Best Bedtime Stories in Hindi with Moral | Bedtime Stories In Hindi For Kids

बच्चों क्या आप भी सोते टाइम कहानी सुनना जा पढ़ना पसंद करते हैं? अगर ऐसा है तो आप बिल्कुल सही जगह पर आए हैं, क्योंकि आज की इस पोस्ट में हम आपके साथ कुछ चुनिंदा Bedtime Stories in Hindi with Moral शेयर करने जा रहे हैं| जिन्हें पढ़कर आपको बहुत अच्छा महसूस होगा| 

जब हमने देखा कि काफी लोग ऐसी कहानियों के बारे में सर्च कर रहे है जो बच्चों को सोते समय सुनाई जा सके, तब हमने सोचा कि आपकी इस मुश्किल के समाधान के तौर पर आपके साथ इस लेख में कहानियां शेयर करने जा रहे है| जिसे आप रत को सोते समय बच्चों के सुना सकते है या फिर बच्चे खुद भी इसे पढ़ सकते है| तो चलिए दोस्तों अब हम शुरू करते हैं|

टाइगर और गांव वालों की कहानी – Bedtime Stories in Hindi with Moral

एक छोटा सा गांव था, जो जंगल के पास में बसा हुआ था| उस गांव में काफी लोग रहते थे और पास के जंगल में काफी जानवर भी रहते थे| उस गांव में लोग और जानवर आपस में मिलकर रहते थे| लेकिन उस जंगल में काफी सारे जानवर जैसे के फॉक्स, मेंढक, बंदर, मगरमच्छ और टाइगर थे| वह सभी जानवर आपस में मिल जुल कर रहते थे| 

लेकिन उस जंगल में एक खतरनाक टाइगर भी था, जो अक्सर ही अपनी भूख मिटाने के लिए दूसरे जानवरों और लोगों का शिकार करता रहता था| टाइगर खुद से काफी ज्यादा प्यार करता था| एक दिन टाइगर गांव में घुस गया और वहां पर उसने काफी लोगों के ऊपर हमला बोल दिया| जिसकी वजह से काफी लोग घायल भी हो गए| 

समय बीतता गया फिर एक दिन उस जंगल में कुछ शिकारी आए| तब गांव वालों ने उन शिकारियों को टाइगर के बारे में बताया जो अक्सर ही उनका शिकार करता रहता था| तब शिकारियों ने उस टाइगर का शिकार करने के बारे में सोचा| वह जंगल में अपनी बंदूक लेकर घुस गए, वहां जाकर उन्होंने देखा कि वहां पर काफी सारे टाइगर है, लेकिन अब उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि इनमें से वह कौन सा टाइगर है जो लोगों पर हमला करता है| 

फिर उन्होंने धीरे-धीरे करके सभी टाइगर को बंदी बना लिया और उनको अलग-अलग पिंजरे में बंद कर दिया| सभी टाइगर पिंजरे में कैद होने के बाद शांत बैठे थे, लेकिन उनमें से एक ऐसा टाइगर था जो पिंजरे में बैठा भी चिल्ला रहा था और बार-बार शिकारियों को बोल रहा था कि मुझे छोड़ दो| शिकारियों को समझा आ गया था कि यह वही टाइगर है जो लोगों पर हमला करता है| 

तब शिकारी उसके पास चले गए जैसे ही शिकारी पिंजरे के पास पहुंचे तो टाइगर कहने लगा कि मुझे बाहर निकालो मैं आगे से किसी पर भी हमला नहीं करूंगा मैं आप लोगों से वादा करता हूँ| लेकिन शिकारियों के टियर की एक ना सुनी| तभी शिकारी वहां से जाने लगे, लेकिन एक शिकारी वहां खड़ा रहा| टाइगर फिर से उस शिकारी को कहने लगा कि मुझे बाहर निकाल दो| मैं वादा करता हूं कि अपनी भूख मिटाने के लिए मैं कभी किसी गांव वालों पर हमला नहीं करूंगा कभी भी उनका शिकार नहीं करूंगा| 

काफी देर मिनते करने के बाद शिकारी ने सोचा कि मुझे नहीं लगता कि अब यह टाइगर किसी पर हमला करेगा| मुझे इसे बाहर निकाल देना चाहिए| शिकारी ने पिंजरे को खोला तो टाइगर पिंजरे से बाहर आ गया| अब टाइगर काफी देर से भूखा और प्यासा था और अब पहले से भी ज्यादा खतरनाक हो गया था| 

