नमस्कार दोस्तों जैसे आप Business Motivational Story in Hindi search करके हमारे इस ब्लॉग पर पहुंचे हैं तो आप जरूर कुछ बिजनेस से जुड़े Motivational स्टोरीज पढ़ना चाहते हैं और अब आप बिल्कुल सही जगह पर है क्योंकि बस आप इन स्टोरीज को पढ़िए, समझिए और अपने जीवन में उतारने की कोशिश कीजिए, चलिए शुरू करते हैं आज की पहली कहानी से|
अगर टैक्सी खराब हो गई तो – Business Motivational Story in Hindi
आज की पहली कहानी के दो किरदार हैं जिनका नाम है नीरव और ईशान | नीरज और इशान एक साथ पले बड़े थे, और एक दूसरे के बहुत अच्छे दोस्त थे | गरीबी के दिन थे और गांव में बड़ी मुश्किल से गुजारा होता था | फिर एक दिन नीरव ईशान से कहता है कि क्यों ना हम कोई बिजनेस शुरू करें | तो इस बात पर ईशान ने बहुत रूचि दिखाई |
नीरव ने ईशान से पूछा कि हम कौन सा बिजनेस कर सकते हैं तो आपस में दोनों ने यह मत बनाया किवह दोनों बैंक से लोन लेकर एक टैक्सी खरीदेंगे और शहर मैं जाकर टैक्सी चलाने का काम करेंगे। दोनों इस बात पर राजी हो गए और ईशान ने नीरव से कहा कि कल तुम ठीक 10 बजे नगर के चौराहे पर मिलना और फिर हम दोनों वहीं से बैंक की और चल देंगे।
अगला दिन हो गया ईशान ठीक 10 बजे गांव के चौक पर पहुंच गया था और वह नीरव का इंतजार करने लग गया | काफी देर बीत गई 2 से 3 घंटे हो गए लेकिन नीरव का कुछ पता नहीं था | फिर ईशान ने सोचा शायद नीरव को इस बिजनेस में इंटरेस्ट नहीं है तो क्यों ना मैं खुद ही इस बिजनेस को शुरू कर दूं | यह सोचकर ईशान वहां से बैंक की और चला गया |
ईशान के पास पुश्तैनी जमीन काफी थी जिसको गिरवी रखकर वह बैंक से लोन लेना चाहता था | क्योंकि गांव में इतनी अच्छी फसल भी नहीं हो रही थी जिससे वह खेती करके अपना गुजारा कर पाता | फिर क्या था ईशान ने अपना बैंक का लोन approve करवाया और पैसे लेकर वह शहर की ओर चल दिया | ईशान ने वहां पर एक टैक्सी खरीदी बिजनेस की समझ और इच्छा होने की वजह से वह काफी अलग-अलग लोगों से मिला और उनसे सीखता चला गया |
अब शहर में ईशान ने एक टैक्सी से दो टैक्सी ले ली और उसने दो ड्राइवर भी रख लिए थे | धीरे-धीरे ईशान ने बहुत सारी टैक्सी खरीद ली और अब वह लोकल और दूर के सफर के लिए अपनी taxi रेंट पर दिया करता था | काफी समय बीत गया अब ईशान शहर में एक सक्सेसफुल बिजनेसमैन बन चुका था और उसने धीरे-धीरे करके अपना सारा लोन भी चुकता कर दिया था|
काफी समय बीत गया अब इंसान ने सोचा क्यों ना वह एक बार गांव आए और अपने पुराने दोस्तों से मिले | ईशान अपनी गाड़ी से गांव की ओर चल रहा था रास्ता काफी कच्चा था और पिछले दिन बारिश होने की वजह से रास्ते में काफी कीचड़ जमा हुआ था और ईशान की गाड़ी वहां फस गई | ईशान यहां वहां देखने लगा कि कोई उसकी मदद करने आ जाए तो दूर से उसने एक व्यक्ति को पेड़ के नीचे सोता हुआ देखा | ईशान वहां गया और उसने उस व्यक्ति को उठाने की कोशिश करी |
