Akbar Birbal Stories in Hindi With Moral | अकबर बीरबल की कहानियां

दोस्तों क्या आप भी Akbar Birbal Moral Stories in Hindi For Kids के बारे में सर्च कर रहे हैं? अगर ऐसा है तो आप बिल्कुल सही जगह पर आए है, क्योंकि आज इस पोस्ट में हम आपके साथ अकबर बीरबल की सूझबूझ और नैतिक शिक्षा से भरपूर कहानियां शेयर करने जा रहे हैं| 

जैसे कि हम जानते हैं कि बीरबल बहुत ही बुद्धिमान इंसान थे और वह राजा अकबर के साथ रहते थे| वह राजा अकबर की राज्य संबंधी निर्णय लेने में सहायता करते थे| आज हम आपके साथ ऐसी ही अकबर बीरबल की की कुछ खास, दिलचस्प  सूझबूझ और ज्ञान से भरपूर नैतिक शिक्षा की कहानियां शेयर करने जा रहे हैं| 

जब हमने देखा कि काफी लोग इंटरनेट पर बच्चों के लिए अकबर बीरबल की कहानियों के बारे में सर्च कर रहे हैं तब हमने खुद इसके ऊपर रिसर्च शुरू करी और रिसर्च पूरी करने के बाद ही आज हम आपके साथ कहानियां शेयर करने जा रहे हैं| तो चलिए दोस्तों अब हम शुरू करते हैं| 

Name of StoryAkbar Birbal Stories in Hindi With Moral | Akbar Birbal Moral Stories in Hindi For Kids | अकबर बीरबल की कहानियां
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CategoryMoral Story

अंधों की सूची – Akbar Birbal Stories in Hindi With Moral

एक बार सम्राट अकबर के राज्य में अकबर की एक रानी फैसला लेती है कि वह अपने राज्य के सभी अंधो को राज्य में बुलाकर उनको भीख देना चाहती है| फिर रानी अपनी बात सम्राट अकबर के सामने रखती है और अकबर सम्राट अपने राज्य के सैनिकों को राज्य के सभी अंधो की सूची बनाने के लिए कहते हैं|अगले ही दिन सभी सैनिक राज्य में चले जाते हैं अंधो की सूची बनाकर सम्राट अकबर को देते हैं|

फिर अकबर अंधो की सूची को ध्यान से देखते हैं और फिर उस सूची को बीरबल को दे देते हैं| फिर कुछ देर तक बीरबल सूची को ध्यान से देखते हैं और कहते हैं कि महाराज अभी सूची अधूरी है| आप मुझे थोड़ा समय दीजिए मैं आपको इस सूची को पूरा करके देता हूँ| सम्राट अकबर बीरबल की बात के साथ सहमत हो जाते हैं| 

फिर अगले दिन बीरबल अपने राज्य के बाजार में चले जाते हैं और वहां जाकर मिट्टी का घड़ा बनाने लगते हैं| तभी एक आदमी बीरबल को जाकर पूछता है कि बीरबल तुम क्या कर रहे हो? बीरबल कोई भी जवाब नहीं देता| थोड़ी देर बाद एक और आदमी आकर बीरबल से पूछता है कि तुम क्या कर रहे हो? फिर कोई बीरबल जवाब नहीं देता| बीरबल की खबर सम्राट अकबर तक पहुँचती है| 

फिर उसी समय सम्राट अकबर बीरबल की इस हरकत को देखने के लिए अपने सैनिकों के साथ बाजार में जाते है| फिर अकबर बीरबल को देखते है और उसके पास जानकर पूछते हैं कि बीरबल तुम यह क्या कर रहे हो? बीरबल फिर कोई जवाब नहीं देता और अपना मिट्टी का घड़ा बनाने में मस्त रहता है| यह देख कर अकबर को बहुत गुस्सा आता है और वह अपने महल में वापस चले जाते हैं| 

फिर अगला दिन होता है और बीरबल सम्राट अकबर को अंधों की पूरी सूची बनाकर दे देता है| उसमें सम्राट अकबर का भी नाम होता है| सूची देखकर सम्राट अकबर बीरबल से कहते हैं बीरबल यह क्या है? इसमें तुमने मेरा नाम क्यों लिखा है? तो बीरबल बड़ी विनम्रता के साथ देते हैं कि वहां पर जब मैं मिटटी का घड़ा बना रहा था तो आपको भी दिख रहा था कि मैं मिटटी का घड़ा बना रहा हूं|

