Aalsi Gadha Moral Story in Hindi | आलसी गधे की कहानी

दोस्तों क्या आप भी Aalsi Gadha Moral Story in Hindi के बारे में सर्च कर रहे हैं? अगर ऐसा है तो आप बिल्कुल सही जगह पर आए है, क्योंकि आज किस पोस्ट में हम आपके साथ कुछ चुनिंदा आलसी गधे की कहानी शेयर करने जा रहे हैं| जो पढ़ने में आपको बहुत ज्यादा अच्छी और इंटरेस्टिंग लगेंगी| 

हम वादा करते हैं कि आज इस लेख में शेयर की जाने वाली आलसी गधे की कहानियों को पढ़ने के बाद आपको भी इन कहानियों से अच्छी शिक्षा मिलेगी और आप भी अपने जीवन से आलस को दूर करेंगे| तो चलिए दोस्तों अब हम शुरू करते हैं।

आलसी गधे के मौत की कहानी

यह कहानी मध्य प्रदेश के 1 गांव की है जहां पर 2 गधे रहते थे| एक गधे का नाम चिंटू और दूसरे का नाम मिंटू था| उनका मालिक दोनों गधों को बहुत प्यार करता था| जब गधे बिल्कुल छोटे थे तब उनका मालिकों उनको अपने घर लेकर आया था| वह उनके खाने-पीने का ध्यान रखता था, उनके लिए खाने का इंतजाम करता था| गधों को बिना मेहनत करे खाना मिल जाता था| 

दोनों गधों में से चिंटू बहुत ही आलसी गधा था| जब भी उसका मालिक उसके मुंह के सामने खाना रखता वह तब ही खाता था और वह आलसी जीवन में बहुत ख़ुशी महसूस करता था| लेकिन दूसरी तरफ मिंटू अक्सर ही अपने मालिक के साथ भोजन की तलाश में जाया करता था और अपने भोजन की व्यवस्था खुद करता था| 

काफी समय बीता गया अब दोनों गधे बड़े हो गए थे| 1 दिन गांव के पास वाले कुएं में गिरने की वजह से गधों के मालिक की मृत्यु हो गई| अब दोनों गधे बहुत ज्यादा परेशान थे और अपने मालिक को याद कर रहे थे| अगले दिन सुबह हुई तो दोनों गधों को भूख लगने लगी थी| मिंटू अपने भोजन की तलाश में घर से बाहर निकल गया लेकिन चिंटू आलसी गधा था| जिसकी वजह से घर के अंदर ही बैठा रहा| 

जब शाम को मिंटू भोजन की व्यवस्था करके घर वापस लौटा तो उसने देखा कि चिंटू  अपनी आलस में बैठा है और उस ने कुछ भी नहीं खाया है| मिंटू से चिंटू की हालत देखी नहीं गई, उसने अपने भोजन में से कुछ भोजन चिंटू को दे दिया, ताकि उसका भी पेट भर जाए| कुछ दिनों तक तो ऐसा ही चलता रहा मिंटू खाना लाता और चिंटू को खाने के लिए दे देता| लेकिन इस बात का चिंटू पर कोई असर नहीं हो रहा था वह अभी भी  छोड़ने को तैयार नहीं था और अपने भोजन की तलाश में कहीं नहीं जाता था| 

फिर 1 दिन गांव में बाढ़ आ गई जिसकी वजह से गांव में भारी नुकसान हो रहा था| अब चिंटू और मिंटू दोनों के पास खाने के लिए भी कुछ नहीं था| मिंटू भोजन की तलाश में बहार जाने के बारे में सोचने लगा लेकिन चिंटू अभी भी अपनी आलस में बैठा रहा और अभी भी भोजन की तलाश में बाहर जाने को तैयार नहीं था| सुबह से शाम हो गई थी लेकिन दोनों गधे भूखे बैठे रहे|

चिंटू की हालत देखकर मिंटू को उस पर तरस आ रहा था और मिंटू ने भोजन की तलाश करने के लिए बाहर जाने का फैसला लिया| क्यूंकि मिंटू ने सोचा कि मुझे भोजन का इंतजाम तो करना ही होगा, नहीं तो हम दोनों ज्यादा समय तक जीवित नहीं रह पाएंगे| बाढ़ की वजह से मिंटू को भी मालूम नहीं था कि उसे भोजन कहां मिल सकता है| लेकिन फिर भी मिंटू भोजन की तलाश में निकल पड़ा| 

