दोस्तों क्या आप भी चालक लोमड़ी की कहानियां यानि कि Chalak Lomdi Story in Hindi with Moral के बारे में सर्च कर रहे हैं? अगर ऐसा है तो बिल्कुल सही जगह पर आए हैं, क्योंकि आज की इस पोस्ट में हम आपके साथ कुछ खास, चुनिंदा और दिलचस्प चालक लोमड़ी की कहानियां शेयर करने जा रहे हैं|
जब हमने देखा कि काफी सारे छोटे-छोटे बच्चे और उनके माता-पिता इंटरनेट पर चालक लोमड़ी की नैतिक शिक्षा के साथ कहानियां के बारे में सर्च कर रहे हैं| तब हमने खुद इसके ऊपर रिसर्च शुरू करी और रिसर्च पूरी हो जाने के बाद ही आज हम आपके साथ कहानियां शेयर करने जा रहे हैं| तो चलिए दोस्तों अब हम शुरू करते हैं।
चालाक लोमड़ी और कौए की कहानी – Chalak Lomdi Story in Hindi with Moral
एक बार की बात है कि एक जंगल में एक लोमड़ी रहती थी| वह बहुत ही चतुर चालक थी| 1 दिन लोमड़ी खाने की तलाश कर रही थी| खाने की तलाश में वह जंगल में इधर उधर भटक रही थी, लेकिन उसे खाना मिल नहीं रहा था| फिर भी लोमड़ी ने हिम्मत नहीं हारी और वह आगे बढ़ती रही| वह लगातार खाने की तलाश करती रही| लेकिन उसे खाना फिर भी नहीं मिला| सुबह से दोपहर हो गई और दोपहर से शाम हो गई लेकिन लोमड़ी को खाना नहीं मिला|
काफी मेहनत करने के बाद भी जब लोमड़ी को कहीं से भी थोड़ा सा खाना भी प्राप्त नहीं हुआ तो लोमड़ी हिम्मत हार गई| अब लोमड़ी बिल्कुल थक चुकी थी और भूखी प्यासी इधर उधर भटक रही थी| तभी लोमड़ी की नजर पेड़ पर गई, वह पेड़ के नीचे जा कर बैठ गई और सोचने लगे कि कि मुझे आज ऐसे ही भूखा ही सोना पड़ेगा|
फिर इतने में लोमड़ी की नज़र पेड़ पर बैठे कौए पर गई और उसने देखा कि पेड़ के ऊपर कौआ मुँह में रोटी का टुकड़ा डालकर बैठा है| रोटी के टुकड़े को देखकर लोमड़ी को खाने की उम्मीद जागी और मन में सोचने लगी कि शायद अब मेरे खाने का प्रबंध हो सकता है|
फिर लोमड़ी ने सोचने लगी कि कौए से रोटी कैसे लूँ? लोमड़ी काफी ज्यादा चलाक थी, उसने अपना दिमाग लगाया और कौए से कहा है, हे भाई मैंने सुना है कि तुम्हारी आवाज बहुत सुरीली है| सभी जानवर तुम्हारी सुरीली आवाज की प्रशंसा कर रहे थे| मैं तुम्हें ढूंढती हुई बड़ी मुश्किल से यहां आई हूँ, क्या तुम मुझे एक गीत सुना सकते हो? यह सुनकर कौआ खुश हो गया और सोचने लगा कि मेरी आवाज की इतनी ज्यादा प्रशंसा हो रही थी और मुझे मालूम भी नहीं था|
लोमड़ी की बातों में आकर कौए ने गाना शुरू कर दिया| जैसे ही कौए ने गाने के लिए मुंह खोला, उसके मुंह से रोटी नीचे गिर गई| लोमड़ी ने भागकर रोटी के टुकड़े को अपने मुँह से उठाया और रोटी के टुकड़े को खाने लग गई| इस प्रकार Chalak Lomdi ने अपने भोजन का प्रबंध किया।
नैतिक शिक्षा
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें चलाक लोमड़ी की तरह कभी भी हिम्मत नहीं हारना चाहिए और मूर्ख कौए की तरह कभी भी किसी की मीठी मीठी बातों में नहीं आना चाहिए।
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चालाक लोमड़ी और बोलने वाली गुफा की कहानी
एक बार एक जंगल में एक शेर रहता था| वह अक्सर ही अपने भोजन के लिए दूसरे जानवरों का शिकार करता था| 1 दिन शेर भोजन की तलाश में जंगल में निकला, लेकिन उस दिन उसे कोई भी जानवर शिकार करने के लिए नहीं मिला| काफी देर ढूंढने के बाद भी शेर को कोई जानवर नहीं मिला और वह भूखा ही बैठा रहा| सुबह से दोपहर हो गई थी और अब शेर भी थक चुका था| तब शेर ने सोचा कि मैं कहीं आसपास आराम कर लेता हूँ|