लेकिन फिर आकर आप ने पूछा कि तुम क्या कर रहे हो? इस हिसाब से तो आप भी अंधे ही हुए ना| अकबर को बीरबल की सारी बात समझ आ गई थी| उन्हें मालूम हो गया था कि राज्य में दृष्टिहीन से ज्यादा अंधे हैं।

नैतिक शिक्षा

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि देखने वाले लोग भी आसपास क्या हो रहा है यह देखकर भी अंधे हो जाते हैं।

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अतिथि की पहचान 

एक बार एक व्यापारी ने बीरबल को अपने घर पर खाने के लिए आमंत्रित किया| जब बीरबल व्यापारी के घर पहुंचा तो उसने देखा वहां पर पहले से ही काफी सारे लोग आमंत्रित थे| बीरबल ने व्यापारी से कहा कि लगता है आज आधा राज्य आपके घर पर भोजन करने के लिए आया है| तो व्यापारी ने कहा नहीं ऐसा कुछ भी नहीं है सिर्फ एक को छोड़कर बाकी सारे मेरे नौकर है| 

फिर व्यापारी बीरबल से कहता कि क्या तुम बता सकते हैं कि इतने लोगों में से मेरा नौकर कौन है? फिर कुछ देर सोचने के बाद बीरबल कहते है कि आप कोई मजाक सुनाइए आता है| मज़ाक खत्म होने के बाद सिर्फ एक आदमी को छोड़कर बाकी सब हंस रहे थे। व्यापारी का मजाक इतना बुरा था कि सिर्फ उसके नौकर ही उस पर हंस रहे थे| 

तब बीरबल को पता चला कि यह अतिथि है| फिर व्यापारी ने बीरबल से पूछा कि आपको अतिथि का कैसे पता चला? फिर बीरबल ने माफी मांगते हुए विनम्रता के साथ कहा कि आप का मजाक बहुत ही बद्धा था सिर्फ आपके नौकरी ही उस पर हंस रहे थे और आपका अतिथि नहीं हंसा था और ऐसे मुझे अतिथि का पता चला गया|

नैतिक शिक्षा

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि आपके आसपास के लोग आपको खुश करने के लिए सच्चाई का खुलासा नहीं करते हैं।

साहसी अपराधी

एक बार राजा अकबर सो रहे थे, तब उनको सोते हुए उनकी किसी ने मूंछ का बाल खींच लिया| राजा अकबर ने दरबार में घोषणा कर दी कि किसी ने मेरे मूंछ का बाल खींचा है,बताओ उसको क्या सजा देनी चाहिए| सभी लोग कठोर से कठोर सजा का सुझाव अकबर को दे रहे थे, लेकिन बीरबल चुप खड़ा था उसने कोई राय नहीं दी| 

फिर अकबर ने बीरबल से पूछा कि तुम बताओ अपराधी को क्या सजा देनी चाहिए| तो बीरबल ने मुस्कुराते हुए कहा कि अपराधी को मिठाई देनी चाहिए क्योंकि अपराधी कोई बहार का नहीं है| बल्कि राजा की मूंछ खींचने वाला एकमात्र व्यक्ति आपका आपका अपना और ख़ास ही था| क्यूंकि वह कोई ओर पोतरा ही था|

नैतिक शिक्षा

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि अगर हम दूसरों से अलग सोचते हैं तो हमें समस्या का हल मिलने में मदद मिल सकती है।

सम्राट कौन है

एक बार राजा अकबर ने बीरबल को चकमा देने के बारे में सोचा| उन्होंने अपने सभी मंत्रियों को अपने जैसे कपड़े पहनाए और अपने जैसा सिंघासन देकर उस पर बैठने के लिए कहा। फिर सभी लोग बीरबल के आने का इंतज़ार करने लगे| थोड़ी देर में बीरबल भी वहां पर पहुँच गए| 

सभी को एक जैसे कपड़ों में देख कर एक बार तोह बीरबल भी हैरान हो गए| फिर वहां पर बैठे एक मंत्री ने बीरबल से कहा कि बताओ सब में से सम्राट अकबर कौन है| फिर बीरबल ने थोड़ा समय लेते हुए बिना किसी के सहायता से राजा को पहचान लिया और जाकर अकबर के सामने खड़ा हो गया| 

