हेलो दोस्तों आज की Short Motivational Story in Hindi for Success में आपका स्वागत है| आज हम कुछ ऐसी कहानियां लेकर आए हैं, जो आपकी सफलता के रास्ते को और आसान बनाएंगे| इस लेख में शेयर करी गई कहानियों को पढ़ने के बाद आपको लगातार बिना किसी रूकावट के उस पर बढ़ते चले जाने की प्रेरणा भी मिलेगी|
अगर आपको कामयाबी नहीं मिल रही है और आपको सिर्फ एक motivation की जरुरत है, तो आज के इस लेख को पढ़ने के बाद हम वादा करते हैं कि आपको भी मोटिवेशन जरूर मिलेगी| जिससे आप सफलता को हासिल कर सके| तो चलिए दोस्तों अब हम शुरू करते है|
राजा की पहलवान को मुश्किल चुनौती – Short Motivational Story in Hindi For Success With Moral
किसी नगर में एक राजा रहा करता था। राजा को चुनौती देना और चुनौती को पूरा करना बहुत पसंद था। वह हमेशा अपने राज्यसभा में अपने सभी राज्य गण को कोई ना कोई चुनौती देता रहता। जिससे उसे काफी आनंद महसूस होता। वैसे ही एक दिन राजा ने मंत्री से कहा क्यों न नगर में एक चुनौती कराई जाए।
फिर राजा के मंत्री ने पूछा कि राजा जी आपके मन में अब कौन सा ख्याल आ गया फिर तत्पर राजा बोले क्यों न नगर में सबको बोला जाए कि वह एक भैंस को अपने कंधे पर बिठाकर पूरी नगर का चक्कर लगाएं| इस पर मंत्री बोला राजा जी यह तो काफी मुश्किल होगा क्योंकि हमारे नगर में बहुत बड़ी बड़ी भेंसे हैं तो कोई भी चुनौती को पार नहीं कर पाएगा|
इस पर राजा बोले इसी में तो असली मजा है। फिर चुनौती वाला दिन आया सभी लोग अपने आप को साबित करने के दिए चुनौती स्थल में पहुंच गए| अब सभी व्यक्ति भैंस को उठाने की कोशिश करने लगे और एक एक करके वहीं पर ढेर होने लगे। अब सभी मै से कोई भी ऐसा नहीं बचा था जो भैंस को उठा पाता|
फिर वहां पर एक पहलवान आया, सभी उस पहलवान को बोलने लगे कि तूने इतना बड़ा शरीर बनाया है अब तू इस भैंस को उठा कर दिखा , वही राजा भी बोलने लगा हाँ आओ ज़रा हम भी देखें पहलवान का दम| इस पर उस पहलवान ने राजा जी को बोला कि आप मुझे सिर्फ 2 साल का वक्त दें 2 साल के बाद जब मैं यहां वापस आऊंगा और भैंस को अपने कंधे पर उठाकर नगर के पूरे 3 चक्कर लगाऊंगा | इस पर राजा ने भी उसे अनुमति दे दी और वह पहलवान राज्य से चला गया|
ठीक 2 साल के बाद जब वह पहलवान सभा में वापस आया तो सब क्या देखते हैं, उसके कंधे पर एक बहुत बड़ी भैंस थी| जिसे देखकर हर इंसान हैरान रह गया और राजा उस पहलवान को कहने लगे: मैंने तो बस यूं ही मज़ाक मै कह दिया था ताकि नगर में क्रीड़ा का माहौल बना रहे| लेकिन तुम तो सच में ही भैंस को अपने कंधे पर उठाकर लाए हो| तुमने यह आखिर किया कैसे ? इस पर पहलवान ने राजा को उत्तर दिया: मैंने सिर्फ दो महत्वपूर्ण बातों पर इन 2 सालों में ध्यान दिया है|
पहला कि अपनी चुनौती को इतना छोटा बना दो कि वह आपकी हिम्मत के सामने छोटी पड़ जाए और दूसरी लगातार मेहनत| जब यह भैंस मात्र 1 महीने की थी मैं तब से इसके साथ प्रतिदिन अभ्यास कर रहा हूं और इसे अपने कंधे पर उठाने की कोशिश करता हूं| धीरे-धीरे इसका वजन बढ़ता गया और इसी के साथ मेरी हिम्मत भी| यह बात सुनकर राजा बहुत प्रसन्न हुए और उसे सोने की अशर्फियां दी, सभी ने उस पहवान की तारीफ की और वह सबको धन्यवाद करता वह से चल दिया|
नैतिक शिक्षा