तभी शेर को एक गुफा दिखाई दी| शेर गुफा के अंदर चला गया और वहां जाकर बैठ गया| फिर शेर मन ही मन में सोचने लगा कि यह गुफा जरूर किसी जानवर की होगी, जब भी वह जानवर वापस अपनी गुफा में आएगा, मैं उसका शिकार करके उसे खा जाऊंगा| यह सोच कर शेर बहुत खुश हो गया| तभी एक लोमड़ी वहां पर पहुंची, वह लोमड़ी उसी गुफा में रहती थी|
जब लोमड़ी गुफा के पास पहुंची तब उसने देखा कि वहां पर शेर के पंजों के निशान है और वह निशान सिर्फ गुफा के अंदर जाने के हैं बाहर आने के नहीं है|
अब चलाक लोमड़ी समझ गई थी इस गुफा के अंदर जरूर शेर बैठा है जो उसके आने का इंतजार कर रहा है| अगर वह गुफा के अंदर गई तो शेर उसे से मारकर खा जाएगा| फिर चलाक लोमड़ी के दिमाग में एक योजना आई| वह गुफा से थोड़ी दूर जाकर खड़ी हो गई और बोलने लगी गुफा मैं वापस आ गई हूँ, तुम मुझसे बात क्यों नहीं कर रही हो?
लेकिन आगे से कोई भी जवाब नहीं आया| फिर लोमड़ी दोबारा से बोली तुम्हें क्या हुआ है, क्या तुम मुझसे नाराज हो, जो तुम मुझसे बात नहीं कर रही हो? अगर तुम मुझसे बात नहीं करोगी तो मैं यहां से वापस चली जाउंगी|
यह सुनकर शेर परेशान हो गया और उसने सोचा कि लगता है कि लोमड़ी रोज गुफा से बात करती होगी| लेकिन आज मेरे डर से शायद गुफा लोमड़ी से बात नहीं कर रही है| फिर से ने सोचा कि अगर गुफा ने बात नहीं करी तो लोमड़ी वापस चली जाएगी| शेर ने अपनी आवाज बदल कर अंदर से आवाज दी, हे मेरी प्यारी सहेली, मैं तुम्हारा ही इंतजार कर रही थी, आओ अंदर आओ, मैं तुम्हारी कब से प्रतीक्षा कर रही थी|
अंदर से आवाज सुनकर लोमड़ी को पता चल गया कि अंदर अभी भी शेर बैठा है| लोमड़ी उसी समय वहां से भाग गई और अपनी जान बचा ली|
नैतिक शिक्षा
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हम अपनी होशियारी से आने वाली बड़ी सी बड़ी मुसीबत को भी टाल सकते हैं।
चालाक लोमड़ी और कुत्ते की कहानी
एक बार एक जंगल में चालाक लोमड़ी घूम रही थी| तभी उसने देखा कि उसके पीछे एक शेर आ रहा है जो उसका शिकार करना चाहता है| शेर को देखकर लोमड़ी वहां से भागने लगी| काफी देर भागने के बाद लोमड़ी शेर से काफी दूर निकल गई और भागते भागते लोमड़ी एक कुएं में गिर गई| उस समय कुआं पत्तों के साथ ढका हुआ था और उसमें बिल्कुल भी पानी नहीं था| कुआं काफी गहरा था और लोमड़ी वहां पर काफी देर तक छुपी रही| काफी देर छुपने के बाद लोमड़ी ने उसमें से बाहर निकलने की कोशिश करी लेकिन वह कुएं से बाहर नहीं निकल पाई|
काफी मेहनत करने के बाद जब वह कुएं के अंदर ही फंसी रही तब उसे लगा कि शायद मैं कुएं के अंदर ही मर जाऊंगी| तभी लोमड़ी को वहां पर कुत्ते के भौंकने की आवाज सुनाई दी| फिर चालाक लोमड़ी ने कुत्ते को आवाज लगाई की हे भाई तुम कहां जा रहे हो? यहां पर देखो कितना सारा खाना पड़ा है, आओ तुम भी मेरे पास कुए के अंदर आओ| हम दोनों मिलकर खाने को खत्म कर देते हैं और फिर हम दोनों यहां से चले जाएंगे|