फिर राजा अकबर ने बीरबल से पूछा कि तुमने मुझे कैसे पहचाना? तुम्हें कैसे मालूम हो गया असली अकबर कौन है? बीरबल ने राजा अकबर को बताया कि राजा अकबर आप बड़े आत्मविश्वास के साथ बैठे थे, बाकी सभी लोग आपको विनम्रता के साथ देख रहे थे| ऐसे मुझे आपका पता चला गया|

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बीरबल की कल्पना

एक बार राजा अकबर ने बीरबल को तस्वीर बनाने के लिए कहा| लेकिन बीरबल ने साफ मना कर दिया और कहा कि महाराज मुझे तस्वीर बनाना नहीं आता है| फिर राजा ने गुस्से में बीरबल को कहा कि मैं तुम्हें एक हफ्ते का समय देता हूँ| तो तुमने एक हफ्ते के बाद भी तस्वीर नहीं बनाई तो मैं तुम्हें फांसी की सजा दे दूंगा| 

फिर एक हफ्ते के बाद राजा अकबर ने बीरबल को बुलाते हैं और तस्वीर दिखाने के लिए कहते हैं| फिर बीरबल ने तस्वीर अकबर के हाथ में दे दी| राजा अकबर ने तस्वीर को देखा तो तस्वीर में सिर्फ जमीन और आसमान में ही दिख रहा था| फिर राजा अकबर बीरबल से कहते हैं कि तुम क्या बनाने की कोशिश कर रहे थे| 

इस पर बीरबल ने विनम्रता के साथ कहा कि मैंने अपनी कल्पना से इस तस्वीर में घास और गाय बनाई थी| लेकिन लगता है गाय घास खा कर यहाँ से चली गए और तस्वीर में सिर्फ जमीन और घास ही बचगा है| फिर राजा अकबर बीरबल की बात सुन कर उस से बहुत खुश हुए और बीरबल को पुरस्कार भी दिया।

ऊंट की गर्दन

ऊंट की गर्दन - Akbar Birbal Moral Stories in Hindi For Kids

एक बार महाराजा अकबर और बीरबल कहीं रास्ते से जा रहे थे| तभी उन्हें रास्ते में एक ऊंट दिखाई दिया| ऊंट को देखकर महाराजा अकबर ने बीरबल से कहा कि बीरबल ऊंट की गर्दन मुड़ी हुई क्यों होती है बताओ? तब बीरबल ने अपनी चतुराई दिखाई और अपना दिमाग लगाने के बाद सोचा कि यह सही समय पर अकबर को अपना वादा याद दिलाने का| 

बीरबल ने अकबर से कहा कि जो अपना लोग अपना वादा भूल जाते हैं उनकी गर्दन टेढ़ी हो जाती है| ऊंट भी अपना वादा भूल गया था जिसकी वजह से ऊंट की गर्दन टेढ़ी हो गई है| फिर अकबर को याद आता है और अकबर ने बीरबल को जल्दी से महल में जाने के लिए कहा और वह जाकर बीरबल को पुरस्कार में धनराशि दे दी और कहा कि मैंने अपना वादा पूरा किया है| अब मेरी गर्दन टेडी नहीं होगी| यह कहकर महाराजा हंसने लग जाते हैं और इस प्रकार बीरबल ने अपनी चतुराई से अपना पुरस्कार भी ले लिया।

रेत और चीनी

एक बार राजा अकबर के दरबार में राज महल में मरम्मत का काम चल रहा था| तभी वहां पर एक मजदूर आया उसके हाथ में शीशे का बर्तन था| महाराज ने पूछा कि इस बर्तन में क्या है? तो मजदूर ने कहा कि महाराज हमे माफ़ करें, इस बर्तन में रेत और चीनी है| हम बीरबल की अकल मंदी को परखना चाहते हैं| 

