Motivational Short Story For Students in Hindi – दोस्तों क्या आप भी Motivational Short Story For Students in Hindi के बारे में सर्च कर रहे हैं? अगर ऐसा है तो बिल्कुल सही जगह पर आए है| क्योंकि आज की इस पोस्ट में हम आपके साथ चुनिंदा Motivational Short Story For Students in Hindi शेयर करने जा रहे हैं|
आज हम आपके साथ ऐसी Story शेयर कर रहे हैं जो आपकी student life के लिए life changing साबित हो सकती है और आपको भविष्य में काबिल बनने के लिए प्रेरित भी कर सकती है| तो चलिए दोस्तों अब हम शुरू करते हैं।
Motivational Short Story For Students in Hindi Overview
होनहार रोहित की मेहनत और दृढ़ता की कहानी – Motivational Short Story For Students in Hindi
पंजाब के लुधियाना शहर में एक रोहित नाम का लड़का रहता था| वह पढ़ाई में बहुत ज्यादा होशियार था और बहुत ज्यादा मेहनती था| लेकिन वह एक गरीब घर से था जिसकी वजह से उसे आगे की पढ़ाई करने में भी काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था| वह पढ़ना तो चाहता था लेकिन उसके परिवार वालों के पास इतना पैसा नहीं था कि उसे अच्छे कॉलेज में पढ़ा सकें|
लेकिन फिर भी रोहित ने हार नहीं मानी उसके दृढ़ संकल्प और मेहनत के सदके उसने अपनी पढ़ाई को कंटिनुए रखा| लेकिन उसे इस बात की भी चिंता हो रही थी कि उसके परिवार वालों के पास इतने पैसे भी नहीं है की उसे पढ़ा सके| फिर रोहित ने अपने घर के पास में नौकरी करना शुरू कर दिया| वह दिन में 4 घंटे नौकरी करता था, और पैसे कमाता था| फिर उसने पैसे इकट्ठे करके कॉलेज में दाखिला ले लिया|
कॉलेज में जाते ही उसने देखा कि वह इस हालत में अकेला नहीं है, उसकी तरह और भी लोग है जो इस परेशानी से जूझ रहे है| उसने देखा कि वह काफी छात्र ऐसे थे जो पढ़ाई में होशिआर थे और काफी ऐसे छात्र भी थे जो सिर्फ कॉलेज में घूमने फिरने के लिए ही आते थे| काफी छात्रों ने तो रोहित को कॉलेज में परेशान भी करा| कभी उसकी किताबें छीन लेते कभी पेन कभी कुछ|
फिर रोहित को एहसास हुआ कि सिर्फ होशियार और मेहनती होना ही काफी नहीं है| उसे अपने मार्ग पर दृढ रहना होगा तभी वह यहाँ पर पढ़ सकता है| फिर कुछ दिनों के रोहित को कुछ ऐसे लोग मिले जो उसी की तरह पढ़ाई करना चाहते थे लेकिन कॉलेज में कुछ अमीर घरों के छात्रों की वजह से परेशान थे| जो न खुद पढ़ते थे ना उनको पढ़ने देते थे|
फिर ऐसे छात्रों ने आपस में मिलकर एक ग्रुप बन लिया| वह लोग सारे इकट्ठे बैठकर पढ़ते और अपनी पढ़ाई से संबंधित मुश्किलों को एक साथ दूसरे के साथ शेयर करते और उसका हल निकालते| ऐसे करते-करते रोहित भी अपनी पढ़ाई की और फोकस करता रहा और कड़ी मेहनत करता रहा| फिर रोहित शाम को कॉलेज के बाद 4 घंटे कपड़े की दुकान पर काम करता और पैसे कमाता|
