Thirsty Crow Story in Hindi with Moral – हेलो बच्चों एक बार फिर से हमारी वेबसाइट पर आपका स्वागत है| अगर आप भी प्यासे कौवे की कहानी के बारे में सर्च कर रहे हैं तो आप बिल्कुल सही जगह पर आए हैं, क्योंकि आज के इस पोस्ट में हम आपके साथ कुछ खास कहानियां शेयर करने जा रहे है|
जब हम सभी छोटे थे तो सबसे पहले हमने प्यासा कौवा की ही कहानी सुनी थी और आज तक यह कहानी हमारे ज़ेहन में है, क्योंकि कहानियों के द्वारे सिखाई गई शिक्षा और शीर्सक हमें लंबे समय तक याद रहती है | हम आपके साथ वादा करते है कि आज की Pyasa Kauwa Story in Hindi आपको बहुत पसंद आएगी और इस कहानी में हमें कौवे से क्या सीख मिलती है उसके बारे में भी हम आपके बताने जा रहे है| तो चलिए इस कहानी के साथ शुरू करते हैं|
Thirsty Crow Story in Hindi with Moral
एक बार जंगल में दो कौवे रहते थे| उनमें से एक कौवा बहुत ही चुस्त था और दूसरा कौवा आलसी था| वह इतना ज्यादा आलसी था कि वह खुद के भजन के लिए भी मेहनत करना पसंद नहीं करता था, क्योंकि दूसरा कौवा उसके लिए भोजन का इंतजाम करता था| एक दिन किसी बात को लेकर दोनों कौओं में बहस हो गई|
पहला कौआ – मैं तुम्हारा कितना ध्यान रखता हूँ| तुम्हारे लिए खाने का इंतजाम भी करता हूँ और तुम मेरे साथ बहस कर रहे हो| आज के बाद मैं तुम्हारे लिए खाना नहीं लाऊंगा| तुम अपने खाने का इंतजाम खुद करना
दूसरा कौआ – कोई बात नहीं मत लाना तुम मेरे लिए खाना, मैं अपने आप खाने का प्रबंध कर लूंगा|
इतना सुनने के बाद पहला कौआ गुस्से में वहां से उड़कर चला गया| सुबह से शाम हो गई लेकिन कौआ वापस नहीं आया| इधर दूसरे कौवे को काफी ज्यादा प्यास लग रही थी| लेकिन वह कभी भी खुद के खाने के लिए इधर-उधर नहीं भटका था और उसे कोई अंदाजा भी नहीं था कि उसे खाना कहां से मिल सकता है|
काफी देर पहले कौवे का इंतजार करने के बाद दूसरे कौवे ने सोचा कि अब मुझे अपने पीने के लिए खुद ही जाना पड़ेगा नहीं तो मैं यही मर जाऊंगा| फिर कौआ अपने घर से निकला और उड़ता हुआ पास के एक गांव में पहुंच गया| गांव में जाकर कौआ पहले घर के दरवाजे के पास खड़ा हो गया, लेकिन उसे देखकर गांव वालों भगा दिया, क्योंकि कौवे का घर पर आना कोई भी शुभ नहीं मानता है|
फिर कौवा दूसरे घर पर पहुंचा तो उन्होंने भी कौवे को वहां से भगा दिया| काफी देर कोशिश करने के बाद कौवा थकने लगा और उसकी प्यास और भी बढ़ने लगी| फिर कौवा वहां से जाने लगा, तभी थोड़ी दूरी पर कौवे को एक छोटा बच्चा दिखाई दिया| जिसके हाथ में एक छोटा सा बर्तन था, जिसमें पानी भरा हुआ था| कौवे के मन में पानी को पीने की जिज्ञाशा उठी| कौवे ने उसे लड़के को कहा कि मुझे प्यास लगी है क्या आप तुम मुझे पानी पिला सकते हो?
