Class 2 Short Moral Stories in Hindi – अगर आप दूसरी कक्षा में पढ़ते हैं या फिर आपका बच्चा दूसरी कक्षा में पढ़ता है और आप hindi story for class 2 with moral के बारे में सर्च कर रहे हैं तो आप बिल्कुल सही जगह पर आए, क्योंकि इस लेख में हम आपके साथ कक्षा 2 के बच्चों के लिए नैतिक कहानियां शेयर करने जा रहे हैं| जिन्हें पढ़कर आपको काफी मजा आएगा और साथ में आपको काफी कुछ सीखने को भी जरूर मिलेगा।
लालची चूहा और व्यापारी की कहानी – Class 2 Short Moral Stories in Hindi
एक बार एक गांव में एक व्यापारी रहता था, जिसकी अनाज की काफी बड़ी दुकान थी| उसकी बीमारी की दुकान पर गेहूं, चावल, दाल काफी मात्रा में पड़े रहते थे| व्यापारी की दुकान के पास एक चूहा रहता था| चूहा बहुत ज्यादा लालची था| शुरुआत में चूहा व्यापारी की दुकान पर जब जाता तो व्यापारी भी उसे खाने के लिए गेहूं दे देता था| चूहा रोजाना सुबह शाम व्यापारी की दुकान पर जाता और खाने के लिए गेहूं ले लेता|
फिर एक दिन चूहे ने देखा कि व्यापारी की दुकान पर गेहूं की काफी ज्यादा बोरियां पड़ी है, यह देखकर चूहे के मन में ललचा आ गया| चूहा सोचने लगा कि मैं व्यापारी से सुबह शाम जाकर गेहूं लेता हूं, अगर मैं गेहूं को एक बार में ही चुरा लूं, तो मुझे रोज रोज यहां आने की जरूरत नहीं पड़ेगी और मैं अपनी बिल में बैठकर ही शांति से गेहूं खाता रहूंगा|
फिर चूहे ने सोचा कि जब रात के समय व्यापारी दुकान बंद करेगा, तब वह चोरी से दुकान के अंदर घुस जाएगा| ठीक वैसा ही हुआ, जैसे ही व्यापारी दुकान बंद करने लगा और व्यापारी ने दुकान की लाइट बंद करी, चूहा चोरी से दुकान के अंदर घुस गया| व्यापारी दुकान का दरवाजा बंद करके अपने घर चला गया|
चूहा इतना सारा गेहूं, चावल देखकर खुश हो गया और अब उसकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा| चूहा कभी एक गेहूं की बोरी पर छलांग लगता कभी दूसरी बोरी पर, कभी चावल खाता, कभी दाल खाता| चूहा पेट भर के खाना खाने लगा, जब चूहे का पेट भर गया तो वह बोरियों को अपने मुंह से काटने लगा, जिससे गेहूं बोरियों से बाहर निकलने लगा और जमीन पर गिरने लगा|
चूहा को ऐसा कुछ करके बहुत खुशी मिल रही थी| तभी चूहे की नजर एक काफी बड़ी बोरी पर पड़ी| चूहे ने सोचा कि इस बोरी में कुछ खास लगता है, चलो अब मैं इसमें से कुछ निकाल कर खाता हूं| जब चूहा बोरी के पास गया तो उसने बोरी को मुंह से काटा, बोरी का मुंह काफी बड़ा हो गया और उसमें से गेहूं निकालने लगा| सारा गेहूं चूहे के ऊपर गिरने लगा| गेहूं इतना ज्यादा था कि चूहा गेहूं के नीचे दब गया और धीरे-धीरे बोरी भी चूहे के ऊपर गिर गई|
चूहे ने की बोरिस के नीचे से निकलने की बहुत कोशिश करी, लेकिन वह असमर्थ रहा और वही तड़पने लगा| तब चूहे के मन में आया कि रोजाना वह व्यापारी से खाने के लिए गेहूं लेता था, व्यापारी उसे दे देता था| लेकिन आज मेरे लालच की वजह से मैं आज इस बोरी के नीचे फंस गया हूं और मैं निकल भी नहीं पा रहा हूं| लगता है कि मैं आज इसी बोरी के नीचे मर जाऊंगा| काफी देर कोशिश करने के बाद चूहा बोरी के नीचे से निकल पाया नहीं और अंत में चूहे की मौत हो गई|
नैतिक शिक्षा
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें कभी भी लालच नहीं करना चाहिए, हमें समय पर जो मिल रहा है हमें उसी से खुश रहना चाहिए।