लोमड़ी की आवाज सुनकर कुत्ता खुश हो गया| उसने सोचा कि आज खाने के लिए इधर-उधर भटकना नहीं पड़ेगा| कुत्ते ने बिना सोचे समझे कुए के अंदर छलांग लगा दी| जैसे ही कुत्ता कुए के अंदर आया, लोमड़ी झट से कुत्ते के ऊपर पैर रखकर कुएं से बाहर निकल आई| कुए के अंदर उस समय कुछ भी नहीं था| कुए के अंदर सिर्फ घास फूस ही थी| यह देखकर कुत्ते को समझ आ गया था कि इस चालाक लोमड़ी ने मेरे साथ चलाकी करी है|
फिर कुत्ते ने लोमड़ी को कहा कि तुम मुझे अकेले छोड़कर बाहर क्यों जा रही हो? तुम मेरे साथ ऐसा नहीं कर सकती हो| इस पर चलाक लोमड़ी ने कहा कि यह बात तुम्हे कुएं में छलांग लगाने से पहले सोचना चाहिए थी| अब मैं यहां से जा रही हो तुम यहीं पर रहो| कुत्ता ने कुएं से बाहर निकलने की काफी देर तक कोशिश करी लेकिन कुए से बहार नहीं निकल पाया| थक हार कर कुत्ते ने सोचा कि लगता है कि मुझे यही रहकर अपनी मौत का इंतजार करना पड़ेगा|
नैतिक शिक्षा
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि कोई भी काम करने से पहले हमे उसके परिणाम के बारे में अवश्य सोच लेना चाहिए।
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चालाक लोमड़ी और अंगूर की कहानी
एक बार एक चालाक लोमड़ी भूखी प्यासी जंगल में इधर-उधर भटक रही थी| सुबह से लोमड़ी ने कुछ भी नहीं खाया था| तभी लोमड़ी एक अंगूर के पेड़ के पास जाकर बेथ गई| उसने देखा कि पेड़ पर काफी सारे अंगूर लगे हैं| अंगूरों को देखकर लोमड़ी के मुंह में पानी आ गया| उसे लगा कि उसके भोजन का प्रबंध हो गया है| पेड़ के पास जाकर लोमड़ी ने छलांग लगाई, लेकिन अंगूर तक नहीं पहुंच पाई| फिर लोमड़ी ने सोचा कि उसे अभी थोड़े अधिक प्रयास करने की जरूरत है| फिर वह अंगूरों तक पहुंच जाएगी|
लोमड़ी ने इस बार थोड़ा दम लगाकर अंगूरों तक छलांग लगाई, लेकिन इस बार फिर वह अंगूर तक नहीं पहुंच पाई| काफी मेहनत मशक्कत करने के बाद जब लोमड़ी के हाथ में अंगूर नहीं लगे| तब लोमड़ी ने अंगूर खाने की इच्छा को त्याग दिया और सोचने लगी कि अंगूर मेरे नसीब में नहीं है| फिर लोमड़ी वहां से जाने लगी| जाते-जाते रास्ते में लोमड़ी को एक बंदर मिला|
बंदर ने लोमड़ी को कहा है लोमड़ी बहन क्या हुआ? तुम अंगूर खाए बिना ही क्यों जा रही हो| फिर लोमड़ी ने अपनी नाकामी को छुपाने के लिए कहा कि वहां पर अंगूर काफी खट्टे हैं इसलिए मैं बिना अंगूर खाए ही वहां से जा रही हूँ| मेरा खट्टे अंगूर खाने का बिल्कुल भी मन नहीं है|
नैतिक शिक्षा
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें अपनी नाकामी को छुपाने के लिए किसी और पर थोपना नहीं चाहिए, बल्कि मेहनत करके अपने मुकाम को हासिल करना चाहिए।
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किसान और चालक लोमड़ी की कहानी
जंगल में एक बहुत ही चालाक लोमड़ी रहती थी| 1 दिन जंगल में घूमते हुए जंगल से बाहर निकल गई और वह पास में एक गांव था| गांव के बाहर के इलाके में सब्जियों का एक बाड़ा था| लोमड़ी ने देखा कि बाड़े के अंदर काफी सारी सब्जियां है| फिर लोमड़ी ने बाड़े के अंदर घुसने की कोशिश करी| काफी देर बाड़े के चारों तरफ घूमने के बाद लोमड़ी को एक जगह मिली, जहां से वह बाड़े के अंदर घुस सकती थी| लेकिन वह जगह बहुत कम थी|