जैसे ही टाइगर पिंजरे से बाहर निकला उसने शिकारी के ऊपर हमला कर दिया| शिकारी चिल्लाता रहा और टाइगर को कहता रहा कि तुमने मुझे अभी वादा कर किया था कि तुम कभी किसी पर हमला नहीं करोगे, किसी का शिकार नहीं करोगे| तुम्हें अपने वादे पर कायम रहना चाहिए| 

लेकिन टाइगर शिकारी की बात नहीं सुन रहा था| इतने में वहां पर एक लोमड़ी आ गई| लोमड़ी ने देखा कि टाइगर ने उस शिकारी के ऊपर हमला कर दिया है| तब टाइगर की नज़र लंडी पर गई, लोमड़ी को देखकर टाइगर ने शिकारी को छोड़ दिया और वहां पास में खड़ा हो गया| तब शिकारी ने लोमड़ी को पूरी बात बताई कि कैसे टाइगर ने मुझसे वादा किया था और अपने वादा पूरा कायम नहीं रह रहा है| 

यह बात सुनकर लोमड़ी हैरान हो गई और कहने लगी कि यह कैसे हो सकता है तुम इतने बड़े और खूंखार टाइगर को किसी पिंजरे में कैसे बंद कर सकते हो? मुझे इस बात पर बिल्कल भी यकीन नहीं है| फिर टाइगर ने लोमड़ी को बताया कि सच में इन लोगों ने मुझे पिंजरे में कैद कर दिया था, तो लोमड़ी बोलने लगी कि मुझे इस बात पर विश्वास नहीं होता कि तुम्हें कोई पिंजरे में कैद कर सकता है और मुझे नहीं लगता कि इस पिंजरे में तुम पूरे भी आ सकते हो| 

तो टाइगर ने लोमड़ी को बोला नहीं यह सत्य बात है, इन्होंने मुझे पिंजरे में कैद किया था| तुम इधर पास आओ मैं तुम्हें बताता हूं इन्होंने मेरे साथ क्या किया था| टाइगर पिंजरे की ओर चला गया, फिर पिंजरे के अंदर गया और वहां पर खड़ा हो गया| फिर लोमड़ी पिंजरे के पास आई,उसमें टाइगर को देखा और बोला अरे हां तुम तो सच में पिंजरे में पुरे आ गए हो| पर मुझे नहीं लगता कि तुम्हें अंदर अंदर डालने के बाद पिंजरा बंद भी हो सकता है| 

फिर टाइगर ने लोमड़ी को कहा कि तुम कोशिश करके देख लो| फिर लोमड़ी पिंजरे के पास आई और उसने पिंजरा बंद कर दिया| अब टाइगर दुबारा से पिंजरे में बंद हो गया था| शिकारी और लोमड़ी टाइगर को कैद करके पिंजरे से दूर खड़े हो गए और उसे देखते रहे| टाइगर फिर से चिल्लाता रहा और पिंजरे से बाहर निकलने के लिए विनती करता रहा। लेकिन उन लोगों के टाइगर को पिंजरे से बहार नहीं निकला और अपने लालच की वजह से टाइगर फिर से कैद हो गया|

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लालची किसान और अकबर बीरबल की कहानी

विक्की और सोनी दो भाई थे और उनकी एक बड़ी बहन रागिनी थी| एक दिन विकी ने देखा कि उसका सिल्वर का मेडल जो उसने मैराथन में जीता था वह चोरी हो गया है| तो विकी ने अपनी बहन रागनी को जाकर बताया कि सोनी ने मेरा मेडल चुरा लिया है| यह सुनकर रागिनी ने कहा कि लगता है सोनी का लालच दिन पर दिन बढ़ता ही जा रहा है| तुम मेरे पास बैठो मैं तुम्हें एक कहानी सुनाती हूँ| यह सुनकर विक्की खुश हो गया और कहानी सुनने के लिए बैठ गया| 

फिर रागिनी ने विक्की को बोला कि मैं तुम्हें अकबर और बीरबल के न्याय की कहानी सुनातीहूँ| कहानी कुछ इस प्रकार है कि एक बार एक गांव में हरि नाम का किसान रहता था| उसने पास के गांव में एक छोटी सी जमीन खेती करने के लिए खरीदी थी| जब वह खेत में गया तो उसने देखा कि खेत की जमीन को पानी की जरूरत है और आसपास कोई नदी या तालाब भी नहीं है, जहां से वह पानी ले सके| 