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छोटे बच्चे और दादी की कहानी
एक बार एक छोटा बच्चा रात के समय अपनी दादी के पास बैठा था और वह दादी से काफी देर तक बातें कर रहा था| दादी को अपने पोते के साथ समय बिताना बहुत अच्छा लगता था| अब रात काफी हो रही थी, दादी अपने पोते को सोने के लिए कह रही थी| लेकिन पोता मान नहीं रहा था और कह रहा था कि दादी मां मुझे आज कोई कहानी सुनाओ| दादी के काफी मना करने के बाद भी पोता नहीं माना और जिद करने लगा| फिर दादी ने कहा कि ठीक है चलो मैं आज तुम्हें एक कहानी सुनाती हूं|
दादी पोते से कहती है कि कहानी उस समय की है जब एक बार गांव से तीन आदमी काम की तलाश में किसी दूसरे गांव की ओर जा रहे थे| जब वह घर से निकले तब उनके पास खाने के लिए बहुत कम खाना था और उन्हें यह भी नहीं मालूम था कि उन्होंने काम की तलाश में कहां जाना है| सुबह से शाम हुई और शाम से रात हो गई लेकिन उन्हें कोई भी काम नहीं मिला|
अब उनको भूख भी लग रही थी, फिर उन तीनों ने अपने थैले से खाना निकाला और खाकर वही सो गए| फिर अगली सुबह हुई तीनों फिर काम की तलाश में निकल गए| सुबह से दोपहर हो गई, अभी भी उन्हें किसी भी गांव में कोई भी काम नहीं मिल रहा था| अब उन तीनों को बहुत ज्यादा भूख लग रही थी, लेकिन उनके पास खाने के लिए कुछ नहीं बचा था| उन्होंने सोचा कि हम थोड़ी आगे चलते हैं क्या पता हमें कोई काम और कुछ खाने के लिए भी मिल जाए?
कुछ दूर जाने के बाद उन्हें काम मिल गया और वह वहां पर मजदूरी का काम करने लगे| थोड़ी देर काम करने के बाद उन्होंने सोचा कि हम कुछ खा लेते हैं, लेकिन उनके पास खाने के लिए कुछ नहीं था| तब उन्होंने देखा कि दूर खेत में एक पेड़ लगा हुआ है, जहां पर गुलगुले उग रहे हैं| उन्होंने जाकर गुलगुले खाने शुरू कर दिए| जब उन तीनों का पेट भर गया, वह वापस अपने काम पर चले गए|
फिर काम करते-करते रात हो गई, उन्होंने सोचा कि हम फिर वही गुलगुले के पेड़ पर पास जाकर गुलगुला खा लेंगे और अपना पेट भरकर सो जाएंगे| फिर अगली सुबह हुई वह फिर काम पर चले गए और दोपहर होते होते उनको भूख लगने लग गई| फिर तीनों खेत में गुलगुले के पेड़ के पास गए और वहां खड़े होकर गुलगुले खाने लगे| खाते-खाते तीनों के दिमाग में आया कि हम रोज इतनी दूर गुलगुले खाने इस पेड़ के पास आते हैं और इस पेड़ पर कितने ज्यादा गुलगुले अभी भी लगे हुए हैं|
अगर हम इस पेड़ को उखाड़ कर, जहां हम काम करते हैं वही ले जाए तो हमें बार-बार यहां आने की जरूरत नहीं पड़ेगी| तीनों दोस्त एक दूसरे की बात के साथ सहमत हो गए और वह उस पेड़ को उखाड़ कर अपने काम वाली जगह पर ले गए और वापस काम करने लग गए| काम करते-करते रात हो गई और उन्होंने फिर पेड़ पर लगे हुए गुलगुले तोड़कर खा लिए| अगली सुबह हुई और वह फिर काम करने लग गए|
जब उन्हें भूख लगी तो उन्होंने कहा कि हम चलो गुलगुले खा लेते हैं| जब वह तीनों दोस्त गुलगुले के पेड़ के पास गए, तो पेड़ को देखकर हैरान हो गए| उन्होंने देखा कि पेड़ पर लगे सभी गुलगुले सढ़ गए हैं, अब वह खाने लायक नहीं रहे हैं| यह देखकर तीनों दोस्त दुखी हो गए और सोचने लगे की जो पेड़ हमें रोजाना खाने के लिए गुलगुले देता था हमने लालच में आकर उसे ही उखाड़ दिया| अब यह पेड़ भी सढ़ रहा है और गुलगुले भी सब गए हैं और हम भूख से भी मार रहे हैं|