फिर महाराज ने बीरबल बुलाया और कहा देखो बीरबल तुम्हारे मंत्री तुम्हे परखना चाहते हैं| यह लोग तुम्हारे सामने रेत और चीनी का बर्तन लेकर आये हैं और यह चाहते है कि तुम इस बर्तन में से चीनी को बिलकुल ख़तम कार्डो और सिर्फ रेत को ही बचाओ| लेकिन इन लोगों की एक शर्त ओर भी है तुम इस बर्तन में पानी नहीं डालोगे| फिर बीरबल ने मुस्कुराते हुए कहा कोई बात नहीं महाराज, यह तो मेरे बाएं हाथ का काम है| 

फिर बीरबल महल से बाहर बगीचे में चला गया और वहां पर एक अमरूद के पेड़ के नीचे चारों तरफ रेत और चीनी को बिछा दिया| फिर मजदूर ने कहा कि बीरबल आप यह क्या कर रहे हैं? बीरबल ने कहा कि इसका जवाब तुम्हे कल मिल जाएगा, तुम कल आकर देखना| अगले दिन बीरबल, मजदूर और महाराज सभी लोग वहां पर गए और वहां पर सिर्फ रेत ही पड़ी थी और चीनी वहां से बिलकुल गायब हो गए थी| 

फिर अकबर ने पूछा कि तुमने यह कैसे किया| फिर बीरबल ने मुस्कराते हुए कहा कि जब कल मेने यहाँ पेड़ के चारों तरफ रेत और चीनी को बिछाया था, तब यहाँ काफी सारी चींटिया घूम रही थी| चीटियां चीनी को घसीट कर अपनी बिल में ले गई है और इस प्रकार बीरबल ने चीनी और रेत को अलग अलग कर दिया| फिर सभी लोग हंसने लगे। फिर महाराज ने हंसकर मजदूर से कहा कि अगर तुम्हें अपनी चीनी वापस चाहिए तो जाओ चीटियों के बिल से निकाल लेना।

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हरे रंग का घोड़ा

राजा अकबर और बीरबल बगीचे में घूम रहे थे| वहां पर बहुत ज्यादा हरियाली देखकर अकबर ने कहा कि इतनी हरियाली देखकर हमारा दिल बहुत खुश हो गया है| अगर इतनी हरियाली में घोड़े के साथ घूमना है तो घोड़ा भी हरे रंग का होना चाहिए| फिर राजा अकबर ने बीरबल से कहा कि बीरबल मुझे हरे रंग का घोड़ा चाहिए| मैं तुम्हें 7 दिन का समय देता हूँ| अगर तुम मेरे लिए हरा घोड़ा ना लेकर आए तो तुम मुझे अपनी शक्ल मत दिखाना| 

बीरबल घोड़ा ढूंढने के बहाने से महल से चला गया| फिर 7 दिन घूमने के बाद महल में वापस आया| वापस आकर बीरबल ने महाराज अकबर से कहा कि महाराज मुझे हरा घोड़ा मिल गया है| यह सुनकर अकबर ने कहा कि कहां है हरा घोड़ा, लाओ उस मेरे पास लाओ| फिर बीरबल ने कहा कि मैंने बड़ी मुश्किल से हरा घोडा ढूंढा है| घोड़ा इतना खास है कि उसके मालिक ने उसे देने के लिए शर्ते रखी है| उसके बाद ही वह अपना हरा घोड़ा हमे देगा| 

फिर राजा अकबर ने कहाँ कि बताओ क्या शर्तें है| बीरबल ने कहा कि उसकी पहली शर्त यह है कि आपको घोड़ा लेने खुद ही जाना पड़ेगा| यह सुनकर राजा को खुश हो गए और कहने लगे तो बहुत आसान शर्त है| फिर अकबर ने कहा कि चलो ठीक है मैं खुद घोड़ा लेने जाऊंगा| 

फिर अकबर ने पूछा कि दूसरी शर्त क्या है? बीरबल ने कहा कि घोड़ा इतना ज्यादा खास है घोड़े के मालिक ने शर्त रखी है कि घोडा लेने के दिन का दिन बहुत खास होना चाहिए| इसलिए आप हफ्ते के साथ दिन छोड़कर और किसी भी दिन हरा घोडा लेने कभी भी आ सकते हैं| यह सुनकर राजा अकबर हंसने लगे और बीरबल की चतुराई पर खुश होने लगे और सोचने लगे कि बीरबल को मूर्ख बनाना आसान नहीं है।

