Panchatantra Short Stories in Hindi With Moral | पंचतंत्र की कहानी

दोस्तों क्या आप भी Panchatantra Short Stories in Hindi With Moral के बारे में सर्च कर रहे हैं? अगर ऐसा है तो आप बिल्कुल सही जगह पर आए है, क्योंकि आज की इस पोस्ट में हम आपके साथ कुछ खास और चुनिंदा पंचतंत्र की कहानी शेयर करने जा रहे हैं| 

जब हमने देखा कि काफी लोग इंटरनेट पर पंचतंत्र की कहानियों के बारे में सर्च कर रहे हैं| तब हमने खुद इसके ऊपर रिसर्च शुरू करी और रिसर्च पूरी करने के बाद ही आपके साथ नैतिक शिक्षा वाली पंचतंत्र की कहानियां शेयर करने जा रहे हैं| तो चलिए दोस्तों अब हम शुरू करते हैं।

Name of StoryPanchatantra Short Stories in Hindi With Moral | पंचतंत्र की कहानी
Type of StoryLatest Update
CategoryMoral Story
LanguageHindi
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दर्जी और हाथी – Panchatantra Short Stories in Hindi With Moral

दर्जी और हाथी - Panchatantra Short Stories in Hindi With Moral

एक गांव में एक दर्जी रहता था| बाजार के बिल्कुल बीचो-बीच उसकी दुकान थी| उसकी दुकान पर हर रोज एक हाथी आया करता था| दर्जी हर रोज हाथी को कुछ ना कुछ खाने को देता था| 

एक दिन दर्जी किसी वजह से उदास बैठा था और उसी समय हाथी भी उसकी दुकान पर खाने के लिए आ गया| जब हाथी ने अपनी सूंड दर्जी के पास करी तो दर्जी ने गुस्से में आकर हाथी की सूंड पर सुई चुभो दी| यह बात हाथी को बात बुरी लगी और उसे अपना अपमान महसूस हुआ| 

हाथी वहां से नदी के किनारे नहाने के लिए चला गया| जब हाथी वापस आया तो अपनी सूंड में नदी के किनारे पड़ा कीचड़ भरकर ले आया और दर्जी की दुकान पर फेंक दिया। दर्जी की सारी दुकान कीचड़ से भर गई। दुकान में रखे हुए सारे कपड़े भी कीचड़ से खराब हो गए। तब दर्जी को अपने किए पर बहुत पछतावा हुआ।

नैतिक शिक्षा

इस कहानी से हमे यह शिक्षा मिलती है कि जैसी करनी वैसी भरनी।

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टॉम हिल और मकड़ा

टॉम हिल नाम का एक राजा था| उसका राज्य बहुत ही ज्यादा समृद्ध था| एक बार उसके राज्य को चारों तरफ से दुश्मनों ने घेर लिया और टॉम हिल के राज्य पर लगातार हमला करते रहे| फिर टॉम हिल की सैना और दुश्मन की सैना के बीच कुछ दिनों तक युद्ध चलता रहा| लेकिन टॉम हिल को जब लगा कि वह युद्ध हार रहा है तो वह युद्ध का मैदान छोड़कर वहां से भाग गया और उसने खुद को अपने एक गुफा में छुपा लिया| 

गुफा के अंदर टॉम हिल ने देखा कि वहां पर एक मकड़ा है जो कि अपना जाल बनाने की कोशिश कर रहा है| वह जाल बनाने में असमर्थ है, लेकिन फिर भी वह लगातार कोशिश कर रहा है और काफी देर कोशिश करने के बाद मकड़े ने अपना जाल बना लिया और यह सब कुछ टॉम हिल देख रहा था| 

तब टॉम हिल को यह सबक मिल गया था कि उसे भी मकड़े की तरह हार नहीं माननी चाहिए थी| बल्कि उसे युद्ध भूमि में दुश्मन का सामना करना चाहिए था| टॉम हिल ने फिर से अपनी सेवा को एकत्र किया और अपने दुश्मन को हराकर उस पर विजय हासिल की और अपना राज्य वापस ले लिया।

नैतिक शिक्षा

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि अगर हमने अपने मन में ही हार को स्वीकार कर लिया तो हमें हार ही मिलेगी| अगर हमने मन में जीत को स्वीकार किया तो हमें जीत अवश्य मिलेगी।