वह सिर्फ बारिश के ऊपर ही निर्भर था| अगर बारिश होगी तो उसकी फसल भी अच्छे से हो जाएगी नहीं तो उसकी फसल खराब हो जाएगी यह सोचकर भारी बहुत ज्यादा परेशान हो गया था| फिर हरि अपने खेत से अपने घर की ओर जाने लगा, तब उसने देखा के पास में एक किसान का घर है जिसके घर के बाहर एक कुआं है| फिर हरि भाग कर कुएं के पास गया तो उसने देखा कि कुएं में काफी गहरा पानी है| इतने में कुएं का मालिक लक्ष्मण भी अपने घर से बाहर निकल आया| 

तब हरि ने लक्ष्मण को बोला कि मैं तुम्हारा कुआं खरीदना चाहता हूँ| लक्ष्मण यह सुनकर पहले तो चुप हो गया लेकिन वह काफी ज्यादा लालची था| इसलिए वह कुआँ बेचने के लिए तैयार हो गया| लक्ष्मण ने कहा कि अगर मैंने तुम्हें कुआँ एक बार भेज दिया तो कल को कुएं की हालत कैसी भी हो मैं तुमसे वापस नहीं लूंगा| इस बात के लिए हरि सहमत हो गया| हरि और लक्ष्मण के बीच सौदा तय हो गया| 

फिर अगले दिन हरि अपनी बैलगाड़ी लेकर के कुएं के पास गया, जैसे ही हरि कुएं से पानी निकालने लगा तो लक्ष्मण ने हरि को रोक दिया और कहा कि रुको मैंने तुम्हें कुआं बेचा है ना कि कुएं के अंदर का पानी बेचा है| यह सुनकर हरि हैरान हो गया, लेकिन लक्ष्मण हरि को कुएं का पानी निकालने के लिए लगातार रोकता रहा| तब हरि को लगा कि उसके साथ धोखा हुआ है| फिर हरि अपने राजा के पास चला गया| 

उसने राजा अकबर को अपने साथ हुए धोखे के बारे में विस्तार में बताया, तब राजा ने अपने मंत्री बीरबल को बुलाया और उसे न्याय करने के लिए कहा| बीरबल हरि के साथ कुएं के पास गया और हरि को कुएं से पानी निकालने के लिए कहा| इतने में लक्ष्मण वहां आ गया और उसने हरि को रोक दिया और कहा कि मैंने तुम्हें कुआं बेचा है ना कि इसके अंदर का पानी बेचा है| 

तब बीरबल ने लक्ष्मण को कहा कि ठीक है अगर तुमने हरि को सिर्फ कुआं बेचा है तो मैं तुम्हें 3 दिन का समय देता हूँ, कुए के अंदर जितना भी पानी है तुम उसे बाहर निकाल लो, अगर तुम पानी निकालने में असमर्थ रहे तो इसके लिए तुम्हें जुर्माना देना पड़ेगा और साथ में तुम्हें जेल की सजा भी काटनी पड़ेगी| लक्ष्मण थोड़ी देर सोचता रहा और उसे मालूम था कि वह कुए का पानी नहीं निकाल पाएगा| 

तब लक्ष्मण ने हरि को कुएं से पानी निकालने के लिए बोल दिया| इतने में बीरबल ने कहा कि लक्ष्मण तुम अपने लालच के जाल में खुद फस गए हो| अगर तुमने आगे से कुछ ऐसा करा तो तुम्हें इसके लिए जरूर जेल जाना पड़ेगा| फिर हरि कुएं से पानी निकालने लगा और अपने खेतों में फसल के लिए पानी का इस्तेमाल करने लगा| 

नैतिक शिक्षा

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें किसी भी चीज के लिए लालच नहीं करना चाहिए।

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बंदर और मगरमच्छ की कहानी

एक बार एक जंगल में एक बूढ़ा मगरमच्छ रहता था, वह बड़ी मुश्किल से शिकार कर पाता था| एक दिन तालाब में मछलियां घूम रही थी, लेकिन बूढ़ा मगरमच्छ उनका शिकार करना चाहता था, पर वह मछलियों को पकड़ नहीं पा रहा था| मगरमच्छ थक हार कर जामुन के पेड़ के नीचे बैठ गया| 

मगरमच्छ ने देखा कि पेड़ के ऊपर एक बंदर है जो जामुन खा रहा है| तब मगरमच्छ में बंदर से कहा कि मैं भूखा हूं और मई शिकार भी नहीं कर पा रहा हूँ| तुम मुझे खाने के लिए जामुन दे दो, इससे मेरा पेट भर जाएगा| बंदर ने मगरमच्छ को जामुन दे दिए और मगरमच्छ  को जामुन काफी मीठे लगे| 