जैसे ही वह व्यक्ति उठा तो ईशान देखता है यह तो उसका पुराना दोस्त नीरव है| उठते ही नीरव कहने लगा जी साहब मैं आपकी किस तरह से मदद कर सकता हूं | ईशान परेशान होके बोलने लगा अरे ईशान मैं तेरा दोस्त नीरव हूँ और तूने अपनी यह क्या हालत बना रखी है | ईशान नीरव को देखकर बहुत हैरान था क्योंकि उसने कभी नहीं सोचा था कि उसका दोस्त ईशान जो गांव में उसके साथ रहा करता था वह उसे किसी दिन गाड़ी में आते हुए और सूट बूट में देखेगा |
ईशान ने फिर नीरव से कहा कि तू यह बता उस दिन तू वहां क्यों नहीं आया था? इस पर नीरज ने कहा कि मैं उस दिन वहां आना चाहता था | मैं घर गया और मैंने इस बात को अपनी पत्नी को बताया और मेरी पत्नी बोली कि क्या होगा अगर बैंक ने तुम्हें लोन नहीं दिया और अगर तुम्हें लोन मिल भी जाता है तो क्या गारंटी है कि शहर जाकर तुम्हारी टैक्सी का बिज़नेस चल जाएगा और अगर टैक्सी खराब हुई या फिर कोई एक्सीडेंट हो गया तो|
इस वजह से मैं उस दिन तुम्हारे पास नहीं आ पाया | इस पर ईशान जोर से हंसने लग गया और नीरज को समझाया हमारा काम नहीं चलता यह जरूरी तो नहीं था तुम कोशिश तो कर सकते थे। अब देखो उस सोच की वजह से तुम वही के वही हो और मै कितना सक्सेसफुल हो गया हूँ |
Moral of The Story
कोई भी काम शुरू करने से पहले उस काम के असफल होने का ख्याल अपने दिल में ना लाएं हो सकता है वह काम आगे जाकर सक्सेसफुल नहीं हो लेकिन यह सोचिए कि क्या होगा अगर वह सक्सेसफुल हो जाए | जैसा ईशान के साथ हुआ ईशान ने कोशिश की होती तो वह अपना जीवन बदल सकता था | वही नीरव उस काम के असफल होने का ख्याल से वहीं बैठा रहा और अपने जीवन में कोई बदलाव नहीं कर पाया | इसलिए कोशिश करते रहिए सफलता और असफलता तो एक पहलू है|
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Comfort Zone Business Motivational Story in Hindi
आपकी मानसिकता आपको जीवन में पीछे खींचती हैं ना कि आपकी परिस्थिति | इस कहानी से आपको यह बात समझ आ जाएगी | एक बार एक महावर शेर के छोटे से बच्चे को जंगल से पकड़ कर ले आया | उसने उस शेर के बच्चे को अपने घर के सामने पेड़ से बांध दिया | महावर नहीं चाहता था कि वह शेर का बच्चा भाग जाए तो उसने शेर के बच्चे को जंजीर से बांधकर रख दिया | उस छोटे से शेर के बच्चे ने बहुत कोशिश की कि वह इस जंजीर को तोड़कर वहां से बाहर जा पाए और अपनी मां से मिल पाए | लेकिन जंजीर मजबूत होने के कारण वे वहां से नहीं निकल पा रहा था |
बहुत दिन बीत गए शेर का बच्चा हर दिन कोशिश करता लेकिन वह असफल होता | महावर उसे उसकी जगह पर पानी और खाने के लिए घास रख दिया करता | शेर के बच्चे को घास खाना पसंद नहीं आता क्योंकि उससे तो मांस खाने की आदत थी | अब शेर के बच्चे ने अपना एक दायरा बना लिया था वह समझ चुका था कि अब वह वहां से नहीं जा सकता | धीरे-धीरे उसे भी जगह पसंद आने लग गई थी उसे मेहनत नहीं करनी पड़ती थी उसका मालिक उसके सामने घास लाकर रख देता था और पानी भी पिला देता था |