जहा पर रोहित काम करता था वह पर भी काफी लोगे उसे परेशान करते थे और कहते थे कि पढ़ाई करने से तुम्हरा कुछ नहीं होगा| तुम सिर्फ यहाँ दूकान पर काम करने के लायक ही हो| लेकिन रोहित ने फिर भी अपनी हिम्मत नहीं हरी और अपनी मार्ग पर दृढ रहा और मेहनत करता रहा|
रोहित को मालुम था कि अगर वह मेहनत से पढ़ेगा तो ही वह अपने सपनों को पूरा कर सकता हैं, अपने घर की हालत को सुधार सकता है| उसे जैसे तैसे करके पढ़ना ही होगा| अगर वह पड़ेगा तभी उसके हालत में कुछ सुधार हो सकता है और अपने भविष्य को भी उज्वल बना सकता है|
फिर रोहित की MBA की परीक्षा शुरू हो गई| रोहित की कड़ी मेहनत और लगन की वजह से परीक्षा अच्छी हुई और कुछ दिनों के बाद उसका रिजल्ट भी आ गया| रोहित ने पहले दर्जे में MBA की परीक्षा को पास कर लिया| फिर रोहित को अछि नौकरी भी मिल गई और अचे पैसे भी कमाने लग गया|
Moral of The Story
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें कड़ी मेहनत और संकल्प से अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहना है| हमें मुसीबतों से घबराना नहीं है बल्कि दृढ होकर उनका सामना करना है|
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लाचार वंश की मेहनत की कहानी – Motivational Short Story For Students in Hindi
एक बार एक गांव में वंश नाम का लड़का था| वह बहुत ही गरीब परिवार से था| उसकी दो बड़ी बहने थी और घर में मां और पिताजी थे| उसके पिताजी सारा दिन शराब पीते थे और कोई भी काम नहीं करते थे| लेकिन उसकी मां गांव में आसपास के घरों में काम करके घर का गुजारा करती थी| वंश पढ़ाई में बहुत ज्यादा होशियार था और आगे पढ़ना चाहता था|
लेकिन उसके घर की हालत ऐसी थी कि मैं पढ़ाई नहीं कर सकता था क्योंकि उसके घर का खर्चा उसकी माँ बड़ी मुश्किल से चला रही थी| जैसे तैसे करके उनका गुजारा हो रहा था| लेकिन घर पर पैसे ना होने की वजह से वंश को स्कूल से भी निकल दिया गया| लेकिन वंश अभी आगे पड़ना चाहता था, बड़ा अफसर बनना चाहता था|
स्कूल से निकलने की वजह से कुछ समय परेशान रहा लेकिन फिर उसने सोचा ऐसे बैठे से ना तो उसकी पढ़ाई होगी और ना ही घर के हालातों में कोई सुधार होगा| फिर वंश ने सोचा कि मैं भी कुछ काम कर लेता हूँ| घर पर चार पैसे आएंगे इससे घर का खर्चा भी चलता रहेगा शायद मेरी पढ़ाई भी हो जाएगी| क्योंकि वंश को इस बात का ज्ञान था कि अगर वह पढ़ेगा तभी भविष्य में कुछ कर सकता है कुछ बड़ा अफसर बन सकता है अपने अपने परिवार के खुशियां दे सकता है।
वंश को बचपन से ही बाइक, गाड़ी चलते हुए देखना बहुत अच्छा लगता था| उसकी गाड़ियों में दिलचस्पी भी बहुत ज्यादा थी| उसने सोचा क्यों ना गाड़ियों की रिपेयर का काम सीख लेता हूँ| फिर उसने पास के गांव में गाड़ी रिपेयर की दुकान पर जाकर नौकरी करनी शुरू कर दी और वह दिन में 5 – 6 घंटे नौकरी करता और बाकी समय घर पर बेथ कर पढ़ाई करता|