थोड़ी दूर चलने के बाद मिंटू बाढ़ की चपेट में आ गया और मिंटू एक जगह से दूसरी जगह पर पहुँच गया| उधर चिंटू, मिंटू के आने की उडीक करता रहा लेकिन मिंटू वापस नहीं आया| उडीक करते-करते मिंटू को नींद आने लगी और वह भूखे पेट ही सो गया| मिंटू इतना ज्यादा कमजोर हो गया था कि वह सुबह उठ नहीं पाया और उसकी रात को ही सोते हुए ही मौत हो गई और आलसी गधा अगली सुबह देख ही नहीं पाया| 

नैतिक शिक्षा

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि आलस बुरी बला है हमें आलस को छोड़कर मेहनत करनी चाहिए तभी हम अपने जीवन को आसान बना सकते हैं।

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आलसी गधे की कहानी

यह कहानी पंजाब के लुधियाना के पास बसे एक छोटे से गांव की है| उस गांव में एक गोपी नाम का आदमी रहता था जिसके पास एक गधा और एक घोड़ा था| घोड़ा बहुत ही बलवान और चुस्त चालाक था| वही गधा बहुत ही ज्यादा आलसी था| गधा अक्सर ही काम से जी चुराता रहता था| 

लेकिन घोड़ा बहुत ही फुर्तीला था और कभी किसी काम के लिए मना नहीं करता था| जिसकी वजह से उनका मालिक घोड़े को बहुत ज्यादा प्यार करता था, उसका ख्याल रखता था, उसे अच्छा अच्छा खाने को देता था और वही गधे को सुखा हुआ खाना खाने को देता था और अक्सर ही उसे बोझा उठवाता था| 

आलसी गधा अक्सर ही अपने मालिक का बोझ उठाता था| वहीं दूसरी तरफ घोड़ा प्रतियोगिता में हिस्सा लेता और जीतकर वापस आता था| जिसकी वजह से उसके मालिक को घोड़े पर बहुत ज्यादा गर्व महसूस होता था| यह देखकर गधे को घोड़े से जलन होने लगी थी| उसने सोचा कि मेरा मालिक थोड़े से ही प्यार करता है उसी को अच्छा खाना देता है मुझे तो सिर्फ सूखी रोटी देता है और मुझसे बोझ उठवाता रहता है| आलसी गधा अपने मालिक और घोड़ा दोनों से नाराज था| 

एक दिन मालिक गधे के ऊपर सामान रखकर उसे दूसरे गांव में लेकर जाने लगा| गधे ने बीच रास्ते में जाकर गुस्से में बोरियों को नीचे फेंक दिया और वहां से भाग गया| गधे ने अपने मालिक के साथ विश्वासघात किया और वहां से भागकर घोड़ों की दौड़ वाली प्रतियोगिता की जगह पर पहुंच गया| उसने सोचा आज मैं इस प्रतियोगिता में हिस्सा लूंगा और जीतकर दिखाऊंगा| जैसे ही गधा प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिए पहुंचा तो लोगों ने उसे भगा दिया कहा कि यह प्रतियोगिता घोड़ों की है घड़ों की नहीं| 

यह सुनकर गधे को बहुत बुरा लगा पर वह वहां से चला गया| गधा जहां पर भी जाता लोग उसे भगा दिया करते थे| अब गधे को समझ आ गया था कि उसे कोई भी पसंद नहीं करता है, एक उसका मालिक था जो उसे रहने के लिए घर और खाने के देता था और उस ने उसी मालिक के साथ विश्वासघात किया| अब गधे को यह समझ आ गया था कि जिसका काम उसी को साजे| घोड़ा दौड़ में अच्छा है तो मैं बोझा उठाने में अच्छा हूँ| अब गधा इतना ज्यादा परेशान था कि वह वापस अपने मालिक के पास भी नहीं जा सकता था| 

नैतिक शिक्षा

इस कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है कि हमें आलस नहीं करना चाहिए ना ही किसी काम से जी चुराना चाहिए| जो काम जिसके लिए है वह काम उसी को करना चाहिए।

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आलसी गधे और व्यापारी की कहानी

यह कहानी है एक व्यापारी और आलसी गधे की है| एक बार एक गांव में एक व्यापारी रहता था| व्यापारी बहुत ही दयालु और नरम स्वभाव का था और हर किसी की मदद करता रहता था। व्यापारी अक्सर ही अपने गधे पर सामान लादकर बाजार में बेचने के लिए जाया करता था| व्यापारी के घर से बाजार का रास्ता थोड़ी ही दूरी पर था और बाजार पहुंचने के लिए व्यापारी को एक नदी पार करनी होती थी| बाजार की मांग के अनुसार व्यापारी सामान लादता और उसे बेचने के लिए बाजार में चला जाता था|