जितनी लंबी चादर उतने ही पैर पसारे

एक बार की बात है कि राजा अकबर के सभी दरबारी राजा अकबर से नाराज थे कि वह सिर्फ बीरबल को ही बुद्धिमान समझते है और बाकियों को नहीं| फिर राजा ने सभी दरबारियों को अपने पास बुलाया और सबको दो हाथ जोड़ी दो हाथ लंबी चादर दी और कहा कि मेरे पूरे शरीर का इस चादर के साथ जो ढक देगा देगा मैं उसे बुद्धिमान मानूंगा| सभी दरबारियों ने आड़े तिरछे लंबे तरीके आजमाए लेकिन कोई भी अकबर को चादर के अंदर ढक नहीं सका।

जब कोई मंत्री राजा अकबर के सिर ढक देता तो पैर बाहर निकल जाते और जब कोई पैर ढकता तो सर बाहर निकल जाता| फिर राजा अकबर ने बीरबल को बुलाया और वही चादर का टुकड़ा बीरबल को दिया और कहा कि इस चादर के टुकड़े से मेरे पूरे शरीर को ढक कर दिखाओ| फिर राजा अकबर लेट गए और बीरबल ने चादर का टुकड़ा अकबर के ऊपर दाल दिया| 

फिर बीरबल ने अकबर राजा अकबर के लम्बे चौड़े पैरों को मरोड़ा और फिर राजा अकबर उस चादर के टुकड़े के अंदर पूरा ढक गए| यह देखकर बाकी सभी दरबारी हैरान हो गए और बीरबल की बुद्धिमानी की वाहवाही करने लगे। फिर बीरबल ने कहा कि जितने लंबी चादर उतने लंबे पैर पसारने चाहिए।

चोर की दाढ़ी में तिनका

एक बार राजा अकबर की हीरो की अंगूठी गुम हो गई थी| काफी देर ढूंढने के बाद जब राजा को अंगूठी नहीं मिली तो उन्होंने बीरबल को बुलाया और बताया कि उनकी अंगूठी गुम हो गई है| फिर बीरबल ने राजा से पूछा कि आप ने अंगूठी रखी कहां थी| राजा अकबर ने बताया कि नहाने से पहले मैंने अंगूठी संदूक में रखी थी और जब नहा कर वापस आया था अंगूठी वहां नहीं थी| मैंने सैनिकों को भी अंगूठी ढूंढने के लिए कहा उन्होंने पुरे कमरे में ढूंढा लेकिन अंगूठी नहीं मिली| 

फिर बीरबल ने कहा कि कमरे की सफाई करने वाले सभी सैनिकों को बुलाया जाए| राजा अकबर ने सैनिकों की बुलाने का आदेश दिया और बीरबल ने अपने पास सैनिकों को बुलाया और पूछा कि तुम में से अंगूठी किसने चुराई है| लेकिन किसी भी सैनिक ने अपनी चोरी को स्वीकार नहीं किया| फिर बीरबल ने कहा चलो ठीक है मैं इस संदूक से ही पूछता हूं यह मुझे बताएगा कि अंगूठी किसने चुराई है| 

फिर बीरबल संदूक के पास गया और उस से बातें करने लगा और कान लगाकर संदूक को सुनने लगा| फिर बीरबल ने कहा कि मुझे संदूक सब कुछ बता दिया है और अब अपराधी बचेगा नहीं| संदूक ने मुझे बता दिया है कि जिसने गुठी चुराई उसकी दाढ़ी में तिनका है| तभी एक सैनिक चुपके से अपनी दाढ़ी को छेड़ने लगा और बीरबल ने उसको देख लिया| बीरबल ने सैनिक से पूछताछ करी और सैनिक ने अपना दोष स्वीकार कर लिया और बीरबल की वजह से सैनिक को सजा मिली और राजा को अंगूठी मिल गई।

नैतिक शिक्षा

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि गुनाह करने वाला व्यक्ति घबराहट से पकड़ा जाता है| लेकिन हमें लालच में आकर ऐसा गुनाह करने से बचना चाहिए।

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बुद्धि से भरा घड़ा

एक बार अकबर बीरबल से नाराज हो गए और उन्होंने बीरबल को राज्य छोड़ने का आदेश दे दिया| बीरबल भी अपने राजा के आदेश का पालन करते हुए राज्य छोड़कर चले गए| कुछ दिन बीते और अकबर को बीरबल की याद आने लगी, क्योंकि अकबर को सभा में कोई भी निर्णय लेना होता था तो वह बीरबल की सलाह से ही लेते थे और उन्हें निर्णय लेने में आसानी होती थी| 