जब कभी मगरमच्छ शिकार नहीं कर पाता तो वह बंदर के पास आकर जामुन खा लेता और अपना पेट भर लेता था| धीरे-धीरे बंदर और मगरमच्छ में दोस्ती हो गई| बंदर अक्सर ही मगरमच्छ को जामुन खिलाता और बदले में मगरमच्छ बंदर को अपनी पीठ पर बैठाकर तालाब की सैर करवाता| 1 दिन मगरमच्छ ने बंदर को कहा कि तुम मुझे काफी सारे जामुन तोड़ कर दे दो, मई अपनी बीवी को खिलाऊंगा, वह खुश हो जाएगी| 

मगरमच्छ ने जामुन अपनी बीवी को जाकर दिए, मगरमच्छ ने अपनी बीवी ने बताया कि उसका एक दोस्त बंदर है जो अक्सर ही उसे जामुन तोड़ कर खिलता है| मगरमच्छ  की बीवी खाए तो उसे भी बहुत मीठे लगे| फिर मगरमच्छ की बीवी ने कहा कि जब जामुन इतने मीठे है तो जामुन खाने वाला कितना मीठा होगा|  वैसे भी काफी समय हो गया है मैंने मास नहीं खाया है| तुम मेरे लिए उस बंदर का दिल लेकर आओ| 

मगरमच्छ ने मना कर दिया, लेकिन बार-बार मना करने पर भी उसकी बीवी नहीं मानी और मगरमच्छ को बंदर का दिल लाने के लिए मजबूर कर दिया| फिर मगरमच्छ बंदर के पास गया और बंदर को कहा कि आज मेरी बीवी ने बहुत अच्छा पकवान बनाया है| यह सुन कर बंदर भी  मगरमच्छ के साथ जाने के लिए तैयार हो गया| 

मगरमच्छ बंदर को लेकर जा रहा था, तब रास्ते में मगरमच्छ ने बंदर को सारी बात बता दी कि उसकी बीवी उसका दिल खाना चाहती है| तब बंदर ने बड़ी चतुराई से कहा कि कहा कि मेरा दिल तो पेड़ के ऊपर पड़ा है| तुमने मुझे पहले क्यों नहीं बताया| मई अपना दिल साथ ले कर आता| फर बंदर के कहे अनुसार मगरमच्छ ने बंदर को पेड़ के पास छोड़ दिया और बंदर पेड़ के ऊपर चढ़ गया| 

फिर बंदर ने मगरमच्छ से कहा कि आज से हमारी दोस्ती खत्म, तुम मुझे अपनी बीवी के हाथों से मरवाना चाहते थे| तुम कितने मूर्ख हो, क्या कोई बिना दिल के भी जी सकता है| जाओ तुम यहां से चले जाओ| यह सुनकर मगरमच्छ अपनी दोस्ती के बारे में सोच कर मायूस हो गया और उसे अपनी मूर्खता पर भी शर्म आने लगी और वहां से चला गया| 

नैतिक शिक्षा

इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि मुश्किल समय में हमें कभी घबराना नहीं चाहिए, जैसे बंदर ने चतुराई दिखार अपनी जान बचाई, ठीक उसी तरह मुश्किल समय में हमें भी अपने विवेक का इस्तेमाल करना चाहिए।

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धोखेबाज़ सियार की कहानी

एक बार एक जंगल में बहुत सारे जानवर रहते थे| उस जंगल में एक सियार भी रहता था जो बहुत ही ज्यादा घमंडी था और दूसरे जानवरों का मजाक उड़ाता था| जंगल में एक शेर था जो बहुत दयालु और न्यायप्रिय था| जिसकी वजह से बाकी जानवर उसका बड़ा आदर सम्मान करते थे और उसे अपना राजा भी मानते थे| 

लेकिन सियार खुद को जंगल का राजा मानता था| सियार के बुरे व्यवहार की वजह से कोई भी जानवर से ना तो उस से दोस्ती करना पसंद करता था ना ही कोई उसे अपना राजा मानता था| 

एक दिन शाम का समय था और सियार घूमते घूमते जंगल से बाहर पास के गांव में पहुंच गया| वहां पर वार्षिक महोत्सव का समय था, लोग तैयारियां कर रहे थे, लोग घरों में रंग लगा रहे थे, घरों को सजा रहे थे| लेकिन रात हो गई थी लोगों ने रंग को बड़े से ड्रम में डाला और उसे ढककर रख दिया ताकि उस पर कोई गिर ना सके| 