एक दिल व्यापारी को पता चला कि बाजार में चीनी की बहुत ज्यादा मांग हो रही है तब उसने चीनी की 6 बोरियां भरी और गधे के ऊपर लाद दी। व्यापारी को पता था कि उसका गधा बहुत ज्यादा आलसी है और अक्सर ही काम से जी चुराता रहता है| उस दिन भी ठीक वैसा ही हुआ व्यापारी ने जब बोरियां गधे के ऊपर लादी तो गधा चलने को तैयार नहीं था| जैसे तैसे करते व्यापारी ने धक्का देते हुए गधे को खड़ा किया और चलने के लिए मजबूर कर दिया| 

गधा अपने आलस में चलता रहा और व्यापारी उसे चलने के लिए धक्का देता रहा| ऐसे करते-करते व्यापारी बाजार पहुंचने के लिए अभी आधे ही रस्ते में पहुंचे था, कि गधा आलस दिखाने लगा| इतने में सामने पुल आ गया, जब गधा पुल के ऊपर चढ़ा तो बोरियों का वजन ज्यादा होने की वजह से उसके पैर कांप रहे थे और वह पुल से फिसल गया| जिसकी वजह से गधा नदी में जा गिरा| यह देखकर व्यापारी बहुत घबरा गया और जैसे तैसे करके व्यापारी तैरता हुआ नदी के किनारे पर पहुंचा और उसने गधे को बाहर निकाल लिया| 

जब गधा बाहर निकला तो उसने देखा कि उसके ऊपर राखी हुए बोरियां हलकी हो गई है| क्यूंकि चीन पानी में घुल गए थी| यह देखकर व्यापारी आधे रास्ते से ही घर की ओर लौट गया| फिर अगला दिन आया व्यापारी ने फिर से चीनी की बोरीया गधे के ऊपर रखी और गधा इस बार पुल पर जाकर जानबूझकर नदी में गिर गया| 

इस बार फिर आधी से ज्यादा चीनी पानी में घुल गई और व्यापारी को फिर घर लौटना पड़ा| आलसी गधे को अब यह तरकीब समझ आ गई थी वह अक्सर ही पुल पर जाता और नदी में गिर जाता जिसकी वजह से उसे बाजार नहीं जाना पड़ता था और वह आधे रास्ते से ही घर लौट जाता था| 

लगातार 5 दिन बीत जाने के बाद व्यापारी को समझा गया था कि उसका आलसी गधा यह सबकुछ जानबूझकर कर रहा है ताकि उसे काम ना करना पड़े| फिर व्यापारी ने तरकीब लगाई, उसने सोचा कि मैं कुछ ऐसा बोरियों में डालता हूँ, जिसका पानी में गिरने के बाद वजन कम होने की जाए बढ़ जाए| तब व्यापारी ने 6 बोरियां रूई से भर दी और गधे के ऊपर रख दी| 

आज भी ऐसा ही हुआ आलसी गधा फिर नदी में गिर गया, लेकिन इस बार नदी में गिरने के बाद बोरियों का भार कम नहीं हुआ बल्कि पानी लगने की वजह से  बोरियों का भार बढ़ गया और जब गधा नदी से बाहर निकला तो उसने देखा कि इस बार बोरियों का भार बहुत ज्यादा बढ़ गया है| जिससे गधे के पैर लग गए| अब गधे को चलने में भी मुश्किल हो रही थी, लेकिन व्यापारी गधे को धक्का देते हुए बाजार में ले गया| 

अगले दिन गधा फिर से नदी में जानबूझकर गिर गया| इस बार फिर से बोरियों का वजन बढ़ गया और गधे को भारी बोरियों के साथ बाजार में जाना पड़ा| अब आलसी गधे के द्वारा लगाए गई तरकीब फेल हो गई थी और अब गधे ने नदी में गिरने के बारे में नहीं सोचा और चुपचाप बाजार में जाने लगा।

नैतिक शिक्षा

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि किसी भी काम को करने में हमें आलस नहीं दिखाना चाहिए| बल्कि उस काम को खुश होकर करना चाहिए और क्यूंकि आलस का परिणाम कभी भी अच्छा नही मिलता।

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Conclusion

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