करत करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान: यानि खुद पर विश्वास और लगातार मेहनत करने से हम कितनी भी बड़ी मुसीबत को आसानी से पार कर सकते हैं।
ज़िद हो तो तनिष्का जैसी
यह कहानी Neet टोपर तनिष्का की है| तनिष्का ने Neet की परीक्षा में टॉप किया| जैसे ही रिजल्ट आया तो तनिष्का के इंस्टीटूट वालों ने उसे इंटरव्यू के लिए बुलाया| तनिष्का इंटरव्यू के लिए चली गई| तनिष्का को इंटरव्यू में पूछा गया कि आपके Neet क्लियर करने के पीछे क्या सीक्रेट है|
इस पर तनिष्का बोली Neet पास करने के आपके पास दो तरीके हैं| Neet का सलेबस इतना बड़ा नहीं है, इसलिए NCERT के सिलेबस की 10 बार रिवीजन कर लें, दूसरा की कभी भी सलेबस को अधूरा ना रखें, वरना आपको आखिर में आपको काफी दिक्कत होगी|
इस पर इंस्टीट्यूट मैं इंटरव्यू ले रहे व्यक्ति ने उससे कहा कि तनिष्का यह तो भी आमतौर पे दिए जाने वाले टिप्स हैं क्या इसी के बलबूते पर आप ने अपनी Neet की परीक्षा को पास किया? यह सुनते ही एकदम तनिष्का के दिमाग में बचपन की वह बात याद आई|
जब तनिष्का पांचवी कक्षा में थी तो वह अपने दादी से कहती है: दादी मेरा पढ़ाई में बिल्कुल दिल नहीं लगता है| यह बोलते ही नन्ही तनिष्का अपनी दादी के कंधे पर सर रख देती है| इस पर दादी बोलती है बेटा बिना मकसद के मन कैसे लगेगा, कोई मन झिंझोड़ देने वाला मकसद होना चाहिए| इस पर छोटी सी तनिष्का बूढ़ी दादी से कहती है दादी ऐसा तो कुछ भी नहीं है|
तो कुछ सालों के बाद दादी को कैंसर हो जाता है ,और उनकी अकस्मात मृत्यु हो जाती है| इस हादसे ने तनिष्का के मन और दिमाग में बहुत गहरा असर किया था| दादी की इलाज़ अच्छे डॉक्टर ना होने की वजह से हुआ था| अब वह इतनी अच्छी डॉक्टर बनना चाहती थी, जो कि कभी भी इस बीमारी से किसी को मरने ना दे| अब तनिष्का के पास मकसद था और अब वह इस मकसद को पूरा करने के लिए पूरी लगन और मेहनत से पढ़ाई करने लग गई और पहले ही बार में तनिष्का ने Neet क्लियर कर दिया|
इसी तरह अगर हम भी जीवन मैं अपना मकसद तय कर ले तो कोई भी काम आसान हो जाएगा। वैसे ही सुबह जल्दी उठने के ख्याल मात्र से ही हम सोचने लग जाएंगे कि मैं तो सुबह जल्दी उठ ही नहीं सकता| लेकिन अगर आप रात को ही अपने जल्दी उठने का मकसद सोच कर सोएंगे तो चाहे कितने ही जल्दी क्यू न हो आप बहुत आसानी से उठ पायंगे|
नैतिक शिक्षा
बस इसी तरह अपने जीवन मै मकसद निश्चित करने मात्र से ही हम उसे हांसिल कर पायंगे चाहे लक्ष्य कितना ही मुश्किल हो|
आखिर कौन बनेगा सबसे बड़ा
तो आज की कहानी तीन बहुत अच्छे दोस्तों की है| इन तीनों दोस्तों का नाम था रवि, चंद्र और शंकर| यह तीनों ही एक साथ एक क्लास में पढ़ते थे| तीनों दोस्त ट्यूशन भी एक साथ ही जाया करते थे| शंकर हमेशा क्लास में टॉप करता था, और चंद्र एक ठीक ठाक स्टूडेंट था, वहीं रवि बिलकुल नलयक था| वैसे तो तीनों दोस्त एक दूसरे के साथ बहुत ही प्यार से रहते थे, लेकिन एक दिन किसी बात पर उन तीनों दोस्तों की लड़ाई हो गई|
शंकर ने तो गुस्से- गुस्से में यह भी कह डाला कि मैं जैसे क्लास मै टॉप करता हु वैसे ही जिंदगी में भी टॉप करूंगा| और तुम दोनों जिंदगी में कुछ नहीं कर पाओगे| इस पर चंद्र बोला कि मैं भी जिंदगी में कुछ ना कुछ कर लूंगा लेकिन रवि तेरा क्या होगा।