अब उसके मालिक ने उसे बाहर लेकर जाना शुरू कर दिया | वह शेर के बच्चे को सर्कस में लेकर जाता था और शेर के बच्चे के करतब दिखा कर मालिक अच्छे खासे पैसे बना लेता था | काफी समय बीत चुका था अब शेर का बच्चा बहुत बड़ा और विशालकाय हो चुका था | लेकिन अब उसके मालिक ने उसे जंजीर में नहीं लेकिन एक पतली सी रस्सी से बांध रखा था |
वह इतना बड़ा हो चुका था कि वह रस्सी तो क्या बल्कि उस पेड़ को भी गिरा कर वहां से भाग सकता था | लेकिन अब शेर की मानसिकता यह बन चुकी थी कि वह इस रस्सी को तोड़कर वहां से कभी भी नहीं जा सकता और अब वह कोशिश भी नहीं करता था |
एक दिन उसके मालिक की अचानक तबीयत खराब हुई और उसकी तुरंत ही मौत हो गई | शेर अपने भोजन का इंतजार कर रहा था | बहुत समय बीत गया लेकिन शेर को अपना मालिक नहीं दिखा | वह भूख में तड़प रहा था लेकिन अब उसके लिए यह सोचना भी बहुत मुश्किल था कि वह रस्सी तोड़ कर वहां से निकले और अपना भोजन ढूंढें |
वहां आसपास में शेर को हिरण का बच्चा घूमते हुए दिख रहा था लेकिन शेर को यह लग रहा था कि वे ना शिकार कर सकता है और ना ही इस रस्सी को तोड़ सकता है और ऐसे ही भोजन का इंतज़ार करते करते शेर की रस्सी मै बंधे ही मौत हो गई |
Moral of The Story
तो दोस्तों इसी तरह अगर आप भी किसी तरीके के comfort zone में है तो आप वहां से बाहर निकलिए और अपने सपनों की और चल पड़े, क्योंकि आप में बहुत ताकत है और आप बहुत कुछ कर सकते हो बस उस रस्सी को तोड़ने की ज़रूरत है |
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राह बदली और मिली सफलता
आनंद सूरत के गुजरात में पला बड़ा एक गरीब घर का लड़का था | घर की गरीबी देखकर आनंद ने खूब पढ़ाई में दिल लगाया और वह आईपीएस बनना चाहता था | आनंद ने अपने जीवन के बहुत कीमती साल इसकी तैयारी में लगा दिए, लेकिन इतनी मेहनत करने के बावजूद भी आनंद हर बार कुछ अंको से रह जाता | आनंद के माता-पिता भी काफी बुजुर्ग थे और घर का निर्वाह भी बहुत मुश्किल से हो रहा था |
लेकिन फिर भी उसके पिताजी मेहनत कर रहे थे और चाहते थे कि आनंद आईपीएस ऑफिसर बन जाए ताकि घर की गरीबी दूर हो और उनका आगे का जीवन अच्छे से निकल जाए और आनंद ने भी अपनी मेहनत में कोई कमी नहीं छोड़ी थी | लेकिन वह यह exam क्रैक नहीं कर पा रहा था |
आनंद का एक बचपन का दोस्त था जो कि अपने पिता के साथ बिजनेस करता था तो उसने आनंद को समझाया कि वह यह तैयारी छोड़े और उसके साथ बिजनेस कर ले | लेकिन आनंद हट्टी था वह सोचता था कि वह यह exam पास करके दिखाएगा | दोस्त ने बहुत समझाने पर भी आनंद ने बिजनेस जॉइन नहीं किया और लगातार अपनी पढ़ाई की ओर ध्यान देता रहा | लेकिन अब इसे बदकिस्मती कहें या कुछ और लेकिन इस साल भी आनंद एग्जाम नहीं निकाल पाया |