इतने में सियार गांव में पहुंच गया अंधेरे में ज्यादा कुछ दिखाई नहीं दे रहा था| सियार किसी पत्थर से टकराया और रंग के भरे हुए ड्रम में गिर गया| काफी मेहनत करने के बाद ड्रम से बाहर निकला और भागता हुआ जंगल की ओर चला गया| वह इतना थक गया था कि वह पेड़ के नीचे लेट गया और उसे नींद आ गई| जैसे ही उसकी आंख खुली तो उसने देखा कि उसके आसपास जानवरों के बोलने की आवाज आ रही है और सुबह भी हो चुकी है| 

कुछ जानवर नीले रंग के सियार को देखकर काफी ज्यादा हैरान हो रहे थे, तो कुछ जानवर आपस में बात कर रहे थे कि यह कोई दूसरी दुनिया का जीव लगता है| फिर सियार ने जंहल का राजा बनने के लिए तरकीब लड़ाई और सभी जानवरों को कहा कि मुझे भगवान ने तुम सब को न्याय देने के लिए भेजा है| मुझे भगवान ने तुम सब का राजा बना कर भेजा है| इस बात को सुनकर दूसरे सभी जानवर सहमत हो गए और शेर भी सहमत हो गया| जिसकी वजह से आपको जंगल का राजा बना दिया गया| 

अब सियार अपनी मर्जी से जंगल में घूमता फिरता रहता था| हर कोई जानवर उसका सम्मान करते और उसे खाने को कुछ न कुछ देते रहते| जिसकी वजह से सियार को खाना ढूंढने के लिए मेहनत नहीं करनी पड़ती थी| एक दिन जंगल में सभी जानवरों की सभा बुलाई गई थी सभी जानवर नीचे बैठे थे और नीला रंग का सियार पत्थर के ऊपर बैठा था|

इतने में जंगल में बारिश होने लग गई, सभी जानवरों ने सभा बंद करने के लिए बोला| लेकिन सियार ने कहा कि अभी बारिश रुक जाएगी आप लोग अपनी सभा को जारी रखें| इतने में बारिश और भी तेज हो गई और सियार का नीला रंग बारिश से निकलने लगा| धीरे-धीरे सियार अपने पुराने रंग में आ गया| सभी जानवर सियार को देख कर रहे थे और उनको बहुत ज्यादा गुस्सा आ रहा था| 

सभी जानवर सियार को बुरा भला बोल रहे थे| तब सियार ने बोला कि तुम मुझे ऐसे नहीं बोल सकते मुझे भगवान ने तुम्हारे लिए भेजा है मैं तुम्हारा राजा हूँ| तब शेर ने बोला कि तुम एक नंबर के झूठे हो| तुम तो सियार हो, सियार ने कहा कि से क्या कभी किसी ने नीले रंग का सियार देखा है| मुझे भगवान ने तुम्हारे लिए भेजा है| 

तब शेर ने कहा कि एक बार खुद को देखो उसके बाद बताओ कि तुम सियार हो या नहीं| फिर सियार ने खुद को देखा और उसे पता चला कि उसका नीला रंग बारिश की वजह से निकल गया है वह पुराने रंग में आ गया है और जंगल के सभी जानवरों को उसकी सच्चाई का पता चल गई है| सभी जानवरों ने सियार को मिलकर सजा दी और उसे जंगल से बाहर निकाल दिया।

नैतिक शिक्षा

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें किसी के साथ धोखा नहीं करना चाहिए और उसका विश्वास नहीं तोड़ना चाहिए| क्योंकि धोखे से मिली हुई वस्तु या सम्मान ज्यादा देर तक नहीं रहता|

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कंजूस बुड्ढे की कहानी

एक गांव में एक बुड्ढा आदमी रहता था, वह काफी ज्यादा कंजूस था| वह बिल्कुल भी किसी भी चीज पर पैसा खर्च नहीं करता था| ना ही वह अपने बच्चों पर पैसा खर्च करता था| वह अपने घर के बाहर के बगीचे में अपने सिक्के दबाकर रखता था| वह रोजाना सिक्कों वाली जगह पर जाता, सिक्कों को देखता और फिर से दबा कर रख देता था| 

एक दिन उस बुड्ढे आदमी का लड़का बीमार हो गया था, उसे पैसों की जरूरत थी| लेकिन बुड्ढे आदमी ने फिर भी अपने लड़के को पैसे नहीं दिए, उसने कहा कि तुम खुद कमाते हो उसी से अपना इलाज करवा लो| यह सुनकर उस लड़के को बहुत गुस्सा आया लेकिन वह अपने पिताजी को कुछ कह भी नहीं सकता था| काफी समय बीत गया बुड्ढा आदमी रोजाना की तरह अपने सिक्के देखता और दोबारा दबा कर रख देता था| 