इस पर रवि बोला चलो अगर ऐसी बात है तो चलो ट्यूशन टीचर के पास चलते है और और उन्ही से पूछते हैं कि जिंदगी में कौन आगे जाएगा और कौन नहीं| फिर तीनों अपने ट्यूशन टीचर के पास चले गए और उनकी टीचर ने बहुत आराम से बैठ कर उन तीनों की बात सुनी|
पूरी बात सुनने के बाद टीचर ने एक कागज का टुकड़ा लिया और उसपे कुछ लिखने लगी| फिर टीचर उस कागज़ को पकड़ के बोली इसमें मैंने उसका नाम लिख दिया है जो जीवन में टॉप करेगा और मैं इस कागज़ को अपने घर की गार्डन के पीछे छुपा दूंगी| तुम 15 साल के बाद इस कागज़ को गार्डन से निकाल कर इसमें लिखे हुए नाम को पढ़ सकते हो| इस पर शंकर बोला मुझे पता है आपने मेरा ही नाम लिखा होगा| टीचर उस कागज के टुकड़े को चुपचाप वह से लेकर चली गई|
अब 15 साल बीत चुके थे शंकर एक जाना माना CA बन चूका था| चंद्र एक एवरेज बैंकर था और रवि का कोई अता-पता नहीं था| शंकर और चंद्र एक दूसरे से मिले और वह दोनों अपने ट्यूशन टीचर के गार्डन में उस दबे हुए लेटर को निकालने लग गए| लेटर पढ़कर दोनों बहुत हैरान रह गए| उस पर उनकी टीचर ने लिखा हुआ था| Dear चंदन और शंकर बुरा मत मानना लेकिन जिंदगी में टॉप तो रवि ही करेगा।
इसका कारण यह होगा कि शंकर तुम टॉपर होने की वजह से जिंदगी में कभी भी गलती करने से डरोगे और चंद्र तुम ठीक ठाक स्टूडेंट होने की वजह से जिंदगी में कुछ अलग करने से घबराते रहोगे| ववहीं रवि जिसे कोई डर नहीं है और वह लगातार जीवन में पढ़ाई के साथ बहुत अलग-अलग चीजों के साथ मेहनत करता चला जाएगा जिसमें उसे बहुत सफलता हासिल होगी|
इतने में दोनों की फोन पर एक ग्रुप वीडियो कॉल आती है यह वीडियो कॉल रवि की होती है जो कि अपने पर्सनल यॉट से कॉल कर रहा होता है और कहता है कि दोस्तों मैंने अपने रेस्टुरेंट है तुम दोनों के लिए स्पेशल पिज़्ज़ा ऑर्डर कर दिया है और आज की पार्टी मेरी तरफ से होगी| उसकी यह बात सुनकर और उसका ठाठ बाट देखकर दोनों बहुत हैरान रह जाते हैं|
नैतिक शिक्षा
तो आज की इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि जीवन में सफल वही हो पाएगा जो मेहनत से डरेगा नहीं और ना ही उसके नतीजे से घबरेगा और लगातार जीवन में कुछ अलग करने का प्रयास करता रहेगा|
टीचर ने सिखाया जीवन का सार
एक दिन क्लास में एक टीचर ने पानी का गिलास अपने हाथ में उठाते हुए बच्चों से पूछा कि बच्चों इसका वजन कितना है तो सभी बच्चों ने 30 से 40 ग्राम के बीच में इस गिलास का वजन बताया| इस पर टीचर बोले बच्चों अगर मैं इस ग्लास को 2 से 3 मिनट तक अपने हाथ पर पकड़े रखती हूं तो मुझे इसक वजन से कोई मतलब नहीं और अगर इस गिलास को मैं 1 घंटे तक अपने हाथ में पकड़ के रखती हूं तो इससे मेरे हाथ थोड़े से दुखने जरूर लग जाएंगे|
लेकिन अगर इस ग्लास को मैं सारा दिन अपने हाथ में पकड़ के रखूं तो मेरे हाथ में बोझ पड़ने लग जाएगा और हो सकता है कि मेरे हाथ पैरालाइज भी हो जाए| इसी तरह अगर जीवन में कोई परेशानी हमारे दिमाग में आती है और इससे हमारे दिमाग में बोझ पड़ने लग जाए तो समझ जाना चाहिए कि अब उस परेशानी को अपने दिमाग से निकालने का वक्त हो चुका है।
नैतिक शिक्षा
तो इस कहानी से हमें यही सीख मिलती है कि जीवन में किसी भी बात को उतना ही पकड़ कर रखें जितना हम उसे सहन कर सकते हैं अगर बोझ दिमाग पर आने लगे तो उस ख्याल को हमें छोड़ देना चाहिए फिर चाहे वह विचार कितना ही परेशान दायक ही क्यों ना हो।