फिर चालाक लोमड़ी ने सोचा कि इस बाड़े के अंदर घुसने के लिए उसे थोड़ा सा दुबला पतला होना पड़ेगा| इसलिए उसे कुछ दिनों तक खाना पीना छोड़न होगा और दुबली पतली होना होगा| काफी दिनों के बाद लोमड़ी उस बाड़े के पास आई और उस रास्ते से अंदर घुस गई| अंदर घुसते ही लोमड़ी ने देखा कि वहां पर काफी तरह की सब्जियां और फल लगे हुए, जो उसने जिंदगी में कभी नहीं देखे थे| वह उसी समय उन सब्जियां और फलों पर टूट पड़ी और पेट भर कर खाने लगी|
फिर लोमड़ी वहीं पर रहने लगी| वह रोज सब्जी और फल खाने लगी| ऐसे करते हुए लोमड़ को काफी दिन हो गए थे और अब लोमड़ी बहुत ज्यादा मोटी हो गई थी| फिर 1 दिन उस बाड़े का मालिक किसान बाड़े में आया| वह अपनी सब्जियों और फलों को देख रहा था| तब लोमड़ी सोचने लगी कि अगर किसान ने मुझे देख लिया तो वह मुझे मार मार कर मेरा बुरा हाल कर देगा| इसलिए लोमड़ी जल्दी से बाड़े के अंदर किसी अलग जगह पर जाकर छुप गई|
फिर थोड़ी देर बाद किसान वहां से चला गया| लोमड़ी ने सोचा कि आज तो मई बल बल बच गए हूँ| मुझे इस बाड़े से बाहर निकलना होगा| फिर लोमड़ी बाड़े के उसी उसी रास्ते पर चली गई| वहां जाकर लोमड़ी ने देखा कि रास्ता बहुत छोटा है और वह बहुत मोटी हो गई है। लोमड़ी ने सोचा कि अगर मुझे बाड़े से बाहर निकलना है तो मुझे फिर से दुबली पतली होना पड़ेगा| मुझे फिर से काफी दिनों तक भूखे रहना पड़ेगा| फिर ही मैं इस बाड़े से बाहर निकल सकती है| लोमड़ी ने फिर कई दिनों के लिए खाना छोड़ दिया और वह दुबली पतली हो गई और बाड़े से बाहर निकल गई।
नैतिक शिक्षा
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि बिना सोचे समझे किये कार्य का परिणाम अच्छा नहीं होता।
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Conclusion
उम्मीद करते हैं कि हमारे द्वारा शेयर करी गई Chalak Lomdi Story in Hindi with Moral आपको काफी पसंद आई होगी और इन कहानियों को पढ़कर आपको काफी मजा भी आया होगा| अगर आपको हमारे द्वारा शेयर करी गई कहानियां अच्छी लगी हो या फिर आप हमें कोई राय देना चाहते हैं तो नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट कर सकते हैं|
FAQ (Frequently Asked Questions)
चालाक लोमड़ी जंगल में क्यों भटक रही थी?
चालाक लोमड़ी जंगल में खाने की तलाश में भटक रही थी।
चालाक लोमड़ी और कौए की कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है?
चालाक लोमड़ी और कौए की कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें चलाक लोमड़ी की तरह मेहनत करते रहना चाहिए और मुर्ख कौए की तरह किसी की मीठी बातों में नहीं आना चाहिए।
एक चालाक लोमड़ी की कहानी का नैतिक क्या है?
एक चालाक लोमड़ी कहानी से हमें 2 शिक्षाए मिलती है| पेही शिक्षा कि हमे लोमड़ी की तरह म्हणत करते रहना चाहिए और दूसरी शिक्षा हमे यह मिलती है कि हमे मुर्ख कौए की तरह किसी की मीठी बातों में आकर खुद की सुद्ध बुद्ध नहीं खोनी चाहिए।
कहानी का नैतिक क्या है लोमड़ी और अंगूर?
लोमड़ी और अंगूर कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि बिना सही प्रयास के अगर हम किसी चीज को पाने में असमर्थ है, तो हमें उस चीज के बारे में गलत राय नहीं बनानी चाहिए| बल्कि पहले से ज्यादा मेहनत करके उस चीज को हासिल करने की कोशिश करनी चाहिए।
लोमड़ी ने क्या देखा?
लोमड़ी और कौवे की कहानी में लोमड़ी ने पेड़ पर कौवे को देखा, जिसके मुंह में रोटी का टुकड़ा था| लोमड़ी ने उस टुकड़े को खाने की इच्छा जताई|