1 दिन एक चोर उस बुड्ढे आदमी को सिक्के दबाते हुए देख रहा था| चोर दो-तीन दिन तक बुड्ढे आदमी के सिक्के निकालने और दबाने के समय को देख रहा था| अब उसे समझ आ गया था कि उसे किस समय चोरी करनी है| फिर एक रात चोर बुड्ढे आदमी के बगीचे में गया और वहां से सारे सिक्के निकाल कर भाग गया|

अगले दिन बुड्ढा आदमी जब सिक्कों वाली जगह गया तो उसने देखा कि वहां पर सिक्के नहीं है, सारे सिक्के वहां से गायब है| यह देखकर बुड्ढा आदमी बहुत चिल्लाने लगा और रोने लगा| तभी बुड्ढे आदमी का लड़का अंदर से आया और उसने पूछा पिताजी क्या हुआ| उसने बताया कि मैंने यहां पर सिक्के दबाकर रखे हुए थे| तो लड़के ने बोला कि आप ने सिक्के अंदर क्यों नहीं रखे| आप उन्हें किसी चीज से इस्तेमाल कर सकते थे| तो बुड्ढे आदमी ने कहा कि मैं सिक्के इसलिए बहार रखता था क्योंकि मैंने कभी भी सिक्कों को इस्तेमाल नहीं करना था| 

यह सुनकर लड़के को बहुत गुस्सा आया क्योंकि जब लड़के को पैसों की जरूरत थी तब बुड्ढे आदमी ने पैसे देने से मना कर दिया था और जब अब चोरी हो गई हैं तो बुड्ढा आदमी चिल्ला रहे हैं| इस बात पर लड़का भी अपने पिताजी कर चिल्लाने लगा और कहने लगा कि ऐसे सिक्कों का क्या करना जब जरुरत पड़ने पर वह किसी के काम ही नहीं आए|

उनको आपने उनको खर्च भी नहीं करना था, अगर उन सिक्कों को कोई ले भी गया तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता| यह कह कर लड़का घर के अंदर चला गया और बुड्ढा आदमी वही बैठा पछताता रहा।

नैतिक शिक्षा

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि अपने पास रखी हुई चीजों का महत्व उतना ही होता है जितना महत्व उनको उपयोग करने पर होता है।

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सफाई कर्मचारी और Scientist की कहानी

एक शहर में एक बहुत बड़ा और मशहूर स्कूल था, जहां पर शहर के लगभग सभी घरों के छात्र पढ़ने के लिए आते थे| उसी स्कूल में एक गोपी नाम का छात्र भी पढ़ता था| गोपी अपने माता-पिता के साथ एक छोटे से घर में रहता था| गोपी के पिताजी पास के ऑफिस में सफाई कर्मचारी थे| गोपी के पिताजी हर रोज सुबह जो गोपी को स्कूल छोड़ने आते थे और शाम के समय स्कूल से लेकर उसे घर लेकर जाते थे| 

एक दिन की बात है कि गोपी के अध्यापक मोहनलाल जी बीमार पड़ गए जिसकी वजह से वह स्कूल नहीं आ पाए| तब स्कूल के प्रिंसिपल गोपी की क्लास में गए और उन्होंने बताया कि आज तुम्हारे अध्यापक मोहनलाल जी बीमार हैं| इसलिए वह स्कूल नहीं आएंगे, आपको आज मैं पढ़ाऊंगा| प्रिंसिपल साहब ने कहा कि आज हम कोई भी पाठ्य पुस्तक नहीं पड़ेंगे| आज हम कुछ नया करेंगे| सभी बच्चे यह सुन कर उत्साहित हो गए| 

फिर प्रिंसिपल साहब ने बच्चों को पूछा कि बताओ बच्चों तुम बड़े होकर क्या बनना चाहोगे? कोई कहने लगा कोई पायलट, कोई वकील, कोई अध्यापक, कोई बिजनेसमैन| तब प्रिंसिपल साहब ने कहा कि एक एक करके बताओ| तब सभी ने कुछ न कुछ बताना शुरू कर दिया| फिर गोपी की बारी आई तो गोपी ने कहा कि मैं सफाई कर्मचारी बनुगा| यह सुनकर प्रिंसिपल हैरान हो गए| इससे पहले की प्रिंसिपल गोपी को कुछ कहते इतने में स्कूल की घंटी बज गई और स्कूल में छुट्टी हो गई| 