नैतिक शिक्षा
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें जो मिल रहा है हमें उसी से संतुष्ट रहना चाहिए, क्योंकि हमारा लालच हमें मिलने वाले फल से भी वंचित कर देता है।
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कुत्ते के बच्चे की कहानी – Moral Hindi Story For Class 2
एक बार एक गांव में एक कुत्ता अपनी बीवी और दो बच्चों के साथ रहता था| कुत्ते के दोनों बच्चे बहुत छोटे थे और वह सभी गांव के बाहर एक खेत के पास रहते थे| कुत्ता अक्सर ही अपने परिवार के लिए भोजन लेकर आता था, जिससे सारा परिवार पेट भरता था| कुत्ते की बीवी सारा दिन अपने बच्चों के साथ रहती और उनकी परवरिश करती थी|
एक दिन बच्चों की मां बीमार हो गई, तब उनके पिता उनकी मां के लिए खाने के लिए सामान लेकर आए, ताकि वह खाकर ठीक हो सके| लेकिन ऐसा नहीं हुआ, काफी दिन बीमार रहने के बाद बच्चों की मां की मौत हो गई| अब कुत्ता और दोनों बच्चे बहुत दुखी रहने लगे| दोनों बच्चों में से एक बच्चा अपनी मां के बहुत करीब था, जो इस सदमे को बर्दाश्त ना कर सका और कुछ दिनों के बाद उस बच्चे की भी मौत हो गई|
अब कुत्ते के परिवार में कुत्ता और उसका एक बच्चा ही बचा था| कुत्ता अपने बच्चों को लेकर उस गांव से दूर किसी और गांव में चला गया, ताकि उसके बच्चे को अपनी मा और उसके भाई की याद ना आए| काफी महीने बीत गए अब कुत्ते का बच्चा भी थोड़ा सा बड़ा हो गया था| कुत्ता अक्सर अपने बच्चे के लिए खाना लेकर आता और उसका पेट भरता था|
कुत्ते का बच्चा बहुत ही ज्यादा प्यारा था|वह कभी-कभी अपने पिता के साथ गांव में चला जाता था और छोटे बच्चों के साथ खेलने लग जाता था| उन बच्चों में एक बच्चा जिसका नाम रवि था, उसको कुत्ते का बच्चा बहुत पसंद था| जब भी कुत्ते का बच्चा वहां पहुंचता रवि उसके साथ खेलता रहता था|
एक दिन रवि कुत्ते के बच्चे का इंतजार कर रहा था, लेकिन वह नहीं आया| काफी दिन बीत गए कुत्ते का बच्चा वहां नहीं आया| तब रवि ने सोचा कि जहां कुत्ता और उसका बच्चा रहता है, मैं वहां जाकर देखता हूं| जब वहां जाकर रवि ने देखा तो उसे पता चला कि बच्चे का पिता गाड़ी के नीचे आ गया, जिसकी वजह से उसकी मौत हो गई और कुत्ता का बच्चा अब अकेला रह गया है|
तब रवि ने कुत्ते के बच्चे को उठाया और साथ अपने घर ले गया और वह बच्चा रवि और उसके परिवार के साथ रहने लगा| रवि सारा दिन उस बच्चे का ध्यान रखता, उसके लिए खाने का सामान लता और उसके साथ खेलता रहता| ऐसे करते-करते काफी समय बीत गया और कुत्ते का बच्चा भी अब बड़ा हो गया और वह खुशी-खुशी रवि के परिवार के साथ रहने लगा|
चूहा और सांप की कहानी
एक जंगल में एक चूहा रहता था| उसने एक पेड़ के पास अपना घर बनाया हुआ था, जहां वह जमीन के अंदर रहता था| जब भी चूहे को भूख लगती वह अपनी बिल से बाहर निकलता और आसपास से कुछ खाने का सामान इकट्ठा करके अपनी बिल में घुस जाता| ऐसे ही चूहा अपना जीवन व्यतीत कर रहा था|
एक दिन जंगल में बाहर से एक सांप आ गया, सांप दिखने में बहुत डरावना था| वह अपने आसपास छोटे-मोटे जानवर को पकड़ कर खाकर अपना पेट भरता था| एक दिन चूहा जब अपनी बिल से बाहर निकलने लगा तो उसने देखा कि उसकी बिल के पास सांप बैठा है| अब चूहा बिल से बाहर नहीं निकल पा रहा, क्योंकि चूहे को मालूम था कि अगर बिल से बाहर निकलेगा तो सांप उसे देख लेगा और उसे निगल जायेगा|
