकि राकेश को मिलाकर उनका काफी बड़ा परिवार था और राकेश से छोटे तीन भाई बहन थे| अब उनका बड़ा बेटा रमेश उनके पिताजी की जगह दफ्तर जाने लग गया| काफी समय बीत गया रमेश कमाई करके आता और अपने परिवार का निर्वाह करता रहा|
रमेश की उम्र काफी हो चुकी थी इसीलिए उसकी मां ने निर्णय लिया कि वह उसके बेटे की शादी करवा दे| फिर जब रमेश की शादी हुई तो उसकी पत्नी ने उसे परिवार से दूर करने की कोशिश की और हर दिन ऐसा होते हुए रमेश ने एक दिन परिवार से अलग होने का निर्णय ले लिया| अब रमेश अपनी पत्नी को लेकर दूसरे शहर बस गया|
परिवार में मुसीबतें बढ़ गई, क्योंकि अब उनके घर में कमाने वाला कोई नहीं था| रमेश के बाद राकेश अपने परिवार में बड़ा था| अब राकेश ने निर्णय लिया कि वह काम करेगा, इसीलिए उसने पढ़ाई छोड़ दी और काम करने लग गया| राकेश जिस शहर में रहता था, वह काफी छोटा था और वहां काम के अवसर भी काफी कम थे| इसीलिए उसने घर से बाहर जाने का निर्णय ले लिया|
राकेश अपने शहर से 50 किलोमीटर की दूरी पर एक दूसरे शहर पर काम की तलाश में निकल गया| राकेश पढ़ाई में काफी होशियार था और उसकी डिग्री की मदद से उसे एक कंपनी में जॉब मिल गई| राकेश बहुत खुश था और उसने घर पर फोन करके बताया कि उसकी नौकरी लग चुकी है और वह अब हर महीने घर पर पैसे भेज करेगा| राकेश के भाई बहन और उसकी मां भी काफी खुश थे|
राकेश का काम पर पहला दिन था| राकेश समय से पहले ही काम पर पहुंच गया था क्योंकि वह अब लेट नहीं होना चाहता था और अपना अच्छा काम प्रदर्शित करके खूब पैसे कमाना चाहता था| लेकिन राकेश का जो सीनियर था वह काफी आइडियल था| राकेश को उसने पहले ही दिन काम में बहुत तंग किया| लेकिन राकेश उसकी परवाह ना करके मन लगाकर काम करने लग गया| अब हर दिन राकेश को उसके सीनियर हरीश के साथ ही काम करना था और हरीश अपने स्वभाव की वजह से हर दिन राकेश को परेशान करने लग गया था|
राकेश फिर भी सारी बातें छोड़कर अपने काम पर ही ध्यान लगाता| ऐसे करते हुए काफी महीना बीत गया, अब राकेश को कंपनी का सारा काम समझ आ गया था| लेकिन हरीश ने उसका जीना हराम कर रखा था| राकेश ने एक दो लोगों से बात करने की कोशिश भी की, लेकिन कोई भी उसकी मदद नहीं कर सकता था, क्योंकि हरीश सभी का सीनियर था और वह अपनी मनमर्जी चलाता था|
फिर एक दिन राकेश ने तंग आकर कंपनी छोड़ने का निर्णय लिया, क्योंकि अब उसे काम का काफी अच्छा अनुभव भी हो चुका था और उसे उम्मीद थी कि वह जब इस नौकरी को छोड़कर किसी और कंपनी में अच्छी पोजीशन हासिल कर सकता है| फिर राकेश ने अपनी मां को घर पर फोन किया और सारी बात बताई| उसकी मां परेशान हो गई कि अब अगर राकेश को दूसरी नौकरी ना मिली तो घर का खर्चा कैसे चलेगा|
राकेश भी काफी परेशान था, लेकिन वह क्या करता, उसके पास इस नौकरी को छोड़ने के अलावा दूसरा और कोई रास्ता नहीं था| फिर राकेश ने सोचा कि वह अपने किसी और सीनियर से बात करता है, वह वहां गया और सारी बात उन्हें बताई| उन्होंने कहा कि अगर तुम हमारी कंपनी के मालिक को सारी बातें बताओगे तो वह तुम्हारी मदद जरूर करेंगे|
फिर राकेश अपनी कंपनी के मालिक के पास गया और वहां देखकर राकेश बहुत हैरान हो गया क्योंकि उसका मालिक उसके बचपन के मित्र नील के पिताजी थे| नील के पिताजी भी राकेश को देखकर बहुत खुश हुए| फिर राकेश ने अपनी सारी समस्या उन्हें बताई और नील के पिताजी ने हरीश को नौकरी से निकाल दिया और नील के पिताजी राकेश को अपने घर भी लेकर गए|