लेकिन प्रिंसिपल सारा दिन और रात गोपी के जवाब के बारे में सोचते रहे कि गोपी पढ़ लिखकर सफाई कर्मचारी ही बनना चाहता है| फिर अगला दिन हुआ मोहनलाल जी फिर स्कूल में नहीं आए, वह छुट्टी पर थे| फिर प्रिंसिपल ने गोपी की क्लास ली| तब प्रिंसिपल ने सभी बच्चों को बोला कि आज फिर मैं तुम्हारी क्लास लूंगा और आज हम कोई खेल खेलेंगे| यह बात सुनकर सभी छात्र उत्साहित हो गए| 

प्रिंसिपल साहब ने बोला कि आज के खेल का नाम माय फेवरेट हीरो है| तुम अपने अपने फेवरेट हीरो के नाम बताओ| तो तब किसी बच्चे ने बोला शाहरुख खान, किसी ने सलमान खान, किसी ने आमिर खान, किसी ने रितिक रोशन, किसी ने वरुण धवन, किसी ने कुछ और किसी ने कुछ| फिर गोपी की बारी आई तो गोपी ने कहा कि मुझे गोविंदा पसंद है| फिर प्रिंसिपल साहब ने बोला कि यह सभी बहुत ही अच्छे एक्टर हैं| लेकिन गोविंदा तो गलती से एक्टर बन गया था उसे तो वकील बनना चाहिए था क्योंकि उसके पिताजी तो वकील थे| 

यह सुनकर गोपी को बहुत बुरा लगा, तब गोपी ने प्रिंसिपल को कहा कि उसके पिताजी वकील थे, लेकिन गोविंदा बहुत ही अच्छे एक्टर है उनमें कला शुरुआत से ही थी| इसलिए उन्हें एक्टर ही बनना चाहिए था वकील नहीं| प्रिंसिपल साहब ने बोला यही बात तो मैं तुम्हें समझाना चाहता हूँ| जब तुम इतना पढ़ लिख रहे हो तो तुम सफाई कर्मचारी कैसे बन सकते हो? माना कि तुम्हारे पिताजी सफाई कर्मचारी है तो यह जरूरी नहीं है कि तुम भी सफाई कर्मचारी बनो| 

अगर ऐसा ही होता तो गोविंदा को भी वकील बनना चाहिए था| अब गोपी को सारी बात समझ आ गई थी और गोपी लगा और कुछ देर सोचने के बाद गोपी ने कहा कि मई scientist बनूंगा| गोपी को science में पहले से ही बहुत ज्यादा इंटरेस्ट था| 

नैतिक शिक्षा

इस कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है कि जीवन में म्हणत करें तो हम किसी भी मुकाम को हासिल कर सकते हैं।

प्राकृतिक समुंदर

एक बार एक सोनू नाम का लड़का था वह अपने घर में कमाने वाला अकेला ही था| उसके घर में उसकी बूढी माँ और 2 बहने थी| उसके पिताजी की मौत बहुत समय पहले ही हो गई थी| अब घर को चलाने की भी जिम्मेदारी सोनू पर ही आ गई थी| सोनू के गांव के पास एक तलाव था जहां पर लोग अक्षर ही मछलियां पकड़ कर मार्केट में बेचने के लिए जाया करते थे| 

सोनू ने सोचा कि आज मैं भी तालाब में मछली पकड़ने जाऊंगा और मार्केट में बेच कर पैसा कमाऊंगा| यह सोचकर सोनू तालाब के किनारे पर चला गया उसने वहां जाकर देखा कि पहले ही बहुत सारे लोग वहां पर मछलियां पकड़ रहे हैं| जैसे ही सोना तालाब के पास गया वहां पर गौरव और रवि नाम के दो लड़के बैठे थे जो मछलियां पकड़ रहे थे| 

जब सोनू मछलियों पकड़ने के लिए तालाब के पास जाने लगा तो दोनों लड़कों ने सोनू को मछलियों पकड़ने से मना कर दिया और कहा कि हम लोग यहां पहले से आते हैं इसलिए इस तालाब से मछली पकड़ने का हक सिर्फ हमारा है तुम यहां से चले जाओ| 

सोनू नराश होकर वहां से चला गया और उस के थोड़ी दूर जाने के बाद उसे वहां पर एक छोटा सा तालाब दिखा, जिसमें बहुत कम पानी था और मछलियां भी ना के बराबर थी| लेकिन फिर भी सोनू ने वहां मछलियां पकड़ने के बारे में सोचा गया और बड़ी मेहनत करने के बाद चार-पांच मछलियां ही पकड़ पाया| मछलियां पकड़ने के बाद सोनू सीधा मार्केट में चला गया और वहां पर जाकर अपनी मछलियां बेचने लगा| 