सिंह और दास – Panchatantra Stories in Hindi

एक बार एक गांव में एक व्यापारी रहता था| वह बहुत ही जुल्मी था| वह कभी किसी पर दया नहीं करता था| व्यापारी के पास एक दास काम करता था, वह अपने दास पर बहुत जुल्म करता था| दास भी अपने मालिक के इस व्यवहार से बहुत ज्यादा परेशान था | 

एक दिन दास अपने मालिक के घर से भाग गया और जाकर जंगलों में एक गुफा के अंदर छुप गया| दास को गुफा के अंदर बैठे सुबह से शाम हो गई थी| तभी गुफा के अंदर एक घायल सिंह आ रहा था| सिंह लंगड़ा कर चल रहा था, दास ने देखा कि सिंह के पैर में कांटा लगा हुआ है| दास ने सिंह के पैर से कांटा निकाल दिया और सिंह को भी काफी राहत मिली| फिर दास और सिंह दोनों उसी गुफा में खुशी-खुशी रहने लगे| 

कुछ समय के बाद वुआपरी ने दास को जंगल में गुफा के पास पकड़ लिया और उसे बंदी बना लिया|  व्यापारी ने दास को भूख शेर के आगे फेंकने का आदेश दिया| जब दास को भूखे शेर के आगे फेंका गया तो शेर भागकर दास की ओर दौड़ा और उस पर हमला करने की बजाय दास के पैर चाटने लगा, क्योंकि यह वही घायल सिंह था जिसके पैसे से दास ने किसी समय कांटा निकाला था| यह देखकर व्यापारी भी प्रसन्न हो गया और व्यापारी ने दास को पुरस्कार भी दिया| 

नैतिक शिक्षा

सिंह और दास पंचतंत्र की कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि दया का फल कभी भी व्यर्थ नहीं जाता।

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फाख्ता और मधुमक्खी

एक बार एक जंगल में एक मधुमक्खी और एक फाख्ता रहते थे| जंगल में नदी के किनारे पेड़ था, जिसके ऊपर फाख्ता रहती थी और उसी पेड़ के पास वाली नदी से अक्सर ही मधुमक्खी पानी पीने के लिए आया करती थी| 

एक दिन मधुमक्खी नदी से पानी पी रही थी, तभी नदी में एकदम से तूफान आ गया और उसी तूफान के साथ मधुमक्खी भी बहने लगी| तभी फाख्ता ने पेड़ से पत्ता गिरा कर मधुमक्खी के ऊपर फेंक दिया और मधुमक्खी उसे पत्ते के ऊपर बैठ गई| जब मधुमक्खी के पर सूख गए तो मधुमक्खी उसे पत्ते से उड़ गई| 

कुछ दिन बीते और एक दिन जंगल में कुछ शिकारी आए| उन्होंने पेड़ के ऊपर बैठे हुए फाख्ता को देख कर उस पर निशान लगना शुरू किया और मधुमक्खी भी सब कुछ देख रही थी| मधुमक्खी भाग कर शिकारी के पास आई और उसने शिकारी के हाथ के ऊपर डंक मार दिया और इस प्रकार मधुमक्खी ने फाख्ता की जान बचा ली।

नैतिक शिक्षा

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि अगर हम किसी का भला करते हैं तो हमारा भी भला ही होता है।

ऊंट और सियार – Panchtantra Story in Hindi

एक बार एक जंगल में ऊंट और सियार रहते थे| एक दिन दोनों ने पास के एक खेत से भोजन खाने की इच्छा जताई| सियार ऊंट की पीठ के ऊपर बैठ गया और दोनों खेत की ओर जाने लगे| रास्ते में एक नदी आती थी, ऊंट ने नदी को पार किया और उस खेत में पहुंच गया| खेत में जाकर उन्होंने देखा कि वहां पर तरबूज, खरबूज, हरी मिर्च काफी कुछ लगा हुआ था| 

सियार जल्दी जल्दी सब कुछ खाने लगा और उसका पेट भर गया| दूसरी तरफ ऊंट अभी खा रहा था| जब सियार का पेट भर गया तो जोर जोर से चिल्लाने लगा| ऊंट ने सियार को चुप होने को कहा, लेकिन सियार चुप नहीं हुआ| फिर उठ ने कहा कि जब तुम्हारा पेट भर जाता है तो तुम ऐसे ही चिल्लाते रहते हो| यह कहकर ऊंट खाने में मस्त हो गया| 