वंश ने नौकरी से पैसे इकट्ठे करते हुए +2 तक की पढ़ाई पूरी कर ली| फिर उसने सोचा मई किसी अच्छे कॉलेज में दाखिला लेकर automobile की डिग्री हासिल करूँगा| फिर वंश ने ऑटोमोबिल्स डिप्लोमा में दाखिला ले लिया| क्योंकि उसका इंटरेस्ट था और उसे गाड़ी रिपेयर का काम भी अच्छे से आता था| वह मन लगाकर पढ़ाई करता और साथ में दुकान पर भी काम करता है|
फिर वंश की परीक्षा का समय आ गया और परीक्षा में अच्छे नंबरों के साथ पास भी हो गया| क्यूंकि वंश को कार रिपेयर की काफी ज्यादा नॉलेज थी, जिसकी बदौलत उसकी कॉलेज में ही placement हो गई और उसे अच्छी नौकरी भी मिल गई| उसे वहां बहुत अच्छी सैलरी मिलने लगी| फिर उसने अपने सपनो को भी पूरा करा और अपने घर के हालातों को भी सुधारा|
Moral of The Story
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि अगर हम पढ़ने का सोच रहे हैं और पढ़ना चाहते हैं तो हमे मुसीबतों को देखकर घबरान नहीं है बल्कि हालत का सामना करना है और अपने मार्ग पर डटे रहना है।
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गरीब मछुआरे के मेहनती लड़के की कहानी – Motivational Short Story For Students in Hindi
एक गांव में एक मछुआरा रहता था, उसके दो बच्चे थे, एक लड़का और एक लड़की| वह मछुआरा अक्सर ही सुबह उठकर समुंदर के किनारे मछली पकड़ने जाया करता था| उसका लड़का भी कभी कबार उसके साथ चला जाता था।
मछुआरा समुद्र से मछली पकड़कर ही अपने घर का गुजारा करता था| उसका बाप भी उसी की तरह मछुआरा था और वह भी अपने पिताजी के साथ बचपन में जाया करता था| लेकिन वह मछुआरा नहीं चाहता था कि उसका लड़का भी उसी की तरह मछुआरा बने और ऐसे ही जीवन व्यतीत करें जैसे उसने करा है|
इसलिए मछुआरा अपने लड़के को समझाता था कि अगर तुम अच्छे से पढ़ लिख जाओगे तो तुम्हारी जिंदगी सुधर सकती है और इससे हमारा बुढ़ापा भी अच्छे से निकल सकता है और तुम्हारी बहन की भी शादी आराम से हो सकती है|
लेकिन उसका लड़का फिर भी अपने पिता के साथ जाने की जिद करता है| फिर एक दिन मछुआरे ने अपने लड़के को बिठाया और बताया कि कैसे उसके पिताजी भी ऐसे ही मछली पकड़ने जाया करते थे और कभी-कभी मैं भी साथ में जाता था| लेकिन एक दिन पिताजी अकेले मछली पकड़ने के लिए गए|
लेकिन वह वापस नहीं आए और फिर मैंने उसी काम को शुरू कर दिया और आज तक इसी से घर का गुजारा कर रहा हहूँ| मैं नहीं चाहता कि जैसे मैंने अपने पिता को मछलियां पकड़ते हुए खोया है, कल को तुम भी अपने पिता को खो और आगे तुम इस काम को करो तो तुम्हारे साथ भी ऐसा हो|
इसलिए मैं चाहता हूं कि तुम अच्छे से पढ़ो और अपनी जिंदगी बनाओ| लड़के को अपने पिता की बात समझ आ गई अब से लड़के ने पढ़ाई करना शुरू कर दिया और वह पास के स्कूल में भी जाने लगा| ऐसे करते करते समय बीत गया और लड़के ने दसवीं की परीक्षा भी पास कर ली| फिर लड़के ने आगे डिग्री कॉलेज में एडमिशन ली और अपनी मेहनत और लगन से डिग्री में भी अच्छे नंबर लेकर पास हो गया और उसे एक अच्छी कंपनी में नौकरी मिल गई|