तब दोनों लड़कों गौरव और रवि ने देखा कि सोनू के पास सिर्फ चार ही मछलियां है इसे क्या ही पैसा कमा लेगा और वह सोनू को देखकर हंसने लगे, लेकिन सोनू ने कुछ नहीं कहा और वहां से चला गया| 

अगले दिन सोनू फिर तालाब में गया और 4-5 मछलियां पकड़ी और मार्केट में बेचने चला गया| फिर सोनू ने सोचा कि 4-5 मछलियां बेचने से उसके घर का गुजारा नहीं होगा, उसे ओर मछलियां पकड़नी होगी| इसी सोच के साथ सोनू अपने गांव के पास के रक समुंदर के पास चला गया| समुद्र के पास जाते ही उसने मछली पकड़ने के बारे में सोचा| जैसे ही वह मछली पकड़ने के लिए समुंदर के अंदर जाने लगा, उसने देखा कि समुद्र में तूफान आ रहे थे| लेकिन सोनू ने सोचा नहीं आज तो मछलियां पकड़ कर लेकर ही जाऊंगा, चाहे कुछ भी हो जाए| 

जब सोनू समुंदर के अंदर गया उधर से तूफान आ गया और सोनू तूफान की चपेट में आकर एक जगह से दूसरी जगह पर पहुंच गया| सोनू बेहोश हो गया, जैसे ही सोनू को होश आया उसने देखा कि समुंदर का पानी सुनहरा हो चुका है, वह किसी अलग ही जगह पर पहुंच गया है| यहां दृश्य अलग था, वहां सोने चांदी का खजाना पड़ा था| कीमती मछलियां वहां घूम रही थी, मधुमक्खियों का रस पड़ा था| तो सोनू ने वहां से कीमती मछलियां पकड़ी और फिर वापस चला गया| 

फिर सोनू मार्केट पहुंचा और सोनू ने साड़ी कीमती मछलियां बेच दी| सोनू रोज मार्किट में कीमती मछलियां बेचता रहता और ऐसे करते करते 1 दिन सोनू बहुत बड़ा आदमी बन गया| 1 दिन गौरव और रवि ने देखा कि सोनू अक्सर इतनी सारी महंगी मछलियां बेचता है| उन्हें यह देख कर जलन होने लगी, फिर उन्होंने सोचा कि हम पता लगाते हैं कि सोनू अक्सर महंगी मछलियां कहां से लता है| 

यह देखने के लिए वह दोनों सोनू का पीछा करने लगे और पीछा करते-करते वह उस समुंद्र के पास पहुंच गए| वहां जाकर उन्होंने देखा कि वहां पर तो सोना चांदी के भंडार पड़े हैं, मधुमखियों का रस पड़ा है| तब उन्होंने सोचा जब इतना कीमती सामान है तो हम इसे उठाकर मार्केट में बेचेंगे और खूब सारा पैसा कमा लेंगे| 

जैसे ही दोनों समुंदर के अंदर घुसने लगे तो सोनू ने कहा कि यहां पर मैं मछलियां पकड़ने आता हूं इसलिए तुम यहां पर नहीं आ सकते यहां पर मछली पकड़ने का हक मेरा है| 

तब उन दोनों ने कहा कि तुम मछलियां पकड़ो हम यहाँ मछलियों पकड़ने नहीं आये है| जब यह इतना कीमती समान पड़ा है तो हम उसे लेकर जायेंगे और मार्केट में बेच देंगे| तब सोनू ने उन दोनों को कहा कि तुम ऐसा मत करो, यह प्राकर्तिक चीज़े है| इन्हे मत उठाओ, नहीं तो बहुत बुरा हो सकता है| लेकिन वे नहीं माने और गौरव ने सबसे पहले मधुमखियों का रास और सोनू चांदी अपनी जेब में डाला और बाहर निकलने लगा| 

तभी मधुमक्खियों के झुंड ने गौरव पर हमला कर दिया| इस हमले में मधुमक्खियों ने गौरव को काफी जगह से काट लिया| जिसकी वजह से उसके शरीर के अंदर जहर फैल गया और उसकी उसी समय मौत हो गई| 

नैतिक शिक्षा

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमे प्राकर्तिक चीज़ों को नहीं छेड़ना चाहिए| हमारे लिया जितना जरूरी है हमे उतना ही उनका उपयोग करना चाहिए| नहीं तो कभी कभी इस से हमे काफी भरी नुकसान भी हो सकता है।

Conclusion

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