तभी सियार की आवाज सुनकर खेत का मालिक भी वहां पर आ गया| खेत के मालिक को देख कर सियार जल्दी से वहां से भाग गया और उसके मालिक ने ऊंट की बहुत पिटाई करी और उसे मार मार कर भगा दिया| कुछ दिन बीते और दोनों ने फिर से उस खेत में जाने का निश्चय किया| सियार ऊंट की पीठ के ऊपर बैठ गया और वह दोनों जाने लगे| ऊंट रास्ते में जब नदी पार करने लगा तो ऊंट नदी के बीच में बैठ गया और कहने लगा कि खाना खाने से पहले मुझे नहाने की आदत है| जब ऊंट पानी के तेज बहाव में बैठा तो सियार नदी के पानी के साथ ही बह गया| 

नैतिक शिक्षा

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि जैसा बोओगे वैसा काटेंगे।

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जैसे को तैसा

एक बार पंजाब के लुधियाना जिले में एक छोटे से गांव में एक ग्वाला रहता था, जिसका नाम रंजीत था| वह बहुत ही बेईमान था, वह बेईमानी करके जल्दी से जल्दी अमीर बनना चाहता था| इसलिए वह दूध में पानी मिलाकर दूध बेचा करता था और महीने के आखिरी दिन में वह लोगों से पैसे इकट्ठे करता था| वह पैसे को थैले में डालकर घर वापस लौटा करता था और पैसे इकठे करते-करते उसे बहुत खुशी होती थी| 

एक बार की बात है कि रंजीत दूध के पैसे इकट्ठे करके अपने घर की ओर वापस आ रहा था, लेकिन उसे दिन काफी ज्यादा गर्मी थी| रंजीत ने सोचा की इस पेड़ के नीचे में थोड़ी देर बैठ जाता हूँ और साथ में बहती नदी के ठंडे पानी से नहा कर फिर घर की ओर जाता हूँ| रंजीत ने अपना पैसों का थैला और अपने कपड़े पेड़ के नीचे रख दिए और खुद नदी में नहाने के लिए चला गया| 

उस समय पेड़ के ऊपर बैठा बंदर सब कुछ देख रहा था| उसने पैसों से भरा हुआ थैला उठाया और पेड़ के ऊपर चढ़ गया| यह देखकर रंजीत को बहुत गुस्सा आया और वह चिल्लाने लगा| उसकी आवाज सुनकर वहां आसपास लोग भी इकट्ठे हो गए| बंदर ने कुछ पैसे नदी के पानी में फेंक दिए और कुछ पैसे पेड़ के नीचे फेंक दिए| 

जब थैले में सारे पैसे खत्म हो गए तो बंदर ने थैला भी पेड़ से नीचे फेंक दिया| फिर रंजीत ने जमीन पर गिरे हुए पैसों को इकट्ठा किया और अपने थैले में डालकर घर की ओर चला गया| घर आकर रंजीत ने अपनी पत्नी को सारी बात बताई, बात सुनने के बाद रंजीत की पत्नी जोर-जोर से हंसने लगी और कहने लगी की हनुमान जी ने आपको सबक सिखाया है| आपका दूध का दूध और पानी का पानी कर दिया है| 

नैतिक शिक्षा

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि अगर हम ईमानदारी से नहीं काम करेंगे तो हमारा किये कराये पर मिट्टी फिर जाएगी।

मछुआरा और कछुआ

एक बार एक गांव में रहीम नाम का मछुआरा रहता था| वह अपने गांव के पास में बहती यमुना नदी में जाल डालकर मछलियां पकड़ता था और मछलियों को बाजार में बेचकर पैसा कमाता था| यही उसकी आमदनी का मुख्य उसाधन था| इसी आमदनी से वह अपने घर का खर्चा चलाता था| लेकिन रहीम बहुत ही लालची आदमी था| 

एक दिन वह यमुना नदी के किनारे मछलियां पकड़ने के लिए गया तब उसने जाल को नदी में फेंका, लेकिन जाल में एक भी मछली नहीं आई| उसने दोबारा से जाल को नदी में फेंका और इस बार उसके जाल में कछुआ फस गया| रहीम ने कछुए को बाहर निकाला अपने थैले में डाल दिया और सोचने लगा चलो इसे बेचकर ही कुछ आमदनी तो हो ही जाएगी| 