राकेश नील को देखकर बहुत खुश हुआ और नील भी उसे देखकर बहुत प्रसन्न हुआ| बातों बातों में नील के पिताजी ने राकेश की सारी परेशानी नील को बताई| फिर नील के कहने पर ओर राकेश के अच्छे काम और अनुभव की वजह से नील के पिताजी ने राकेश को ऊंचे पद्द पर निकुयात कर दिया और राकेश की तनखाह भी पहले से ज्यादा कर दी| इस प्रकार नील ने राकेश की मदद करी और अब राकेश भी समय के साथ साथ अमीर हो गया|
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लोमड़ी और कछुए की दोस्ती की कहानी
एक बार एक जंगल में एक लोमड़ी और एक कछुआ रहता था| दोनों अच्छे दोस्त थे। कछुआ तालाब में पानी के अंदर रहता था और लोमड़ी उसी तालाब के पास एक मोद में रहती थी| वह अक्सर ही शाम को बैठकर गप्पे मारा करते थे| 1 दिन की बात है कि कछुआ और लोमड़ी बैठकर बातें कर रहे थे तभी वहां पर एक शेर आ गया शेर आ गया| दोनों अपनी अपनी जान बचाने के बारे बचाने लगे|
लोमड़ी भागकर अपनी मोद में घुस गई और अपनी जान बचा ली| लेकिन कछुआ अपनी धीमी चाल की वजह से शेर के पास फस गया| शेर ने कछुए को अपने हाथ के पंजों में उठाया और उसे अपने मुंह में डालने लगा| तभी कछुआ अपनी खोल के अंदर छुप गया| लोमड़ी ने अपने मित्र कछुए की जान बचाने बचाने के बारे में सोचा| फिर लोमड़ी ने शेर से कहा है महाराज इस कछुए ने खुद को अपने खोल के अंदर छुपा लिया है| इसको खोल से बाहर निकालने का उपाय मुझे मालूम है? अगर आप अनुमति दें तो मैं आपको बता सकती हूँ|
शेर ने कहा हां बताओ यह कछुआ खोल से बाहर कैसे आएगा| तब चालाक लोमड़ी ने शेर से कहा कि आप इसे पानी में छोड़ दो, पानी में जाने की वजह से इसकी खोल नरम हो जाएगी और यह खोल से बाहर आ जाएगा| शेर लोमड़ी की बातों में आ गया और उसने कछुए को पानी में फेंक दिया| पानी में जाते ही कछुआ वहां से भाग गया और इस प्रकार लोमड़ी ने खुद की और कछुए की जान बचा ली।
नैतिक शिक्षा
इस कहानी से हमे यह शिक्षा मिलती है कि मुसीबत में हमे अपनों का साथ कभी नहीं छोड़ना चाहिए और मुर्ख शेर की तरह बिना सोचे समझे किसी की बत्तों में नहीं आना चाहिए|
मुसीबत में दोस्त का साथ देने की कहानी
यह कहानी राजस्थान के एक छोटे से गांव की है, जहां पर रोहन और मोहन 2 दोस्त रहते थे| उन दोनों की मित्रता की मिसाले आसपास के रहने वाले लोग भी दिया करते थे| वह दोनों साथ में ही खेलते थे और स्कूल भी साथ में ही जाया करते थे| एक दिन रोहन बीमार हो गया और वह स्कूल नहीं जा पाया| लेकिन मोहन उस दिन स्कूल गया था|
जब मोहन को मालूम पड़ा कि उसका दोस्त रोहन बीमार है इसलिए स्कूल नहीं आया है, तब मोहन का भी मन पढ़ाई में नहीं लगा और उसे यह चिंता सताती रही कि उसका दोस्त कैसा होगा? जैसे ही स्कूल से छुट्टी हुई मोहन भागकर अपने दोस्त रोहन के घर पर पहुंचा| वहां जाकर उसने देखा कि मोहन को तेज बुखार है और उसका शरीर भी कांप रहा है|
उस समय रोहन के माता-पिता भी किसी काम से शहर गए हुए थे और उनके लिए उसी समय वापस आ पाना मुश्किल था| तब मोहन ने अपने दोस्त रोहन की देखभाल करी, वह उसके घर पर रहा, उसे समय पर दवाइयां दी, उसके खाने-पीने का प्रबंध करा| तब मोहन के पिता को अपने बेटे पर बहुत गर्व महसूस हुआ कि वह अपने दोस्त के साथ ऐसी परिस्थिति में भी साथ खड़ा है|