फिर 1 दिन अकबर ने अपने सैनिकों को कहा कि जाओ बीरबल को ढूंढ कर मेरे पास वापस लाओ| सभी सैनिक बीरबल को ढूंढने के लिए एक गांव से दूसरे गांव जाने लगे लेकिन उनको बीरबल नहीं मिला| फिर अकबर ने बीरबल को ढूंढ़ने के लिए योजना बनाई और अपने सैनिकों को कहा कि जाकर गांव में संदेश दो की मुझे हर गांव से बुद्धि से भरा हुआ घड़ा चाहिए| अगर गांव का मुखिया बुद्धि से भरा हुआ घड़ा नहीं लाएगा तो उसे घड़ा में हीरे जवाहरात भरकर लाने होंगे| 

यह संदेश सभी गांव वालों के पास पहुंच गया और सभी गांव के मुखिया परेशान हो गए| सभी गांव के मुखिया ने अपने गांव में सभा बुलाई तभी एक गांव में बीरबल एक किसान के खेत में बेस बदलकर काम कर रहे थे| जब सभा बुलाई गई तो बीरबल भी वहां पहुंचे| जैसे राजा अकबर ने कहा था गांव के मुखिया ने वैसा ही गांव वालों को बताया और सभी चिंतित हो गए| 

फिर बीरबल ने कहा कि आप मेरे को 1 घड़ा दे दो और मैं 1 महीने के बाद में उसमें बुद्धि भरकर आपको दे दूंगा| आप जाकर राजा को दे देना| गांव वालों के पास और कोई चारा नहीं था और सभी बीरबल की बात से सहमत हो गए| फिर बीरबल वहां से अपने खेत में चले गए| वहां जाकर टहनी के साथ लगे हुए कद्दू को घड़े के अंदर डाल दिया और टहनी को काटा नहीं|

बीरबल उस कद्दू को अच्छे से खाद देते रहे और महीना पूरा हो गया और कद्दू का आकार भी बहुत बड़ा हो गया| अब कद्दू इतना बड़ा हो गया था कि वह घड़े के आकार से भी बड़ा लगने लगा था और उसे घड़े से बाहर नहीं निकल सकता था| 

फिर बीरबल ने घड़े को कपडे के साथ ढककर गांव के मुखिया को दिया और कहा कि जाकर राजा अकबर से कहना कि घड़े के अंदर बुद्धि है और इस घड़े को बिना तोड़े और इसको बिना कांटे बाहर निकालना है| गांव का मुखिया राजा अकबर के पास गए और उन्होंने वही कहा जो बीरबल ने कहा था| राजा अकबर ने कपड़ा उतारा तो देखा कि उसके अंदर कद्दू है और अकबर समझ गया कि यह सोच और कोई नहीं रख सकता है, यह बीरबल का ही दिमाग है| 

फिर अकबर ने गांव के मुखिया से पूछा कि यह घड़ा उसे किसने दिया है| फिर मुखिया ने बताया कि हमारे गांव के एक किसान के खेत में एक आदमी काम करता है| उसने यह घड़ा मुझे दिया है| फिर अकबर गांव के मुखिया और सैनिकों को साथ लेकर उस खेत में गए और जाकर बीरबल को मिले और बीरबल से माफी मांगी| फिर अकबर बीरबल को अपने साथ वापस राज्य में ले गए।

नैतिक शिक्षा

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि सूझबूझ के साथ हर समस्या का हल निकाला जा सकता है।

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Conclusion

म्मीद करते हैं कि हमारे द्वारा शेयर करी गई Akbar Birbal Stories in Hindi With Moral आपको काफी पसंद आई होगी और इन कहानियों को पढ़कर आपको काफी कुछ सीखने को मिला होगा| अगर हमारे द्वारा शेयर करी गई कहानी आपको लाभदायक लगी हो या फिर आप हमें कोई राय देना चाहते हैं तो नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट कर सकते हैं| अगर यह कहानियां आपको पसंद आई है तो आप इस पोस्ट को अपने दोस्तों के साथ शेयर भी कर सकते हैं।

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