लड़के को नौकरी करते हुए लगभग 2 साल हो गए थे| लड़के ने अपनी बहन की शादी भी कर दी, अपने लिए शहर में एक दो कमरों का घर भी बना लिया और अपने माता-पिता को भी अपने साथ वही रख लिया और वह लोग खुशी-खुशी अपना जीवन जीने लगे|
Moral of The Story
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि अगर हम मन लगाकर और दृढ़ निश्चय के साथ पढ़ाई करें तो हम अपना और अपने परिवार का भविष्य भी बदल सकते हैं और अपनी जिंदगी भी बना सकते हैं।
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बेबस और हालत से मजबूर मोहित की मेहनत की कहानी – Motivational Short Story For Students in Hindi
एक मोहित नाम का लड़का था और वह तीन भाई थे| एक उसका बड़ा भाई था और एक उसका छोटा भाई था| दोनों भाई पढ़ाई में बहुत होशियार थे| लेकिन मोहित पढ़ाई में इतना ज्यादा होशियार नहीं था| इसलिए उसने सिर्फ +12 तक की ही पढ़ाई बड़ी मुश्किल से की थी|
फिर वह नौकरी करने के लिए अपने मामा के घर चला गया| उनका बिजनेस काफी अच्छा चलता था, उनके काफी बड़ी दुकान थी| वह वहां पर नौकरी करने लगा| वह सुबह उठकर दूकान पर जाता, पूरा कामकाज संभालता और शाम को ही मामा के साथ घर आता था| मोहित को लगभग 2 साल हो गए थे वह अच्छे से काम कर रहा था उसका मन भी लगा हुआ था|
लेकिन उस दौरान मामा की दुकान काफी अच्छी चलने लगी तो मामा को लगा कि अब मेरे बच्चे भी बड़े हो गए हैं, कहीं यह ना हो कि कल को मोहित यही हमारे पास रहने लग जाए और हमसे कुछ हिस्सा भी मांगे| तो मामा ने सोचा कि हम मोहित को वापिस उसके घर भेज देते हैं|
लगभग 3 साल काम करने के बाद मामा ने मोहित को बोला कि अब तुम्हें अपने घर जाना चाहिए और वहीं पर कुछ अपना करना चाहिए| यह सुनकर एक बार तो मोहित हैरान हो गया, मानों जैसे उसके पैरों तले जमीन निकल गई हो|
मोहित ने मामा को कुछ नहीं बोला, बस चुपचाप खड़ा रहा और मां की बात सुनता रहा| कुछ दिनों के बाद मोहित अपना सामान लेकर अपने घर वापस आ गया| घर पर रहकर मोहित काफी ज्यादा परेशान था लेकिन उसे मालूम था कि अगर काम नहीं करेगा तो अपना गुजारा कैसे करेगा| इसलिए वह काम की तलाश करता रहता| वह अपने आसपास की दुकानों और फैक्ट्री में काम पूछने के लिए जाता लेकिन उसे कहीं भी कोई काम नहीं मिल रहा था| वह बहुत ज्यादा परेशां हो गया था|
फिर उसे लगा कि अगर अच्छे से पढ़ लेता तो शायद आज मैं भी अपने भाइयों की तरह अच्छी नौकरी कर रहा होता| फिर उसने सोचा कि मुझे अभी कोई ज्यादा समय नहीं हुआ अभी मेरी उम्र इतनी नहीं हुई है कि मैं भी पढ़ नहीं सकता| फिर मोहित ने दुआबार से पढ़ाई करने के बारे में सोचा और सरकारी परीक्षाएं देने का फैसला लिया और पढ़ाई करनी शुरू कर दी| उसने अपने पास में institute में भी दाखिला ले लिया|