आनंद अब अपने जीवन से हताश हो चुका था | फिर एक दिन आनंद अपने उसी दोस्त के पास गया और अपनी सारी बात बताई तो उसके दोस्त ने उसे फिर से अपने साथ बिजनेस में ज्वाइन होने को कहा लेकिन आनंद को उस बिजनेस की कोई समझ नहीं थी और ना ही उस बिजनेस में रुचि थी| वह अपना कुछ करना चाहता था तो उसके दोस्त ने उसे सलाह दी कि तूने जितने साल अपनी पढ़ाई की तैयारियों में लगाए हैं तो तुम्हें काफी अनुभव हो गया होगा कि किस तरीके से तैयारी करनी चाहिए और किस तरीके से नहीं |
तूने जो भी failure देखा है तू वही लोगों को बता और लोगों को मोटिवेट कर | फिर आनंद को यह बात पसंद आई | वह घर गया और अपनी एक नोटबुक अपने इतने साल की मेहनत और पढ़ाई के अनुभव को उसमें लिखता चला गया | लिखते लिखते उसने किताब भर दी और काफी दिन इस पर काम करके उसने अपनी यह किताब पूरी लिख दी |
अब उसे कोई पब्लिशर चाहिए था जो इस किताब को छाप सकता था और अपने दोस्त की वजह से उसे एक पब्लिशर मिल गया और उसकी बुक छप गई | उस किताब में जो भी बातें लिखी थी वह आनंद के जीवन का अनुभव था और उसने बहुत अच्छी तरीके से एक-एक पड़ाव को उस किताब में बयान किया था | अब धीरे-धीरे लोग उस किताब को खरीदने लगे | जो भी उस किताब को पड़ते थे वह आगे अपने दोस्तों में बताने लगा क्योंकि बहुत सारे बच्चे UPSC की तयारी कर रहे थे, और आनंद के अनुभव से लिखी गयी किताब ने सभी बच्चो को बहुत motivated किया |
आनंद कि किताब की वजह से उसे बहुत लोकप्रियता हासिल हुई और अब आनंद की पैसों से सम्बंधित सारी दिक्कत दूर हो गयी और वह अपने परिवार को एक अच्छी ज़िंदगी दे पाया |
Moral of The Story
इसी तरह दोस्तों अगर कोई राह बहुत मुश्किल है और बहुत कोशिश करने के बाद भी आप उसे पार नहीं कर पा रहे तो समझ लीजिए वह आपके लिए नहीं बनी है और आपको वो रास्ता बदल लेना चाहिए | आप में कोई कमी नहीं बल्कि जो कर रहे हैं वह आपके लिए नहीं बना | इसलिए आज ही उस काम को जानिए जिसमें आप बहुत अच्छा कर सकते हैं और उसकी मेहनत में जुट जाइए | जैसे अब आनंद जान चुका था कि उसके जीवन में आईपीएस नहीं बल्कि अपने अनुभव से दुसरो को motivate करना था |
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नौकरी बेहतर या फिर व्यापार
पहला किरदार है मोहित जो कि एक आईटी कंपनी में जॉब करता है और काफी सालों की कड़ी मेहनत के बाद अब वे उस कंपनी में मैनेजर बन चुका है | मोहित को अपने जॉब बहुत पसंद थी और वह इस जॉब का घमंड भी करता था | मोहित अक्सर ही अपने से छोटे पद में काम करने वाले लोगों को नीचा दिखा दिया करता था |