लड़का भी झट से मान गया और कौवे को पानी पिला दिया| कौवे ने पेट भरकर पानी पिया और उस लड़के का धन्यवाद भी किया| फिर कौआ वहां से उड़कर वापस अपने घर में पहुंच गया और इस प्रकार प्यासे कौवे ने अपनी प्यास बुझाई।
Moral of Thirsty Crow Story
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि जहां चाह वहां रहा| इसका मतलब यह हुआ कि खुद की प्यास बुझाने के लिए खुद को ही पर्यतन करना पड़ता है।
प्यासे कौवे की कहानी – Pyasa Kauwa Story in Hindi
एक बार की बात है, एक कौवा बहुत ही घने जंगल से गुजर रहा था | चिलचिलाती धूप पड़ने के कारण कौवा बहुत थका हुआ था और उसे बहुत प्यास भी लग रही थी | कौवा उचाई में उड़ कर पानी का स्त्रोत देख रहा था कौवा देख रहा था कि कहीं तो उसे कोई तालाब दिख जाए जहां वह पानी पीकर अपनी प्यास बुझा सके | लेकिन दूर दूर तक उसे कहीं भी कोई तालाब नहीं दिख रहा था |
वह बहुत परेशान था और अब वह ज्यादा ऊंचाई पर उड़ भी नहीं पा रहा था | वह नीचे उड़ता हुआ एक झोपड़ी के पास जा पहुंचा | झोपड़ी को देखकर उसे उम्मीद हुई और उसे लगा यहां पर उसे पानी जरूर मिलेगा | लेकिन वहां पर भी नहीं था | वहीं पर उसे एक घड़ा दिखाई दिया जिसमें थोड़ा सा पानी था | गढ़े को देखकर कौवे को बहुत उम्मीद हुई और वह घड़े के पास पहुंच गया |
जैसे ही कौवे ने घड़े में से पानी पीने के लिए अपनी चोंच घड़े में डाली तो उसने देखा कि घड़े में पानी बहुत कम है और उसकी चोंच पानी तक नहीं पहुंच पा रही अब कौवे फिर से परेशान हो गया क्योंकि अब वह एक मिनट भी और इंतजार नहीं कर सकता था | उसे लग रहा था कि अगर उसे पानी नहीं मिला तो किसी भी क्षण उसकी मृत्यु हो सकती है |
लेकिन कौवे ने हिम्मत नहीं हारी और सोचने लगा कि आखिर इस पानी को कैसे पिया जाए | कौवे ने घड़े को धकेलने की कोशिश की लेकिन घड़ा भारी था वह तो कौवे से हिल भी नहीं रहा था | फिर कौवे को एक उपाय सूझा उसने आसपास के कंकर को उठाकर घड़े में डालना शुरू कर दिया और थोड़े से कंकर डालने के बाद कौवे ने फिर से अपनी चोंच घड़े में डाली, लेकिन उसकी चोंच अभी भी पानी तक नहीं पहुंच पा रही थी |
फिर कौवे ने हिम्मत की और आस पास के बहुत सारे कंकर इकट्ठा किए और एक-एक करके घड़े में डालना शुरू कर दिया | जब घड़े में बहुत सारे पत्थर हो गए तो पानी अपने आप ही ऊपर आ गया और कौवे ने पानी पीकर अपनी प्यास बुझाई और तृप्त हो गया | उसने भगवान् का धन्यवाद किया और वहां से उड़ गया |
नैतिक शिक्षा
तो बच्चों इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि अगर हमारे मन में कुछ करने की इच्छा हो तो, रास्ते अपने आप ही खुलने लग जाते हैं | हिम्मत ना हारने से कितना भी कठिन कार्य पूरा हो सकता है इसलिए हमें भी हमेशा बुरी परिस्थितियों में हिम्मत रखनी चाहिए और मुसीबतों का डटकर मुकाबला करना चाहिए |
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Conclusion
उम्मीद करते है कि आपको हमारे द्वारा शेयर करी गई pyase kauve ki kahani बेहद पसंद आई होगी और अगर आपके आपके मन में कहानियों से संबंधित कोई भी प्रश्न हो तो नीचे दिए गए कमेंट सेक्शन मे हमे कमेंट करके ज़रूर बताएं | ऐसी ही शिक्षा से भरी कहानियों के लिए हमारे ब्लॉग्स पढ़ते रहें|
FAQ (Frequently Asked Questions)
घड़े के जल स्तर को ऊंचा उठाने के लिए कौआ ने क्या किया?
घड़े के जल स्तर को ऊंचा उठाने के लिए कौवे ने आसपास के कंकर उठाकर घड़े में डाल दिया जिससे कंकर नीचे बैठ गए और जल का स्तर ऊंचा हो गया |
प्यासा कौवा की कहानी से हमें क्या सीख मिलती है?
प्यासा कौवा की कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि जहां चाह वहाँ राह | अभिप्राय अगर कुछ करने की दृड़ इच्छा हो तो रास्ते अपने आप निकलने लगते हैं |
प्यासा कौवा का सारांश क्या है?
प्यासा कौवा का सारांश यह है कि हमें मुसीबतों का डटकर सामना करना चाहिए और किसी भी परिस्थिति में हिम्मत नहीं हारनी चाहिए |
कौवा प्यासा क्यों था?
गर्मी के दिन थे और कौवा एक घने जंगल से गुजर रहा था और बहुत ऊंचाई में उड़ने की वजह से कौवा प्यासा था |
प्यासा कौवा का नैतिक क्या है?
प्यासा कौवा का नैतिक यह है कि हमें हिम्मत नहीं हारनी चाहिए और मुसीबत का डटकर सामना करना चाहिए चाहे मुसीबत कितनी भी बड़ी क्यों ना हो |
कौवा पानी कैसे पीता था?
कौवा अपनी चोंच की मदद से पानी पीता था | लेकिन पानी का स्तर बहुत ही कम होने की वजह से उसकी चोंच पानी तक नहीं पहुंच पा रही थी |