फिर मोहित कड़ी मेहनत के साथ परीक्षा की तैयारी करने लगा| मोहित को तैयारी करते हुए लगभग 6 महीने हो गए थे| वह बहुत मेहनत कर रहा था क्योंकि उसे पता था कि परिस्क्षा में पास हो गया तो अच्छी नौकरी मिल जाएगी और उसका जीवन भी अपने भाइयों की तरह सुखद हो जाएगा| उसे भी पैसे के बारे में सोचने की जरूरत नहीं पड़ेगी|
लगभग 1 महीने के बाद परीक्षा का समय हो गया मोहित बहुत घबराया हुआ था| लेकिन उसने बहुत मेहनत के साथ पढ़ाई करी थी| उसने परीक्षा दी और लगभग 15 दिन बाद परीक्षा का परिणाम आ गया| मोहित बहुत अच्छे नंबर के साथ पास हुआ और उसका नाम भी मेरिट लिस्ट में आ गया| फिर मोहित को interview के लिए बुलाया गया| मोहित ने अपनी नॉलेज के बदौलत interview भी पास कर लिया|
अब मोहित को अपने ही शहर में सरकारी बैंक में अच्छी नौकरी मिल गई| अब उसकी सैलरी भी अच्छी थी और वह अपने भाइयों की तरह घर पर पैसे भी देने लगा और फिर मोहित की शादी हो गई और अब वह खुशी-खुशी अपना जीवन जीने लगा और अपने और अपने परिवार की ख्वाहिशों को भी पूरा करने लगा|
Moral of The Story
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि अगर हम मेहनत से पढ़ाई करें तो ऐसा कुछ भी नहीं जिसे हम हासिल नहीं कर सकते| हम बीएस मेहनत करते रहना है और नाकामी से कभी भी हताश नहीं होना है|
निठल्ले ऋषि की मेहनत की कहानी – Motivational Short Story For Students in Hindi
हिमाचल के गांव में एक ऋषि नाम का लड़का रहता था| वह पांच भाई बहन थे| ऋषि सबसे छोटा था उसकी तीन बहने और एक बड़ा भाई था| ऋषि पढ़ाई में इतना ज्यादा होशियार नहीं था, वह बस पास होने लायक नंबर लेकर ही पास होता था| लेकिन ऋषि शरारत करने में अपनी क्लास में सबसे अव्वल था और अक्सर ही उसकी शरारतों की बातें उसके घर पर आती रहती थी| जिसकी वजह से उसके पिताजी भी उससे काफी नाराज रहते थे|
ऋषि +2 में हो गया था| वह थोड़ा समय पढता और बाकी समय में इधर-उधर अपने दोस्तों के साथ घूमता रहता था| उसे अपने घर के कारोबार के बारे में बिल्कुल भी नहीं सोचता था| बस अपनी मौज मस्ती में रहना पसंद करता था| उसके पिताजी ने भी उसे काफी समझाया की वह अच्छे से पढ़ लेगा तो कही अच्छी नौकरी लग जाएगा| नहीं तो फिर घर की खेती है या दुकान को ही संभालना पड़ेगा| लेकिन ऋषि अपनी शरारते और घूमने फिरने में ही मस्त रहता था|
फिर एक दिन ऋषि का बड़ा भाई जो फौजी था, वह अपनी duty से retire हो के अपने घर पर आ गया था| वह घर आकर खेती और दुकान दोनों को सँभालने लगा| लेकिन ऋषि का इस पर कोई ध्यान नहीं था वह अभी भी बीएस घूमता फिरता रहता था| ऋषि की उम्र भी लगभग 25 साल हो गई थी लेकिन कोई काम नहीं करता था| बस घर पर बैठा रहता बैठा रहता था| उसके पिताजी ने भी उसको काफी समझाया अगर नौकरी नहीं करेगा, कोई काम नहीं करेगा तो उसका गुजारा कैसे होगा|
उसके पिताजी को जिस बात का डर था वही हुआ| 1 दिन ऋषि के बड़े भाई ने अपने पिताजी से बोला कि घर का सारा काम मैं संभालता हूँ, दुकान को मैं संभालता हूँ| मैं चाहता हूं कि मुझे इस जायदाद में खुद का हिस्सा दिया जाए| ताकि मैं भी अपने बच्चों के भविष्य के बारे में सोच सकूं।