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जुनून की सच्ची कहानी
पटना शहर में एक गरीब से घर से एक लड़का आर्मी में भर्ती होना चाहता था| लेकिन हाथ टेढ़ा होने की वजह से वह आर्मी मै रिजेक्ट हो गया| वह हताश होकर शहर की ओर चल पड़ा सोचा शायद वहां उसे कुछ छोटा मोटा काम मिल जाए| वह पढ़ने लिखने का काफी शौक रखता था|
उसने सोचा क्यों ना मैं किसी इंस्टिट्यूट में टीचर लग जाऊं, तो काफी दिन धक्के खाने के बाद वह एक इंस्टीट्यूट में टीचर लग गया| पहले दिन बच्चे काफी कम थे| लेकिन उसके पढ़ाने का तरीका बच्चों को बहुत पसंद आया और ऐसे ही धीरे-धीरे इंस्टिट्यूट में बच्चे भरने लग गए| यह देखकर इंस्टिट्यूट का मालिक काफी खुश था|
अब उसका लालच बढ़ गया और उसने ट्यूशन की फीस बढ़ाने के लिए कहा| इस पर वह बोला कि नहीं बच्चे बहुत गरीब है और पढ़ने की इच्छा रखते हैं| मैं इनकी फीस नहीं बढ़ा सकता| इस पर इंस्टिट्यूट का मालिक गुस्से में आ गया और उसने उससे नौकरी से निकाल दिया| अब वह परेशान हो गया और वह गंगा तट पर बैठकर सोचने लगा कि अब गांव वापस चला जाए लेकिन जब उसने अपना पर्स निकाल कर देखा तो उसमें सिर्फ ₹40 थे और गांव जाने के लिए उसे कम से कम ₹100 तो चाहिए ही थे|
अब वह सोचने लगा कि नहीं मैं गांव नहीं जाऊंगा लेकिन जिस मकसद से शहर आया था, उस मकसद को पूरा जरूर करूंगा| तो उसने सोचा कि मैं अपना इंस्टिट्यूट खोल देता हूं| वह उस वख्त एक छोटे से कमरे में रहता था| उसने अपना सारा सामान उठाकर स्टोर रूम में डाल दिया और उस कमरे को उसने अपना क्लास रूम बना दिया|
उसने एक बोर्ड लटकाया और बच्चों की ट्यूशन शुरू कर दी| जो बच्चे पहले उसके पास पढ़ते थे उन बच्चो ने तो तुरंत ही उसके इंस्टिट्यूट को ज्वाइन कर लिया और उनके साथ-साथ काफी सारे और भी बच्चे ट्यूशन लेने उसके क्लास आने लग गए|
वह बहुत ही खुश था लेकिन आसपास की इंस्टीट्यूट ऑनर इस बात से बहुत जल रहे थे| यह देखकर उन्होंने उसके क्लास में बम फेंक दिया| इससे तो इंस्टिट्यूट नहीं बंद हुआ लेकिन भारत वर्ष में कोरोना आ गया| सभी इंस्टीट्यूट स्कूल बंद हो गए अब उसकी क्लास में भी कोई बच्चा नहीं आ पा रहा था| उसका गुज़ारा बहुत मुश्किल मै आ गया|
एक दिन वह सोचने लगा कि क्यों ना मैं यूट्यूब का सहारा लेकर बच्चों को पढ़ता हूं, बस फिर क्या था उसने अपना फोन एक डंडे पर लटकाया और क्लास रूम से ही वीडियोस बनाकर अपने यूट्यूब चैनल में पोस्ट करने लग गया| सभी को उसका पढ़ाने का तरीका इतना अच्छा लगता था कि उसकी ऑडियंस बहुत जल्दी बढ़ने लग गई और आज हम सभी इन्हें खान सर के नाम से जानता ।
नैतिक शिक्षा
तो इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि अगर हमें कुछ करने का जुनून हो तो मुसीबत तो क्या हम खुद भी खुद को रोक नहीं सकते।
Conclusion
तो दोस्तों इसी के साथ आज की Short Motivational Story in Hindi For Success With Moral को मैं यहीं पर समाप्त करना चाहूंगी| आशा करती हूं कि आप इन सभी कहानियों को पढ़कर आप काफी motivated हुए होंगे और आपको भी अपने जीवन का रास्ता दिखने लग गया होगा| अगर आपको इन कहानियों से संबंधित कोई भी सवाल हो तो आप नीचे दिए गए कमेंट सेक्शन में कमेंट करके मुझे जरूर बताएं ताकि मैं उन सभी प्रश्नों के उत्तर आपको दे सकूं|