फिर कछुए ने रहीम को कहा कि मुझे बेचकर तुम्हें कितनी आमदनी हो सकती है? तुम मुझे छोड़ दो मेरे पास घर पर लाल मणि पड़ी है| मैं तुम्हें दे दूंगा और तुम उस से इतने अमीर हो जाओगे कि तुम्हें सारी उम्र कमाने की जरूरत नहीं पड़ेगी| लालची रहीम भी कछुए की बात मान गया और उसने कछुए को पानी में छोड़ दिया| फिर कछुआ अपने घर गया और एक लाल रंग की मनी लेकर आया| 

जब कछुए ने लालमणि रहीम के सामने राखी तो उसकी चमक देखकर रहीम हैरान हो गया और उसने कछुए से लालमणि ले ली| फिर रहीम के मन में ललचा आ गया और उसने सोचा कछुए से एक और लालमणि लेता हूँ| उसने कछुए को बोला कि मुझे एक और लालमणि लाकर दो मैं तुम्हें फिर ही छोडूंगा| अब कछुआ भी चतुर था और वह भी समझ गया था कि यह मछुआरा बहुत लालची हो गया है| 

फिर कछुए ने अपना दिमाग लगाया और रहीम को कहा कि ठीक है मेरे घर पर काफी सारी मणियाँ पड़ी है| तुम मुझे यह लालमणि दे दो मैं इस से मिलती-जुलती लालमणि एक और लेकर तुम्हें देता हूँ| रहीम कछुए की बात से सहमत हो गया और उसने अपनी लालमणि भी कछुए को दे दी| 

कछुआ लालमणि लेकर पानी के अंदर गहराई में चला गया और अंदर से बोला कि मैंने तुम्हें एक लालमणि दी थी लेकिन तुम्हारे लालच की वजह से तुम से यह लालमणि भी छीन गई है| यह सुनकर रहीम पछताने लगा और वहीं बैठा रोने लग गया और मन ही मन में सोचने लगा कि आगे से वह कभी भी लालच नहीं करेगा।

नैतिक शिक्षा

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि लालची बुरी बला है।

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तीन चोर

एक गांव में राहुल, मोहित और वंश नाम के तीन चोर रहते थे| तीनों चोरों को विद्या का थोड़ा बहुत ज्ञान था| जिसकी वजह से उन्हें अपनी विद्या पर बहुत घमंड रहता था| तीनों कर चोर इतने चतुर चालाक थे कि वह पास के शहर की बड़ी-बड़ी दुकानों की सभी ताजोरियां लूट लेते थे और बैंकों को भी लूट लिया करते थे| इस बात की खबर शहर की पुलिस को मिल गई और पुलिस ने तीनों चोरों की तलाश शुरू कर दी| 

फिर तीनों चोर भागते भागते एक जंगल में पहुंच गए| जंगल में जाकर उन्होंने देखा कि वहां पर किसी जानवर का पिंजर पड़ा है| तब पहले चोर राहुल ने कहा कि मुझे लगता है कि यह किसी शेर का पिंजर है| मैं अपनी विद्या से इस पिंजर को जोड़कर शेर का ढांचा तैयार कर दूंगा| पहले चोर राहुल की बात सुनकर वंश ने भी कहा कि अगर तुम इसका ढांचा तैयार कर सकते हो तो मैं अपनी विद्या से इस ढांचे के ऊपर शेर की खाल चढ़ा सकता हूँ| 

दोनों चोरों की बात सुनकर मोहित के मन में खलबली उठ गई| मोहित ने भी घमंड में आकर कहा कि अगर तुम दोनों इतना कर सकते हो तो मैं इस शेर के अंदर अपनी विद्या से जान डाल सकता हूँ| फिर राहुल वंश और मोहित तीनों चोरों ने अपनी अपनी विद्या का इस्तेमाल करके शेर के पिंजर को जोड़ दिया, उसके ऊपर शेर की खाल चढ़ा दिया और शेर के अंदर जान भी डाल दी| 

अब अपने सामने जीवित शेर देखकर तीनों चोर कांपने लगे| शेर भी काफी दिनों से भूखा था, शेर ने गरजते हुए तीनों चोरों के ऊपर झपटा मार दिया और तीनों चोरों को खो गया| 

नैतिक शिक्षा

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें घमंड नहीं करना चाहिए क्यूंकि घमंड का परिणाम बुरा ही होता है।