यह सोचकर चूहा अपने बल के अंदर ही छुपा रहा| अब काफी समय बीत गया था, चूहे को भूख भी लग रही थी| लेकिन चूहा बिल से बाहर नहीं निकल पा रहा था| फिर शाम हो गई और सांप वहां से चला गया| फिर चूहा बिल से बाहर निकला और खाने का सामान इकट्ठा करके वापस अपनी बिल में घुस गया| फिर रात को चूहा सोचने लगा अगर सांप रोज यही बैठा रहेगा, तो मैं एक दिन भूख से मर जाऊंगा| उसे कुछ ना कुछ करना होगा, जिस से सांप से वह बच जाए और भूख से भी ना मरे|
फिर अगले दिन चूहा बिल से बाहर निकाला तो चूहा खाने का सामान ढूंढने लगा, तभी चूहे की नजर जंगल में दो शिकारियों पर पड़ी| चूहे ने सोचा अगर यह शिकारी सांप को पकड़ ले तो उसकी समस्या का समाधान हो सकता है| फिर चूहे ने सोचा की इन शिकारियों को सांप के पास कैसे लेकर जाया जाए? या फिर सांप को इन शिकारियों के पास कैसे लाया जाए?
फिर चतुर चूहा ने अपना दिमाग लगाया और वह सांप के पास चला गया| जैसे ही चूहा सांप के पास गया तो सांप ने चूहे को देखकर अपना मुंह खोल लिया और उसे खाने लगा| तब चूहे ने बोला कि हे भाई तुम मुझे मत खाओ, मैं नन्ही सी जान हूँ, मुझे खाकर तुम्हारा पेट नहीं भरेगा| अगर तुम्हें अपना पेट भरना है तो तुम मेरे साथ चलो, वहां पर काफी सारे छोटे-छोटे जानवर है, जिन्हें खाकर तुम अपना पेट भर सकते हो|
सांप भी चूहे की बात मानकर चूहे के पीछे-पीछे चलने लगा| थोड़ी देर चलने के बाद चूहा सांप को शिकारियों के पास ले गया और खुद वहां से भाग गया| तभी शिकारियों की नजर भी सांप पर पड़ी| शिकारियों को देखकर सांप घबरा गया| पहले सांप ने शिकारियों को डराने की कोशिश करी, लेकिन शिकारी बिलकुल भी नहीं डरे| फिर शिकारियों ने सांप को पकड़ लिया और उसका जहर निकाल दिया| फिर उन्होंने सांप को अपने थैले में डाला और अपने साथ शहर ले गए| इस प्रकार चूहे ने खुद की और दूसरों जानवरों की जान बचा ली|
नैतिक शिक्षा
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि अपने सामने आई मुसीबत को देखकर घबराना नहीं चाहिए, बल्कि अपना दिमाग लगाकर उसका सामना करना चाहिए।
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चतुर हंस और लोमड़ी
एक बार एक जंगल में हंसों का झुंड बैठा था| हंस वहां पर बैठकर आराम कर रहे थे, तभी वहां पर एक लोमड़ी आ पहुंची| जैसे ही लोमड़ी की नजर हंसो के झुंड पर पड़ी तो लोमड़ी बहुत खुश हो गई और उसने सोचा कि आज मैं सभी हंसों का शिकार करके अपना पेट भरूंगी|
वही जब हंसों की नजर लोमड़ी पर पड़ी तो सभी हंस सहम गए और लोमड़ी को देखकर डर गए| सभी हंस मन ही मन सोचने लगे कि आज यह लोमड़ी हम सब का शिकार कर देगी| फिर लोमड़ी भाग कर हंसों के पास आई और हंसों को सहमा हुआ देखकर लोमड़ी की हिम्मत और भी बड़ी गई| तब लोमड़ी ने हंसों को पूछा कि मरने से पहले अगर तुम्हारी कोई इच्छा है तो बताओ|
फिर चतुर हंस ने कहा कि हम परमात्मा को याद करना चाहते हैं| लोमड़ी उनकी बात मान गई और लोमड़ी ने कहा कि कर लो तुम अपने परमात्मा को याद| फिर पहला हंस परमात्मा का नाम पुकारने लगा, फिर दूसरा हंस जोर-जोर से परमात्मा का नाम पुकारने लगा, फिर तीसरा, फिर चौथ, ऐसे करते-करते सभी हंस जोर-जोर से चीखने लगे।