फिर कुछ दिनों में रोहन की तबीयत बिल्कुल ठीक हो गई और उसके माता-पिता भी गांव वापस पहुंच गए| उनके माता-पिता मोहन की निस्वार्थ अपने दोस्त रोहन की सहायता करने पर बहुत गर्व महसूस हुआ और उन्होंने मोहन का धन्यवाद भी किया| तब से रोहन और मोहन की दोस्ती पहले से भी मजबूत हो गई और उन रोहन को इस बात का एहसास हो गया कि जब भी रोहन को जरूरत होगी मोहन हमेशा उसके साथ ही खड़ेगा|
अब रोहन मोहन पर आँखे बंद करके भरोसा भी कर सकता था। तब रोहन और मोहन ने सीखा कि सच्ची दोस्ती केवल एक दूसरे के साथ मस्ती करने में नहीं बल्कि एक-दूसरे के साथ मुश्किल समय में समर्थन करने से है।
नैतिक शिक्षा
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें मुश्किल समय में अपने सच्चे मित्र का साथ कभी भी नहीं छोड़ना चाहिए।
हैरी और रवि की दोस्ती की कहानी
एक बार पंजाब के मोहाली जिले में एक छोटे से गांव में रवि और हैरी नाम के 2 लड़के रहते थे| वह दोनों बहुत अच्छे मित्र थे| वह साथ में ही खेलते थे और स्कूल भी साथ में ही जाया करते थे| रवि पढ़ाई में बहुत होशियार था, लेकिन हैरी पढ़ाई में ठीक-ठाक ही था| वह हमेशा चीटिंग करके ही पास होता था| लेकिन रवि हमेशा क्लास में टॉप करता था|
समय बीतता गया और दोनों बड़े होते गए| अब जब भी रवि क्लास में टॉप करता हैरी को उस से चिढ़ मचती और हैरी हमेशा यह सोचता रहता कि 1 दिन रवि किसी अच्छी यूनिवर्सिटी में दाखिला ले लेगा और वह इसी गांव में ही रह जाएगा| क्योंकि रवि के पिताजी के खुद एक डॉक्टर थे और हैरी के पिता जी गांव में सब्जी का काम करते थे| ठीक वैसा ही हुआ रवि फिर से क्लास में फर्स्ट आया और उसने मेडिकल की पढ़ाई के लिए चंडीगढ़ में एडमिशन ले लिया और वही हैरी अपने गांव के स्कूल में स्पोर्ट्स टीचर बन गया।
हैरी हमेशा ही रवि की कामयाबी से चिढ़ता रहता था| फिर 1 दिन हैरी के पिताजी का देहांत हो गया और वह बहुत परेशान था| उसके साथ बात करने के लिए भी कोई नहीं था| फिर 1 दिन रवि का फोन आया रवि का नाम सुनते ही हैरी की आंखों में पानी आ गया| उसने रवि से बहुत समय बाद इतनी लंबी बात करी और रवि को अपने पिता के देहांत के बारे में सारी बात बताई| रवि ने भी हैरी की पूरी बात सुनी| उसके बाद से हैरी और रवि की अक्सर ही फोन पर लंबी लंबी बातें होती रहती और उनके बीच अब दोस्ती पहले से भी मजबूत हो गई।
नैतिक शिक्षा
इस कहानी से हमे यह शिक्षा मिलती है है हमे अपने दोस्त की कामयाबी से चिढ़ना नहीं चाहिए बल्कि खुश होना चाहिए|
Conclusion
उम्मीद करते हैं कि हमारे द्वारा शेयर करी गई Dost Ki Madad Moral Story in Hindi आपको काफी पसंद आई होगी और इन कहानियों को पढ़कर आप भी दोस्ती की अहमियत को जरूर समझेंगे| अगर आपको हमारे द्वारा शेयर करी गई कहानियां पसंद आई हो या फिर आप हमें कोई राय देना चाहते हैं तो नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट कर सकते हैं।
FAQ (Frequently Asked Questions)
लोमड़ी ने कछुए को बचाने का क्या उपाय सोचा?
जब कछुए ने खुद को अपनी खोल के अंदर छुपा लिया तो लोमड़ी ने शेर से कहा कि अब कछुए को पानी में फेंक दो| पानी में जाकर इसकी खोल नरम हो जाएगी और कछुआ खोल से बाहर आ जाएगा| फिर पानी में जाते ही कछुआ वहां से भाग गया।
शेर ने क्या मूर्खता की?
शेर ने चलाक लोमड़ी की बातों में आकर अपने हाथ में आए हुए कछुए को पानी में छोड़ दिया और मूर्ख बन गया।
कछुए की जान कैसे बची?
चालक लोमड़ी की बातों में आकर शेर की मूर्खता से कछुआ की जान बच गई और वह अपने घर तलाब में पहुंच गया।