वह अक्सर स्टाफ boy की चाय मैं कमियां निकालते हुए उसे डांट दिया करता था | अब मोहित मैनेजर जो बन चुका था | वहीं ऑफिस के बाहर एक व्यक्ति का ढाबा था | वह बहुत स्वादिष्ट खाना बनाता था और आसपास की सभी बड़ी कंपनियों से लोग उसके पास खाना खाने जाया करते थे | इसी तरह एक दिन मोहित भी लंच के समय उस ढाबे में खाना खाने चला गया | अपनी आदत से मजबूर मोहित ने सोचा क्यों ना उस दुकानदार से मैं मजाक करूं तो उसने उससे कहा कि अगर तुमने कोई अच्छी पढ़ाई करी होती तो आज तुम भी मेरी तरह किसी अच्छी कंपनी में जॉब कर रहे होते |
इस पर उस आदमी ने कहा जी साहब वह बात तो सही है लेकिन फिर भी मेरा काम आपके काम से बेहतर है | इस पर मोहित को गुस्सा आया और वह उसे कहने लगा कि भला कैसे तुम सारा दिन खड़े यहां पर सब को खाना खिलाते हो और फिर जाकर पैसे कमाते हो लेकिन मैं कंपनी का मैनेजर हूं तो तुम्हारा काम मेरे काम से बेहतर कैसे हुआ | फिर उस व्यक्ति ने मोहित को समझाया कि 10 साल पहले जब आप इस कंपनी में जॉब करने लगे थे तो आप की पगार 10000 थी और उसी वक्त मैं भी लगभग इतना ही कमा लेता था |
अब पिछले 10 सालों में हम दोनों ही काफी तरक्की करी है, और मैंने मेहनत करके यह दुकान खोली और आप इस कंपनी के मैनेजर बन गए | अब आपकी पगार १ लाख हो गयी है और मै भी कुछ इतना ही कमा लेता हूँ | तो इस पर मोहित को बोला कि दुकान खोलना कौन सी बड़ी बात है | फिर उस व्यक्ति ने उसे बोला कि आप मेरी बात तो सुनिए मैं आपको यह बात समझाता हूं, देखिए जब मेरा बच्चा बड़ा हो जाएगा तो वह इसी काम को आगे बढ़ाएगा उसे कुछ भी शुरआत से शुरू करने की जरूरत नहीं पड़ेग |
लेकिन आप अपने बेटे को अपने मैनेजर की जॉब तो नहीं दे सकते ना आप मेहनत कर रहे हो इससे आपके बच्चे का नहीं बल्कि आपके मालिक के बच्चे का भला हो रहा है | आपका बच्चा जब भी कोई काम करेगा तो उससे शुरआत से ही शुरु करना पड़ेगा जैसे 10 साल पहले अपने किया था | अब मोहित को सारी बात समझ आ गई थी और वह खाने के पैसे देकर सोचता हुआ वहां से चला गया |
तो दोस्तों इस मामले में सब की राय अलग-अलग जरूर हो सकती है लेकिन अगर आप भी मेरी तरह बिजनेस को बेहतर मानते हैं तो नीचे कमेंट सेक्शन में अपना मत जरूर दें|
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किसान के बेटे का आविष्कार
आज की इस कहानी में हम देखेंगे कि किस तरह रमेश ने जुगाड़ से अपने गांव की सबसे बड़ी परेशानी को हल किया | तो कहानी शुरू होती है रमेश के परिवार से जोकि पूर्णता खेती पर निर्वहन करते थे | रमेश के पिताजी के पास काफी सारे खेत थे और वे सब्जियां उगा कर अपना और अपने परिवार का गुजारा करते थे और इसी तरह गांव के भी बहुत सारे लोग अपनी जमीन में खेती करके अपना निर्वहन करते थे |
लेकिन गांव में खेती करने में सबसे बड़ी परेशानी आती थी जब वह सब्जियों को स्प्रे करते थे | अब जैसे कि सभी को पता है स्प्रे सब्जियों के लिए कितनी जरूरी है, वरना कीट सब्जियों को खा जाएंगे | इसलिए कीटनाशक का सब्जियों पर स्प्रे करना बहुत जरूरी है | लेकिन गांव में सुविधा कम होने की वजह से सभी लोग हाथों से स्प्रे करते थे |