हंसों की आवाज इतनी ज्यादा हो गई कि लोमड़ी का सर दुखने लगा और लोमड़ी वहां से हंसो का शिकार करें बिना ही भाग गई|
नैतिक शिक्षा
इस कहानी से हमे यह शिक्षा मिलती है कि जैसे हंसों ने अपनी चतुराई और एकता से लोमड़ी से खुद की जान बचा ली, ठीक वैसे ही मुसीबत के समय हमे घबराना नहीं चाहिए, बल्कि मुसीबत का समाधान निकालना चाहिए।
नाचने वाली मछलियां और मछुआरा
एक गांव में एक मछुआरा रहता था| वह अक्सर ही मछलियां पड़कर उन्हें बेच कर घर का गुजारा करता था| वह मछुआरा बांसुरी बजाने में भी बहुत हुंअरबाज था| एक दिन मछुआरा नदी के किनारे पहुंचा और वहां बैठकर बांसुरी बजाने लगा| मछुआरा सोचने लगा कि मेरी बांसुरी की मधुर आवाज से मछलियां खुद ब खुद उसकी टोकरी में आकर बैठ जाएगी|
लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ, यह देखकर मछुआरा बहुत ज्यादा निराश हो गया और वह अपने घर की और वापस जाने लगा| जब मछुआरा घर पहुंचा तो मछुआरे ने घर से जाल उठाया और नदी के पास चला गया| फिर मछुआरे ने जल नदी में फेंका और काफी सारी मछलियां पकड़ ली| फिर मछुआरे ने मछलियों को अपनी टोकरी में डाला|
तब मछुआरे ने देखा की मछलियां जिंदा थी और उछल रही थी| यह देखकर मछुआरा कहने लगा कि हे मूर्ख मछलियों, जब मैं अपनी बांसुरी की मधुर आवाज तुम्हें सुना रहा था, तब तुम में से कोई भी नहीं नाच रही थी और जब मैं बांसुरी नहीं बजा रहा हूं तो तुम नाच रही हो।
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शेर और किसान – Hindi Story For Class 2 with Moral
एक बार जंगल का राजा शेर जंगल से बाहर गांव की ओर निकल पड़ा| वहां पर उसे एक लड़की खेत में काम करती हुई दिखाई दी| शेर को लड़की बहुत पसंद आई और उसे लड़की से प्रेम हो गया| फिर शेर अगले ही दिन लड़की के घर उसके पिता के पास पहुंचा और जाकर पिता से शादी की बात करने लगा| शेर को अपने पास देखकर किसान घबरा गया| फिर शेर ने कहा कि घबराओ मत मैं तुम्हारा शिकार करने नहीं बल्कि तुमसे बात करने आया हूं|
मुझे तुम्हारी लड़की बहुत पसंद है, मैं उस से विवाह करना चाहता हूं| किसान समझदार था, उसने सोचा अगर मैं शेर को सीधा इनकार कर दूंगा तो वह मुझे मार देगा| तब किसान ने कहा कि मेरी लड़की को तुम्हारे दांत और नाखून पसंद नहीं है| तुम पहले इसे कटवा कर आओ, फिर मैं तुम्हारी शादी अपनी लड़की के साथ करूंगा|
यह सुनने के बाद शेर वहां से चला गया और अगले ही दिन अपने दांत और नाखून कटवाकर वापस आ गया| फिर किसान ने देखा कि अब शेर के पास ना दांत है ना नाखून, अब शेर कमजोर हो चुका है| अगर कुछ दिन शेर शिकार नहीं करेगा तो वैसे ही मर जाएगा| तब किसान ने अपना दिमाग लगाया और कहा कि मैने पंडित से बात करी है और पंडित ने मुझे कहा कि 3 महीने बाद मैं अपनी लड़की का विवाह तुम्हारे साथ कर सकता हूं| यह सुनकर शेर बहुत खुश हो गया और वह वापस जंगल में चला गया|
काफी दिन बीत गए अब शेर के पास ना दांत थे और ना ही नाखून, जिसकी वजह से शेर किसी जानवर का शिकार नहीं कर पा रहा था| वह बहुत कमजोर हो गया था| ऐसे बिना शिकार करे कुछ दिन बीते और शेर भूख के मारे एक दिन मर गया| इस प्रकार चतुर किसान ने शेर से अपनी लड़की की जान बचा ली।
शहरी और ग्रामीण चूहे की कहानी