हाजिर जवाब – Panchatantra Stories in Hindi With Moral

एक बार एक गांव में एक जमींदार रहता था, जिसका नाम इकबाल था| वह एक बार किसी मुसीबत में फंस गया था| तब उसके गांव के एक व्यक्ति रोशन ने उसकी सहायता की थी| तब इकबाल ने रोशन को सहायता करने के बदले में पांच बीघा जमीन देने का वादा किया था| समय बीतता गया और जब भी रोशन इकबाल से अपनी जमीन के बारे में बात करता तो इकबाल हर बार रोशन को लारा लगाकर टालता रहता था| 

जब भी रोशन जमीन की रजिस्ट्री के बारे में इकबाल को कहता तो वह रोशन की बात को अनसुना कर देता था| काफी समय बीत गया फिर एक दिन इकबाल ने अपना दिमाग लगाया, उसने रोशन को अपने पास बुलाया और कहा कि लोग अंधे, लंगड़े, बेहरे क्यों होते हैं? अगर तुम इस प्रश्न का सही जवाब मुझे कल तक दे दोगे तो मैं तुम्हें 5 बीघा जमीन की रजिस्ट्री करवा दूंगा| 

रोशन ने कहा ठीक है जमींदार साहब, मैं आपको कल इसका जवाब जरूर दूंगा| रोशन सारी रात चिंतित रहा और सोचता रहा इसका जवाब क्या हो सकता है? फिर अगला दिन हुआ जमींदार इकबाल ने रोशन को अपने पास बुलाया और पूछा कि बताओ इसका जवाब क्या है? तब रोशन ने बड़ी ही विनम्रता के साथ हाथ जोड़कर कहा कि जो लोग अपने पूर्व जन्म में अपने वादे से मुकर जाते हैं वही लोग अगले जन्म में लंगड़े, लूले, अंधे, बहरे पैदा होते हैं और साथ में यह भी कहा कि मानने वालों के लिए यह जवाब सही है और ना मानने वालों के लिए यह जवाब गलत है| 

तब जमींदार इकबाल ने रोशन से कहा कि नहीं नहीं तुम्हारा जवाब बिल्कुल सही है| मैं तुम्हारे जवाब से बहुत प्रसन्न हुआ हूँ| चलो मैं तुम्हरी जमीन की रजिस्ट्री तुम्हें आज ही करवा कर देता हूँ| फिर जमींदार इकबाल और रोशन जमीन की रजिस्ट्री करवाने के लिए कचहरी की ओर चल पड़े।

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Conclusion

उम्मीद करते हैं कि हमारे द्वारा शेयर करी गई panchatantra short stories in hindi with moral पढ़ कर आपको काफी अच्छा लगा होगा और इन कहानियों से आपको काफी कुछ सीखने को भी जरूर मिला होगा| 

अगर आप को हमारे द्वारा शेयर करी गई panchatantra stories in hindi with moral पसंद आई हो या फिर आप हमें कोई राय देना चाहते हैं तो नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट कर सकते हैं| आप चाहे तो इस पोस्ट को अपने दोस्तों मित्रों और परिवार जनों के साथ शेयर भी कर सकते हैं।

FAQ (Frequently Asked Questions)

टॉम हिल और मकड़ा Panchatantra Short Story से हमे क्या शिक्षा मिलती है?

टॉम हिल और मकड़ा Panchatantra Short Story से हमे यह शिक्षा मिलती है कि अगर हमने मन में हार स्वीकार कर ली तो हर ही मिलेगी अगर जीत स्वीकार कर ली तो जीत ही मिलेगी।

पंचतंत्र की कहानी क्यों प्रसिद्ध है?

पंचतंत्र की कहानी व्यवहारिक जीवन पर ज्ञान के लिए जानी जाती है और यह कहानी आनंदपूर्वक सुनाई जाती है| जिन्हे सुनकर अक्सर ही कुछ सीखने को मिलता है।

पंचतंत्र से हमें क्या शिक्षा मिलती है?

पंचतंत्र कहानी से हमें अपने नैतिक मूल्य को प्राप्त करने के लिए प्रेरणा मिलती है| पंचतंत्र की कहानी बच्चों को भी आसानी से समझने में मदद करती है।

पंचतंत्र की कथा से हमें क्या शिक्षा मिलती है?

पंचतंत्र की कथा से हमें अपने व्यवहारिक जीवन को सही दिशा में ले जाने की शिक्षा मिलती है| साथ में यह कहानी ज्ञान से भरपूर और रोचक भी होती हैं।

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