यह स्प्रे बहुत ज्यादा हानिकारक थी जिससे गांव के लोग बीमार पड़ रहे थे | लेकिन मजबूरी यह थी कि उन्हें यह करना ही पढ़ रहा था और एक दिन रमेश के पिताजी स्प्रे लगने से बहुत ज्यादा बीमार हो गए | रमेश बहुत परेशान हो गया और इस परेशानी ने एक अविष्कार को जन्म दिया | इस परेशानी का हल करने के लिए अब इतने पैसे तो नहीं थे कि वह बड़ी स्प्रे मशीन खरीद कर लें | लेकिन उसने अपना दिमाग लगाया और जुगाड़ से एक स्प्रे मशीन बनाने मै लग गया | कुछ दिन लग गए और रमेश ने यह जुगाड़ू स्प्रै मशीन तैयार कर ली |
यह मशीन दूसरी बड़ी मशीनों से ना कि किफायती थी और उसे इस्तेमाल करना भी बहुत आसान था | रमेश ने यह स्प्रे मशीन साइकिल की मदद से बनाई, जिसमें साइकिल के पहियों के पास पाइप लगी हुई थी | जैसे-जैसे साइकिल चलती थी उस पाइप से स्प्रे फसलों पर लगती थी | अब गांव के कुछ लड़कों की मदद से रमेश ने इस तरीके के दो तीन मशीनें और बना दी ताकि गांव के लोग भी इससे इस्तेमाल कर सकें |
अब जब भी किसी को इस मशीन की जरूरत होती वह रमेश से मशीन ले लिया करते | लोगों ने रमेश को बहुत प्रोत्साहित किया और उसे बोला क्यों ना इस मशीन को शहर जा कर बेचे क्योंकि यह मशीन वाकई में काफी उपयोगि और किफायती थी | रमेश ने भी सोचा कि हां मैं इस मशीन को लेकर जाता हूं तो वह एक agriculture manufacturing company के मालिक के पास चला गया |
रमेश का यह प्रोडक्ट उन्हें बहुत पसंद आया और उन्होंने रमेश से इस मशीन की सारी जानकारी प्राप्त की और अब वे चाहते थे कि रमेश अपना यही आइडिया लगाकर किफायती मशीनें बनाने में उनकी मदद करें और इसके लिए वे रमेश को मुंह मांगे पैसे देने को तैयार थे |
तो दोस्तों रमेश की तरह ही हम एक पॉजिटिव सोच के साथ और एक क्रिएटिव आइडिया के साथ बहुत बड़ा बिजनेस शुरू कर सकते हैं इसके लिए आपको बहुत सारे पैसों की जरूरत नहीं है लेकिन एक पॉजिटिव माइंड सेट बहुत जरूरी है | आशा करती हूं आप को रमेश की कहानी जरूर पसंद आई होगी और आपके पास जो भी बिज़नेस आईडिया है आप उस पर आज से ही काम करना शुरू करेंगे |
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Conclusion
Motivational Business Story in Hindi – आशा करती हूं यह Business Motivational Story in Hindi आपको बहुत पसंद आई होगी और इन कहानियों से प्रेरित होकर आप भी अपना business successfully start कर पाएंगे | असफलता से ना डरे और लगातार मेहनत करते चले आप जितना सोच रहे हैं आपको उससे भी बेहतर फल प्राप्त होगा|
अगर इन कहानियों से संबंधित आपको किसी भी प्रकार का कोई प्रशन हो तो तो आप नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में कमेंट करके हमें जरूर बताएं और अगर आप किसी अलग विषय में ब्लॉक पढ़ना चाहते हैं तो कमेंट सेक्शन में हमें जरूर बताएं मैं जरूर कोशिश करूंगी उस टॉपिक पर ब्लॉक जल्द से जल्द लेकर आऊं |