फिर ऋषि के पिता जी को लगा कि बंटवारा करना ही होगा| पिताजी ने अपने खेत और घर अपने बड़े बेटे के नाम कर दिया और एक अपनी एक दुकान और एक छोटा खेत छोटे लड़के के नाम कर दिया| क्योंकि सारी मेहनत बड़े लड़के ने करी थी खेतों को और दुकान के काम को बढ़ाने का काम उसी ने किया था इसलिए पिता जी को जो सही लगा उन्होंने कर दिया|
फिर एक दिन ऐसा आया कि ऋषि ना तो खेतों में जाता था और ना ही दुकान पर जाता था जिसकी वजह से उसकी दुकान अक्सर ही बंद रहा करती थी और गांव के सारे ग्राहक उसके बड़े भाई की दुकान पर जाते थे| जिसकी वजह से ऋषि की दुकान भी फ़ैल हो गई खेत गई और ऋषि की हालत बहुत ज्यादा खराब हो गई थी ऋषि के पिताजी की उम्र भी काफी थी तो वह भी अब ज्यादा काम नहीं कर सकते थे| लेकिन ऋषि अभी भी अपने जीवन को लेकर इतना ज्यादा भविष्य को लेकर इतना ज्यादा चिंतित नहीं लग रहा था|
फिर समय बीता गया जो ऋषि के दोस्त थे वे उसे मिलना जुलना छोड़ने लगे, जो लोग ऋषि को अपने घर खाने पर बुलाते थे, अपने घर पर त्यौहार पर बुलाते थे वह भी उसे बुलाना बंद करने लगे| इसे देखकर ऋषि बहुत ज्यादा परेशान हो गया| उसे लगा कि अगर मेरे पास पैसा होगा तभी लोग मेरी इज्जत करेंगे| इसलिए मुझे पैसा कमाने के लिए मेहनत करनी पड़ेगी|
फिर ऋषि ने पास की दुकान पर नौकरी करनी शुरू कर दी| वह दिन में नौकरी करता और रात को सरकारी परीक्षा के लिए तैयारी करता| उसने खूब मेहनत से पढ़ाई करने लगा और साथ-साथ दुकान पर काम करके घर का खर्चा भी चलाने लगा| लगभग 6 महीने मेहनत करने के बाद उसने परीक्षा दी और परीक्षा में अच्छे नंबर लेकर मेरिट लिस्ट में उसका नाम आ गया|
अब ऋषि को एक सरकारी नौकरी भी मिल गई थी और वह पैसे भी कमाने लगा और जो लोग उसे छोड़ चुके थे वह भी उसे मिलने जुड़ने लगे| लोग उसे अपने घर पर खाने पर और त्योहारों पर फिर से बुलाने लगे| ऋषि को यह बात समझ आ गई थी कि जब मेरे पास पैसा नहीं था तो मेरी कोई कदर नहीं करता था| आज मेरे पास नौकरी और पैसा दोनों है तो सभी मुझे बुलाते हैं, मुझे इज्जत देते हैं|
Moral of The Story
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है अगर हम पढ़ेंगे लिखेंगे नहीं, कोई काम नहीं करेंगे तो कोई भी हमारी इज्जत नहीं करेगा| इसलिए पढ़ लिखकर हमें अपना भविष्य बनाना चाहिए और अच्छी नौकरी करनी चाहिए| फिर ही समाज हमारी इज्जत करता है|
Conclusion
Motivational Short Story For Students in Hindi – उम्मीद करते हैं कि हमारे द्वारा शेयर करी गई Motivational Short Story For Students in Hindi आपको पसंद आई होगी| अगर आप इन Story से संबंधी हमें कोई कमेंट करना चाहते हैं या कोई राय देना चाहते हैं तो नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट कर सकते हैं।