काफी समय पहले की बात है कि गांव में एक चूहा रहता था| उसका एक चूहा मित्र था जो शहर में रहता था| एक दिन ग्रामीण चूहे ने अपने शहरी चूहे मित्र को खाने के लिए आमंत्रित किया, तो शहरी चूहा भी अगले ही दिन अपने मित्र के पास गांव में चला गया|
ग्रामीण चूहे ने सोचा कि मेरा मित्र शहर से आ रहा है, मैं उसके लिए काफी अच्छा भोजन का इंतजाम करता हूं| ग्रामीण चूहे ने अपने शहरी चूहा मित्र के लिए बेर, मूंगफली, कंदमूल काफी कुछ इकट्ठा किया और उसके सामने रख दिया| जैसे ही शहरी चूहा भोजन को खाने लगा, तो शहरी चूहे ने कहा कि यह कैसा भोजन है? ना इसमें कोई स्वाद है, यह तो बिल्कुल फीका है| यह भोजन मुझे बिल्कुल पसंद नहीं आया| तुम इसे भोजन कहते हो? तुम कभी मेरे घर शहर में आना, मैं तुम्हें स्वादिष्ट भोजन खिलाऊंगा, तब तुम्हें पता चलेगा कि असली भोजन क्या होता है|
ग्रामीण चूहा भी अपने शहरी चूहे दोस्त की बात मान गया और उसने अपने मित्र के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया| कुछ दिन के बाद ग्रामीण चूहा अपने मित्र शहरी चूहे के घर पर गया| तब शहरी चूहे ने अपने ग्रामीण चूहे मित्र के सामने अंजीर, बादाम, खजूर, बिस्किट, मुरब्बा रखा| जैसे ही दोनों चूहे भोजन को खाने लगे, वहां पर उन्हें बिल्ली के आने का पता चला| वह दोनों बिल्ली को देखकर वहां से भाग गए|
शहरी चूहा की बिल इतनी तंग थी कि दोनों उसमें घुस नहीं सकते थे| शहरी चूहा अपनी बिल में घुस गया और ग्रामीण चूहा वहां से भाग गया| जैसे ही बिल्ली वहां से गई दोनों चूहे इकट्ठे हुए और ग्रामीण चूहे ने कहा कि दोस्त तुम यहां कितना समय जिंदा रह सकते हो? क्योंकि बिल्ली कभी भी तुम्हारा शिकार कर सकती है| मैं अपने गांव में खेत में ही खुश हूं, कम से कम मेरे पास रहने के लिए खुली और शांतिपूर्वक जगह तो है और मैं शांतिपूर्वक वहां खा तो सकता हूं| यह कहकर चूहा अपने गांव वापस आ गया और वहां पर खुशी-खुशी रहने लगा|
नैतिक शिक्षा
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि शाही पकवान से अच्छा शांति और निर्भयता में ही सच्चा सुख मिलता है।
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Conclusion
उम्मीद करते हैं कि हमारे द्वारा शेयर करी गई Class 2 Short Moral Stories in Hindi आपको काफी पसंद आई होगी और इन कहानियों से आपको काफी कुछ सीखने को भी जरूर मिला होगा| अगर आपको हमारे द्वारा शेयर करी गई कहानियां दिलचस्प लगी हो, तो आप नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट कर सकते हैं और आप चाहे तो इन कहानियों को अपने दोस्त मित्रों के साथ शेयर भी कर सकते हैं|
FAQ (Frequently Asked Questions)
चूहे ने खुद की जान सांप से कैसे बचाई?
चूहे ने सांप को शिकार का लालच देकर शिकारी के पास फसा दिया और शिकारी ने सांप को पकड़ लिया| इस प्रकार चूहे ने खुद की जान सांप से बचाई|
शेर किस से शादी करना चाहता था?
शेर किसान की बेटी से शादी करना चाहता था|
किसान ने अपनी बेटी की जान शेर से कैसे बचाई?
किसान ने शेर को कहा कि उसकी बेटी को तुम्हारे दांत और नाखून नहीं है| तुम इसे निकाल कर आओ, फिर मैं तुम्हारी शादी अपनी बेटी से करूंगा| इस प्रकार शेर बिना नाखून और दांत के कमजोर पड़ गया और शिकार करने में असमर्थ हो गया| फिर शेर कुछ दिन में मर गया और इस प्रकार किसान ने अपनी बेटी की जान बचा ली।